यह लेख Article 187 (अनुच्छेद 187) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 187 (Article 187) – Original

भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी]
187. राज्य के विधान-मंडल का सचिवालय —(1) राज्य के विधान-मंडल के सदन का या प्रत्येक सदन का पृथक्‌ सचिवीय कर्मचारिवृन्द होगा:

परंतु विधान परिषद्‌ वाले राज्य के विधान-मंडल की दशा में, इस खंड की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह ऐसे विधान-मंडल के दोनों सदनों के लिए सम्मिलित पदों के सृजन को निवारित करती है।

(2) राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, राज्य के विधान-मंडल के सदन या सदनों के सचिवीय कर्मचारिवृंद में भर्ती का और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का विनियमन कर सकेगा।

(3) जब तक राज्य का विधान-मंडल खंड (2) के अधीन उपबंध नहीं करता है तब तक राज्यपाल, यथास्थिति, विधान सभा के अध्यक्ष या विधान परिषद्‌ के सभापति से परामर्श करने के पश्चात्‌ विधान सभा के या विधान परिषद्‌ के सचिवीय कर्मचारिवृंद में भर्ती के और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों के विनियमन के लिए नियम बना सकेगा और इस प्रकार बनाए गए नियम उक्त खंड के अधीन बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, प्रभावी होंगे।
अनुच्छेद 187 हिन्दी संस्करण

Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [Officers of the State Legislature]
187. Secretariat of State Legislature.—(1) The House or each House of the Legislature of a State shall have a separate secretarial staff:

Provided that nothing in this clause shall, in the case of the Legislature of a State having a Legislative Council, be construed as preventing the creation of posts common to both Houses of such Legislature.

(2) The Legislature of a State may by law regulate the recruitment, and the conditions of service of persons appointed, to the secretarial staff of the House or Houses of the Legislature of the State.

(3) Until provision is made by the Legislature of the State under clause (2), the Governor may, after consultation with the Speaker of the Legislative Assembly or the Chairman of the Legislative Council, as the case may be, make rules regulating the recruitment, and the conditions of service of persons appointed, to the secretarial staff of the Assembly or the Council, and any rules so made shall have effect subject to the provisions of any law made under the said clause.
Article 187 English Version

🔍 Article 187 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iसाधारण (General)Article 152
IIकार्यपालिका (The Executive)Article 153 – 167
IIIराज्य का विधान मंडल (The State Legislature)Article 168 – 212
IVराज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor)Article 213
Vराज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)Article 214 – 232
VIअधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)Article 233 – 237
[Part 6 of the Constitution]

जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।

इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Chapter 3 [Sub-Chapters]Articles
साधारण (General)Article 168 – 177
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature) Article 178 – 187
कार्य संचालन (Conduct of Business)Article 188 – 189
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members)Article 190 – 193
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members)Article 194 – 195
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure)Article 196 – 201
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters)Article 202 – 207
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally)Article 208 – 212
[Part 6 of the Constitution]

इस लेख में हम राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature) के तहत आने वाले अनुच्छेद 187 को समझने वाले हैं।

अनुच्छेद 98 – भारतीय संविधान
Closely Related to Article 187

| अनुच्छेद 187 – राज्य के विधान-मंडल का सचिवालय (Secretariat of State Legislature)

भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।

केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।

जिस तरह से अनुच्छेद 98 के तहत केंद्र में संसद का सचिवालय के बारे में बताया गया है, उसी तरह से अनुच्छेद 187 के तहत राज्यों में भी राज्य विधानमंडल के सचिवालय के बारे में बताया गया है;

अनुच्छेद 187 के तहत तीन खंड आते हैं;

अनुच्छेद 187(1) के तहत कहा गया है कि राज्य के विधान-मंडल के सदन का या प्रत्येक सदन का पृथक्‌ सचिवीय कर्मचारिवृन्द होगा:

इस खंड की मदद से विधानमंडल के दोनों सदन के लिए (अगर हैं तो) अलग-अलग सचिवीय स्टाफ़ (secretarial staff) की व्यवस्था की गई है। यानि कि दोनों सदनों के लिए अलग-अलग सचिवालय की व्यवस्था की गई है।

यहाँ यह याद रखिए कि दोनों सदनों के लिए अलग-अलग स्टाफ़ होने का यह मतलब नहीं है कि विधानमंडल के दोनों सदनों के लिए सम्मिलित पद (Common Post for both Houses) नहीं हो सकते हैं;

अनुच्छेद 187(2) के तहत कहा गया है कि राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, राज्य के विधान-मंडल के सदन या सदनों के सचिवीय कर्मचारिवृंद में भर्ती का और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का विनियमन कर सकेगा।

यानि कि विधानमंडल, विधि द्वारा, संसद के प्रत्येक सदन के सचिवीय स्टाफ़ की भर्ती का और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों का विनियमन कर सकेगी।

अनुच्छेद 187(3) के तहत कहा गया है कि जब तक राज्य का विधान-मंडल खंड (2) के अधीन उपबंध नहीं करता है तब तक राज्यपाल, यथास्थिति, विधान सभा के अध्यक्ष या विधान परिषद्‌ के सभापति से परामर्श करने के पश्चात्‌ विधान सभा के या विधान परिषद्‌ के सचिवीय कर्मचारिवृंद में भर्ती के और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों के विनियमन के लिए नियम बना सकेगा और इस प्रकार बनाए गए नियम उक्त खंड के अधीन बनाई गई किसी विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए, प्रभावी होंगे।

जैसा कि हमने ऊपर अनुच्छेद 187(2) के तहत समझा कि विधानमंडल को यह शक्ति दी गई है कि सचिवालय के स्टाफ़ के लिए नियम-कानून बनाए। लेकिन जब तक ऐसा नहीं होता तब तक राज्यपाल विधान सभा के या विधान परिषद के सचिवीय स्टाफ़ की भर्ती के और नियुक्त व्यक्तियों की सेवा की शर्तों के विनियमन के लिए नियम बना सकेगा।

लेकिन यह काम राज्यपाल अपने मन से नहीं करेगा बल्कि अगर विधान सभा सचिवालय के लिए नियम बनाने है तो विधान सभा अध्यक्ष से परामर्श करेगा और अगर विधान परिषद के लिए नियम बनाने हैं तो विधान परिषद के सभापति से परामर्श करेगा।

और दूसरी बात ये कि इस तरह से जो भी नियम बनाए जाएँगे वो संसद द्वारा बनाए गए संबन्धित विधि के उपबंधों के अधीन रहते हुए ही प्रभावी होंगे।

सचिवालय क्या होता है?

विधानमंडलीय सचिवालय एक सहायक कार्यालय है जो विधान मंडल के कामकाज में सहायता करता है। यह एक गैर-पक्षपातपूर्ण संस्था है जो विधानमंडलों के दोनों सदनों (अगर विधान परिषद भी है तो), को सचिवीय और प्रशासनिक सहायता प्रदान करती है।

◾ सचिवालय में अधिकारियों की एक टीम शामिल होती है, जिन्हें विधान सभा के अध्यक्ष और विधान परिषद के सभापति द्वारा नियुक्त किया जाता है। सचिवालय के अधिकारी महासचिव की देखरेख में काम करते हैं, जो सचिवालय का प्रशासनिक प्रमुख होता है।

◾ सचिवालय के कार्यों में विधानमंडल की कार्यवाही की आधिकारिक रिपोर्टों और अभिलेखों की तैयारी और प्रकाशन, अभिलेखों और दस्तावेजों का रखरखाव, प्रक्रिया के नियमों की व्याख्या, और सदन के कामकाज के संचालन में अध्यक्ष और सभापति को सहायता शामिल है।

◾ सचिवालय, विधानमंडलीय समितियों के काम में भी मदद करता है, विधानमंडल के सदस्यों के लिए ब्रीफिंग सामग्री तैयार करता है, और विधानमंडलीय सत्रों और कार्यक्रमों के लिए रसद सहायता (Logistics Support) प्रदान करता है।

