यह लेख अनुच्छेद 96 (Article 96) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 96

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📜 अनुच्छेद 96 (Article 96) – Original

संसद के अधिकारी
96. जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना — (1) लोक सभा की किसी बैठक में, जब अध्यक्ष को उसके पद से हटाने का संकल्प विचाराधीन है तब अध्यक्ष, या जब उपाध्यक्ष को उसके पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उपाध्यक्ष, उपस्थित रहने पर भी, पीठासीन नहीं होगा और अनुच्छेद 95 के खंड (2) के उपबंध ऐसी प्रत्येक बैठक के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे उस बैठक के संबंध में लागू होते हैं जिससे, यथास्थिति, अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अनुपस्थित है।

(2) जब अध्यक्ष को उसके पद से हटाने का कोई संकल्प लोक सभा में विचाराधीन है तब उसको लोक सभा में बोलने और उसकी कार्यवाहियों में अन्यथा भाग लेने का अधिकार होगा और वह अनुच्छेद 100 में किसी बात के होते हुए भी, ऐसे संकल्प पर या ऐसी कार्यवाहियों के दौरान किसी अन्य विषय पर प्रथमतः ही मत देने का हकदार होगा, किन्तु मत बराबर होने की दशा में मत देने का हकदार नहीं होगा ।
—-अनुच्छेद 96 —-

Officers of Parliament
96. The Speaker or the Deputy Speaker not to preside while a resolution for his removal from office is under consideration. — (1) At any sitting of the House of the People, while any resolution for the removal of the Speaker from his office is under consideration, the Speaker, or while any resolution for the removal of the Deputy Speaker from his office is under consideration, the Deputy Speaker, shall not, though he is present, preside, and the provisions of clause (2) of article 95 shall apply in relation to every such sitting as they apply in relation to a sitting from which the Speaker, or, as the case may be, the Deputy Speaker, is absent.

(2) The Speaker shall have the right to speak in, and otherwise to take part in the proceedings of, the House of the People while any resolution for his removal from office is under consideration in the House and shall, notwithstanding anything in article 100, be entitled to vote only in the first instance on such resolution or on any other matter during such proceedings but not in the case of an equality of votes.
Article 96

🔍 Article 96 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 96 (Article 96) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 96 – जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उसका पीठासीन न होना

लोक सभा (Lok Sabha) अप्रत्यक्ष रूप से राज्यों को प्रतिनिधित्व देने वाला एक संस्था है। अनुच्छेद 79 के तहत, देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की व्यवस्था की गई है।

संसद तीन घटकों से मिलकर बना है; राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha)। इस संसद के दो सदन है जिसमें से संसद के निचले सदन को लोकसभा कहा जाता है।

जिस तरह राज्य सभा के कार्य संचालन के लिए एक सभापति होता है उसी तरह से लोक सभा के कार्य संचालन के लिए भी एक अध्यक्ष होता है जिसे लोक सभा अध्यक्ष (Lok Sabha Speaker) कहा जाता है।

लोकसभा के संचालन का काम इसी के जिम्मे होता है। लोकसभा अध्यक्ष, लोकसभा व उसके प्रतिनिधियों का मुखिया होता है तथा वह सदन का मुख्य प्रवक्ता होता है। [लोक सभा↗️ के बारे में विस्तार से जानें]

अनुच्छेद 81 में लोक सभा की संरचना के बारे में बताया गया है। अनुच्छेद 93 के तहत लोक सभा में अध्यक्ष (Speaker) और उपाध्यक्ष (Deputy Speaker) की व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद 96 में बताया गया है कि जब अध्यक्ष (Speaker) या उपाध्यक्ष (Deputy Speaker) को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब क्या होगा? इस अनुच्छेद में कुल दो खंड है, आइये समझते हैं;

अनुच्छेद-52 – भारतीय संविधान
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अनुच्छेद 96 (1) के तहत बताया गया है कि लोक सभा की किसी बैठक में, जब अध्यक्ष को उसके पद से हटाने का संकल्प विचाराधीन है तब अध्यक्ष, या जब उपाध्यक्ष को उसके पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उपाध्यक्ष, उपस्थित रहने पर भी, पीठासीन नहीं होगा और अनुच्छेद 95 के खंड (2) के उपबंध ऐसी प्रत्येक बैठक के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे उस बैठक के संबंध में लागू होते हैं जिससे, यथास्थिति, अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अनुपस्थित है।

यहाँ दो मुख्य बातें है;

पहली बात तो ये कि लोक सभा की किसी बैठक में, जब अध्यक्ष को उसके पद से हटाने का संकल्प विचाराधीन है तब अध्यक्ष, वह पीठासीन (Presiding) नहीं होगा। यानि कि बैठक की अध्यक्षता नहीं करेगा, भले ही वह सदन में उपस्थित हों;

दूसरी बात ये कि लोक सभा की किसी बैठक में, जब उपाध्यक्ष को उसके पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब उपाध्यक्ष, पीठासीन नहीं होगा, भले ही वह सदन में उपस्थित हों।

यहाँ याद रखें कि अनुच्छेद 95 के खंड (2) के उपबंध ऐसी प्रत्येक बैठक के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे उस बैठक के संबंध में लागू होते हैं जिससे, अध्यक्ष या उपाध्यक्ष अनुपस्थित है।

अनुच्छेद 96 (2) के तहत कहा गया है कि जब अध्यक्ष को उसके पद से हटाने का कोई संकल्प लोक सभा में विचाराधीन है तब उसको लोक सभा में बोलने और उसकी कार्यवाहियों में अन्यथा भाग लेने का अधिकार होगा और वह अनुच्छेद 100 में किसी बात के होते हुए भी, ऐसे संकल्प पर या ऐसी कार्यवाहियों के दौरान किसी अन्य विषय पर प्रथमतः ही मत देने का हकदार होगा, किन्तु मत बराबर होने की दशा में मत देने का हकदार नहीं होगा।

कहने का अर्थ है कि भले ही लोक सभा अध्यक्ष को उसके पद से हटाने का संकल्प लोक सभा में विचाराधीन है लेकिन फिर भी उसे सदन की कार्यवाहियों में भाग लेने का और बोलने का अधिकार होगा, हालांकि वो वोट नहीं दे सकता है।

अनुच्छेद 100 में सदन में वोटिंग के बारे में बताया गया है। इसके बारे में विस्तार से जरूर पढ़ें;

तो यही है अनुच्छेद 96 (Article 96), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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अनुच्छेद 97
अनुच्छेद 95
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भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
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FAQ. अनुच्छेद 96 (Article 96) क्या है?

अनुच्छेद 96 में बताया गया है कि जब अध्यक्ष (Speaker) या उपाध्यक्ष (Deputy Speaker) को पद से हटाने का कोई संकल्प विचाराधीन है तब क्या होगा। क्या वो वोट दे पाएगा या सदन की कार्यवाहियों में हिस्सा ले पाएगा;
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।