यह लेख अनुच्छेद 116 (Article 116) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 116

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📜 अनुच्छेद 116 (Article 116) – Original

वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया
116. लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान — (1) इस अध्याय के पूर्वगामी उपबंधों में किसी बात के होते हुए भी, लोक सभा को —

(क) किसी वित्तीय वर्ष के भाग के लिए प्राक्कलित व्यय के संबंध में कोई अनुदान, उस अनुदान के लिए मतदान करने के लिए अनुच्छेद 113 में विहित प्रक्रिया के पूरा होने तक और उस व्यय के संबंध में अनुच्छेद 114 के उपबंधों के अनुसार विधि के पारित होने तक, अग्रिम देने की
(ख) जब किसी सेवा की महत्ता या उसके अनिश्चित रूप के कारण मांग ऐसे ब्यौरे के साथ वर्णित नहीं की जा सकती है जो वार्षिक वित्तीय विवरण में सामान्यतया दिया जाता है तब भारत के संपत्ति स्रोतों पर अप्रत्याशित मांग की पूर्ति के लिए अनुदान करने की ;
(ग) किसी वित्तीय वर्ष की चालू सेवा का जो अनुदान भाग नहीं है, ऐसा कोई अपवादानुदान करने की,

शक्ति होगी और जिन प्रयोजनों के लिए उक्त अनुदान किए गए हैं उनके लिए भारत की संचित निधि में से धन निकालना विधि द्वारा प्राधिकृत करने की संसद्‌ को शक्ति होगी।

(2) खंड (1) के अधीन किए जाने वाले किसी अनुदान और उस खंड के अधीन बनाई जाने वाली किसी विधि के संबंध में अनुच्छेद 113 और अनुच्छेद 114 के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे जैसे वे वार्षिक वित्तीय विवरण में वर्णित किसी व्यय के बारे में कोई अनुदान करने के संबंध में और भारत की संचित निधि में से ऐसे व्यय की पूर्ति के लिए धन का विनियोग प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली विधि के संबंध में प्रभावी हैं।
अनुच्छेद 116

Procedure in Financial Matter
116. Votes on account, votes of credit and exceptional grants — (1) Notwithstanding anything in the foregoing provisions of this Chapter, the House of the People shall have power —

(a) to make any grant in advance in respect of the estimated expenditure for a part of any financial year pending the completion of the procedure prescribed in article 113 for the voting of such grant and the passing of the law in accordance with the provisions of article 114 in relation to that expenditure;
(b) to make a grant for meeting an unexpected demand upon the resources of India when on account of the magnitude or the indefinite character of the service the demand cannot be stated with the details ordinarily given in an annual financial statement;
(c) to make an exceptional grant which forms no part of the current service of any financial year,

and Parliament shall have power to authorise by law the withdrawal of moneys from the Consolidated Fund of India for the purposes for which the said grants are made.

(2) The provisions of articles 113 and 114 shall have effect in relation to the making of any grant under clause (1) and to any law to be made under that clause as they have effect in relation to the making of a grant with regard to any expenditure mentioned in the annual financial statement and the law to be made for the authorisation of appropriation of moneys out of the Consolidated Fund of India to meet such expenditure.
Article 116

🔍 Article 116 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 116 (Article 116) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 116 – लेखानुदान, प्रत्ययानुदान और अपवादानुदान

अनुच्छेद 79 के तहत, देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की व्यवस्था की गई है। संसद तीन घटकों से मिलकर बना है; राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha)।

संसद में दो सदन है लोक सभा और राज्यसभा। लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सीटें हैं। भारत में संसद का दूसरा सदन भी है, जिसे राज्य सभा या राज्यों की परिषद के रूप में जाना जाता है। अभी फिलहाल 245 सीटें राज्यसभा में प्रभाव में है जिसमें से 233 सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव होते हैं जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।

कुल मिलाकर अभी लोक सभा और राज्य सभा में 788 सदस्य है। और यही वो लोग हैं जो कि देश का बजट (वार्षिक वित्तीय विवरण तैयार करते हैं।

भारत का बजट संसद में भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत वार्षिक वित्तीय विवरण को संदर्भित करता है, जो आगामी वित्तीय वर्ष के लिए अपने राजस्व (Revenue) और व्यय (Expenditure) की रूपरेखा तैयार करता है। भारत में वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से अगले वर्ष 31 मार्च तक चलता है।

अनुच्छेद 112 के तहत वार्षिक वित्तीय विवरण (Annual Financial Statement) की व्यवस्था की गई है जिसे कि हम बजट के नाम से भी जानते हैं।

अनुच्छेद 113 संसद में प्राक्कलनों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in Parliament with respect to estimates) के बारे में है जो कि संचित निधि पर भारित व्यय और संचित निधि से व्यय के बारे में कुछ विशेष प्रावधानों की व्यवस्था करता है।

अनुच्छेद 114 विनियोग विधेयक (Appropriation Bill) के बारे में है जो कि अनुच्छेद 113 के तहत लोकसभा द्वारा अनुदान किए जाने के पश्चात की कार्रवाहियों से संबंधित है। इसी के तहत भारत सरकार संचित निधि से धन निकाल पाती है।

अनुच्छेद 115 के तहत अनुपूरक अनुदान (Supplementary Grant) और अतिरिक्त अनुदान (Additional Grant) की व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद 116 के तहत लेखानुदान (Votes on account), प्रत्ययानुदान (votes of credit) और अपवादानुदान (exceptional
grants) की व्यवस्था की गई है। जो कि अनुच्छेद 114 के विनियोग विधेयक पारित होने के बाद की व्यवस्था है; इस अनुच्छेद के तहत कुल 2 खंड है। आइये समझें;

