यह लेख Article 245 (अनुच्छेद 245) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 245 (Article 245) – Original
भाग 11 [संघ और राज्यों के बीच संबंध] |
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245. संसद् द्वारा और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों का विस्तार— (1) इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, संसद् भारत के संपूर्ण राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकेगी और किसी राज्य का विधान-मंडल संपूर्ण राज्य या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकेगा। (2) संसद् द्वारा बनाई गई कोई विधि इस आधार पर अविधिमान्य नहीं समझी जाएगी कि उसका राज्यक्षेत्रातीत प्रवर्तन होगा। |
Part XI [RELATIONS BETWEEN THE UNION AND THE STATES] |
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245. Extent of laws made by Parliament and by the Legislatures of States— (1) Subject to the provisions of this Constitution, Parliament may make laws for the whole or any part of the territory of India, and the Legislature of a State may make laws for the whole or any part of the State. (2) No law made by Parliament shall be deemed to be invalid on the ground that it would have extra-territorial operation. |
🔍 Article 245 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 11, अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 263 तक कुल 2 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | विधायी संबंध (Legislative Relations) | Article 245 – 255 |
II | प्रशासनिक संबंध (Administrative Relations) | Article 256 – 263 |
जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग केंद्र-राज्य सम्बन्धों (Center-State Relations) के बारे में है। जिसके तहत मुख्य रूप से दो प्रकार के सम्बन्धों की बात की गई है – विधायी और प्रशासनिक।
भारत में केंद्र-राज्य संबंध देश के भीतर केंद्र सरकार और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच शक्तियों, जिम्मेदारियों और संसाधनों के वितरण और बंटवारे को संदर्भित करते हैं।
ये संबंध भारत सरकार के संघीय ढांचे के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसा कि भारत के संविधान में परिभाषित किया गया है। संविधान केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की शक्तियों और कार्यों का वर्णन करता है, और यह राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करते हुए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है।
अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 255 तक मुख्य रूप से विधायी शक्तियों के वितरण (distribution of legislative powers) का वर्णन है। और यह भाग केंद्र-राज्य संबन्धों से जुड़े बहुत सारे कॉन्सेप्टों को आधार प्रदान करता है; जिसमें से कुछ प्रमुख है;
- शक्तियों का विभाजन (division of powers)
- अवशिष्ट शक्तियां (residual powers)
- अंतर-राज्य परिषद (inter-state council)
- सहकारी संघवाद (cooperative federalism) और
- केंद्र-राज्य के मध्य विवाद समाधान (Dispute resolution between center and state)
इस लेख में हम अनुच्छेद 245 को समझने वाले हैं; लेकिन अगर आप इस पूरे टॉपिक को एक समग्रता से (मोटे तौर पर) Visualize करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लेख से शुरुआत कर सकते हैं;
⚫ केंद्र-राज्य विधायी संबंध Center-State Legislative Relations) |
| अनुच्छेद 245 – संसद् द्वारा और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों का विस्तार (Extent of laws made by Parliament and by the Legislatures of States)
अनुच्छेद 245 के तहत संसद् द्वारा और राज्यों के विधान-मंडलों द्वारा बनाई गई विधियों का विस्तार का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल दो खंड आते हैं;
अनुच्छेद 245 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, संसद् भारत के संपूर्ण राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकेगी और किसी राज्य का विधान-मंडल संपूर्ण राज्य या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकेगा।
यहां दो बातें हैं;
पहली बात) संसद् भारत के संपूर्ण राज्यक्षेत्र या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकेगी;
दूसरी बात) राज्य का विधान-मंडल संपूर्ण राज्य या उसके किसी भाग के लिए विधि बना सकेगा।
अनुच्छेद 245 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि संसद् द्वारा बनाई गई कोई विधि इस आधार पर अविधिमान्य नहीं समझी जाएगी कि उसका राज्यक्षेत्रातीत प्रवर्तन होगा।
कहने का अर्थ है कि संसद द्वारा बनाया गया कोई भी कानून इस आधार पर अमान्य नहीं माना जाएगा कि इसका संचालन राज्येतर होगा।
कुल मिलाकर यह अनुच्छेद यह बताता है कि केंद्र और राज्य के विधान बनाने की सीमाएं क्या-क्या है। संविधान, केंद्र और राज्यों के विधायी शक्तियों के संबंध में सीमाओं को लेकर, अनुच्छेद 245 के तहत निम्न प्रावधान की व्यवस्था करता है,
◼ संसद के पास पूरे भारत या इसके किसी भी क्षेत्र के लिए कानून बनाने अधिकार है। यहीं नहीं संसद द्वारा बनाया गया कानून भारतीय नागरिक एवं उनकी विश्व में कहीं भी संपत्ति पर भी लागू होता है।
◼ राज्य विधानमंडल की बात करें तो राज्य विधानमंडल सिर्फ उस राज्य के लिए कानून बना सकती है।
कुछ विशेष स्थितियों को छोड़ दे तो उसके अलावा राज्य विधानमंडल द्वारा निर्मित कानून राज्य के बाहर के क्षेत्रों में लागू नहीं होता है।
तो यही है अनुच्छेद 245, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |