यह लेख अनुच्छेद 121 (Article 121) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 121

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📜 अनुच्छेद 121 (Article 121) – Original

साधारणतया प्रक्रिया
121. संसद्‌ में चर्चा पर निर्बन्धन — उच्चतम न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश के, अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किए गए आचरण के विषय में संसद्‌ में कोई चर्चा इसमें इसके पश्चात्‌ उपबंधित रीति से उस न्यायाधीश को हटाने की प्रार्थना करने वाले समावेदन को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करने के प्रस्ताव पर ही होगी, अन्यथा नहीं ।
अनुच्छेद 121

Procedure Generally
121. Restriction on discussion in Parliament.— No discussion shall take place in Parliament with respect to the conduct of any Judge of the Supreme Court or of a High Court in the discharge of his duties except upon a motion for presenting an address to the President praying for the removal of the Judge as hereinafter provided.
Article 121

🔍 Article 121 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 121 (Article 121) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 121 – संसद में चर्चा पर निर्बन्धन

अनुच्छेद 79 के तहत, देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की व्यवस्था की गई है। संसद तीन घटकों से मिलकर बना है; राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha)।

संसद में दो सदन है लोक सभा (House of the People) और राज्यसभा (Council of States)। लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सीटें हैं, जो कि प्रत्यक्ष मतदान द्वारा चुनकर आते हैं।

वहीं राज्यसभा में अभी फिलहाल 245 सीटें है जिसमें से 233 सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव होते हैं जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।

संसद, चर्चा के लिए और उस चर्चा से निष्कर्ष निकालने के लिए ही बना है। लेकिन अनुच्छेद 121 के तहत उच्चतम न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश के, अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किए गए आचरण के विषय में संसद में चर्चा पर निर्बंधन की बात की गई है। इसका क्या मतलब है आइये समझते हैं;

अनुच्छेद 121 के तहत कहा गया है कि उच्चतम न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश के, अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किए गए आचरण के विषय में संसद्‌ में कोई चर्चा इसमें इसके पश्चात्‌ उपबंधित रीति से उस न्यायाधीश को हटाने की प्रार्थना करने वाले समावेदन को राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत करने के प्रस्ताव पर ही होगी, अन्यथा नहीं ।

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 121 सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के आचरण के संबंध में संसद में चर्चा पर प्रतिबंध से संबंधित है।

अनुच्छेद में कहा गया है कि सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के किसी भी न्यायाधीश के अपने कर्तव्यों के निर्वहन में आचरण के संबंध में संसद में कोई चर्चा नहीं होगी। संविधान में निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार न्यायाधीश को हटाने की प्रार्थना करते हुए भारत के राष्ट्रपति को एक अभिभाषण प्रस्तुत करने के प्रस्ताव को छोड़कर।

इसका मतलब यह है कि सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के आचरण के बारे में संसद में किसी भी चर्चा या बहस की अनुमति तब तक नहीं दी जाती है जब तक कि न्यायाधीश को पद से हटाने के लिए प्रस्ताव पेश नहीं किया जाता है।

कहने का अर्थ ये है कि महाभियोग (Impeachment) के अतिरिक्त संविधान में न्यायाधीशों के आचरण पर संसद में या राज्य विधानमण्डल में बहस पर प्रतिबंध लगाया गया है। यानी कि न्यायालय में न्यायाधीश किस तरह व्यवहार करता है, किस तरह मामलों को डील करता है, ये सब उसके मसले है इस पर संसद में बहस नहीं की जा सकती है।

यह प्रावधान न्यायपालिका की स्वतंत्रता को बनाए रखने और संसद में चर्चा या बहस के माध्यम से न्यायपालिका के अधिकार को कम करने के किसी भी प्रयास को रोकने के उद्देश्य से है।

यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि संविधान न्यायाधीशों को हटाने के लिए एक विशिष्ट प्रक्रिया प्रदान करता है, और किसी न्यायाधीश के आचरण के लिए किसी भी कार्रवाई के लिए इस प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए। इस प्रक्रिया में संसद के किसी भी सदन द्वारा राष्ट्रपति को एक अभिभाषण की प्रस्तुति शामिल है, जो जांच के बाद न्यायाधीश को हटाने का आदेश दे सकता है।

कुल मिलाकर, अनुच्छेद 121 भारतीय संविधान में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के आचरण के संबंध में संसद में चर्चा को प्रतिबंधित करके और यह सुनिश्चित करके न्यायपालिका की स्वतंत्रता और अधिकार की रक्षा करता है कि किसी के खिलाफ कोई कार्रवाई की गई है। न्यायाधीश एक उचित संवैधानिक प्रक्रिया के माध्यम से किया जाता है।

तो यही है अनुच्छेद 121 (Article 121), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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अनुच्छेद 122 – भारतीय संविधान
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संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
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FAQ. अनुच्छेद 121 (Article 121) क्या है?

संसद, चर्चा के लिए और उस चर्चा से निष्कर्ष निकालने के लिए ही बना है। लेकिन अनुच्छेद 121 के तहत उच्चतम न्यायालय या किसी उच्च न्यायालय के किसी न्यायाधीश के, अपने कर्तव्यों के निर्वहन में किए गए आचरण के विषय में संसद में चर्चा पर निर्बंधन की बात की गई है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।