Complete Concept : बजट – पूरी प्रक्रिया और क्रियान्वयन
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Article 116(1) Explanation

बजट में एक वित्तीय वर्ष हेतु आय (income) और व्यय (expenditure) का सामान्य अनुमान होता है। जैसा कि हमने अनुच्छेद 114 के तहत समझा कि विनियोग विधेयक की रकम में परिवर्तन नहीं किया जा सकता है।

लेकिन आगे चलकर अगर संचित निधि से किसी प्रकार के धन की निकासी की कोई जरूरत आती है तो संसद के द्वारा इस प्रकार कोई व्यवस्था बनाया जा सकता है जिससे कि धन निकासी की जा सके।

दूसरे शब्दों में कहें तो पारित बजट के अतिरिक्त संसद द्वारा असाधारण या विशेष परिस्थितियों में अनेक अन्य अनुदानें भी दी जाती है। जिसकी चर्चा अनुच्छेद 116 में की गई है।

हालांकि यहाँ यह याद रखिए कि अनुच्छेद 115 में भी इस तरह की व्यवस्था है लेकिन फिर भी अनुच्छेद 116 में जो व्यवस्था है वो पिछले अन्य अनुच्छेदों के तहत की गई व्यवस्था के अलावे है।

अनुच्छेद 116(1) के अनुसार तीन प्रकार के अनुदानों की बात की गई है;

लेखानुदान (Vote on account) :-

जैसे कि हमने अनुच्छेद 113 और अनुच्छेद 114 के तहत समझा कि विनियोग विधेयक जब तक लागू नहीं हो जाता तब तक सरकार भारत की संचित निधि से कोई धन निकासी नहीं कर सकती है।

इसमें काफी समय लगता है तथा यह प्रक्रिया अप्रैल तक खींच जाता है। लेकिन बजट तो फरवरी में ही पेश कर दिया जाता है ऐसे में अगर सरकार को कुछ काम करने के लिए तब तक धन की आवश्यकता हो तो वो क्या करे?

इस स्थिति से निपटने के लिए संविधान द्वारा लोकसभा को यह शक्ति दी गई है कि वह इस प्रकार के आवश्यक कार्यों के लिए विशेष प्रयासों के माध्यम से धन निकासी कर सकती है इसे लेखानुदान (Vote on account) के नाम से जाना जाता है।

इसे बजट पर आम बहस के उपरांत पारित किया जाता है। इसमें वित्तीय वर्ष में जितना धन खर्च होने का अनुमान लगाया गया है सामान्यतः उसके 1/6 भाग रकम सरकार को 2 महीने तक खर्च करने की स्वीकृति दी जाती है।

प्रत्ययानुदान (vote of credit) :-

जब किसी सेवा या मद के लिए आकस्मिक रूप से धन की अत्यधिक एवं तुरंत सहायता आवश्यक हो तो ऐसी स्थिति में इस प्रकार की अनुदान मांग रखी जाती है।

ये ऐसे विषय होते हैं जिसका रूप अनिश्चित होता है और यह वार्षिक वित्तीय विवरण (बजट) का हिस्सा नहीं होता है। दूसरे शब्दों में, किसी राष्ट्रीय आपात की स्थिति में सरकार के समक्ष धन की अप्रत्याशित जरूरत आन पड़ती है। यह आम तौर पर इस तरह की समस्या होती है जिसके बारे में पहले से अनुमान नहीं लगाया जा सकता है। उदाहरण के लिए आप कोरोना से उत्पन्न वित्तीय जरूरत को समझ सकते हैं।

ऐसी स्थिति में सदन बिना ब्योरा दिया प्रत्ययानुदान के माध्यम से एकमुश्त धनराशि जारी कर सकता है। इसीलिए कहा जाता है कि यह लोकसभा द्वारा कार्यपालिका को दिया गया ब्लैंक चेक होता है।

अपवादानुदान (Exceptional grant) :-

इसे विशेष प्रयोजन के लिए मंजूर किया जाता है तथा यह वर्तमान वित्तीय वर्ष या सेवा से संबन्धित नहीं होती है। इसीलिए इसे अपवादानुदान कहा जाता है।

दूसरे शब्दों में कहें, तो यह अनुदान वित्तीय वर्ष के साधारण खर्च का भाग नहीं होता है। इसे अपवादस्वरूप किसी विशेष प्रयोजन के लिए जारी किया जाता है।

Article 116(2) Explanation

अनुच्छेद 116(2) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि खंड (1) के अधीन किए जाने वाले किसी अनुदान और उस खंड के अधीन बनाई जाने वाली किसी विधि के संबंध में अनुच्छेद 113 और अनुच्छेद 114 के उपबंध वैसे ही प्रभावी होंगे जैसे;

(1) वे बजट में वर्णित किसी व्यय के बारे में कोई अनुदान करने के संबंध में बनाई गई विधि के संबंध में प्रभावी हैं।

(2) वे भारत की संचित निधि में से ऐसे खर्च की पूर्ति के लिए धन निकासी को प्राधिकृत करने के लिए बनाई जाने वाली विधि के संबंध में प्रभावी हैं।

तो यही है अनुच्छेद 116 (Article 116), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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अनुच्छेद 117 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 115 – भारतीय संविधान
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संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
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भारत की कार्यपालिका
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FAQ. अनुच्छेद 116 (Article 116) क्या है?

अनुच्छेद 116 के तहत लेखानुदान (Votes on account), प्रत्ययानुदान (votes of credit) और अपवादानुदान (exceptional
grants) की व्यवस्था की गई है। जो कि अनुच्छेद 114 के विनियोग विधेयक पारित होने के बाद की व्यवस्था है; इस अनुच्छेद के तहत कुल 2 खंड है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रसिद्ध पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप आदि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।