यह लेख अनुच्छेद 72 (Article 72) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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article 72

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📜 अनुच्छेद 72 (Article 72)

72. क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की राष्ट्रपति की शक्ति — (1) राष्ट्रपति को, किसी अपराध के लिए सिद्धदोष ठहराए गए किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसका प्रविलंबन, विराम या परिहार करने की अथवा दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की-

(क) उन सभी मामलों में, जिनमें दंड या दंडादेश सेना न्यायालय ने दिया है,
(ख) उन सभी मामलों में, जिनमें दंड या दंडादेश ऐसे विषय संबंधी किसी विधि के विरुद्ध अपराध के लिए दिया गया है जिस विषय तक संघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार है,
(ग) उन सभी मामलों में, जिनमें दंडादेश, मृत्यु दंडादेश है,
शक्ति होगी।

(2) खंड (1) के उपखंड (क) की कोई बात संघ के सशस्त्र बलों के किसी आफिसर की सेना न्यायालय द्वारा पारित दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की विधि द्वारा प्रदत्त शक्ति पर प्रभाव नहीं डालेगी।

(3) खंड (1) के उपखंड (ग) की कोई बात तत्समय प्रवृत्त किसी विधि के अधीन किसी राज्य के राज्यपाल 1*** द्वारा प्रयोक्त्तव्य मृत्यु दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की शक्ति पर प्रभाव नहीं डालेगी।
——————————
1. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 29 और अनुसूची द्वारा “या राजप्रमुख” शब्दों का (1-11-1956 से) लोप किया गया।
अनुच्छेद 72

72. Power of President to grant pardons, etc., and to suspend, remit or commute sentences in certain cases.—(1) The President shall have the power to grant pardons, reprieves, respites or remissions of punishment or to suspend, remit or commute the sentence of any person convicted of any
offence—

(a) in all cases where the punishment or sentence is by a Court Martial;
(b) in all cases where the punishment or sentence is for an offence against any law relating to a matter to which the executive power of the Union extends;
(c) in all cases where the sentence is a sentence of death.

(2) Nothing in sub-clause (a) of clause (1) shall affect the power conferred by law on any officer of the Armed Forces of the Union to suspend, remit or commute a sentence passed by a Court Martial.

(3) Nothing in sub-clause (c) of clause (1) shall affect the power to suspend, remit or commute a sentence of death exercisable by the Governor 1***of a State under any law for the time being in force.
—————————-
1. The words “or Rajpramukh” omitted by the Constitution (Seventh Amendment) Act, 1956, s. 29 and Sch. (w.e.f. 1-11-1956).
—Article 72—-

🔍 Article 72 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का पहला अध्याय है – कार्यपालिका (Executive)

कार्यपालिका के तहत अनुच्छेद 52 से लेकर 78 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के कार्यपालिका की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), उप-राष्ट्रपति (vice president), मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) एवं महान्यायवादी (Attorney General) आते हैं।

कार्यपालिका के तहत यहाँ प्रधानमंत्री की चर्चा इसीलिए नहीं की गई है क्योंकि मंत्रिपरिषद का मुखिया ही प्रधानमंत्री होता है।

यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अंतर्गत अनुच्छेद 52 से लेकर अनुच्छेद 151 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 71 को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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|अनुच्छेद 72 – क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की राष्ट्रपति की शक्ति

अनुच्छेद 72(1) के तहत राष्ट्रपति को किसी अपराध के लिए दोषसिद्ध व्यक्ति के दंडादेश (Sentence) को निलंबित, माफ या परिवर्तित कर सकने की शक्ति दी गई है। राष्ट्रपति इस प्रकार के निर्णय लेने को स्वतंत्र होता है।

संविधान के अनुच्छेद 72(1) में राष्ट्रपति को उन व्यक्तियों को क्षमा करने की शक्ति प्रदान की गयी है, जो निम्नलिखित मामलों में किसी अपराध के लिए दोषी करार दिये गए हैं:-

1. संघीय विधि के विरुद्ध किसी अपराध में दिये गए दंड में,
2. सैन्य न्यायालय द्वारा दिये गए दंड में, और:
3. यदि दंड का स्वरूप मृत्युदंड हो।

राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति न्यायपालिका से स्वतंत्र है। वह एक कार्यकारी शक्ति है परंतु राष्ट्रपति इस शक्ति का प्रयोग करने के लिए किसी न्यायालय की तरह पेश नहीं आता।

राष्ट्रपति को यह शक्ति देने का मुख्यतः दो कारण है: –

1. विधि के प्र्योग में होने वाली न्यायिक गलती को सुधारने के लिए,

2. यदि राष्ट्रपति दंड का स्वरूप अधिक कड़ा समझता है तो उसका बचाव प्रदान करने के लिए।

राष्ट्रपति और क्षमादान की शक्ति

अनुच्छेद 72(1) के तहत राष्ट्रपति अपराधी सिद्ध हो चुके किसी व्यक्ति के दंड को क्षमा, उसका प्रविलंबन, विराम या परिहार कर सकता है अथवा दंड के उस आदेश का निलंबन, परिहार या लघुकरण कर सकता है। आइये समझते हैं;-

