यह लेख Article 243ZR (अनुच्छेद 243यद) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 243यद (Article 243ZR) – Original

*भाग 9ख [सहकारी सोसाइटियाँ]
243ZR. बहुराज्य को सहकारी सोसाइटियों को लागू होना— इस भाग के उपबंध, बहुराज्य सहकारी को इस उपांतरण कै अधीन रहते हुए लागू होंगे कि “राज्य का विधान-मंडल”, “राज्य अधिनियम” या “राज्य सरकार” के प्रति किसी निर्देश का वही अर्थ लगाया जाएगा जो क्रमशः, “संसद”, “केन्द्रीय अधिनियम” या “केन्द्रीय सरकार” का है।
अनुच्छेद 243ZR हिन्दी संस्करण

*Part IXB [THE CO-OPERATIVE SOCIETIES]
243ZR. Application to multi-State co-operative societies— The provisions of this Part shall apply to the multi-State co-operative societies subject to the modification that any reference to “Legislature of a State”, “State Act” or “State Government” shall be construed as a reference to “Parliament”, “Central Act” or “the Central Government” respectively.
Article 243ZR English Version

🔍 Article 243ZR Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 9B, अनुच्छेद 243ZG से लेकर अनुच्छेद 243ZT तक विस्तारित है। यह भाग भारत में सहकारी सोसाइटियों की नींव रखता है जो कि हमेशा से संविधान का हिस्सा नहीं था बल्कि इसे साल 2012 में 97वां संविधान संशोधन अधिनियम की मदद से संविधान का हिस्सा बनाया गया।

सहकारी सोसाइटियाँ स्वयं सहायता संगठनों का एक रूप हैं जो समान आर्थिक, सामाजिक या सांस्कृतिक हितों वाले व्यक्तियों द्वारा स्थापित की जाती हैं। ये समितियाँ भारत के सहकारी कानूनों और विनियमों द्वारा शासित होती हैं, और वे आर्थिक और सामाजिक विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।

भारत में सहकारी सोसाइटियाँ संगठन के एक अनूठे और महत्वपूर्ण रूप के रूप में कार्य करती हैं जो समुदायों और व्यक्तियों के बीच सामूहिक कार्रवाई, आर्थिक सहयोग और सामाजिक कल्याण को बढ़ावा देती हैं।

संविधान (सतानवेवां संशोधन) अधिनियम 2011 की मदद से इसे संविधान में अंतःस्थापित किया गया था। इस संविधान संशोधन की मदद से मुख्यत: तीन चीज़ें की गई थी;

1) सहकारी समिति बनाने के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया।
2) राज्य के नीति निदेशक तत्व में इसे अनुच्छेद 43B के तहत जोड़ा गया। और,
3) संविधान में एक नया खंड 9B जोड़ा जिसके तहत अनुच्छेद ZH से लेकर ZT तक 13 अनुच्छेदों को जोड़ा गया।

कहने का अर्थ है कि भाग 9B पूरी तरह से सहकारी सोसाइटियों (Cooperative Societies) को समर्पित है। इसके तहत कुल 13 अनुच्छेद आते हैं जिसकी मदद से सहकारी सोसाइटियों को एक संवैधानिक संस्था बनाया गया।

इस लेख में हम अनुच्छेद 243ZR को समझने वाले हैं;

याद रखें, सहकारी सोसाइटी के पूरे संवैधानिक कॉन्सेप्ट को समझने के लिए भाग 9B के तहत आने वाले पूरे 13 अनुच्छेद को एक साथ जोड़कर पढ़ना और समझना जरूरी है। अगर आप चीजों को समग्रता के साथ समझना चाहते हैं तो पहले कृपया नीचे दिए गए दोनों लेखों को पढ़ें और समझें;

| अनुच्छेद 243ZR – बहुराज्य को सहकारी सोसाइटियों को लागू होना (Application to multi-State co-operative societies)

अनुच्छेद 243ZR के तहत बहुराज्य को सहकारी सोसाइटियों को लागू होना (Application to multi-State co-operative societies) वर्णित है।

अनुच्छेद 243ZR के तहत कहा गया है कि इस भाग के उपबंध, बहुराज्य सहकारी को इस उपांतरण के अधीन रहते हुए लागू होंगे कि “राज्य का विधान-मंडल”, “राज्य अधिनियम” या “राज्य सरकार” के प्रति किसी निर्देश का वही अर्थ लगाया जाएगा जो क्रमशः, “संसद”, “केन्द्रीय अधिनियम” या “केन्द्रीय सरकार” का है।

कहने का अर्थ है कि भारतीय संविधान का अनुच्छेद 243ZR बहु-राज्य सहकारी समितियों पर इस भाग के अनुप्रयोग के बारे में निम्नलिखित बताता है: –

इस खंड में उल्लिखित नियम बहु-राज्य सहकारी समितियों पर लागू होते हैं, इस संशोधन के साथ कि “राज्य के विधानमंडल”, “राज्य अधिनियम”, या “राज्य सरकार” के किसी भी संदर्भ को क्रमशः “संसद”, “केंद्रीय अधिनियम”, या “केंद्र सरकार” के संदर्भ के रूप में समझा जाना चाहिए।

तो यही है अनुच्छेद 243ZR , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।