यह लेख Article 170 (अनुच्छेद 170) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 170 (Article 170) – Original

भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [साधारण]
1[170. विधान सभाओं की संरचना — (1) अनुच्छेद 333 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, प्रत्येक राज्य की विधान सभा उस राज्य में प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों से प्रत्यक्ष निर्वाचन द्वारा चुने हुए पांच सौ से अनधिक और साठ से अन्यून सदस्यों से मिलकर बनेगी।

(2) खंड (1) के प्रयोजनों के लिए, प्रत्येक राज्य को प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में ऐसी रीति से विभाजित किया जाएगा कि प्रत्येक निर्वाचन-क्षेत्र की जनसंख्या का उसको आबंटित स्थानों की संख्या से अनुपात समस्त राज्य में यथासाध्य एक ही हो।

2[स्पष्टीकरण – इस खंड में “जनसंख्या” पद से ऐसी अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना में अभिनिश्चित की गई जनसंख्या अभिप्रेत है जिसके सुसंगत आंकड़े प्रकाशित हो गए हैं। परंतु इस स्पष्टीकरण में अंतिम पूर्ववर्ती जनगणना के प्रति जिसके सुसंगत आंकड़े प्रकाशित हो गए हैं, निर्देश का, जब तक सन्‌ 1[2026] के पश्चात्‌ की गई पहली जनगणना के सुसंगत आंकड़े प्रकाशित नहीं हो जाते हैं, यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह 2[2001] की जनगणना के प्रतिनिर्देश है।]

(3) प्रत्येक जनगणना की समाप्ति पर प्रत्येक राज्य की विधान सभा में स्थानों की कुल संख्या और प्रत्येक राज्य के प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में विभाजन का ऐसे प्राधिकारी द्वारा और ऐसी रीति से पुनःसमायोजन किया जाएगा जो संसद्‌ विधि द्वारा अवधारित करे।

परंतु ऐसे पुन: समायोजन से विधान सभा में प्रतिनिधित्व पद पर तब तक कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा जब तक उस समय विद्यमान विधान सभा का विघटन नहीं हो जाता है।

3[परंतु यह और कि ऐसा पुन: समायोजन उस तारीख से प्रभावी होगा जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा विनिर्दिष्ट करे और ऐसे पुनः समायोजन के प्रभावी होने तक विधान सभा के लिए कोई निर्वाचन उन प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों के आधार पर हो सकेगा जो ऐसे पुनः:समायोजन के पहले विद्यमान हैं।

परंतु यह और भी कि जब तक सन्‌ 1[2026] के पश्चात्‌ की गई पहली जनगणना के सुसंगत आंकड़े प्रकाशित नहीं हो जाते हैं तब तक इस खंड के अधीन,-
(i) प्रत्येक राज्य की विधान सभा में 1971] की जनगणना के आधार पर पुन: समायोजित स्थानों की कुल संख्या का ; और
(ii) ऐसे राज्य के प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों में विभाजन का, जो 2[2001] की जनगणना के आधार पर पुन: समायोजित किए जाएं, 4[पुन: समायोजन आवश्यक नहीं होगा। ]
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1. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 9 द्वारा (1-11-1956 से) प्रतिस्थापित।
2. संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 29 द्वारा (3-21-1977 से) स्पष्टीकरण के स्थान पर प्रतिस्थापित।
3. संविधान (चौरासीवां संशोधन) अधिनियम, 2001 की धारा 5 द्वारा (21-2-2002 से) “2000” के स्थान पर प्रतिस्थापित।
4.संविधान (सतासीवां संशोधन) अधिनियम, 2003 की धारा 4 द्वारा (22-6-2003 से) “1991″ के स्थान पर प्रतिस्थापित । संविधान (चौरासीवां संशोधन) अधिनियम, 200। की धारा 5 द्वारा (21-2-2002 से) मूल अंक 1971] के स्थान पर ““99” अंक प्रतिस्थापित किए गए थे ।
अनुच्छेद 170 हिन्दी संस्करण

Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [General]
1[170. Composition of the Legislative Assemblies.— (1) Subject to the provisions of article 333, the Legislative Assembly of each State shall consist of not more than five hundred, and not less than sixty, members chosen by
direct election from territorial constituencies in the State.

(2) For the purposes of clause (1), each State shall be divided into territorial constituencies in such manner that the ratio between the population of each constituency and the number of seats allotted to it shall, so far as practicable, be the same throughout the State.

2[Explanation.—In this clause, the expression “population” means the population as ascertained at the last preceding census of which the relevant figures have been published:

Provided that the reference in this Explanation to the last preceding census of which the relevant figures have been published shall, until the relevant figures for the first census taken after the year 1[2026] have been
published, be construed as a reference to the 2[2001] census.]

(3) Upon the completion of each census, the total number of seats in the Legislative Assembly of each State and the division of each State into territorial constituencies shall be readjusted by such authority and in such manner as Parliament may by law determine:
Provided that such readjustment shall not affect representation in the Legislative Assembly until the dissolution of the then existing Assembly:
3[Provided further that such readjustment shall take effect from such date as the President may, by order, specify and until such readjustment takes effect, any election to the Legislative Assembly may be held on the basis of the territorial constituencies existing before such readjustment:

Provided also that until the relevant figures for the first census taken after the year 1[2026] have been published, it shall not be necessary to 4[readjust—
(i) the total number of seats in the Legislative Assembly of each State as readjusted on the basis of the 1971 census; and
(ii) the division of such State into territorial constituencies as may be readjusted on the basis of the 2[2001] census,
under this clause.]
=============
1. Subs. by the Constitution (Eighty-fourth Amendment) Act, 2001, s. 5, for “2000” (w.e.f. 21-2-2002).
2. Subs. by the Constitution (Eighty-seventh Amendment) Act, 2003, s. 4, for “1991”
(w.e.f. 22-6-2003). The figures “1991” were substituted for the original figures “1971” by the Constitution (Eighty fourth Amendment) Act, 2001, s. 5 (w.e.f. 21-2-2002).
3. Ins. by the Constitution (Forty-second Amendment) Act, 1976, s. 29 (w.e.f. 3-1-1977).
4. Subs. by the Constitution (Eighty-fourth Amendment) Act, 2001, s. 5, for certain words (w.e.f. 21-2-2002).
Article 170 English Version

🔍 Article 170 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iसाधारण (General)Article 152
IIकार्यपालिका (The Executive)Article 153 – 167
IIIराज्य का विधान मंडल (The State Legislature)Article 168 – 212
IVराज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor)Article 213
Vराज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)Article 214 – 232
VIअधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)Article 233 – 237
[Part 6 of the Constitution]

जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।

इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Chapter 3 [Sub-Chapters]Articles
साधारण (General)Article 168 – 177
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature)Article 178 – 187
कार्य संचालन (Conduct of Business)Article 188 – 189
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members)Article 190 – 193
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members)Article 194 – 195
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure)Article 196 – 201
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters)Article 202 – 207
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally)Article 208 – 212
[Part 6 of the Constitution]

इस लेख में हम साधारण (General) के तहत आने वाले अनुच्छेद 170 को समझने वाले हैं।

अनुच्छेद 80 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 170 – विधान सभाओं की संरचना (Composition of the Legislative Assemblies)

जैसा कि हम जानते हैं कि भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।

केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।

संसद की तरह ही इसके ऊपरी सदन को विधान परिषद (Legislative Council) और निचले सदन को विधान सभा (Assembly) कहा जाता है।

अनुच्छेद 170 निचला सदन यानि कि विधान सभा की संरचना के बारे में है। इस अनुच्छेद के तीन खंड है;

Article 170(1) Explanation:

अनुच्छेद 170(1) के तहत कहा गया है कि विधानसभा का गठन विधायकों (MLAs) के द्वारा होता है। इन प्रतिनिधियों का चुनाव प्रत्यक्ष मतदान से वयस्क मताधिकार के द्वारा किया जाता है।

दूसरी बात यह कि किसी राज्य के विधानसभा में कितनी सीटें होंगी इसके लिए जनसंख्या को पैमाना माना जाता है और उसकी के अनुसार किसी राज्य में न्यूनतम 60 से लेकर अधिकतम 500 तक सीटें हो सकती है।

हालांकि इसके कुछ अपवाद भी है जैसे कि अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम एवं गोवा के मामले में यह न्यूनतम 30 है एवं मिज़ोरम व नागालैंड के मामले में क्रमशः 40 एवं 46। इसके अलावा सिक्किम और नागालैंड विधानसभा के कुछ सदस्य अप्रत्यक्ष रूप से भी चुने जाते है।

यहाँ समझने वाली बात यह है कि इस व्यवस्था को अनुच्छेद 333 के अधीन रखा गया था। यानि कि विधानसभा में एंग्लो-इंडियन समुदाय से एक व्यक्ति को नामित (Nominate) करने की व्यवस्था थी और यह व्यवस्था जनवरी 2020 से पहले तक चलती रही।

जनवरी 2020 में 104वां संविधान संशोधन अधिनियम की मदद से इस व्यवस्था को केंद्र एवं राज्य दोनों के लिए खत्म कर दिया गया है।

Article 170(2) Explanation:

अनुच्छेद 170(2) के तहत निर्वाचन क्षेत्र (constituency) के बंटवारे के बारे में बताया गया है।

दरअसल इस खंड के तहत विधानसभा को कई चुनाव क्षेत्रों (constituencies) में, बांट दिया जाता है, ताकि जन-प्रतिनिधि का चुनाव हो सके। इन निर्वाचन क्षेत्रों को इस तरह से बांटा जाता है ताकि प्रत्येक सीट लगभग एक समान जनसंख्या का ही प्रतिनिधित्व करें।

दूसरे शब्दों में कहें तो सभी निर्वाचन क्षेत्रों को समान प्रतिनिधित्व मिले इसके लिए निर्वाचन क्षेत्रों को जनसंख्या के आधार पर बांटा जाता है। पर यहाँ जो समझने वाली बात है वो यह है कि इसके लिए नवीनतम जनसंख्या के आंकड़ों का इस्तेमाल नहीं किया जाता है बल्कि इसके लिए साल 2001 की जनगणना का इस्तेमाल किया जाता है। और साल 2001 के जनगणना का इस्तेमाल तब तक किया जाएगा जब तक कि साल 2026 के बाद जनगणना की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं हो जाति है।

दरअसल होता ये है कि चूंकि जनसंख्या बढ़ती या घटती रहती है इसीलिए सीटों को भी उसी के अनुरूप समायोजित करना होता है, जिसे कि सीमांकन या delimitation करना कहते हैं।

पहले यह काम हरेक 10 वर्ष बाद जनगणना के आंकड़े प्रकाशित होने के बाद किया जाता था लेकिन साल 1976 के 42वें संविधान संशोधन के द्वारा इस 1971 को आधार वर्ष मानकर उसे साल 2000 तक के लिए स्थिर कर दिया फिर 2001 में 84वें संविधान संशोधन द्वारा इसे आगे और 25 वर्ष के लिए बढ़ा दिया गया। फिर 87वां संशोधन अधिनियम 2003 की मदद से आधार वर्ष को 2001 कर दिया गया।

Article 170(3) Explanation:

अनुच्छेद 170(3) के तहत मुख्य रूप से चार बातें कही गई है;

पहली बात) प्रत्येक जनगणना की समाप्ति पर प्रत्येक राज्य की विधान सभा में स्थानों की कुल संख्या का और प्रत्येक राज्य के प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों का पुनःसमायोजन (Readjustment) किया जाएगा।

और यह समायोजन उस प्राधिकारी (Authority) द्वारा उस रीति (Method) से किया जाएगा जिसे कि संसद द्वारा कानून के माध्यम से तय किया जाएगा।

दूसरी बात) अगर यह पुनःसमायोजन उस समय कंप्लीट हुआ है जिस समय विधान सभा का सत्र चल रहा है, या मौजूदा विधान सभा अस्तित्व में है तो ऐसी स्थिति में उस पुनःसमायोजन का विधान सभा में प्रतिनिधित्व पद पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसका प्रभाव तभी पड़ेगा जब मौजूदा विधान सभा का विघटन (Dissolution) हो जाए।

तीसरी बात) पुनःसमायोजन उस तारीख से प्रभावी होगा जो राष्ट्रपति आदेश द्वारा तय करेगा। जब तक राष्ट्रपति इसके लिए तारीख तय नहीं करता है तब तक विधान सभा के लिए कोई निर्वाचन उन प्रादेशिक निर्वाचन-क्षेत्रों के आधार पर होगा जो ऐसे पुनः:समायोजन के पहले से है।

चौथी बात) जब तक 2026 के बाद पहली जनगणना के आंकड़ें प्रकाशित नहीं हो जाते हैं तब तक वहीं स्थिति बरकरार रहेगी जो कि अभी है।

यानि कि 1971 की जनगणना के आधार पर जो विधानसभाओं की सीटें तय की गई है वो कम से कम 2031 तक ऐसे ही रहेगी, और साल 2001 की जनगणना के आधार पर राज्यों को जो प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों में विभाजित किया गया है, वो भी कम से कम 2031 तक वैसे ही रहेगा।

तो यही है अनुच्छेद 170, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि
भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview
Must Read

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Question: Which article of the Indian Constitution deals with the composition of Legislative Assemblies in the States?

A) Article 169
B) Article 170
C) Article 171
D) Article 172

Click to Answer
Explanation: The correct answer is B) Article 170. Article 170 pertains to the composition of Legislative Assemblies in the States of India.

Question: How is the number of seats in a State’s Legislative Assembly determined under Article 170?

A) By the President of India
B) By the Governor of the State
C) By the State Election Commission
D) By the Chief Minister of the State

Click to Answer
Explanation: The correct answer is A) By the President of India. The number of seats in a State’s Legislative Assembly is determined based on population data by the President of India.

Question: Who conducts the delimitation of constituencies as mentioned in Article 170?

A) The State Governor
B) The Election Commission of India
C) The President of India
D) The Prime Minister of India

Click to Answer
Explanation: The correct answer is C) The President of India. The delimitation of constituencies is conducted by a Delimitation Commission appointed by the President of India.

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