यह लेख Article 188 (अनुच्छेद 188) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 188 (Article 188) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [कार्य संचालन] |
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188. सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान — राज्य की विधान सभा या विधान परिषद् का प्रत्येक सदस्य अपना स्थान ग्रहण करने से पहले, राज्यपाल या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त व्यक्ति के समक्ष, तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्ररूप के अनुसार, शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा। |
Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [Conduct of Business] |
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188. Oath or affirmation by members— Every member of the Legislative Assembly or the Legislative Council of a State shall, before taking his seat, make and subscribe before the Governor, or some person appointed in that behalf by him, an oath or affirmation according to the form set out for the purpose in the Third Schedule. |
🔍 Article 188 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।
इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Chapter 3 [Sub-Chapters] | Articles |
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साधारण (General) | Article 168 – 177 |
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature) | Article 178 – 187 |
कार्य संचालन (Conduct of Business) | Article 188 – 189 |
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members) | Article 190 – 193 |
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members) | Article 194 – 195 |
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure) | Article 196 – 201 |
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters) | Article 202 – 207 |
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally) | Article 208 – 212 |
इस लेख में हम कार्य संचालन (Conduct of Business) के तहत आने वाले अनुच्छेद 188 को समझने वाले हैं।
⚫ अनुच्छेद 99 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 188 – सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान (Oath or affirmation by members)
भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।
◾ केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।
अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।
जिस तरह से अनुच्छेद 99 के तहत केंद्र में सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान के बारे में बताया गया है, उसी तरह से अनुच्छेद 188 के तहत राज्यों में सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान के बारे में बताया गया है;
अनुच्छेद 188 के तहत कहा गया है कि राज्य की विधान सभा या विधान परिषद् का प्रत्येक सदस्य अपना स्थान ग्रहण करने से पहले, राज्यपाल या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त व्यक्ति के समक्ष, तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्ररूप के अनुसार, शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा।
कहने का अर्थ है कि विधान मंडल के सभी सदस्यों को सदन में अपना स्थान ग्रहण करने से पहले राज्यपाल के समक्ष या उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान लेना होता है। और शपथ में वहीं बोलना है जो कि अनुसूची 3 में लिखा हुआ है।
भारत के संविधान की अनुसूची 3 भारतीय संविधान के तहत विभिन्न अधिकारियों द्वारा ली जाने वाली शपथ और प्रतिज्ञान के रूपों को सूचीबद्ध करती है। यह भारतीय संविधान का एक हिस्सा है जिसमें विभिन्न शपथों के बारे में आवश्यक जानकारी शामिल है जो संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को लेनी होती है।
इस अनुसूची में विभिन्न संवैधानिक पदों पर बैठने से पहले ली जाने वाली शपथ के प्ररूप दिये गए है। जैसे कि
- केंद्रीय मंत्रियों और राज्य मंत्रियों के लिए शपथ और प्रतिज्ञान
- संसद सदस्यों के लिए शपथ और प्रतिज्ञान
- सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के लिए शपथ और प्रतिज्ञान
- संघ और राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों के लिए शपथ और प्रतिज्ञान
विभिन्न पदों पर आसीन व्यक्तियों के लिए शपथ की व्यवस्था इसीलिए की गई है ताकि वे अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन कर सकें, संविधान को सर्वोच्च बनाए रखें और देश के कानूनों और नियमों का पालन करें।
आप चाहे तो यहाँ क्लिक करके विभिन्न पदों पर आसीन होने वाले व्यक्तियों द्वारा लिए जाने वाले शपथ को देख सकते हैं। चूंकि अनुच्छेद 188 में सिर्फ संसद के सदस्यों के शपथ एवं प्रतिज्ञान की बात की गई है इसीलिए हम यहाँ पर सिर्फ उसी की चर्चा करेंगे;
विधानमंडल के सदस्यों द्वारा ली जाने वाली शपथ
तो यही है अनुच्छेद 188 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि ◾ भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |