इस लेख में हम बैंक ऋण और बॉन्ड के बीच अंतर (bond and loan difference) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे,

हालांकि बॉन्ड (Bond) और बैंक ऋण (Bank loan) दोनों ऋण से ही संबंधित है, फिर भी इसमें अंतर है, तो आइये जानते हैं; [Like – Facebook Page]

नोट – अगर आप शेयर मार्केट के बेसिक्स को ज़ीरो लेवल से समझना चाहते हैं तो आपको पार्ट 1 से शुरुआत करनी चाहिए।

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| बॉन्ड और बैंक ऋण में अंतर

चाहे बॉन्ड की बात करें या फिर बैंक लोन की दोनों होता लोन (ऋण) ही है लेकिन फिर भी इन दोनों में काफी अंतर है। आइये देखते हैं वो क्या है।

◼ बैंक लोन किसी बैंक द्वारा जारी किया जाता है यानी कि बैंक यहाँ पैसा देता है। जबकि बॉन्ड की बात करें तो ये सरकार या कंपनी द्वारा जारी किया जाता है और पैसा आमतौर पर लोग यहाँ पैसे सरकार को या कंपनी को देते हैं।

◼ दूसरे शब्दों में कहें तो बैंक लोन वो लोन है जो बैंक द्वारा जारी किया जाता है और बैंक उसके बदले ब्याज लेता है। वहीं बॉन्ड एक ऐसा उपकरण है जो जारी तो सरकार या कंपनियाँ करती है पर पैसे जनता देता है और इस बार जनता उस पैसे पर सरकार या कंपनियों से ब्याज लेती है।

◼ बॉन्ड और लोन में जो सबसे महत्वपूर्ण अंतर है वो ये है कि बॉन्ड व्यापार योग्य होता है यानी कि अगर आप बॉन्ड खरीदते है तो आप उसे बॉन्ड मार्केट में बेच भी सकते है। दूसरे शब्दों में कहें तो बॉन्ड की खरीद-बिक्री बिल्कुल शेयर की तरह ही होती है, शेयर की तरह बॉन्ड का भी मार्केट प्राइस घटता-बढ़ता रहता है।

वहीं लोन की बात करें तो ये बस बैंक और ग्राहक के बीच एक समझौता (agreement) है जिसमें बैंक के पास सारे नीतिगत फैसले लेने के अधिकार होते है और लोन के टर्म और कंडिशन क्या होंगे ये वहीं तय करते है। और सबसे महत्वपूर्ण बात ये कि इसके लिए ऐसा कोई बाज़ार नहीं है जहां पर आप इसकी खरीद-बिक्री कर सकें, यानी कि समान्यतः ये व्यापार योग्य नहीं होता है।

◼ बॉन्ड का इंटरेस्ट रेट (Interest rate) फ़िक्स्ड होता है जबकि लोन का इंटरेस्ट रेट फ़िक्स्ड भी हो सकता है या नहीं भी। ये रेपो रेट और उस अमुक बैंक पर निर्भर करता है।

कुल मिलाकर यही है बॉन्ड और बैंक लोन में अंतर, उम्मीद है समझ में आया होगा। नीचे अन्य लेखों का लिंक दिया हुआ है उसे भी अवश्य पढ़ें-

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