◾ विधानमंडल के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए सचिवालय एक महत्वपूर्ण संस्थान है और विधानमंडलीय कार्यवाही की अखंडता और पारदर्शिता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

कुल मिलाकर विधानमंडल के सुचारू कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए सचिवालय एक महत्वपूर्ण संस्थान है और विधानमंडलीय कार्यवाही की अखंडता और पारदर्शिता बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

यह विभिन्न प्रकार के सचिवालयी गतिविधियों को अंजाम देता हैं; जैसे कि

(i) सदन के प्रभावी कामकाज के लिए सचिवीय सहायता प्रदान करना;
(ii) सदन के सदस्यों को वेतन और अन्य भत्तों का भुगतान;
(iii) सदन के सदस्यों को स्वीकार्य सुविधाएं प्रदान करना;
(iv) विभिन्न संसदीय समितियों की सेवा करना;
(v) अनुसंधान और संदर्भ सामग्री तैयार करना और विभिन्न प्रकाशन निकालना;और
(vi) सदन की दिन-प्रतिदिन की कार्यवाही का रिकॉर्ड तैयार करना और प्रकाशित करना और राज्य सभा और इसकी समितियों के कामकाज के संबंध में आवश्यक अन्य प्रकाशनों को प्रकाशित करना।

तो यही है Article 187, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि
भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview
Must Read

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Chapter Wise Polity Quiz

विधानसभा और विधानपरिषद : अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions – 8 
  2. Passing Marks – 75  %
  3. Time – 6 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

1 / 8

दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. विधान परिषद कभी विघटित नहीं होता है।
  2. विधान परिषद प्रसिद्ध व्यक्तियों और विशेषज्ञों को प्रतिनिधित्व प्रदान करती है जो प्रत्यक्ष चुनाव का सामना नहीं कर पाते।
  3. विधानपरिषद वित्त विधेयक में न संशोधन और न ही इसे अस्वीकार कर सकती है।
  4. कोई विधेयक वित्त विधेयक है या नहीं, यह तय करने का अधिकार विधानसभा के अध्यक्ष को है।

2 / 8

विधान सभा के अध्यक्ष को ध्यान में रखते हुए दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. विधानसभा के सदस्य अपने सदस्यों के बीच से ही अध्यक्ष का निर्वाचन करते है।
  2. विधानसभा अध्यक्ष वोटिंग प्रक्रिया में कभी भाग नहीं ले सकता है।
  3. अध्यक्ष कोरम की अनुपस्थिति में वह विधानसभा की बैठक को स्थगित या निलंबित कर सकता है।
  4. अध्यक्ष दसवीं अनुसूची के उपबंधों आधार पर किसी सदस्य की निरर्हता को लेकर उठे किसी विवाद पर फैसला देता है।

3 / 8

विधान सभा अध्यक्ष निम्न में से किसका अध्यक्ष होता है?

4 / 8

निम्न में से किन मामलों में विधान परिषद विधान सभा के बराबर होता है?

5 / 8

विधानसभा के गठन के संबंध में दिए गए कथनों में से कौन सा कथन सही है?

6 / 8

विधान परिषद के अध्यक्ष के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

7 / 8

राज्य विधानसभा के उपाध्यक्ष एवं विधान परिषद के उप-सभापति को ध्यान में रखकर दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. उपाध्यक्ष अपना इस्तीफ़ा अध्यक्ष को सौंपता है।
  2. उपाध्यक्ष, अध्यक्ष की अनुपस्थिति में अध्यक्ष की शक्तियों का उपभोग करता है।
  3. विधानसभा अध्यक्ष सदस्यों के बीच से एक पैनल का गठन करता है, उनमें से कोई एक अध्यक्ष की अनुपस्थिति में सभा की कार्यवाही सम्पन्न कराता है।
  4. विधान सभा चाहे तो बहुमत के आधार पर अध्यक्ष को हटाने का संकल्प पारित कर सकता है।

8 / 8

इनमें से कौन सा कथन राज्य विधान परिषद को राज्यसभा से अलग करता है?

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अनुच्छेद 188 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 186 – भारतीय संविधान
Next and Previous to Article 187
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।