जिस तरह आम नागरिक अपने पैसे कहीं रखता है, उसी तरह सरकार भी अपने पैसे किसी खास जगह रखता है, उसे ही संचित निधि कहा जाता है,
हालांकि ये नागरिकों की तरह पैसे रखने जैसा नहीं है, बल्कि ये बहुत ही व्यापक है और काफी संवेदनशील भी; कैसे? आगे पता चलेगा,
इस लेख में हम भारत की संचित निधि, लोक लेखा एवं आकस्मिक निधि (Consolidated Fund, Public Accounts and Contingency Fund) पर सरल एवं सहज चर्चा करेंगे; [Like – Facebook Page]

संचित निधि, लोक लेखा एवं आकस्मिक निधि
संविधान में तीन प्रकार के निधियों (Funds) का उल्लेख किया गया है :-
1. भारत की संचित निधि (Consolidated Fund of India)
2. भारत का लोकलेखा (Public Accounts of India)
3. भारत की आकस्मिकता निधि (Contingency fund of india)।
इसी तरह से राज्यों के लिए भी ऐसी ही निधियाँ होती है।
1. संचित निधि (Consolidated funds)
इसे भारत का राजकोष या खज़ाना के नाम से भी जाना जाता है। ये सभी राज्यों के लिए भी होता है और राज्यों के संचित निधि के लिए भी इन्ही शब्दों का इस्तेमाल किया जाता है।
संविधान का अनुच्छेद 266(1), भारत के लिए और भारत के राज्यों के लिए संचित निधि की व्यवस्था करता है।
भारत के संदर्भ में, यह भारत की सर्वाधिक बडी निधि है जो कि संसद के अधीन रखी गयी है यानी कि कोई भी धन इसमे बिना संसद की पूर्व स्वीकृति के निकाला/जमा या भारित नहीं किया जा सकता है।
इसी तरह राज्य के संदर्भ में, ये राज्य की सबसे बड़ी निधि होती है जो कि राज्य विधानमंडल के अधीन होती है, और कोई भी धन इसमें बिना विधानमंडल की पूर्व स्वीकृति के निकाला/जमा या भारित नहीं किया जा सकता है।
संचित निधि में से सरकारें जो भी पैसा निकालती है उसे एक उधारी की तरह समझा जाता है जिसे सरकार को वापस उसमें जमा करवाना पड़ता है।
संचित निधि से धन निकालने के लिए जिस विधेयक का प्रयोग किया जाता है उसे विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) कहा जाता है। ये कैसे होता है इसके लिए बजट (Budget) पढ़ें।
संचित निधि से व्यय
संचित निधि (Consolidated Fund) से दो प्रकार का व्यय होता है;
(1) संचित निधि पर भारित व्यय
इसके लिए संसद में मतदान नहीं होता है क्योंकि संसद को ये पता होता है कि ये धन खर्च करनी ही पड़ेगी। ऐसा इसीलिए क्योंकि ये पहले से संसद द्वारा तय कर दिया गया होता है। हालांकि उस पर चर्चा जरूर होती है। भारित व्यय में निम्नलिखित व्यय आते हैं;
1. राष्ट्रपति की परिलब्धियाँ एवं भत्ते तथा उसके कार्यालय के अन्य व्यय
2. उपराष्ट्रपति, लोकसभा अध्यक्ष, राज्यसभा के उपसभापति, लोकसभा के उपाध्यक्ष के वेतन एवं भत्ते
3. उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों के वेतन, भत्ते एवं पेंशन
4. उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की पेंशन (यहाँ ये याद रखिए कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों का वेतन उस राज्य के संचित निधि पर भारित होता है।)
5. भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के वेतन, भत्ते एवं पेंशन
6. संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों के वेतन, भत्ते एवं पेंशन
7. उच्चतम न्यायालय, भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक के कार्यालय एवं संघ लोक सेवा आयोग के कार्यालय के प्रशासनिक व्यय, जिनमें इन कार्यालयों में कार्यरत कर्मियों के वेतन, भत्ते एवं पेंशन भी शामिल होते हैं
8. ऐसे ऋण भार, जिनका दायित्व भारत सरकार पर है, जिनके अंतर्गत ब्याज, निक्षेप, निधि भार और तथा उधार लेने और ऋण सेवा और ऋण मोचन (Debt redemption) से संबन्धित अन्य व्यय हैं,
9. किसी न्यायालय के निर्णय, डिक्री या पंगर की तुष्टि के लिए अपेक्षित राशियाँ
10. संसद द्वारा विहित कोई अन्य व्यय
(2) सामान्य व्यय या संचित निधि से किए गए व्यय
इस तरह के व्यय के लिए संसद में मतदान होता है उसके बाद पारित होने पर ही इसे जारी किया जा सकता है।
संचित निधि में धन कहाँ से आता है?
आय के सभी मुख्य स्रोतों से संचित निधि में धन आता है। उदाहरण के लिए, करों के प्राप्त राजस्व (Tax Revenue), ऋण से प्राप्त धनराशि (यानी कि सरकार द्वारा उधार (loan) लिया गया धन), ब्याज से प्राप्त धनराशि (यानी कि सरकार ने जो कर्ज दे रखें है उससे प्राप्त ब्याज राशि), ऋण के पुनर्भुगतान से प्राप्त धनराशि, सरकारी कंपनियों का मुनाफा इत्यादि।
इसकी ऑडिट CAG द्वारा की जाती है।
2. भारत का लोकलेखा (Public Accounts of India)
अनुच्छेद 266(2) के तहत, भारत और भारत के राज्यों के लिए इसकी व्यवस्था की गई है।
लोक लेखा (Public Accounts) एक ऐसा कोष है जिसमें उन धनराशियों को रखा जाता है जो सरकार की आय का प्रमुख स्रोत नहीं है। ये सरकार के पास एक धरोहर एवं जमानत के रूप में रखा गया होता है।
उदाहरण के लिए; कर्मचारी भविष्य निधि (Employee provident fund) – ये पब्लिक का पैसा होता है जो सरकार के पास लोक लेखा में जमा होता है, समय आने पर उसे लौटना पड़ता है। इसी तरह कुछ अन्य उदाहरणों को भी ले सकते हैं जैसे कि बचत पत्र (Savings certificate), न्यायालय द्वारा वसूला गया जुर्माना आदि।
यह निधि कार्यपालिका के अधीन होता है। इससे व्यय धन CAG द्वारा जाँचा जाता है।
3. भारत की आकस्मिकता निधि (Contingency fund of india)
अनुच्छेद 267(1) के तहत भारत की आकस्मिकता निधि की व्यवस्था की गई है। इसी तरह अनुच्छेद 267(2) के तहत भारत के राज्यों के लिए आकस्मिकता निधि की व्यवस्था की गई है।
1951 में भारत में एक आकस्मिकता निधि अधिनियम पारित किया गया। जिसके तहत एक आकस्मिकता निधि का निर्माण किया गया। वर्तमान समय में ये निधि 500 करोड़ रुपए का है जो कि संचित निधि से इसमें डाला जाता है।
जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है ये आकस्मिक परिस्थितियों के लिए होता है; जहां जल्दी पैसों की जरूरत हो यानी कि संसद में इसके लिए मतदान होने तक रुकने का वक्त न हो। ऐसी स्थिति में कार्यपालिका इसमें से शीघ्र धन की निकासी कर सकता है।
कुल मिलकर यही है संचित निधि, लोक लेखा एवं आकस्मिक निधि (Consolidated Fund, Public Accounts and Contingency Fund), उम्मीद है समझ में आया होगा। अन्य लेखों का लिंक नीचे दिया गया है उसे भी जरूर विजिट करें।
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