यह लेख अनुच्छेद 122 (Article 122 ) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 122

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📜 अनुच्छेद 122 (Article 122) – Original

साधारणतया प्रक्रिया
122. न्यायालयों द्वारा संसद की कार्यवाहियों की जांच न किया जाना — (1) संसद की किसी कार्यवाही की विधिमान्यता को प्रक्रिया की किसी अभिकथित अनियमितता के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जाएगा।
(2) संसद्‌ का कोई अधिकारी या सदस्य, जिसमें इस संविधान द्वारा या इसके अधीन संसद्‌ में प्रक्रिया या कार्य संचालन का विनियमन करने की अथवा व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियां निहित हैं, उन शक्तियों के अपने द्वारा प्रयोग के विषय में किसी न्यायालय की अधिकारिता के अधीन नहीं होगा।
अनुच्छेद 122

Procedure Generally
122. Courts not to inquire into proceedings of Parliament — (1) The validity of any proceedings in Parliament shall not be called in question on the ground of any alleged irregularity of procedure.

(2) No officer or member of Parliament in whom powers are vested by or under this Constitution for regulating procedure or the conduct of business, or for maintaining order, in Parliament shall be subject to the jurisdiction of any court in respect of the exercise by him of those powers.
Article 122

🔍 Article 122 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 122 (Article 122) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 122 – न्यायालयों द्वारा संसद्‌ की कार्यवाहियों की जांच न किया जाना

अनुच्छेद 79 के तहत, देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की व्यवस्था की गई है। संसद तीन घटकों से मिलकर बना है; राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha)।

संसद में दो सदन है लोक सभा (House of the People) और राज्यसभा (Council of States)। लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सीटें हैं, जो कि प्रत्यक्ष मतदान द्वारा चुनकर आते हैं।

वहीं राज्यसभा में अभी फिलहाल 245 सीटें है जिसमें से 233 सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव होते हैं जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।

भारत की संसद की कार्यवाही उस प्रक्रिया को संदर्भित करती है जिसके द्वारा लोकसभा और राज्य सभा के सदस्यों द्वारा विधेयकों, प्रस्तावों और अन्य मामलों पर चर्चा, बहस और निर्णय लिया जाता है।

संसद की कार्यवाही प्रक्रिया और कार्य-संचालन के नियमों द्वारा शासित होती है, जो संविधान के अनुच्छेद 118 के अधिकार के तहत प्रत्येक सदन द्वारा बनाए गए हैं। नियम सदन की कार्यवाही के संचालन के तरीके और सदस्यों के अधिकारों और विशेषाधिकारों के बारे में बताते हैं।

◾ लोकसभा और राज्यसभा की कार्यवाही मोटे तौर पर समान हैं लेकिन कुछ मामलों में भिन्न हैं। लोकसभा में, कार्यवाही की अध्यक्षता अध्यक्ष द्वारा की जाती है, जिसे एक उपाध्यक्ष द्वारा सहायता प्रदान की जाती है। राज्यसभा में, कार्यवाही की अध्यक्षता उपराष्ट्रपति द्वारा की जाती है, जो सदन के पदेन सभापति होते हैं, या उनकी अनुपस्थिति में, एक उपसभापति द्वारा।

◾ प्रत्येक सदन की कार्यवाही अध्यक्ष या सभापति द्वारा दिन के एजेंडे को पढ़ने के साथ शुरू होती है। एजेंडे में आम तौर पर प्रश्न, गति, बिल और अन्य मामले शामिल होते हैं जो चर्चा और बहस के लिए निर्धारित होते हैं। इसके बाद सदस्यों को कार्यसूची की मदों पर बोलने का अवसर दिया जाता है और जब तक आवश्यक हो चर्चा जारी रह सकती है।

चर्चा के अंत में, मामले को एक वोट के लिए रखा जाता है, और सदस्य प्रस्ताव, विधेयक या अन्य मामले के पक्ष में या विरोध में मतदान करते हैं। यदि अधिकांश सदस्य प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करते हैं, तो यह पारित हो जाता है, और यदि अधिकांश सदस्य इसके विरुद्ध मतदान करते हैं, तो इसे अस्वीकार कर दिया जाता है।

संसद की कार्यवाही सदन के आधिकारिक अभिलेखों में दर्ज की जाती है, जिन्हें “कार्यवाही के कार्यवृत्त (Minutes of Proceedings)” कहा जाता है। इन अभिलेखों में सदन के सदस्यों द्वारा की गई चर्चाओं, बहसों और निर्णयों का विवरण शामिल होता है।

अनुच्छेद 122 के तहत इन्ही कार्यवाहियों के संबंध में एक विशेष प्रावधान की बात की गई है जिसके तहत न्यायालयों द्वारा संसद्‌ की कार्यवाहियों की जांच नहीं किया जाएगा। इस अनुच्छेद के दो खंड है। आइए समझें;

अनुच्छेद-52- भारतीय संविधान
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अनुच्छेद 122(1) के तहत कहा गया है कि संसद की किसी कार्यवाही की विधिमान्यता को प्रक्रिया की किसी अभिकथित अनियमितता के आधार पर प्रश्नगत नहीं किया जाएगा।

हमने ऊपर विस्तार से समझा कि संसदीय कार्यवाही क्या होती है। तो संसद में जो भी कार्यवाही होती है, उसकी विधिमान्यता को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है। भले ही उसका आधार तथाकथित प्रक्रिया की अनियमितता हो।

अनुच्छेद 122(2) के तहत कहा गया है कि संसद्‌ का कोई अधिकारी या सदस्य, जिसमें इस संविधान द्वारा या इसके अधीन संसद्‌ में प्रक्रिया या कार्य संचालन का विनियमन करने की अथवा व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियां निहित हैं, उन शक्तियों के अपने द्वारा प्रयोग के विषय में किसी न्यायालय की अधिकारिता के अधीन नहीं होगा।

हम जानते हैं कि संसद के ऐसे कई सदस्य होते हैं जिनके पास संसद्‌ में प्रक्रिया या कार्य संचालन का विनियमन करने की शक्ति होती है। या उनके पास व्यवस्था बनाए रखने की शक्तियां होती है।

ये जो शक्तियाँ उन्हे प्राप्त होता है वो न्यायालय की अधिकारिता में नहीं आता है। यानि कि संसद के ऐसे सदस्यों या अधिकारी द्वारा उन शक्तियों का उपयोग कैसे किया जा रहा है, यह न्यायालय का विषय नहीं है।

कहने का अर्थ है कि संसद के ऐसे सदस्य या अधिकारी अपनी शक्तियों का खुल कर प्रयोग कर सकते हैं। जैसे कि उदाहरण के लिए पीठासीन अध्यक्ष के पास ये शक्ति है कि अगर कोई सदस्य संसदीय आचार संहिता का पालन नहीं करता है तो उसे सदन से निष्कासित कर दें। तो ऐसे में वो व्यक्ति इस विषय को लेकर न्यायालय नहीं जा सकता है।

कुल मिलाकर, भारत की संसद की कार्यवाही भारतीय लोकतंत्र के कामकाज का एक महत्वपूर्ण पहलू है, और निर्वाचित प्रतिनिधियों को राष्ट्रीय महत्व के मुद्दों पर चर्चा और बहस करने और भारत के नागरिकों के जीवन को प्रभावित करने वाले निर्णय लेने के लिए एक मंच प्रदान करती है।

तो यही है अनुच्छेद 122 (Article 122), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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अनुच्छेद 123 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 121 – भारतीय संविधान
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संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
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भारत की कार्यपालिका
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FAQ. अनुच्छेद 122 (Article 122) क्या है?

अनुच्छेद 122 के तहत इन्ही कार्यवाहियों के संबंध में एक विशेष प्रावधान की बात की गई है जिसके तहत न्यायालयों द्वारा संसद्‌ की कार्यवाहियों की जांच नहीं किया जाएगा। इस अनुच्छेद के दो खंड है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।