यह लेख Article 199 (अनुच्छेद 199) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 199 (Article 199) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [विधायी प्रक्रिया] |
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199. “धन विधेयक” की परिभाषा —(1) इस अध्याय के प्रयोजनों के लिए, कोई विधेयक धन विधेयक समझा जाएगा यदि उसमें केवल निम्नलिखित सभी या किन्ही विषयों से संबंधित उपबंध हैं, अर्थात् :- (क) किसी कर का अधिरोपण, उत्सादन, परिहार, परिवर्तन या विनियमन ; (ख) राज्य द्वारा धन उधार लेने का या कोई प्रत्याभूति देने का विनियमन अथवा राज्य द्वारा अपने ऊपर ली गई या ली जाने वाली किन्हीं वित्तीय बाध्यताओं से संबंधित विधि का संशोधन ; (ग) राज्य की संचित निधि या आकस्मिकता निधि की अभिरक्षा, ऐसी किसी निधि में धन जमा करना या उसमें से धन निकालना ; (घ) राज्य की संचित निधि में से धन का विनियोग ; (ङ) किसी व्यय को राज्य की संचित निधि पर भारित व्यय घोषित करना या ऐसे किसी व्यय की रकम को बढ़ाना ; (च) राज्य की संचित निधि या राज्य के लोक लेखे मद्धे धन प्राप्त करना अथवा ऐसे धन की अभिरक्षा या उसका निर्गमन ; या (छ) उपखंड (क) से उपखंड (च) में विनिर्दिष्ट किसी विषय का आनुषंगिक कोई विषय। (2) कोई विधेयक केवल इस कारण धन विधेयक नहीं समझा जाएगा, कि वह जुर्मानों या अन्य धनीय शास्तियों के अधिरोपण का अथवा अनुजप्तियों के लिए फीसों की या की गई सेवाओं के लिए फीसों की मांग का या उनके संदाय का उपबंध करता है अथवा इस कारण धन विधेयक नहीं समझा जाएगा कि वह किसी स्थानीय प्राधिकारी या निकाय द्वारा स्थानीय प्रयोजनों के लिए किसी कर के अधिरोपण, उत्सादन, परिहार, परिवर्तन या विनियमन का उपबंध करता है। (3) यदि यह प्रश्न उठता है कि विधान परिषद् वाले किसी राज्य के विधान-मंडल में पुरःस्थापित कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं तो उस पर उस राज्य की विधान सभा के अध्यक्ष का विनिश्वय अंतिम होगा। (4) जब धन विधेयक अनुच्छेद 198 के अधीन विधान परिषद् को पारेषित किया जाता है और जब वह अनुच्छेद 200 के अधीन अनुमति के लिए राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है तब प्रत्येक धन विधेयक पर विधान सभा के अध्यक्ष के हस्ताक्षर सहित यह प्रमाण पृष्ठांकित किया जाएगा कि वह धन विधेयक है। |
Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [Legislative Procedure] |
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199. Definition of “Money Bills”— (1) For the purposes of this Chapter, a Bill shall be deemed to be a Money Bill if it contains only provisions dealing with all or any of the following matters, namely:— (a) the imposition, abolition, remission, alteration or regulation of any tax; (b) the regulation of the borrowing of money or the giving of any guarantee by the State, or the amendment of the law with respect to any financial obligations undertaken or to be undertaken by the State; (c) the custody of the Consolidated Fund or the Contingency Fund of the State, the payment of moneys into or the withdrawal of moneys from any such Fund; (d) the appropriation of moneys out of the Consolidated Fund of the State; (e) the declaring of any expenditure to be expenditure charged on the Consolidated Fund of the State, or the increasing of the amount of any such expenditure; (f) the receipt of money on account of the Consolidated Fund of the State or the public account of the State or the custody or issue of such money; or (g) any matter incidental to any of the matters specified in sub-clauses (a) to (f). (2) A Bill shall not be deemed to be a Money Bill by reason only that it provides for the imposition of fines or other pecuniary penalties, or for the demand or payment of fees for licences or fees for services rendered, or by reason that it provides for the imposition, abolition, remission, alteration or regulation of any tax by any local authority or body for local purposes. (3) If any question arises whether a Bill introduced in the Legislature of a State which has a Legislative Council is a Money Bill or not, the decision of the Speaker of the Legislative Assembly of such State thereon shall be final. (4) There shall be endorsed on every Money Bill when it is transmitted to the Legislative Council under article 198, and when it is presented to the Governor for assent under article 200, the certificate of the Speaker of the Legislative Assembly signed by him that it is a Money Bill. |
🔍 Article 199 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।
इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Chapter 3 [Sub-Chapters] | Articles |
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साधारण (General) | Article 168 – 177 |
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature) | Article 178 – 187 |
कार्य संचालन (Conduct of Business) | Article 188 – 189 |
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members) | Article 190 – 193 |
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members) | Article 194 – 195 |
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure) | Article 196 – 201 |
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters) | Article 202 – 207 |
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally) | Article 208 – 212 |
इस लेख में हम विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure) के तहत आने वाले अनुच्छेद 199 को समझने वाले हैं।
⚫ अनुच्छेद 110 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 199 – “धन विधेयक” की परिभाषा (Definition of “Money Bills”)
भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।
◾ केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।
अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।
जिस तरह से अनुच्छेद 110 में केंद्र के लिए धन विधेयक (Money Bill) की परिभाषा दी गई है उसी तरह से अनुच्छेद 199 में राज्यों के लिए धन विधेयक की परिभाषा का वर्णन है;
अनुच्छेद 199 के तहत चार खंड आते हैं;
Article 199 Clause (1):
अनुच्छेद 199(1) के तहत उन विषयों की सूची दी गई है जिनमें से किसी एक या अधिक के आधार पर लाई गई किसी विधेयक को धन विधेयक समझा जाएगा। ये विषय निम्नलिखित है;
(क). यदि किसी विधेयक में, किसी कर का अधिरोपन (Imposition), उत्सादन (abolition), परिहार (remission), परिवर्तन (alteration) या विनियमन (Regulation) होता हो।
इसका सीधा सा मतलब ये है कि जब किसी में विधेयक में टैक्स लगाने, बढ़ाने, कम करने या उस टैक्स को खत्म करने से संबन्धित प्रावधान हो तो उसे धन विधेयक कहा जाएगा।
(ख). अगर किसी विधेयक में, राज्य सरकार द्वारा उधार लिए गए धन के विनियमन (Regulation) या राज्य सरकार द्वारा दी गई किसी गारंटी का विनियमन या अपने ऊपर ली गई किसी वित्तीय बाध्यताओं से संबन्धित किसी विधि का संशोधन हो;
दूसरे शब्दों में कहें तो राज्य सरकार द्वारा ऋण लेना, गारंटी देना अथवा वित्तीय उत्तरदायित्व लेने के संबंध में कानून बनाने से संबन्धित प्रावधानों वाले विधेयक को धन विधेयक कहा जाएगा।
(ग). अगर किसी विधेयक में, राज्य की संचित निधि या आकस्मिकता निधि में से धन जमा करने या उसमें से धन निकालने से संबन्धित प्रावधान हो;
(घ). ऐसा विधेयक जो, राज्य की संचित निधि से धन के विनियोग से संबन्धित हो।
[संचित निधि यानी कि राजकोष (Treasury) और विनियोग का मतलब होता है किसी विशेष उपयोग के लिए आधिकारिक रूप से आवंटित धन की राशि।]
(ङ). ऐसा विधेयक जो, राज्य की संचित निधि पर भारित किसी व्यय की उद्घोषणा या इस प्रकार के किसी व्यय की राशि में वृद्धि से संबन्धित हो।
(च). ऐसा विधेयक जो, राज्य की संचित निधि या लोक लेखा में किसी प्रकार के धन की प्राप्ति या अभिरक्षा या इनसे व्यय करने से संबन्धित हो।
[लोक लेखा भी संचित निधि की तरह एक निधि है, पर इसमें कुछ भिन्नताएँ है, निधियों को जानने के लिए इस लेख को जरूर पढ़ें। – विभिन्न प्रकार की निधियाँ]
(छ). उपरोक्त उपखंड (क) से उपखंड (च) में विनिर्दिष्ट (Specified) किसी विषय का आनुषंगिक (ancillary) कोई विषय। यानी कि अभी जो ऊपर 6 प्रावधानों को पढ़ें है उसका अगर कोई आनुषंगिक विषय भी होगा तब भी वे धन विधेयक माने जाएंगे।
Article 199 Clause (2):
अनुच्छेद 199(2) के तहत कहा गया है कि कोई विधेयक केवल इस कारण धन विधेयक नहीं समझा जाएगा, कि वह जुर्मानों या अन्य धनीय शास्तियों के अधिरोपण का अथवा अनुजप्तियों के लिए फीसों की या की गई सेवाओं के लिए फीसों की मांग का या उनके संदाय का उपबंध करता है अथवा इस कारण धन विधेयक नहीं समझा जाएगा कि वह किसी स्थानीय प्राधिकारी या निकाय द्वारा स्थानीय प्रयोजनों के लिए किसी कर के अधिरोपण, उत्सादन, परिहार, परिवर्तन या विनियमन का उपबंध करता है।
इस खंड के तहत यह बताया गया है कि क्या धन विधेयक नहीं है। निम्न कारणों के आधार पर किसी विधेयक को धन विधेयक नहीं माना जाता है :-
1. जुर्मानों या अन्य धनीय शास्तियों (Monetary penalties) का अधिरोपन (Imposition);
2. अनुज्ञप्तियों (Licenses) के लिए फ़ीसों या की गई सेवाओं के लिए फ़ीसों की मांग;
3. किसी स्थानीय प्राधिकारी या निकाय द्वारा स्थानीय प्रयोजनों के लिए किसी कर के अधिरोपन (Imposition), उत्सादन (abolition), छूट (remission), परिवर्तन (alteration) या विनियमन (regulation) का उपबंध।
Article 199 Clause (3):
अनुच्छेद 199(3) के तहत कहा गया है कि यदि यह प्रश्न उठता है कि विधान परिषद् वाले किसी राज्य के विधान-मंडल में पुरःस्थापित कोई विधेयक धन विधेयक है या नहीं तो उस पर उस राज्य की विधान सभा के अध्यक्ष का विनिश्वय अंतिम होगा।
किस विधेयक को धन विधेयक कहना है और किस विधेयक को नहीं ये फैसला विधान सभा अध्यक्ष लेता है इस मामले में विधान सभा के अध्यक्ष का निर्णय अंतिम निर्णय होता है। उसके निर्णय को किसी न्यायालय, संसद या राष्ट्रपति द्वारा चुनौती नहीं दी जा सकती है।
Article 199 Clause (4):
अनुच्छेद 199(4) के तहत कहा गया है कि जब धन विधेयक अनुच्छेद 198 के अधीन विधान परिषद् को पारेषित किया जाता है और जब वह अनुच्छेद 200 के अधीन अनुमति के लिए राज्यपाल के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है तब प्रत्येक धन विधेयक पर विधान सभा के अध्यक्ष के हस्ताक्षर सहित यह प्रमाण पृष्ठांकित किया जाएगा कि वह धन विधेयक है।
अनुच्छेद 198 के तहत धन विधेयकों के संबंध में विशेष उपबंध किया गया है जिसके तहत मूल बात यह है कि धन विधेयक को सिर्फ विधान सभा में पेश किया जा सकता है लेकिन विधान सभा में पारित होने के बाद इसे विधान परिषद को भेजा जाता है (अगर विधान परिषद है तो) और विधान परिषद को 14 दिनों के भीतर उसे विधान सभा को लौटना होता है। इस तरह से दोनों सदनों से यह पारित माना जाता है।
जब विधेयक दोनों सदनों से पारित हो जाता है तो फिर अनुच्छेद 200 के उपबंधों के अनुसार विधेयक को राज्यपाल के पास भेजा जाता है। राज्यपाल उस पर अनुमति देता है या नहीं यह राज्यपाल का विषय है।
लेकिन अगर कोई विधेयक धन विधेयक है और उसे राज्यपाल के पास भेजा जाता है तो उस धन विधेयक पर विधान सभा अध्यक्ष का हस्ताक्षर होना चाहिए और उस विधेयक पर यह लिखा होना चाहिए कि वह धन विधेयक है।
⚫ धन विधेयक और वित्त विधेयक (Money Bill & Finance Bill Explanation) |
तो यही है अनुच्छेद 199, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि ◾ भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |