यह लेख अनुच्छेद 99 (Article 99) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।
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📜 अनुच्छेद 99 (Article 99) – Original
कार्य संचालन |
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99. सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान — संसद् के प्रत्येक सदन का प्रत्येक सदस्य अपना स्थान ग्रहण करने से पहले, राष्ट्रपति या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त व्यक्ति के समक्ष, तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्ररूप के अनुसार, शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा। |
Conduct of Business |
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99. Oath or affirmation by members.— Every member of either House of Parliament shall, before taking his seat, make and subscribe before the President, or some person appointed in that behalf by him, an oath or affirmation according to the form set out for the purpose in the Third Schedule. |
🔍 Article 99 Explanation in Hindi
अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)।
संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।
तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।
कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 99 (Article 99) को समझने वाले हैं;
| अनुच्छेद 99 – सदस्यों द्वारा शपथ या प्रतिज्ञान
भारत में, एक संसद सदस्य (सांसद) संसद के निचले सदन में लोगों का एक निर्वाचित प्रतिनिधि होता है, जिसे लोकसभा कहा जाता है। लोकसभा भारत में प्राथमिक विधायी निकाय है, जो कानून बनाने और संशोधन करने, राष्ट्रीय बजट को मंजूरी देने और अपने कार्यों के लिए सरकार को जवाबदेह ठहराने के लिए जिम्मेदार है।
लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सीटें हैं, प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक सांसद चुना जाता है। सांसद सीधे चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों द्वारा चुने जाते हैं।
लोकसभा के अलावा, भारत में संसद का दूसरा सदन भी है, जिसे राज्य सभा या राज्यों की परिषद के रूप में जाना जाता है। राज्यसभा के सदस्य सीधे निर्वाचित नहीं होते हैं बल्कि सरकार और राज्य विधानसभाओं की सिफारिश पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।
राज्यसभा में 245 सीटें हैं जिसमें से 233 का चुनाव राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से होता है और 12 सदस्यों को राष्ट्रपति द्वारा मनोनीत किया जाता है।
कुल मिलाकर अभी लोक सभा और राज्य सभा में 788 सदस्य है। निर्वाचित होने के बाद, सांसदों की यह जिम्मेदारी होती है कि वे लोकसभा में अपने निर्वाचन क्षेत्रों के हितों का प्रतिनिधित्व करें, या राज्यसभा में अपने राज्य का प्रतिनिधित्व करें;
वे संसदीय बहसों में भाग लेते हैं, मंत्रियों से सवाल पूछते हैं, विधेयकों और प्रस्तावों को पेश करते हैं और कानून पर मतदान करते हैं।
कुल मिलाकर, भारत में संसद सदस्य लोकतांत्रिक व्यवस्था के कामकाज में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, अपने घटकों की आवाज का प्रतिनिधित्व करते हैं, और विधायी प्रक्रिया में योगदान करते हैं। लेकिन ये सब करने से पहले प्रत्येक सांसद को शपथ लेनी होती है। और इसी के बारे में अनुच्छेद 99 में बताया गया है।
अनुच्छेद 99 के तहत संसद् के प्रत्येक सदन का प्रत्येक सदस्य अपना स्थान ग्रहण करने से पहले, राष्ट्रपति या उसके द्वारा इस निमित्त नियुक्त व्यक्ति के समक्ष, तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्ररूप के अनुसार, शपथ लेगा या प्रतिज्ञान करेगा और उस पर अपने हस्ताक्षर करेगा।
कहने का अर्थ है कि सभी 788 सदस्यों को सदन में अपना स्थान ग्रहण करने से पहले राष्ट्रपति के समक्ष या उसके द्वारा नियुक्त किसी व्यक्ति के समक्ष शपथ या प्रतिज्ञान लेना होता है। और शपथ में वहीं बोलना है जो कि अनुसूची 3 में लिखा हुआ है।
⚫ अनुच्छेद-52 – भारतीय संविधान |
संविधान का अनुसूची 3 (Schedule 3 of the Constitution):
भारत के संविधान की अनुसूची 3 भारतीय संविधान के तहत विभिन्न अधिकारियों द्वारा ली जाने वाली शपथ और प्रतिज्ञान के रूपों को सूचीबद्ध करती है। यह भारतीय संविधान का एक हिस्सा है जिसमें विभिन्न शपथों के बारे में आवश्यक जानकारी शामिल है जो संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों को लेनी होती है।
इस अनुसूची में विभिन्न संवैधानिक पदों पर बैठने से पहले ली जाने वाली शपथ के प्ररूप दिये गए है। जैसे कि
- केंद्रीय मंत्रियों और राज्य मंत्रियों के लिए शपथ और प्रतिज्ञान
- संसद सदस्यों के लिए शपथ और प्रतिज्ञान
- सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों के लिए शपथ और प्रतिज्ञान
- संघ और राज्य लोक सेवा आयोग के सदस्यों के लिए शपथ और प्रतिज्ञान
विभिन्न पदों पर आसीन व्यक्तियों के लिए शपथ की व्यवस्था इसीलिए की गई है ताकि वे अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन कर सकें, संविधान को सर्वोच्च बनाए रखें और देश के कानूनों और नियमों का पालन करें।
आप चाहे तो यहाँ क्लिक करके विभिन्न पदों पर आसीन होने वाले व्यक्तियों द्वारा लिए जाने वाले शपथ को देख सकते हैं। चूंकि अनुच्छेद 99 में सिर्फ संसद के सदस्यों के शपथ एवं प्रतिज्ञान की बात की गई है इसीलिए हम यहाँ पर सिर्फ उसी की चर्चा करेंगे;
संसद के सदस्यों द्वारा ली जाने वाली शपथ का प्ररूप:
यहाँ यह याद रखिए कि सांसद चुने जाने से पहले भी एक उम्मीदवार के रूप में अभ्यर्थी द्वारा शपथ ली जाती है। जो कि इसी के समान है और इसका भी प्ररूप अनुसूची 3 के एंट्री न. 3क में दिया गया है।
इसके अलावा अगर वही व्यक्ति एक मंत्री बन जाता है तो उसे मंत्री पद की शपथ भी लेनी पड़ती है। और मंत्री के रूप में उसे गोपनियता भी बरतनी पड़ती है इसीलिए मंत्री को एक और शपथ गोपनियता की भी लेनी पड़ती है। और इस सब का वर्णन अनुसूची 3 में है।
तो यही है अनुच्छेद 99 (Article 99), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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⚫ अनुच्छेद 100 ⚫ अनुच्छेद 98 |
⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अनुच्छेद 99) संसद के सदस्यों द्वारा ली जाने वाली शपथ या प्रतिज्ञान (Oath or affirmation by members) से संबन्धित है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |