यह लेख Article 267 (अनुच्छेद 267) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 267 (Article 267) – Original

भाग 12 [वित्त, संपत्ति, संविदाएं और वाद] अध्याय 1 – वित्त (साधारण)
267. आकस्मिकता निधि— (1) संसद, विधि द्वारा, अग्रदाय के स्वरूप की एक आकस्मिकता निधि की स्थापना कर सकेगी जो “भारत की आकस्मिकता निधि” के नाम से ज्ञात होगी जिसमें ऐसी विधि द्वारा अवधारित राशियां समय-समय पर जमा की जाएंगी और अनवेक्षित व्यय का अनुच्छेद 115 या अनुच्छेद 116 के अधीन संसद्‌ द्वारा, विधि द्वारा, प्राधिकृत किया जाना लंबित रहने तक ऐसी निधि में से ऐसे व्यय की पूर्ति के लिए अग्रिम धन देने के लिए राष्ट्रपति को समर्थ बनाने के लिए उक्त निधि राष्ट्रपति के व्ययनाधीन रखी जाएगी।

(2) राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, अग्रदाय के स्वरूप की एक आकस्मिकता निधि की स्थापना कर सकेगा जो “राज्य की आकस्मिकता निधि” के नाम से ज्ञात होगी जिसमें ऐसी विधि द्वारा अवधारित राशियां समय-समय पर जमा की जाएंगी और अनवेक्षित व्यय का अनुच्छेद 205 या अनुच्छेद 206 के अधीन राज्य के विधान-मंडल द्वारा, विधि द्वारा, प्राधिकृत किया जाना लंबित रहने तक ऐसी निधि में से ऐसे व्यय की पूर्ति के लिए अग्रिम धन देने के लिए राज्यपाल को समर्थ बनाने के लिए उक्त निधि राज्य के राज्यपाल 1*** के व्ययनाधीन रखी जाएगी।
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1. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 का धारा 29 और अनुसूची द्वारा “या राजप्रमुख” शब्दों का (1-11-1956 से) लोप किया गया।
अनुच्छेद 267 हिन्दी संस्करण

Part XII [FINANCE, PROPERTY, CONTRACTS AND SUITS] Chapter 1 – Finance (General)
267. Contingency Fund —(1) Parliament may by law establish a Contingency Fund in the nature of an imprest to be entitled “the Contingency Fund of India” into which shall be paid from time to time such sums as may be determined by such law, and the said Fund shall be placed at the disposal of the President to enable advances to be made by him out of such Fund for the purposes of meeting unforeseen expenditure pending authorisation of such expenditure by Parliament by law under article 115 or article 116.

(2) The Legislature of a State may by law establish a Contingency Fund in the nature of an imprest to be entitled “the Contingency Fund of the State” into which shall be paid from time to time such sums as may be determined by such law, and the said Fund shall be placed at the disposal of the Governor 1*** of the State to enable advances to be made by him out of such Fund for the purposes of meeting unforeseen expenditure pending authorisation of such expenditure by the Legislature of the State by law under article 205 or article 206.
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1. The words “or Rajpramukh” omitted by the Constitution (Seventh Amendment) Act, 1956, s. 29 and Sch. (w.e.f. 1-11-1956).
Article 267 English Version

🔍 Article 267 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 12, अनुच्छेद 264 से लेकर अनुच्छेद 300क तक कुल 4अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iवित्त (Finance)Article 264 – 291
IIउधार लेना (Borrowing)Article 292 – 293
IIIसंपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS)294 – 300
IVसंपत्ति का अधिकार (Rights to Property)300क
[Part 11 of the Constitution]

जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग संपत्ति संविदाएं, अधिकार, दायित्व, बाध्यताएं और वाद (PROPERTY, CONTRACTS, RIGHTS, LIABILITIES, OBLIGATIONS AND SUITS) के बारे में है।

संविधान का यही वह भाग है जिसके अंतर्गत हम निम्नलिखित चीज़ें पढ़ते हैं;

  • कर व्यवस्था (Taxation System)
  • विभिन्न प्रकार की निधियाँ (different types of funds)
  • संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)
  • भारत सरकार या राज्य सरकार द्वारा उधार लेने की व्यवस्था (Borrowing arrangement by Government of India or State Government)
  • संपत्ति का अधिकार (Rights to Property), इत्यादि।

संविधान के इस भाग (भाग 12) के पहले अध्याय को तीन उप-अध्यायों (Sub-chapters) में बांटा गया है। जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Sub-Chapters TitleArticles
साधारण (General)Article 264 – 267
संघ और राज्यों के बीच राजस्वों का वितरण (Distribution of revenues between the Union and the States)Article 268 – 281
प्रकीर्ण वित्तीय उपबंध (Miscellaneous Financial Provisions)282 – 291*
* अनुच्छेद 291 को 26वें संविधान संशोधन अधिनियम 1971 की मदद से निरसित (Repealed) कर दिया गया है।

इस लेख में हम अनुच्छेद 267 को समझने वाले हैं; जो कि साधारण (General) के तहत आता है। हालांकि मोटे तौर पर समझने के लिए आप नीचे दिये गए लेख से स्टार्ट कर सकते हैं;

संचित निधि (Consolidate Fund), लोक लेखा (Public Account), आकस्मिक निधि (Contingency Fund)
Closely Related to Article 267

| अनुच्छेद 267 – आकस्मिकता निधि (Contingency Fund)

अनुच्छेद 267 के तहत आकस्मिकता निधि (Contingency Fund) का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल दो खंड आते हैं;

अनुच्छेद 267 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि संसद, विधि द्वारा, अग्रदाय के स्वरूप की एक आकस्मिकता निधि की स्थापना कर सकेगी जो “भारत की आकस्मिकता निधि” के नाम से ज्ञात होगी जिसमें ऐसी विधि द्वारा अवधारित राशियां समय-समय पर जमा की जाएंगी और अनवेक्षित व्यय का अनुच्छेद 115 या अनुच्छेद 116 के अधीन संसद्‌ द्वारा, विधि द्वारा, प्राधिकृत किया जाना लंबित रहने तक ऐसी निधि में से ऐसे व्यय की पूर्ति के लिए अग्रिम धन देने के लिए राष्ट्रपति को समर्थ बनाने के लिए उक्त निधि राष्ट्रपति के व्ययनाधीन रखी जाएगी।

अनुच्छेद के इस खंड के तहत भारत की आकस्मिकता निधि (contingency fund of India) का गठन किया गया है। इसे संसद विधि द्वारा छोटे खर्चों के लिए स्थापित कर सकती है इस फ़ंड में कितनी राशि डाली जाएगी यह भी संसद उसी विधि के माध्यम से तय करेगी।

इस निधि को राष्ट्रपति के निपटान में रखा जाएगा ताकि जब तक अनुच्छेद 115 या अनुच्छेद 116 के तहत संसद ऐसे व्यय को अधिकृत नहीं कर देता है तब तक उस समय उत्पन्न हुई अप्रत्याशित व्यय को पूरा करने के लिए राष्ट्रपति ऐसी निधि से अग्रिम भुगतान कर सके।

1951 में भारत में एक आकस्मिकता निधि अधिनियम पारित किया गया। जिसके तहत एक आकस्मिकता निधि का निर्माण किया गया। वर्तमान समय में ये निधि 500 करोड़ रुपए का है जो कि संचित निधि से इसमें डाला जाता है।

जैसा कि इसके नाम से ही स्पष्ट है ये आकस्मिक परिस्थितियों के लिए होता है; जहां जल्दी पैसों की जरूरत हो यानी कि संसद में इसके लिए मतदान होने तक रुकने का वक्त न हो। ऐसी स्थिति में कार्यपालिका इसमें से शीघ्र धन की निकासी कर सकता है।

जहां तक बात है अनुच्छेद 115↗ या अनुच्छेद 116↗ की तो अनुच्छेद 115 के तहत अनुपूरक (supplementary) एवं अतिरिक्त अनुदान (Additional Grant) की व्यवस्था की गई है। इसी तरह से अनुच्छेद 116 के तहत लेखानुदान (vote on account), प्रत्ययानुदान (vote of credit) एवं अपवादानुदान (grant of exception) की व्यवस्था की गई है। इसे विस्तार से समझने के लिए दिये गए लेख को पढ़ें;

अनुच्छेद 267 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि राज्य का विधान-मंडल, विधि द्वारा, अग्रदाय के स्वरूप की एक आकस्मिकता निधि की स्थापना कर सकेगा जो “राज्य की आकस्मिकता निधि” के नाम से ज्ञात होगी जिसमें ऐसी विधि द्वारा अवधारित राशियां समय-समय पर जमा की जाएंगी और अनवेक्षित व्यय का अनुच्छेद 205 या अनुच्छेद 206 के अधीन राज्य के विधान-मंडल द्वारा, विधि द्वारा, प्राधिकृत किया जाना लंबित रहने तक ऐसी निधि में से ऐसे व्यय की पूर्ति के लिए अग्रिम धन देने के लिए राज्यपाल को समर्थ बनाने के लिए उक्त निधि राज्य के राज्यपाल के व्ययनाधीन रखी जाएगी।

जिस तरह से खंड (1) के तहत भारत सरकार के लिए आकस्मिकता निधि की व्यवस्था की गई है उसी तरह से इस अनुच्छेद के दूसरे खंड के तहत राज्यों के लिए आकस्मिकता निधि की व्यवस्था की गई है। अंतर बस इतना है कि वहां पर संसद की जगह राज्य विधान मण्डल होता है और राष्ट्रपति की जगह राज्यपाल होता है।

और राज्यों के लिए अनुपूरक (supplementary) एवं अतिरिक्त अनुदान (Additional Grant) की व्यवस्था अनुच्छेद 205↗ के तहत की गई है। इसी तरह से लेखानुदान (vote on account), प्रत्ययानुदान (vote of credit) एवं अपवादानुदान (grant of exception) की व्यवस्था अनुच्छेद 206↗ के तहत की गई है; इसीलिए यहां पर इन दोनों अनुच्छेदों की चर्चा की गई है।

Article 267 in Nutshell

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 267 भारत सरकार की राज्यों के सरकार की आकस्मिकता निधि की स्थापना का प्रावधान करता है। आकस्मिकता निधि एक ऐसी निधि है जिसका उपयोग भारत सरकार के अप्रत्याशित खर्चों को पूरा करने के लिए किया जाता है। इसमें वे खर्च शामिल हैं जो भारत की समेकित निधि द्वारा कवर नहीं किए जाते हैं।

आकस्मिकता निधि की स्थापना केंद्र में संसद द्वारा और राज्यों में विधानमंडल विधि बनाकर की जाती है। बनाई गई विधि आकस्मिकता निधि में भुगतान की जाने वाली धनराशि निर्धारित करता है। आकस्मिकता निधि केंद्र में भारत के राष्ट्रपति के निपटान में रखी गई है, और राज्य में राज्यपाल के निपटान के लिए रखी गई है।

भारत के राष्ट्रपति अप्रत्याशित खर्चों को पूरा करने के लिए आकस्मिकता निधि से अग्रिम राशि ले सकते हैं। हालाँकि, राष्ट्रपति को आकस्मिकता निधि से की गई अग्रिम राशि के बारे में संसद को सूचित करना चाहिए। संसद को तब की गई प्रगति को मंजूरी देनी होगी। राज्यों में यह राज्यपालों पर लागू होता है।

आकस्मिकता निधि भारत सरकार एवं राज्य सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण निधि है। यह सुनिश्चित करता है कि सरकार के पास अप्रत्याशित खर्चों को पूरा करने के लिए आवश्यक संसाधन हैं।

यहां अप्रत्याशित खर्चों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं जिन्हें पूरा करने के लिए आकस्मिकता निधि का उपयोग किया जा सकता है:

◾ प्राकृतिक आपदाएँ, जैसे बाढ़, भूकंप और चक्रवात
◾ सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति, जैसे कोरोना महामारी
◾ युद्ध और आतंकवाद
◾ आर्थिक संकट

कुल मिलाकर आकस्मिकता निधि सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण सुरक्षा जाल है। यह सुनिश्चित करने में मदद करता है कि सरकार अप्रत्याशित घटनाओं की स्थिति में भी प्रभावी ढंग से कार्य करने में सक्षम है।

तो यही है अनुच्छेद 267 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि
भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview
Must Read

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

Related MCQs with Explanation

Q.1 Which of the following is NOT a provision of Article 267 of the Indian Constitution?

(a) The establishment of a Contingency Fund of India.
(b) The corpus of the Contingency Fund of India is Rs. 500 crores.
(c) The Secretary of the Finance Ministry holds the Contingency Fund of India on behalf of the President of India.
(d) The Contingency Fund of India can be used to meet any expense of the Government of India.

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Answer: (d), Explanation: Article 267 of the Indian Constitution does not state that the Contingency Fund of India can be used to meet any expense of the Government of India. The Contingency Fund of India can only be used to meet unforeseen expenses of the Government of India.

Q.2 Which of the following is the purpose of the Contingency Fund of India?

(a) To meet unforeseen expenses of the Government of India.
(b) To make payments for the expenses of the Government of India.
(c) To keep money that is not part of the Consolidated Fund of India.
(d) None of the above

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Answer: (a), Explanation: The Contingency Fund of India is a fund that is used to meet unforeseen expenses of the Government of India. This includes expenses that are not covered by the Consolidated Fund of India.

Q.3 Which of the following is NOT a limitation on the use of the Contingency Fund of India?

(a) The Contingency Fund of India can only be used to meet unforeseen expenses.
(b) The Contingency Fund of India cannot be used to meet expenses that are already covered by the Consolidated Fund of India.
(c) The Contingency Fund of India cannot be used to meet expenses that are not authorized by Parliament.
(d) The Contingency Fund of India can be used to meet any expense of the Government of India.

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Answer: (d), Explanation: The Contingency Fund of India can only be used to meet unforeseen expenses that are not already covered by the Consolidated Fund of India and that are authorized by Parliament.

Q.4 Which of the following is the most important implication of Article 267 of the Indian Constitution?

(a) It ensures that the Government of India has a fund to meet unforeseen expenses.
(b) It helps to maintain the financial stability of the Government of India.
(c) Both (a) and (b)
(d) None of the above

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Answer: (c), Explanation: Article 267 of the Indian Constitution ensures that the Government of India has a fund to meet unforeseen expenses, which helps to maintain the financial stability of the Government of India.

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अनुच्छेद 268 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 266 – भारतीय संविधान
Next and Previous to Article 267
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।