यह लेख अनुच्छेद 135 (Article 135) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

पाठकों से अपील 🙏
Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें;
⬇️⬇️⬇️
Article 135


📜 अनुच्छेद 135 (Article 135) – Original

केंद्रीय न्यायपालिका
135. विद्यमान विधि के अधीन फेडरल न्यायालय की अधिकारिता और शक्तियों का उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रयोक्तव्य होना — जब तक संसद्‌ विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक उच्चतम न्यायालय को भी किसी ऐसे विषय के संबंध में, जिसको अनुच्छेद 133 या अनुच्छेद 134 के उपबंध लागू नहीं होते हैं, अधिकारिता और शक्तियां होंगी यदि उस विषय के संबंध में इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले किसी विद्यमान विधि के अधीन अधिकारिता और शक्तियां फेडरल न्यायालय द्वारा प्रयोक्तव्य थीं।
अनुच्छेद 135

THE UNION JUDICIARY
135. Jurisdiction and powers of the Federal Court under existing law to be exercisable by the Supreme Court.—Until Parliament by law otherwise provides, the Supreme Court shall also have jurisdiction and powers with respect to any matter to which the provisions of article 133 or article 134 do not apply if jurisdiction and powers in relation to that matter were exercisable by the Federal Court immediately before the commencement of this Constitution under any existing law.
Article 135

🔍 Article 135 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का चौथा अध्याय है – संघ की न्यायपालिका (The Union Judiciary)

संसद के इस अध्याय के तहत अनुच्छेद 124 से लेकर अनुच्छेद 147 तक आते हैं। इस लेख में हम अनुच्छेद 135 (Article 135) को समझने वाले हैं;

न्याय (Justice) एक जटिल और बहुआयामी अवधारणा है जो व्यक्तियों के साथ निष्पक्ष व्यवहार और न्यायपूर्ण समाज के रखरखाव को संदर्भित करता है।

न्याय लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।

भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय

अनुच्छेद-134 – भारतीय संविधान
—————————

| अनुच्छेद 135 – विद्यमान विधि के अधीन फेडरल न्यायालय की अधिकारिता और शक्तियों का उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रयोक्तव्य होना

संविधान का भाग 5, अध्याय IV संघीय न्यायालय यानि कि उच्चतम न्यायालय की बात करता है। अनुच्छेद 135 विद्यमान विधि के अधीन फेडरल न्यायालय की अधिकारिता और शक्तियों का उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रयोक्तत्य होने (Jurisdiction and powers of the Federal Court under existing law to be exercisable by the Supreme Court) के बारे में है।

अनुच्छेद 135 कहता है कि जब तक संसद्‌ विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक उच्चतम न्यायालय को भी किसी ऐसे विषय के संबंध में, जिसको अनुच्छेद 133 या अनुच्छेद 134 के उपबंध लागू नहीं होते हैं, अधिकारिता और शक्तियां होंगी यदि उस विषय के संबंध में इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले किसी विद्यमान विधि के अधीन अधिकारिता और शक्तियां फेडरल न्यायालय द्वारा प्रयोग के योग्य थीं।

आजादी के पहले और आज का सुप्रीम कोर्ट का अस्तित्व में आने से पहले भारत शासन अधिनियम 1935 के तहत एक संघीय न्यायालय (Federal Court) की स्थापना की गई थी। और इस संघीय न्यायालय के पास पिछले कानून के तहत उच्च न्यायालयों से सभी प्रकार की अपील सुनने का अधिकार था।

हालांकि साल 1950 में संविधान लागू होने के पश्चात अनुच्छेद 395 के तहत संघीय न्यायालय (Federal Court) को खत्म कर दिया गया। लेकिन अपील करने के लिए पीड़ित पक्ष का पहले से मौजूद अधिकार कायम रहा, इसीलिए अनुच्छेद 135 को संविधान में जोड़ा गया ताकि उच्चतम न्यायालय को उन अधिकार क्षेत्र का प्रयोग करने की क्षमता दी जा सके जो अनुच्छेद 133 और 134 द्वारा कवर नहीं किए गए थे।

कुल मिलाकर कहने का अर्थ यह है कि अनुच्छेद 135 सर्वोच्च न्यायालय को किसी भी मामले पर वही अधिकार और क्षेत्राधिकार प्रदान करता है जिस पर अनुच्छेद 133 या 134 के प्रावधान लागू नहीं होते हैं। और यह ठीक उसी तरह का अधिकार है जो संघीय न्यायालय (Federal Court) के पास किसी भी लागू कानून के तहत संविधान से ठीक पहले के मामले पर अधिकार था।

आप इसे इस तरह से समझ सकते हैं कि, यदि संविधान की स्थापना से पहले शुरू किए गए किसी मामले या कार्रवाई में उच्च न्यायालय द्वारा किया गया निर्णय उस समय प्रभावी कानून के तहत मूल्यांकन की आवश्यकताओं को पूरा करता है, तो उस निर्णय से सर्वोच्च न्यायालय में अपील की जा सकती है। [बस इतनी सी बात है।]

जाहिर सी बात है उस समय जिन मामलों में लोगों को फेडरल कोर्ट के समक्ष पेश होने का अधिकार था, उसे बिना किसी औचित्य के रद्द नहीं किया जा सकता था क्योंकि भले ही फेडरल कोर्ट अब अस्तित्व में नहीं था लेकिन उसके स्थान पर सुप्रीम कोर्ट की स्थापना तो की गई थी।

⚫ ⚫ विस्तार से समझेंउच्चतम न्यायालय का क्षेत्राधिकार (Jurisdiction of Supreme Court)

तो यही है अनुच्छेद 135 (Article 135), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

| Related Article

अनुच्छेद 136 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 134 – भारतीय संविधान
—————————
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
—————————–
FAQ. अनुच्छेद 135 (Article 135) क्या है?

अनुच्छेद 135 कहता है कि जब तक संसद्‌ विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक उच्चतम न्यायालय को भी किसी ऐसे विषय के संबंध में, जिसको अनुच्छेद 133 या अनुच्छेद 134 के उपबंध लागू नहीं होते हैं, अधिकारिता और शक्तियां होंगी यदि उस विषय के संबंध में इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले किसी विद्यमान विधि के अधीन अधिकारिता और शक्तियां फेडरल न्यायालय द्वारा प्रयोग के योग्य थीं।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।