यह लेख Article 210 (अनुच्छेद 210) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 210 (Article 210) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [साधारण प्रक्रिया] |
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210. विधान-मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा — (1) भाग 17 में किसी बात के होते हुए भी, किन्तु अनुच्छेद 348 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य के विधान-मंडल में कार्य राज्य की राजभाषा या राजभाषाओं में या हिंदी में या अंग्रेजी में किया जाएगा। परंतु, यथास्थिति, विधान सभा का अध्यक्ष या विधान परिषद् का सभापति अथवा उस रूप में कार्य करने वाला व्यक्ति किसी सदस्य को, जो पूर्वोक्त भाषाओं में से किसी भाषा में अपनी पर्याप्त अभिव्यक्ति नहीं कर सकता है, अपनी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुज्ञा दे सकेगा। (2) जब तक राज्य का विधान-मंडल विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि की समाप्ति के पश्चात् यह अनुच्छेद ऐसे प्रभावी होगा मानो “या अंग्रेजी में” शब्दों का उसमें से लोप कर दिया गया हो : 1[परंतु 2[हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा राज्यों के विधान-मंडलो] के संबंध में यह खंड इस प्रकार प्रभावी होगा मानो इसमें आने वाले “पंद्रह वर्ष” शब्दों के स्थान पर “पच्चीस वर्ष” शब्द रख दिए गए हों :] 3[परंतु यह और कि 4-5[अरुणाचल प्रदेश, गोवा और मिजोरम राज्यों के विधान-मंडलों]] के संबंध में यह खंड इस प्रकार प्रभावी होगा मानो इसमें आने वाले “पंद्रह वर्ष” शब्दों के स्थान पर “चालीस वर्ष” शब्द रख दिए गए हों।] =========== 1. हिमाचल प्रदेश राज्य अधिनियम, 1970 (1970 का 53) का धारा 46 द्वारा (25-1-1971] से) अंतःस्थापित। 2. पूर्वोत्तर क्षेत्र (पुनर्गठन) अधिनियम, 1971 (1971 का 81 की धारा 71 द्वारा (21-1-972 से) “हिमाचल प्रदेश राज्य के विधान-मंडल्” के स्थान पर प्रतिस्थापित। 3. मिजोरम राज्य अधिनियम, 1986 (1986 का 34) की धारा 39 द्वारा (20-2-1987 से) अंतःस्थापित। 4. अरुणाचल्र प्रदेश राज्य अधिनियम, 1986 (1986 का 69) की धारा 42 द्वारा (30-5-1987 से) “मजोरम राज्य के विधान-मंडल” के स्थान पर प्रतिस्थापित। 5. गोवा, दमण और दीव पुनर्गठन अधिनियम, 1987 (1987 का 18) का धारा 63 द्वारा (30-5-1987 से) “अरुणाचल प्रदेश और मिजोरम” के स्थान पर प्रतिस्थापित। |
Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [Procedure Generally] |
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210. Language to be used in the Legislature—(1) Notwithstanding anything in Part XVII, but subject to the provisions of article 348, business in the Legislature of a State shall be transacted in the official language or languages of the State or in Hindi or in English: Provided that the Speaker of the Legislative Assembly or Chairman of the Legislative Council, or person acting as such, as the case may be, may permit any member who cannot adequately express himself in any of the languages aforesaid to address the House in his mother-tongue. (2) Unless the Legislature of the State by law otherwise provides, this article shall, after the expiration of a period of fifteen years from the commencement of this Constitution, have effect as if the words “or in English” were omitted therefrom: 1[Provided that in relation to the 2[Legislatures of the States of Himachal Pradesh, Manipur, Meghalaya and Tripura] this clause shall have effect as if for the words “fifteen years” occurring therein, the words “twenty-five years” were substituted:] 3[Provided further that in relation to the 4 [Legislatures of the States of 5[Arunachal Pradesh, Goa and Mizoram]], this clause shall have effect as if for the words “fifteen years” occurring therein, the words “forty years” were substituted.] ============= 1. Ins. by the State of Himachal Pradesh Act, 1970 (53 of 1970), s. 46 (w.e.f. 25-1-1971). 2. Subs. by the North-Eastern Areas (Reorganisation) Act, 1971 (81 of 1971), s. 71, for “Legislature of the State of Himachal Pradesh” (w.e.f. 21-1-1972). 3. Ins. by the State of Mizoram Act, 1986 (34 of 1986), s. 39 (w.e.f. 20-2-1987). 4. Subs. by the State of Arunachal Pradesh Act, 1986 (69 of 1986), s. 42, for “Legislature of the State of Mizoram” (w.e.f. 20-2-1987). 5. Subs. by the Goa, Daman and Diu Reorganisation Act, 1987 (18 of 1987), s. 63, for “Arunachal Pradesh and Mizoram” (w.e.f. 30-5-1987). |
🔍 Article 210 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।
इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Chapter 3 [Sub-Chapters] | Articles |
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साधारण (General) | Article 168 – 177 |
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature) | Article 178 – 187 |
कार्य संचालन (Conduct of Business) | Article 188 – 189 |
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members) | Article 190 – 193 |
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members) | Article 194 – 195 |
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure) | Article 196 – 201 |
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters) | Article 202 – 207 |
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally) | Article 208 – 212 |
इस लेख में हम साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally) के तहत आने वाले अनुच्छेद 210 को समझने वाले हैं।
⚫ अनुच्छेद 120 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 210 – विधान-मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा (Language to be used in the Legislature)
भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।
◾ केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।
अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।
जिस तरह से अनुच्छेद 120 के तहत केंद्र के लिए संसद में प्रयोग की जाने वाली भाषा की व्यवस्था की गई है उसी तरह से अनुच्छेद 210 के तहत राज्यों के लिए विधान-मंडल में प्रयोग की जाने वाली भाषा की व्यवस्था की गई है।
अनुच्छेद 210 के तहत कुल 2 खंड है;
Article 210(1) के तहत बताया गया है कि संविधान के भाग 17 में किसी बात के होते हुए भी, किन्तु अनुच्छेद 348 के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य के विधान-मंडल में कार्य राज्य की राजभाषा या राजभाषाओं में या हिंदी में या अंग्रेजी में किया जाएगा।
यहाँ पर दो बातें हैं;
पहली बात तो ये कि विधानमंडल का कार्य हिन्दी में या अंग्रेजी में किया जाएगा।
दूसरी बात ये कि यह प्रावधान संविधान के भाग 17 में किसी बात के होते हुए भी लेकिन अनुच्छेद 348 के उपबंधों के अधीन है।
दरअसल संविधान का भाग 17 (जो कि अनुच्छेद 343 से 351 तक फैला है) राजभाषा से संबन्धित है। जिसके तहत संघ की भाषा और प्रादेशिक भाषा के बारे में उपबंधों को बताया गया है।
इसी भाग के अध्याय 3 के तहत अनुच्छेद 348 में उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालय में प्रयोग होने वाली भाषाओं का जिक्र है। जिसके तहत यह लिखा हुआ है कि उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय में कार्यवाही की भाषा अंग्रेजी होगी। इसीलिए अनुच्छेद 210(1) को अनुच्छेद 348 के उपबंधों के अधीन रखा गया है।
हालांकि इसका ये मतलब नहीं है कि सदन में इन दोनों भाषाओं को छोड़कर कोई और भाषा का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है, विधान सभा का अध्यक्ष या विधान परिषद् का सभापति, किसी सदस्य को जो हिन्दी या अंग्रेजी भाषाओं में से किसी भाषा में अपनी पर्याप्त अभिव्यक्ति नहीं कर सकता है, अपनी मातृभाषा में सदन को संबोधित करने की अनुज्ञा दे सकेगा।
कहने का अर्थ है कि अगर पीठासीन अधिकारी चाहे तो सदस्य को अपनी मातृभाषा में भी बोलने का अधिकार दे सकता है।
Article 210(2) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि जब तक राज्य का विधान-मंडल विधि द्वारा अन्यथा उपबंध न करे तब तक इस संविधान के प्रारंभ से पंद्रह वर्ष की अवधि की समाप्ति के पश्चात् यह अनुच्छेद ऐसे प्रभावी होगा मानो “या अंग्रेजी में” शब्दों का उसमें से लोप कर दिया गया हो:
संविधान लागू होने से पहले भाषा पर संविधान सभा के सदस्यों में काफी मतभेद था कुछ सदस्य हिन्दी के पक्ष में थे तो कुछ अंग्रेजी के पक्ष में।
इसी मतभेद के कारण जब संविधान लागू हुआ तब किसी भी भाषा को राष्ट्रभाषा नहीं बनाया गया बल्कि हिन्दी और अंग्रेजी दोनों को सदन की कार्यवाही की भाषा घोषित की गई।
ये व्यवस्था की गई थी कि 15 वर्ष तक अंग्रेजी चलने देते हैं इसके बाद वो खुद ही खत्म हो जाएगा लेकिन ऐसा हुआ नहीं 1963 में राजभाषा अधिनियम बना जिसमें हिन्दी के साथ-साथ अंग्रेजी की निरंतरता की भी अनुमति दी गयी।
अनुच्छेद 210 के खंड (2) में यही लिखा हुआ है कि अगर कोई राज्य विधानमंडल अंग्रेजी को इस्तेमाल करना चाहता है तो उसे संविधान लागू होने के 15 वर्ष बाद विधि द्वारा उपबंध करना होगा। नहीं तो अंग्रेजी अपने आप ही समाप्त हो जाएगी।
हालांकि अनुच्छेद के इस खंड के तहत दो परंतुक (Proviso) भी है;
पहला) हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा राज्यों के विधान-मंडलो के संबंध में “पंद्रह वर्ष” के स्थान पर “पच्चीस वर्ष” का सिद्धांत काम करेगा;
दूसरा) अरुणाचल प्रदेश, गोवा और मिजोरम राज्यों के विधान-मंडलों के संबंध में “पंद्रह वर्ष” के स्थान पर “चालीस वर्ष” का सिद्धांत काम करेगा।
राजभाषा को लेकर भारत सरकार की एक आधिकारिक साइट है जिसका इस्तेमाल आप कई दिलचस्प जानकारियों के लिए कर सकते हैं; https://rajbhasha.gov.in
तो यही है Article 210, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि ◾ भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
Related MCQs with Explanation
Q.1 Which of the following is the official language of the Union of India?
(a) Hindi
(b) English
(c) Both Hindi and English
(d) None of the above
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Q.2 Which of the following languages can be used in the Parliament of India?
(a) Hindi
(b) English
(c) Any of the Eighth Schedule languages
(d) All of the above
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Q.3 The Official Languages Act, 1963 was enacted to:
(a) Make Hindi the sole official language of the Union of India
(b) Extend the use of English for official purposes of the Union indefinitely
(c) Promote the use of Hindi and English as official languages of the Union of India
(d) None of the above
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Q.4 Which of the following is the most important consideration in determining the language to be used in the Legislature?
(a) The official language of the Union of India
(b) The regional languages of the State in which the Legislature is located
(c) The comfort and convenience of the members of the Legislature
(d) All of the above
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⚫ अनुच्छेद 211 – भारतीय संविधान |
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⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |