यह लेख Article 254 (अनुच्छेद 254) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 254 (Article 254) – Original

भाग 11 [संघ और राज्यों के बीच संबंध]
254. संसद्‌ द्वारा बनाई गई विधियों और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों में असंगति — (1) यदि किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि का कोई उपबंध संसद्‌ द्वारा बनाई गई विधि के, जिसे अधिनियमित करने के लिए संसद्‌ सक्षम है, किसी उपबंध के या समवर्ती सूची में प्रगणित किसी विषय के संबंध में विद्यमान विधि के किसी उपबंध के विरुद्ध है तो खंड (2) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, यथास्थिति, संसद्‌ द्वारा बनाई गई विधि, चाहे वह ऐसे राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि से पहले या उसके बाद में पारित की गई हो, या विद्यमान विधि, अभिभावी होगी और उस राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि उस विरोध की मात्रा तक शून्य होगी।

(2) जहां 1*** राज्य के विधान-मंडल द्वारा समवर्ती सूची में प्रणणित किसी विषय के संबंध में बनाई गई विधि में कोई ऐसा उपबंध अंतर्विष्ट है जो संसद्‌ द्वारा पहले बनाई गई विधि के या उस विषय के संबंध में किसी विद्यमान विधि के उपबंधों के विरुद्ध है तो यदि ऐसे राज्य के विधान-मंडल द्वारा इस प्रकार बनाई गई विधि को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखा गया है और उस पर उसकी अनुमति मिल गई है तो वह विधि उस राज्य में अभिभावी होगी;

परंतु इस खंड की कोई बात संसद्‌ को उसी विषय के संबंध में कोई विधि, जिसके अंतर्गत ऐसी विधि है, जो राज्य के विधान-मंडल द्वारा इस प्रकार बनाई गई विधि का परिवर्धन, संशोधन, परिवर्तन या निरसन करती है, किसी भी समय अधिनियमित करने से निवारित नहीं करेगी।
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1. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा “पहली अनुसूची के भाग क या भाग ख में विनिर्दिष्ट’ शब्दों और अक्षरों का (1-11-956 से) लोप किया गया।
अनुच्छेद 254 हिन्दी संस्करण

Part XI [RELATIONS BETWEEN THE UNION AND THE STATES]
254. Inconsistency between laws made by Parliament and laws made by the Legislatures of States— (1) If any provision of a law made by the
Legislature of a State is repugnant to any provision of a law made by Parliament which Parliament is competent to enact, or to any provision of an existing law with respect to one of the matters enumerated in the Concurrent List, then, subject to the provisions of clause (2), the law made by Parliament, whether passed before or after the law made by the Legislature of such State, or, as the case may be, the existing law, shall prevail and the law made by the Legislature of the State shall, to the extent of the repugnancy, be void.

(2) Where a law made by the Legislature of a State 1*** with respect to one of the matters enumerated in the Concurrent List contains any provision repugnant to the provisions of an earlier law made by Parliament or an existing law with respect to that matter, then, the law so made by the Legislature of such State shall, if it has been reserved for the consideration of the President and has received his assent, prevail in that State:

Provided that nothing in this clause shall prevent Parliament from enacting at any time any law with respect to the same matter including a law adding to, amending, varying or repealing the law so made by the Legislature of the State.
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1. The words and letters “specified in Part A or Part B of the First Schedule” omitted by the Constitution (Seventh Amendment) Act, 1956, s. 29 and Sch. (w.e.f. 1-11-1956).
Article 254 English Version

🔍 Article 254 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 11, अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 263 तक कुल 2 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iविधायी संबंध (Legislative Relations)Article 245 – 255
IIप्रशासनिक संबंध (Administrative Relations)Article 256 – 263
[Part 11 of the Constitution]

जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग केंद्र-राज्य सम्बन्धों (Center-State Relations) के बारे में है। जिसके तहत मुख्य रूप से दो प्रकार के सम्बन्धों की बात की गई है – विधायी और प्रशासनिक

भारत में केंद्र-राज्य संबंध देश के भीतर केंद्र सरकार और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच शक्तियों, जिम्मेदारियों और संसाधनों के वितरण और बंटवारे को संदर्भित करते हैं।

ये संबंध भारत सरकार के संघीय ढांचे के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसा कि भारत के संविधान में परिभाषित किया गया है। संविधान केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की शक्तियों और कार्यों का वर्णन करता है, और यह राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करते हुए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है।

अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 255 तक मुख्य रूप से विधायी शक्तियों के वितरण (distribution of legislative powers) का वर्णन है। और यह भाग केंद्र-राज्य संबन्धों से जुड़े बहुत सारे कॉन्सेप्टों को आधार प्रदान करता है; जिसमें से कुछ प्रमुख है;

  • शक्तियों का विभाजन (division of powers)
  • अवशिष्ट शक्तियां (residual powers)
  • अंतर-राज्य परिषद (inter-state council)
  • सहकारी संघवाद (cooperative federalism) और
  • केंद्र-राज्य के मध्य विवाद समाधान (Dispute resolution between center and state)

इस लेख में हम अनुच्छेद 254 को समझने वाले हैं; लेकिन अगर आप इस पूरे टॉपिक को एक समग्रता से (मोटे तौर पर) Visualize करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लेख से शुरुआत कर सकते हैं;

केंद्र-राज्य विधायी संबंध Center-State Legislative Relations)
Closely Related to Article 254

| अनुच्छेद 254 – संसद्‌ द्वारा बनाई गई विधियों और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों में असंगति (Inconsistency between laws made by Parliament and laws made by the Legislatures of States)

अनुच्छेद 254 के तहत संसद्‌ द्वारा बनाई गई विधियों और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों में असंगति का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत दो खंड आते हैं;

अनुच्छेद 254 के खंड (1) तहत कहा गया है कि यदि किसी राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि का कोई उपबंध संसद्‌ द्वारा बनाई गई विधि के, जिसे अधिनियमित करने के लिए संसद्‌ सक्षम है, किसी उपबंध के या समवर्ती सूची में प्रगणित किसी विषय के संबंध में विद्यमान विधि के किसी उपबंध के विरुद्ध है तो खंड (2) के उपबंधों के अधीन रहते हुए, यथास्थिति, संसद्‌ द्वारा बनाई गई विधि, चाहे वह ऐसे राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि से पहले या उसके बाद में पारित की गई हो, या विद्यमान विधि, अभिभावी होगी और उस राज्य के विधान-मंडल द्वारा बनाई गई विधि उस विरोध की मात्रा तक शून्य होगी।

अनुच्छेद 249, 250, 252, व 253 के माध्यम से समझा कि किस तरह से केंद्र के पास राज्य सूची के विषयों पर भी कानून बनाने का अधिकार है। अनुच्छेद 254 को आप उसी का विस्तार समझ सकते हैं;

संसद संघ सूची के विषयों पर तो कानून बना ही सकता है साथ ही साथ समवर्ती सूची पर भी कानून बना सकता है या फिर अवशिष्ट विषय भी हो सकते हैं जिसपर संसद कानून बना सकता है। राज्य भी समवर्ती सूची पर कानून बना सकता है।

तो यदि किसी राज्य के विधानमंडल द्वारा बनाए गए किसी कानून का कोई प्रावधान संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के किसी प्रावधान के प्रतिकूल है, तब खंड (2) के प्रावधानों के अधीन संसद द्वारा बनाया गया कानून, चाहे वह ऐसे राज्य के विधानमंडल द्वारा बनाए गए कानून से पहले पारित किया गया हो या बाद में (जैसा भी मामला हो), संसद द्वारा बनाया गया कानून मान्य होगा और विधानमंडल द्वारा बनाया गया कानून प्रतिकूलता की सीमा तक, शून्य हो जाएगा।

याद रखिए कि संसद की यह शक्ति इसी अनुच्छेद के खंड (2) के अधीन है; खंड (2) में क्या है, आइये समझे;

अनुच्छेद 254 के खंड (2) तहत कहा गया है कि जहां राज्य के विधान-मंडल द्वारा समवर्ती सूची में प्रणणित किसी विषय के संबंध में बनाई गई विधि में कोई ऐसा उपबंध अंतर्विष्ट है जो संसद्‌ द्वारा पहले बनाई गई विधि के या उस विषय के संबंध में किसी विद्यमान विधि के उपबंधों के विरुद्ध है तो यदि ऐसे राज्य के विधान-मंडल द्वारा इस प्रकार बनाई गई विधि को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रखा गया है और उस पर उसकी अनुमति मिल गई है तो वह विधि उस राज्य में अभिभावी होगी;

कहने का अर्थ है कि अगर राज्य द्वारा समवर्ती सूची में से किसी ऐसे विषय पर कानून बनाया जाता है जो संसद द्वारा उसी विषय पर पहले बनाए गए कानून के विरुद्ध है लेकिन राज्य द्वारा इस कानून को राष्ट्रपति के विचार के लिए आरक्षित रख दिया जाता है और यदि राष्ट्रपति उस कानून को अपनी सहमति दे देती है तो फिर राज्य का कानून ही प्रभावी होगा, संसद का नहीं।

हालांकि यहां यह याद रखिए कि इस खंड की कोई बात संसद्‌ को राज्य द्वारा बनाई गई और राष्ट्रपति द्वारा अनुमोदित ऐसी विधि का परिवर्धन (additions), संशोधन (Amendment), परिवर्तन या निरसन करने से रोकेगी नहीं।

तो यही है अनुच्छेद 254, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

Related MCQs with Explanation

1. What does Article 254 of the Indian Constitution address?

a) Residuary powers
b) Legislative relations between the Union and States
c) Emergency provisions
d) Inconsistency between laws made by Parliament and laws made by the Legislatures of States

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Explanation: d) Article 254 deals with the resolution of inconsistency between laws made by Parliament and laws made by the Legislatures of States in the concurrent sphere.

2. Under Article 254, what happens if a State law is inconsistent with a law made by Parliament on a concurrent subject?

a) The State law prevails
b) The law made by Parliament prevails
c) Both laws coexist
d) President’s discretion decides

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Explanation: b) In case of inconsistency, the law made by Parliament prevails under Article 254.

3. What is the constitutional objective of Article 254?

a) Centralization of legislative powers
b) Avoidance of conflicts between Union and State laws
c) States’ autonomy in legislative matters
d) Prevention of parliamentary supremacy

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Explanation: b) The primary objective of Article 254 is to avoid conflicts between laws made by Parliament and those made by the Legislatures of States in the concurrent sphere.

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अनुच्छेद 255 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 253 – भारतीय संविधान
Next and Previous to Article 254
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।