1. क्षमा (Pardon)

इसमें दंड और बंदीकरण दोनों को हटा दिया जाता है तथा दोषी को सभी दंड (Punishment), दंडदेशों (Penalties) और निर्रहता (Helplessness) से पूर्णत: मुक्त कर दिया जाता है।

2. प्रतिलंबन (Reprieves)

इसका अर्थ है किसी दंड विशेषकर मृत्यु दंड पर अस्थायी रोक लगाना। इसका उद्देश्य है कि दोषी व्यक्ति को क्षमा याचना अथवा दंड के स्वरूप परिवर्तन की याचना के लिए समय देना।

3. विराम या परिहार (respites or remissions)

विराम का अर्थ है किसी दोषी को मूल रूप में दी गयी सजा को किन्ही विशेष परिस्थिति में कम करना, जैसे -शारीरिक अपंगता अथवा महिलाओं को गर्भावस्था की अवधि के कारण।

परिहार का अर्थ है, दंड के प्रकृति में परिवर्तन किए बिना उसकी अवधि कम करना। उदाहरण के लिए दो वर्ष के कठोर कारावास को एक वर्ष के कठोर कारावास में परिहार करना।

4. निलंबन (suspend)

इसका अर्थ है किसी दंड पर अस्थायी रोक लगाना।

2. परिहार या लघुकरण (remit or commute)

लघुकरण का अर्थ है कि दंड के स्वरूप को बदलकर कम करना । उदाहरण के लिए, मृत्युदण्ड का लघुकरण कर कठोर कारावास में परिवर्तित करना, जिसे साधारण कारावास में परिवर्तित किया जा सकता है।

परिहार का अर्थ है, दंड के प्रकृति में परिवर्तन किए बिना उसकी अवधि कम करना। उदाहरण के लिए दो वर्ष के कठोर कारावास को एक वर्ष के कठोर कारावास में परिहार करना।

याद रखने योग्य बातें

1. अनुच्छेद 72 के तहत राष्ट्रपति को प्राप्त क्षमादान की शक्ति इस अनुच्छेद के अधीन एक कार्यपालक शक्ति है और उसका प्रयोग केंद्र सरकार की सलाह पर किया जाएगा।

2. क्षमा की याचना करने वाले को राष्ट्रपति के समक्ष मौखिक सुनवाई का कोई अधिकार नहीं है।

3. न्यायालय इस अनुच्छेद के अधीन राष्ट्रपति की शक्ति के विस्तार पर विचार कर सकता है किन्तु राष्ट्रपति के डिसिजन के क्वालिटी पर विचार नहीं कर सकता। राष्ट्रपति का निर्णय न्यायालय के निर्णय से भिन्न हो सकता है।

अनुच्छेद 72(2) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि खंड (1) के उपखंड (क) की कोई बात संघ के सशस्त्र बलों के किसी आफिसर की सेना न्यायालय द्वारा पारित दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की विधि द्वारा प्रदत्त शक्ति पर प्रभाव नहीं डालेगी। यानि कि सैन्य न्यायालय भी निलंबन, परिहार या लघुकरण कर सकती है।

अनुच्छेद 72(3) (3) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि खंड (1) के उपखंड (ग) की कोई बात उस समय लागू किसी विधि के अधीन किसी राज्य के राज्यपाल द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले मृत्यु दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की शक्ति पर प्रभाव नहीं डालेगी।

कहने का अर्थ है कि राज्यपाल भी राज्य विधि के तहत किसी अपराध मे सजा प्राप्त व्यक्ति को क्षमादान कर सकता है या दंड को स्थगित कर सकता है।

लेकिन याद रखिए कि राज्यपाल मृत्युदंड की सजा को माफ नहीं कर सकता, चाहे किसी को राज्य विधि के तहत मौत की सजा मिली भी हो। उस व्यक्ति को राज्यपाल की बजाए राष्ट्रपति से क्षमा याचना करनी होगी। लेकिन राज्यपाल इसे स्थगित कर सकता है। या पुनर्विचार के लिय कह सकता है।

इसके अलावा राज्यपाल को कोर्ट मार्शल (सैन्य अदालत) के तहत सजा प्राप्त व्यक्ति की सजा माफ करने की कोई शक्ति प्राप्त नहीं है।

राष्ट्रपति चुनाव की पूरी प्रक्रिया समझने के लिए पढ़ें –  राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया

तो यही है अनुच्छेद 72 (Article 72), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

अनुच्छेद-52 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
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FAQ. अनुच्छेद 72 (Article 72) क्या है?

अनुच्छेद 72, क्षमा आदि की और कुछ मामलों में दंडादेश के निलंबन, परिहार या लघुकरण की राष्ट्रपति की शक्ति के बारे में है। इसी अनुच्छेद से राष्ट्रपति को शक्ति मिलती है कि वह किसी व्यक्ति के मृत्युदंड को माफ कर सकता है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

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