यह लेख Article 216 (अनुच्छेद 216) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 216 (Article 216) – Original

भाग 6 “राज्य” [अध्याय 5 — राज्य का विधान मंडल] [राज्यों के उच्च न्यायालय]
216. उच्च न्यायालयों का गठन— प्रत्येक उच्च न्यायालय मुख्य न्यायमूर्ति और ऐसे अन्य न्यायाधीशों से मिलकर बनेगा जिन्हें राष्ट्रपति समय-समय पर नियुक्त करना आवश्यक समझे।

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1. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 11 द्वारा (1-11-1956 से) परन्तुक का लोप किया गया।
अनुच्छेद 216 हिन्दी संस्करण

Part VI “State” [CHAPTER V — The State Legislature] [The High Courts in the States]
216. Constitution of High Courts—Every High Court shall consist of a Chief Justice and such other Judges as the President may from time to time deem it necessary to appoint.

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Proviso omitted by the Constitution (Seventh Amendment) Act, 1956, s. 11 (w.e.f. 1-11-1956).
Article 216 English Version

🔍 Article 216 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iसाधारण (General)Article 152
IIकार्यपालिका (The Executive)Article 153 – 167
IIIराज्य का विधान मंडल (The State Legislature)Article 168 – 212
IVराज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor)Article 213
Vराज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)Article 214 – 232
VIअधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)Article 233 – 237
[Part 6 of the Constitution]

जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 5 का नाम है “राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 214 से लेकर 232 तक है। इस लेख में हम अनुच्छेद 216 को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद 124 – भारतीय संविधान
Closely Related to Article 216

| अनुच्छेद 216 – उच्च न्यायालयों का गठन (Constitution of High Courts)

न्याय (Justice) लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।

भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय (High Court) आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Court)।

संविधान का भाग 6, अध्याय V, राज्यों के उच्च न्यायालय की बात करता है। जिस तरह से अनुच्छेद 124 के तहत सुप्रीम कोर्ट के गठन के बारे में बताया गया है उसी तरह से अनुच्छेद 216 के तहत उच्च न्यायालय के गठन के बारे में बताया गया है।

अनुच्छेद 216 के तहत कहा गया है कि प्रत्येक उच्च न्यायालय मुख्य न्यायमूर्ति और ऐसे अन्य न्यायाधीशों से मिलकर बनेगा जिन्हें राष्ट्रपति समय-समय पर नियुक्त करना आवश्यक समझे।

इस अनुच्छेद में बस इतना बताया गया है कि प्रत्येक उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायमूर्ति (Chief Justice) होगा और साथ ही कुछ अन्य न्यायाधीश होंगे। और इन न्यायाधीशों की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा समय-समय पर किया जाएगा।

कुल मिलाकर अनुच्छेद 216 के तहत उच्च न्यायालय के गठन की बात कही गई है। लेकिन उच्च न्यायालय का गठन कितने न्यायाधीशों से होगा इसके बारे में संविधान में कुछ नहीं कहा गया है, इसीलिए यह राष्ट्रपति के विवेक पर छोड़ दिया गया है, अगर राष्ट्रपति को लगता है कि किसी उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की संख्या कम है तो वे उसे बढ़ा सकते हैं।

नियुक्ति और पद की शर्तों के बारे में अगले अनुच्छेद में बताया गया है;

तो यही है अनुच्छेद 216, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

उच्चतम न्यायालय (Supreme Court of India): Overview
उच्च न्यायालय (High Court): गठन, भूमिका, स्वतंत्रता
Must Read

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उच्च न्यायालय बेसिक्स अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions – 8 
  2. Passing Marks – 75  %
  3. Time – 6 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

1 / 8

निम्न में से कौन सी बातें उच्च न्यायालय की स्वतंत्रता को सुनिश्चित करता है?

2 / 8

दिए गए कथनों में से सही कथन की पहचान करें;

  1. अनुच्छेद 224 के तहत राष्ट्रपति कुछ खास परिस्थितियों में योग्य व्यक्तियों को हाई कोर्ट के अतिरिक्त न्यायाधीशों के रूप में अस्थायी रूप से नियुक्त कर सकते हैं.
  2. उच्च न्यायालय में सेवानिवृत न्यायाधीश भी काम कर सकते हैं।
  3. अनुच्छेद 224 (क) अतिरिक्त और कार्यकारी न्यायाधीश से संबंधित है।
  4. उच्च न्यायालय के न्यायधीश को संसद द्वारा उसी विधि से हटाया जा सकता है जिस विधि से उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश को हटाया जाता है।

3 / 8

संविधान के किस संशोधन द्वारा संसद को अधिकार दिया गया है कि वह दो या दो से अधिक राज्यों के लिए एक ही उच्च न्यायालय की स्थापना कर सकेगी?

4 / 8

उच्च न्यायालय (high Court) के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. अनुच्छेद 214 के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक उच्च न्यायालय की व्यवस्था की गई है.
  2. उच्च न्यायालय का क्षेत्राधिकार केवल उस राज्य तक ही सीमित रह सकती है।
  3. 2021 तक भारत में 24 उच्च न्यायालय अस्तित्व में है।
  4. बंबई उच्च न्यायालय का अधिकार क्षेत्र सिर्फ महाराष्ट्र तक सीमित है।

5 / 8

उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के संदर्भ में दिए गए कथनों में से सही कथन की पहचान करें;

  1. उच्च न्यायालय में कितने न्यायाधीश होंगे यह उच्चतम न्यायालय तय करता है।
  2. उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति राज्यपाल करता है।
  3. किसी उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने के लिए कम से कम 10 वर्षों तक उसी न्यायालय में अधिवक्ता रहना जरूरी है।
  4. संविधान में उच्च न्यायालय के न्यायाधीश की नियुक्त के लिए कोई न्यूनतम आयु सीमा निर्धारित नहीं है

6 / 8

संविधान का कौन सा भाग उच्च न्यायालय से संबन्धित है?

7 / 8

दिए गए कथनों में से सही कथन की पहचान करें;

  1. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा का शपथ लेता है।
  2. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के कार्यकाल की समाप्ति 65 वर्ष की आयु में होती है।
  3. उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को हटाने के लिए न्यायाधीश जांच अधिनियम 1968 का सहारा लेना पड़ सकता है।
  4. अनुच्छेद 222 उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों के स्थानांतरण से संबन्धित है।

8 / 8

किन स्थितियों में अनुच्छेद 223 के तहत राष्ट्रपति किसी उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को उच्च न्यायालय का ‘कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश’ नियुक्त कर सकता है?

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संसद की बेसिक्स
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भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।