यह लेख अनुच्छेद 87 (Article 87) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 87

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📜 अनुच्छेद 87 (Article 87) – Original

संसद
87. राष्ट्रपति का विशेष अभिभाषण — (1) राष्ट्रपति, 1[लोक सभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात्‌ प्रथम सत्र के आरंभ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में] एक साथ समवेत संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और संसद्‌ को उसके आह्वान के कारण बताएगा |
(2) प्रत्येक सदन की प्रक्रिया का विनियमन करने वाले नियमों द्वारा ऐसे अभिभाषण में निर्दिष्ट विषयों की चर्चा के लिए समय नियत करने के लिए 2*** उपबंध किया जाएगा ।
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1. संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, 1951 की धारा 7 द्वारा “प्रत्येक सत्र” के स्थान पर (18-6-1951 से) प्रतिस्थापित।
2. संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, 1951 की धारा 7 द्वारा “और सदन के अन्य कार्य पर इस चरचको अग्रता देने के लिए” शब्दों का (18-6-1951) से लोप किया गया।
—-अनुच्छेद 87 —-

Parliament
87. Special address by the President.—(1) At the commencement of 1[the first session after each general election to the House of the People and at the commencement of the first session of each year] the President shall address both Houses of Parliament assembled together and inform Parliament of the causes of its summons.

(2) Provision shall be made by the rules regulating the procedure of either House for the allotment of time for discussion of the matters referred to in such address 2***.
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1. Subs. by the Constitution (First Amendment) Act, 1951, s. 7, for “every session” (w.e.f. 18-6-1951).
2. The words “and for the precedence of such discussion over other business of the House” omitted by s. 7, ibid. (w.e.f. 18-6-1951).
Article 87

🔍 Article 87 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 87 (Article 87) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 87 – राष्ट्रपति का विशेष अभिभाषण

संसद उन लोगों के बैठने की जगह है जो जनता के किसी खास हिस्से का प्रतिनिधित्व करती है। संसद का मुख्य काम है कानून या विधि बनाना या फिर अप्रासंगिक एवं गैर-जरूरी क़ानूनों को खत्म करना या उसमें बदलाव करना; ताकि एक ऐसी व्यवस्था बनी रहे जो उस समय-काल के हिसाब से तर्कसंगत एवं न्यायसंगत हो।

कहने का अर्थ है कि राष्ट्रपति भी संसद का एक अंग है और इसी राष्ट्रपति के लिए विशेष अभिभाषण (Special address) के लिए अनुच्छेद 87 की व्यवस्था की गई है।

यह अनुच्छेद, अनुच्छेद 86 का विस्तार माना जा सकता है। इसीलिए उसे भी अवश्य पढ़ लें; अनुच्छेद 87 के दो खंड है, आइये समझें;

अनुच्छेद 87(1) के तहत राष्ट्रपति, लोक सभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात्‌ प्रथम सत्र के आरंभ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में एक साथ समवेत संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और संसद्‌ को उसके आह्वान के कारण बताएगा।

इस खंड के तहत दो बाते हैं;

पहली बात कि राष्ट्रपति, लोक सभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात्‌ प्रथम सत्र के आरंभ में एक साथ सम्मिलित रूप से संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और संसद्‌ को उसके आह्वान के कारण बताएगा।

कहने का अर्थ है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद जब नयी सरकार बनती है तब राष्ट्रपति दोनों सदनों के सदस्यों को एक साथ संबोधित (Address) करते हैं।

दूसरी बात ये है कि राष्ट्रपति, प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में एक साथ सम्मिलित रूप से संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और संसद्‌ को उसके आह्वान के कारण बताएगा।

कहने का अर्थ है कि राष्ट्रपति, प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र (session) शुरू होने से पहले संसद के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करता है। आमतौर पर राष्ट्रपति इसके माध्यम से देश की स्थिति और सरकार की स्थिति या उपलब्धि को जनता के समक्ष रखती है।

अनुच्छेद 87(2) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि प्रत्येक सदन की प्रक्रिया का विनियमन करने वाले नियमों द्वारा ऐसे अभिभाषण में निर्दिष्ट विषयों की चर्चा के लिए समय नियत करने के लिए उपबंध किया जाएगा।

जैसा कि हमने समझा प्रत्येक आम चुनाव के पहले सत्र एवं हरेक वित्तीय वर्ष के पहले सत्र में राष्ट्रपति सदन को संबोधित करता है। अपने सम्बोधन में राष्ट्रपति पूर्ववर्ती वर्ष और आने वाले वर्ष में सरकार की नीतियों एवं योजनाओं का खाका खींचता है।

राष्ट्रपति के इस भाषण की अनुच्छेद 87 के इस खंड के अनुसार, दोनों सदनों में चर्चा होती है, उस पर वाद-विवाद होता है। इसी को धन्यवाद प्रस्ताव (Motion of Thanks) कहा जाता है।

बहस खत्म होने के बाद प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा जाता है। इस प्रस्ताव का सदन में पारित होना आवश्यक होता है। अगर ये पारित नहीं होता है तो इसे सरकार की पराजय मानी जाती है।

अनुच्छेद-52 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
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धन्यवाद प्रस्ताव (Motion of Thanks) कॉन्सेप्ट:

भारतीय संसद में, धन्यवाद प्रस्ताव लोक सभा (निम्न सदन) और राज्य सभा (उच्च सदन) दोनों में प्रस्तुत किया जाने वाला एक औपचारिक प्रस्ताव है, जो भारत के राष्ट्रपति को संसद के संयुक्त सत्र की शुरुआत में उनके अभिभाषण के लिए धन्यवाद देने के लिए पेश किया जाता है।

◾  राष्ट्रपति का अभिभाषण एक महत्वपूर्ण घटना है जो आगामी संसदीय सत्र के एजेंडे को निर्धारित करता है। राष्ट्रपति के अभिभाषण के बाद, संसद के दोनों सदन इसकी सामग्री पर चर्चा करते हैं और इससे संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बहस करते हैं। एक बार चर्चा समाप्त हो जाने के बाद, संसद का एक सदस्य दोनों सदनों में धन्यवाद प्रस्ताव पेश करता है।

◾  धन्यवाद प्रस्ताव अनिवार्य रूप से संसद का राष्ट्रपति के अभिभाषण के लिए आभार व्यक्त करने और उसमें उल्लिखित नीतियों और कार्यक्रमों का समर्थन करने का एक तरीका है। यह संसद के सदस्यों को विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करने और उनकी किसी भी चिंता को व्यक्त करने का अवसर भी प्रदान करता है।

◾  धन्यवाद प्रस्ताव आमतौर पर सत्तारूढ़ दल के एक सदस्य द्वारा पेश किया जाता है, और विपक्षी दलों को इसका जवाब देने का अवसर दिया जाता है। यह अक्सर संसद के दोनों सदनों में एक जीवंत बहस का कारण बनता है, जिसमें विभिन्न दलों के सदस्य विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखते हैं।

◾  एक बार बहस समाप्त हो जाने के बाद, धन्यवाद प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा जाता है, और यदि यह पारित हो जाता है, तो इसे राष्ट्रपति के अभिभाषण और उसमें उल्लिखित नीतियों और कार्यक्रमों का समर्थन माना जाता है। यदि यह पारित नहीं होता है, तो इसे सरकार में अविश्वास माना जाता है।

कुल मिलाकर, धन्यवाद प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण संसदीय प्रक्रिया है जो संसद को राष्ट्रपति के अभिभाषण और उसमें उल्लिखित नीतियों और कार्यक्रमों पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करती है।

◾  विभिन्न प्रकार के प्रस्तावों को यहाँ से समझें; संसदीय प्रस्ताव : प्रकार, विशेषताएँ

तो यही है अनुच्छेद 87 (Article 87), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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FAQ. अनुच्छेद 87 (Article 87) क्या है?

अनुच्छेद 87 के तहत राष्ट्रपति के लिए विशेष अभिभाषण का प्रावधान किया गया है। इसके तहत राष्ट्रपति, लोक सभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात्‌ प्रथम सत्र के आरंभ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में एक साथ समवेत संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और संसद्‌ को उसके आह्वान के कारण बताएगा।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।