Citizen Charter UPSC: इस लेख में हम सिटिज़न चार्टर पर सरल एवं सहज चर्चा करेंगे एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझने का प्रयास करेंगे।

जब आप इस लेख को पूरा पढ़ेंगे तो आपको इससे संबन्धित सारी महत्वपूर्ण जानकारी पता चल जाएगी। अगर यह लेख पसंद आए तो नीचे दिए गए लिंक से हमसे अवश्य जुड़ जाएँ;

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सिटिज़न चार्टर एक ऐसा सार्वजनिक उपकरण है जो निर्धारित मानकों को बनाए रखते हुए अपने नागरिकों को उच्च स्तर की सेवाएं प्रदान करता है

सिटिज़न चार्टर Citizen Charter UPSC

| सिटिज़न चार्टर (Citizen’s Charter) क्या है?

सिटीजन चार्टर (Citizen’s Charter) किसी सरकार या संगठन द्वारा लोगों को अच्छी सेवाएं प्रदान करने के वादे की तरह है। यह नियमों के एक समूह होता है कि सरकार या संगठन आपके साथ कैसा व्यवहार करेगा और विभिन्न चीजों में कैसे आपकी मदद करेगा। 

इसे उदाहरण से समझिए; 

आप एक रेस्तरां में जाते हैं तो सबसे पहले आपको एक मेनू (Menu) थमा दिया जाता है। यह मेनू आपको बताता है कि उनके पास किस प्रकार का भोजन है और उनकी कीमत कितनी है। 

सिटीजन चार्टर कुछ-कुछ उस मेनू जैसा ही होता है, लेकिन सरकार या किसी संगठन के लिए। 

कहने का अर्थ है कि सिटिज़न चार्टर आपको बताता है कि सरकार या संगठन कौन सी सेवाएँ प्रदान करते हैं, वे सेवाएँ कैसे प्रदान करेंगे और इसमें कितना समय लग सकता है। 

सिटिज़न चार्टर आपको यह भी बताता है कि यदि आप सेवा से खुश नहीं हैं तो क्या करना चाहिए।

अब अगर इसे ही अकादमिक भाषा में कहना हो तो हम कहेंगे, “नागरिक चार्टर सेवा वितरण के मानक, गुणवत्ता और समय सीमा, शिकायत निवारण तंत्र, पारदर्शिता और जवाबदेही के प्रति संगठन की प्रतिबद्धता का प्रतिनिधित्व करता है।

“A Citizens’ Charter represents the commitment of the Organisation towards standard, quality and time frame of service delivery, grievance redress mechanism, transparency and accountability.”

◾ केंद्र सरकार के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों या संगठनों के अपने नागरिक चार्टर हैं। तो अब सवाल आता है कि सिटिज़न चार्टर को तैयार कौन करता है या इसे संचालित करने में मदद कौन करता है?

भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय (Ministry of Personnel, Public Grievances and Pensions) के तहत  प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (Department of Administrative Reforms and Public Grievances) आता है। यही विभाग अधिक उत्तरदायी और नागरिक-अनुकूल शासन प्रदान करने के उद्देश्य से नागरिक चार्टर या सिटीजन चार्टर को तैयार करने और संचालित करने के प्रयासों का समन्वय करता है।

यह व्यवस्था ठीक से काम करता रहे इसको सुनिश्चित करने की दृष्टि से, केंद्र सरकार के संबंधित मंत्रालयों, विभागों या संगठनों में नोडल अधिकारियों (Nodal Officers) की नियुक्ति की गई है। यह अधिकारी मंत्रालय या विभाग में संयुक्त सचिव या समकक्ष रैंक का हो सकता है।

नोडल अधिकारी (Nodal Officers) किसे कहते हैं?
एक नोडल अधिकारी एक ऐसा व्यक्ति होता है जिसे किसी संगठन या सरकार द्वारा किसी विशिष्ट कार्य या क्षेत्र का प्रभारी नियुक्त किया जाता है। यह व्यक्ति उस विशेष कार्य या क्षेत्र के लिए संपर्क और समन्वय बिंदु के रूप में कार्य करता है।

एक नोडल अधिकारी एक विशिष्ट जिम्मेदारी का नेतृत्व और प्रबंधन करता है। वे एक ऐसे व्यक्ति की तरह हैं जो यह सुनिश्चित करता है कि उस कार्य या क्षेत्र से संबंधित हर चीज सुचारू रूप से चले। वे जानकारी एकत्र करते हैं, समस्याओं का समाधान करते हैं और उस कार्य में शामिल विभिन्न लोगों के साथ संवाद करते हैं।

उदाहरण के लिए, किसी सरकारी विभाग में सार्वजनिक शिकायतों के लिए एक नोडल अधिकारी हो सकता है। यह व्यक्ति जनता की शिकायतों से निपटने और समाधान के लिए जिम्मेदार होगा। वे शिकायतों के बारे में जानकारी इकट्ठा करेंगे, समाधान खोजने के लिए संबंधित विभागों के साथ काम करेंगे और सभी को प्रगति के बारे में सूचित रखेंगे।
सिटीजन चार्टर (Citizen’s Charter)

| नागरिक चार्टर की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि (Historical Background of Citizen’s Charter):

समय के साथ हमारी इच्छाएं, जरूरतें व अपेक्षाएँ बदलती रहती है। पहले हमारे लिए सिर्फ लोकतंत्र यानि कि जनता द्वारा चुना गया शासक काफी था लेकिन धीरे-धीरे एक और कान्सेप्ट ने जन्म लिया – सुशासन (Good Governance)

दुनिया भर में यह माना गया है कि आर्थिक और सामाजिक दोनों तरह के सतत विकास के लिए सुशासन आवश्यक है। सुशासन के दो मुख्य पहलुओं को चिन्हित किया गया – प्रशासन की पारदर्शिता (Transparency in Administration), जवाबदेही (Accountability)।

“नागरिक चार्टर” कुछ और नहीं बल्कि सुशासन (Good Governance) का ही एक अन्य पहलू है। जिसके तहत उन समस्याओं के हल खोजने की कोशिश की जाती है जिनका सामना एक नागरिक, सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करने वाले संगठनों के साथ दिन-प्रतिदिन करता है।

नागरिक चार्टर की अवधारणा को पहली बार यूनाइटेड किंगडम में जॉन मेजर की कंजर्वेटिव सरकार द्वारा 1991 में एक राष्ट्रीय कार्यक्रम के रूप में शुरू किया गया था, जिसका उद्देश्य था —-

(i) सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार करना;
(ii) जहां भी संभव हो विकल्प देना;
(iii) यह सुनिश्चित करना कि मानक पूरे न होने पर क्या अपेक्षा की जाए और कैसे कार्य किया जाए;
(iv) करदाताओं के पैसे की वैल्यू करना;
(v) व्यक्ति और संगठन को जवाबदेह बनाना; और
(vi) नियमों, प्रक्रियाओं व योजनाओं आदि में पारदर्शिता लाना।

इस कार्यक्रम को 1998 में टोनी ब्लेयर की लेबर पार्टी की सरकार द्वारा फिर से लॉन्च किया गया1, जिसने इसे “सर्विसेज फर्स्ट (services first)” नाम दिया। और इन्होने पहले के उद्देश्यों को और भी विस्तार किया। जैसे कि जनता को पूरी जानकारी प्रदान करना, सभी को एक-समान ट्रीट करना, इनोवेशन करना और सुधार लाना, लोगों के पसंद को बढ़ावा देना इत्यादि।

यूके की सिटीजन चार्टर (Citizen’s Charter) पहल ने दुनिया भर में इस बारे में काफी रुचि पैदा की और धीरे-धीरे कई देशों ने इसी तरह के कार्यक्रम लागू किए, जैसे कि ऑस्ट्रेलिया ने 1997 में सेवा चार्टर के नाम से इसे लागू किया, कनाडा ने इसे 1995 में Service Standards Initiative के नाम से इसे शुरू किया, जमैका ने 1994 में नागरिक चार्टर के नाम से इसे शुरू किया इत्यादि।

इनमें से कई तो यूके मॉडल के ही समान हैं। भारत भी कहाँ पीछे रहने वाला था, भारत ने भी इनसे प्रेरणा ली।

| भारत में सिटिज़न चार्टर (Citizen’s Charter)

जैसे-जैसे भारत में सामाजिक और आर्थिक क्षेत्रों में विकास हुआ, लोग अपने अधिकारों के प्रति अधिक जागरूक हो गए। नागरिक अब इतने मुखर हो गए हैं कि वे न केवल प्रशासन से अपेक्षा करते हैं कि उनकी मांगों पर प्रतिक्रिया दे बल्कि यह भी अपेक्षा रखते हैं कि उनका पूर्वानुमान लगाकर पहले से उसके लिए तैयार रहें।

इसी माहौल में 1996 से प्रभावी और उत्तरदायी प्रशासन पर सरकार में आम सहमति बननी शुरू हुई। 24 मई, 1997 को नई दिल्ली में भारत के प्रधान मंत्री की अध्यक्षता में आयोजित विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में, केंद्र और राज्य स्तर पर “प्रभावी और उत्तरदायी सरकार के लिए कार्य योजना” को अपनाया गया था।

उस सम्मेलन में एक प्रमुख निर्णय यह था कि केंद्र और राज्य सरकारें नागरिक चार्टर (Citizen’s Charter) तैयार करेंगी, जिसकी शुरुआत उन क्षेत्रों से होगी जिनका सार्वजनिक इंटरफ़ेस बड़ा है (जैसे कि, रेलवे, दूरसंचार, डाक, सार्वजनिक वितरण प्रणाली इत्यादि)।

और इस तरह से भारत में नागरिक चार्टर (Citizen’s Charter) की शुरुआत हुई। भारत सरकार के प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (DARPG) ने नागरिक चार्टरों के समन्वय, निर्माण और संचालन का कार्य शुरू किया।

चार्टर तैयार करने के दिशानिर्देशों के साथ-साथ क्या करें और क्या न करें की सूची विभिन्न सरकारी विभागों/संगठनों को सूचित की गई ताकि वे केंद्रित और प्रभावी चार्टर ला सकें।

जो भी चार्टर बनें उसमें निम्नलिखित तत्वों को शामिल करने की उम्मीद की गई है:-

(i) विज़न और मिशन वक्तव्य (Vision and Mission Statement);
(ii) संगठन द्वारा किए गए कार्यों का विवरण (Details of business transacted by the organisation);
(iii) ग्राहकों का विवरण (Details of clients);
(iv) प्रत्येक ग्राहक समूह को प्रदान की गई सेवाओं का विवरण (Details of services provided to each client group);
(v) शिकायत निवारण तंत्र का विवरण और उस तक कैसे पहुंचें (Details of grievance redress mechanism and how to access it); और
(vi) ग्राहकों से अपेक्षाएँ (Expectations from the clients)।

◾ केंद्र सरकार, राज्य सरकार एवं विभिन्न सार्वजनिक संघटनों के अब तक हजारों सिटिज़न चार्टर (Citizen’s Charter) बनाए जा चुके हैं जो कि सेवा प्रदाता के साइट पर आपको मिल जाएगी।

साथ ही Department of Administrative Reforms and Public Grievances द्वारा एक Dedicated साइट (www.goicharters.nic.in) भी बनाया गया है जिसकी मदद से आप किन्ही सेवा प्रदाताओं के सिटिज़न चार्टर को देख सकते हैं;

Central Government ChartersLink
◾ State Government Charters Link
◾ Central Nodal OfficersLink
◾ State Nodal OfficersLink
https://goicharters.nic.in/public/website/home

| सिटिज़न चार्टर क्यों जरूरी है?

सिटिज़न चार्टर कई कारणों से बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है;

  1. क्योंकि यह संगठनों की प्रभावशीलता में सुधार लाता है और प्रशासनिक दक्षता और सुशासन को बढ़ावा देता है।
  2. क्योंकि यह सेवाओं की डिलीवरी के लिए एक स्पष्ट मानक निर्धारित करता है।
  3. क्योंकि यह सेवाओं, उनकी उपलब्धता, गुणवत्ता के स्तर, शिकायत निवारण तंत्र आदि के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करता है।
  4. क्योंकि यह देरी और लालफीताशाही को रोकता है और एक पेशेवर और ग्राहक-उन्मुख वातावरण बनाता है।
  5. क्योंकि यह पारदर्शी प्रावधानों के माध्यम से भ्रष्टाचार को कम करने में मदद करता है और इस प्रकार, जवाबदेही सुनिश्चित करता है।

आज के समय में सिटिज़न चार्टर इसीलिए भी जरूरी हो गया है ताकि ई-गवर्नेंस (eGovernance) को बढ़ावा मिल सके और न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन (Minimum government,and maximum governance) के विचार को स्थापित किया जा सके।

| चार्टर को लागू करने में आने वाली समस्याएँ

ऐसे कई कारण है जिससे कि सिटिज़न चार्टर ठीक से फॉलो नहीं हो पाता है; आइये कुछ महत्वपूर्ण कारणों पर नजर डालते हैं;

(i) यथास्थितिवाद (status quoism): भारत सरकार में नागरिक चार्टर की अवधारणा का कार्यान्वयन पुरानी नौकरशाही व्यवस्था व प्रक्रियाओं और कार्यबल के कठोर रवैये के कारण अधिक कठिन प्रतीत होता है।

(ii) प्रशिक्षण का अभाव (lack of training): किसी भी चार्टर को सफल बनाने के लिए इसके कार्यान्वयन के लिए जिम्मेदार कर्मचारियों के पास उचित प्रशिक्षण होना चाहिए, क्योंकि चार्टर की प्रतिबद्धताओं को ऐसे कार्यबल द्वारा पूरा करने की उम्मीद नहीं की जा सकती है जो चार्टर की भावना और सामग्री से अनजान है। कई मामलों में, संबंधित कर्मचारी पर्याप्त रूप से प्रशिक्षित और संवेदनशील नहीं पाए जाते हैं;

(iii) जागरूकता की कमी (lack of awareness): ग्राहकों या हितधारकों को चार्टर के बारे में शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान व्यवस्थित रूप से नहीं चलाए गए;
(iv) उचित संशोधन का अभाव (Lack of proper Amendment): चार्टर को कभी समय पर संशोधित नहीं किया जाता है जो उन्हें अप्रचलित बनाता है।

(v) मापने योग्य मानकों का अभाव (lack of measurable standards): चार्टर में वितरण के मानक मापने योग्य नहीं हैं, जिससे सेवा वितरण के वांछित स्तर का आकलन करना मुश्किल हो जाता है।

(vi) प्रेरणा की कमी (lack of motivation): विभागों द्वारा अपने चार्टर का पालन करने में कोई रुचि/प्रेरणा नहीं दिखाई पड़ती है क्योंकि नागरिक शिकायतों के मामले में कोई कानूनी सहारा तंत्र नहीं है।

नागरिक चार्टर एक अच्छी पहल है इसमें कोई संदेह नहीं है लेकिन इसका सही से क्रियान्वयन न हो पाना इसे कठघरे में खड़ा करता है। हमने ऊपर देखा कि क्यों इसे लागू करने में समस्याएँ आती है या आई हैं;

परिवर्तन के प्रति प्रतिरोध स्वाभाविक है लेकिन धीरे-धीरे हमें इसे अपनाना होगा। सभी समस्याओं को एक साथ सुधारने की कोशिश करने के बजाय, धीरे-धीरे इसे सही करना होगा।

द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग (2nd ARC) और Indian Institute of Public Administration (IIPA) ने इस संबंध में कुछ सुधारों की सिफ़ारिश की है जिसपर गौर किया जा सकता है;

| सुझाए गए सुधार (suggested Recommendations):

दूसरा प्रशासनिक सुधार आयोग (2nd ARC): वीरप्पन मोइली की अध्यक्षता वाली समिति ने सिटिज़न चार्टर पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि नागरिक चार्टर मंत्रालयों और विभागों द्वारा पवित्र घोषणाओं के एक सेट के अलावा और कुछ नहीं है।

इस अवलोकन के आलोक में, इसने कुछ सुधारों की सिफारिश की; जिसे कि आप नीचे देख सकते हैं;

व्यापक परामर्श प्रक्रिया (extensive consultation process): सिटिज़न चार्टर को संगठन के भीतर व्यापक परामर्श व नागरिक समाज के साथ सार्थक बातचीत के बाद तैयार किया जाना चाहिए।

चार्टर की सामग्री में सुधार (Amendments to the Contents of the Charter): चार्टर की सामग्री में सुधार में सहायता के लिए सिविल सोसायटी को प्रक्रिया में शामिल करें। एवं समय के साथ आवश्यकतानुसार चार्टर का आवधिक मूल्यांकन और विकास करें;

दृढ़ प्रतिबद्धताएं (firm commitments): सिटिज़न चार्टर सटीक होनी चाहिए और यह मापने योग्य होनी चाहिए।

एक स्थिर और कुशल शिकायत निवारण तंत्र (A stable and efficient grievance redressal mechanism): यदि संगठन ने वितरण के वादे किए गए मानकों पर चूक की है, तो नागरिक को उचित सहायता या राहत प्रदान किया जाना चाहिए।

जिम्मेदारी तय करें (fix responsibility: अधिकारियों को परिणामों के लिए जवाबदेह बनाएं और उन मामलों में विशिष्ट जिम्मेदारी तय करें जहां नागरिक चार्टर का पालन करने में चूक होती है।

भारतीय लोक प्रशासन संस्थान (IIPA) की सिफारिशें:2

  • निर्माण के प्रत्येक चरण में नागरिकों और कर्मचारियों से परामर्श की आवश्यकता;
  • चार्टर की मुख्य विशेषताओं और लक्ष्यों/उद्देश्यों के बारे में कर्मचारियों का उन्मुखीकरण;
  • उपभोक्ता शिकायतों और निवारण पर डेटाबेस बनाने की आवश्यकता;
  • चार्टर के व्यापक प्रचार-प्रसार की आवश्यकता;
  • जागरूकता सृजन के लिए विशिष्ट बजट निर्धारित करना;

| सिटिज़न चार्टर्स को कैसे सफल कैसे बनाया जा सकता है?

नागरिक चार्टर को सफल बनाने के लिए निम्नलिखित की आवश्यकता है:-3

  • कर्मचारियों व अधिकारियों में तात्कालिकता की भावना (Sense of Urgency) होनी चाहिए;
  • राज्य स्तर पर कार्यान्वयन की निगरानी के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया जाना चाहिए
  • नागरिक चार्टर की प्रगति का अवलोकन किया जाना चाहिए;
  • हितधारकों के साथ लगातार बातचीत किया जाना चाहिए;
  • चार्टर में उल्लिखित मानदंडों के आधार पर कर्मचारियों को प्रेरित करना चाहिए और कर्मचारियों के प्रदर्शन की समीक्षा करना चाहिए।
  • सुधारात्मक उपाय करने चाहिए;
  • प्रक्रियाओं और प्रणालियों का सरलीकरण किया जाना चाहिए;
  • नागरिक चार्टर को एक विकेंद्रीकृत प्रयास के रूप में डिज़ाइन किया जाना चाहिए, जिसमें मुख्य कार्यालय केवल बुनियादी निर्देश प्रदान करता है।

FAQs Related to Citizen’s Charter

Q: Citizen’s Charter क्या है?

एक नागरिक चार्टर सरकार या एक संगठन के एक वादे की तरह है जो आपको अच्छी सेवा देने के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ प्रयास करेगा, ठीक उसी तरह जैसे एक रेस्तरां आपके द्वारा ऑर्डर किया गया भोजन आपको एक निश्चित तरीके और समय में देने का वादा करता है। यह उन्हें जवाबदेह बनाए रखने में मदद करता है और सुनिश्चित करता है कि वे सभी के साथ उचित और अच्छा व्यवहार करें।

Q: सिटिज़न चार्टर के संदर्भ में ‘नागरिक’ कौन है?

नागरिक चार्टर में ‘नागरिक’ शब्द का तात्पर्य उन व्यक्तियों से है जिनके हितों और मूल्यों को नागरिक चार्टर द्वारा संबोधित किया जाता है और इसलिए, इसमें न केवल नागरिक बल्कि सभी हितधारक भी शामिल हैं, यानी, नागरिक, ग्राहक, उपयोगकर्ता, लाभार्थी, अन्य मंत्रालय/विभाग/संगठन, राज्य सरकारें, केंद्र शासित प्रदेश प्रशासन आदि।

Q: क्या राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासनों के मंत्रालयों/विभागों/एजेंसियों को भी नागरिक चार्टर तैयार करने की आवश्यकता है?

नागरिक चार्टर पहल न केवल केंद्र सरकार के मंत्रालयों/विभागों/संगठनों को बल्कि राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासनों के विभागों/एजेंसियों को भी कवर करती है।

कई राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेश प्रशासनों के विभिन्न विभागों/एजेंसियों ने अपने चार्टर जारी किए हैं। 24 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों की एजेंसियों/संगठनों द्वारा अब तक 600 से अधिक नागरिक चार्टर जारी किए जा चुके हैं।

Q: क्या सिटिज़न चार्टर कानूनी रूप से लागू करने योग्य है?

नहीं, नागरिक चार्टर कानूनी रूप से लागू करने योग्य नहीं है और इसलिए, गैर-न्यायसंगत है। हालाँकि, यह संगठन और उसके ग्राहकों की प्रतिबद्धताओं के साथ निर्दिष्ट मानकों, गुणवत्ता और समय सीमा आदि के साथ नागरिकों को सेवाओं की डिलीवरी की सुविधा प्रदान करने का एक उपकरण है।

Q: सरकार में सिटिज़न चार्टर पहल में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग की क्या भूमिका है?

भारत सरकार के कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन मंत्रालय में प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग अधिक उत्तरदायी और नागरिक-अनुकूल शासन प्रदान करने के अपने प्रयासों में केंद्र सरकार, राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों में नागरिक चार्टर बनाने और संचालित करने के प्रयासों का समन्वय करता है। यह चार्टर्स के निर्माण और कार्यान्वयन के साथ-साथ उनके मूल्यांकन के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है।

भारतीय संविधान
भारतीय संविधान एवं राजव्यवस्था (Polity)

MCQs Related to Citizen’s Charter

MCQ 1: What is the primary purpose of a Citizen’s Charter in India?

a) To outline the duties of citizens towards the government
b) To define the structure of local self-governance
c) To specify the rights and responsibilities of government officials
d) To ensure transparency and accountability in public services

Explanation: d) To ensure transparency and accountability in public services

A Citizen’s Charter in India is designed to ensure transparency and accountability in the delivery of public services. It outlines the standards of service that citizens can expect, the timeframes within which services will be provided, and the mechanisms for addressing grievances.

MCQ 2: Who is responsible for implementing the Citizen’s Charter in government departments and organizations?

a) Chief Justice of India
b) Prime Minister of India
c) Public service employees
d) Nodal officers designated by the department/organization

Explanation: d) Nodal officers designated by the department/organization

Nodal officers are usually designated within government departments and organizations to oversee the implementation of the Citizen’s Charter. They ensure that the commitments made in the Charter are upheld and that citizens’ expectations regarding service quality are met.

MCQ 3: Which government agency is responsible for overseeing the implementation of Citizen’s Charters in India?

a) Central Bureau of Investigation (CBI)
b) Central Information Commission (CIC)
c) National Human Rights Commission (NHRC)
d) Department of Administrative Reforms and Public Grievances (DARPG)

Explanation: d) Department of Administrative Reforms and Public Grievances (DARPG)

The Department of Administrative Reforms and Public Grievances (DARPG) is responsible for overseeing the implementation of Citizen’s Charters in India. It works towards improving public service delivery and resolving citizens’ grievances.

MCQ 4: What does a Citizen’s Charter typically include?

a) List of government officials’ salaries
b) Detailed tax calculation methods
c) Service standards, timelines, and grievance redressal mechanisms
d) Foreign policy and international relations updates

Explanation: c) Service standards, timelines, and grievance redressal mechanisms

A Citizen’s Charter typically includes information about the quality of services citizens can expect, the timeframes within which services will be provided, and mechanisms for addressing grievances and complaints related to those services.

MCQ 5: How does a Citizen’s Charter contribute to improving governance?

a) By increasing taxes and revenue
b) By reducing the number of government officials
c) By ensuring transparency, accountability, and efficiency in service delivery
d) By establishing a monarchy system

Explanation: c) By ensuring transparency, accountability, and efficiency in service delivery

A Citizen’s Charter plays a vital role in improving governance by ensuring transparency, accountability, and efficiency in the delivery of public services. It establishes clear standards for service quality and helps build trust between citizens and the government.

MCQ 6: What key principles are emphasized in a Citizen’s Charter?

a) Hierarchy of government officials
b) Political affiliations of citizens
c) Ethical behavior and code of conduct
d) Community-based decision-making

Explanation: c) Ethical behavior and code of conduct

A Citizen’s Charter emphasizes ethical behavior, professionalism, and a code of conduct for government officials. It promotes integrity, honesty, and the importance of delivering services without discrimination.

MCQ 7: How does a Citizen’s Charter benefit citizens?

a) By granting them special privileges
b) By providing monetary compensation
c) By ensuring faster delivery of services and reducing corruption
d) By exempting them from paying taxes

Explanation: c) By ensuring faster delivery of services and reducing corruption

A Citizen’s Charter benefits citizens by ensuring that government services are delivered in a timely manner, reducing unnecessary delays and bureaucracy. It also helps in curbing corruption by setting clear standards and guidelines for service delivery.

MCQ 8: What role does the concept of “right to information” play in a Citizen’s Charter?

a) It grants unlimited access to classified government documents
b) It ensures citizens have the right to know about government functioning
c) It limits citizens’ access to government information
d) It is not related to a Citizen’s Charter

Explanation: b) It ensures citizens have the right to know about government functioning

The concept of “right to information” is often linked to a Citizen’s Charter. It ensures that citizens have the right to access information about government functioning, services, and decision-making processes, promoting transparency.

MCQ 9: In India, which sector adopted the Citizen’s Charter approach initially?

a) Healthcare and pharmaceuticals
b) Education and academia
c) Public sector enterprises
d) Military and defense

Explanation: c) Public sector enterprises

In India, the Citizen’s Charter approach was initially adopted by public sector enterprises to improve customer service and accountability. It was later extended to various government departments and organizations.

MCQ 10: How can a Citizen’s Charter contribute to citizen empowerment?

a) By limiting citizens’ interactions with government officials
b) By promoting a passive role for citizens in governance
c) By providing citizens with a voice to demand better services and accountability
d) By reducing citizens’ access to government services

Explanation: c) By providing citizens with a voice to demand better services and accountability

A Citizen’s Charter empowers citizens by providing them with a platform to demand better services, transparency, and accountability from the government. It encourages active participation and engagement in the governance process.

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References:

https://praja.org/
https://persmin.gov.in/
https://upsc.gov.in/about-us/citizens-charter
https://goicharters.nic.in/public/upload/pdfs/DSF6gw.pdf
https://www.insightsonindia.com/governance/citizen-charters/
darpg official site