यह लेख Article 209 (अनुच्छेद 209) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 209 (Article 209) – Original

भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [साधारण प्रक्रिया]
209. राज्य के विधानमंडल में वित्तीय कार्य संबंधी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन — किसी राज्य का विधान मण्डल, वित्तीय कार्य को समय के भीतर पूरा करने के प्रयोजन के लिए किसी वित्तीय विषय से संबंधित या राज्य की संचित निधि में से धन का विनियोग करने के लिए किसी विधेयक से संबंधित, राज्य के विधान-मंडल के सदन या सदनों की प्रक्रिया और कार्य संचालन का विनियमन विधि द्वारा कर सकेगा तथा यदि और जहां तक इस प्रकार बनाई गई किसी विधि का कोई उपबंध अनुच्छेद 208 के खंड (1) के अधीन राज्य के विधान-मंडल के सदन या किसी सदन द्वारा बनाए गए नियम से या उस अनुच्छेद के खंड (2) के अधीन राज्य विधान-मंडल के संबंध में प्रभावी किसी नियम या स्थायी आदेश से असंगत है तो और वहां तक ऐसा उपबंध अभिभावी होगा।
अनुच्छेद 209 हिन्दी संस्करण

Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [Procedure Generally]
209. Regulation by law of procedure in the Legislature of the State in relation to financial business—The Legislature of a State may, for the purpose of the timely completion of financial business, regulate by law the procedure of, and the conduct of business in, the House or Houses of the Legislature of the State in relation to any financial matter or to any Bill for the appropriation of moneys out of the Consolidated Fund of the State, and, if and so far as any provision of any law so made is inconsistent with any rule made by the House or either House of the Legislature of the State under clause (1) of article 208 or with any rule or standing order having effect in relation to the Legislature of the State under clause (2) of that article, such provision shall prevail.
Article 209 English Version

🔍 Article 209 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iसाधारण (General)Article 152
IIकार्यपालिका (The Executive)Article 153 – 167
IIIराज्य का विधान मंडल (The State Legislature)Article 168 – 212
IVराज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor)Article 213
Vराज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)Article 214 – 232
VIअधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)Article 233 – 237
[Part 6 of the Constitution]

जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।

इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Chapter 3 [Sub-Chapters]Articles
साधारण (General)Article 168 – 177
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature)Article 178 – 187
कार्य संचालन (Conduct of Business)Article 188 – 189
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members)Article 190 – 193
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members)Article 194 – 195
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure)Article 196 – 201
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters)Article 202 – 207
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally) Article 208 – 212
[Part 6 of the Constitution]

इस लेख में हम साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally) के तहत आने वाले अनुच्छेद 209 को समझने वाले हैं।

अनुच्छेद 119 – भारतीय संविधान
Closely Related to Article 209

| अनुच्छेद 209 – राज्य के विधानमंडल में वित्तीय कार्य संबंधी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन (Regulation by law of procedure in the Legislature of the State in relation to financial business)

भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।

केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।

जिस तरह से अनुच्छेद 119 के तहत केंद्र के लिए राज्य के विधानमंडल में वित्तीय कार्य संबंधी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन की व्यवस्था की गई है उसी तरह से अनुच्छेद 209 के तहत राज्यों के लिएराज्य के विधानमंडल में वित्तीय कार्य संबंधी प्रक्रिया का विधि द्वारा विनियमन की व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद 208 के तहत हमने समझा था कि संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए, राज्य के विधान-मंडल का कोई सदन अपनी प्रक्रिया और अपने कार्य संचालन के विनियमन के लिए नियम बना सकेगा। अनुच्छेद 209 उसी अनुच्छेद का अगला भाग है;

अनुच्छेद 209  के तहत कहा गया है कि किसी राज्य का विधान मण्डल, वित्तीय कार्य को समय के भीतर पूरा करने के प्रयोजन के लिए किसी वित्तीय विषय से संबंधित या राज्य की संचित निधि में से धन का विनियोग करने के लिए किसी विधेयक से संबंधित, राज्य के विधान-मंडल के सदन या सदनों की प्रक्रिया और कार्य संचालन का विनियमन विधि द्वारा कर सकेगा तथा यदि और जहां तक इस प्रकार बनाई गई किसी विधि का कोई उपबंध अनुच्छेद 208 के खंड (1) के अधीन राज्य के विधान-मंडल के सदन या किसी सदन द्वारा बनाए गए नियम से या उस अनुच्छेद के खंड (2) के अधीन राज्य विधान-मंडल के संबंध में प्रभावी किसी नियम या स्थायी आदेश से असंगत है तो और वहां तक ऐसा उपबंध अभिभावी होगा।

अनुच्छेद 209 के तहत मुख्य रूप से दो बातें कही गई है;

पहली बात तो ये कि विधानमंडल के पास, विधानमंडल के प्रत्येक सदन में किसी भी वित्तीय मामले में किसी भी प्रक्रिया को कानूनी रूप से विनियमित करने का अधिकार है।

साथ ही विधानमंडल के पास किसी भी मामले में किसी भी प्रक्रिया को कानूनी रूप से विनियमित करने का अधिकार है जो विधानमंडल के प्रत्येक सदन में राज्य की संचित निधि से निकाले जाने वाले धन के विनियोग से संबंध रखने वाले किसी भी विधेयक से संबंधित है।

यह शक्ति विधानमंडल को इसीलिए प्राप्त है ताकि वित्तीय कार्य को समय के भीतर पूरा किया जा सके।

दूसरी बात ये कि यदि अनुच्छेद 209 का इस्तेमाल करके बनाई गई किसी विधि का कोई उपबंध अनुच्छेद 2088 के खंड (1) और (2) के अधीन विधानमंडल के किसी सदन द्वारा बनाए गए नियम या किसी स्थायी आदेश से असंगत है। तब भी भारतीय संविधान के अनुच्छेद 209 के तहत कानून लागू होगा।

अगर हम भारतीय संविधान का अनुच्छेद 208 देखें तो वहाँ यह कहा गया है की विधानमंडल के दोनों सदन प्रक्रिया और कार्य संचालन के लिए नियम (Rules) बना सकेंगे। वहीं भारतीय संविधान का अनुच्छेद 209 को देखें तो इसमें वित्तीय मामलों और व्यापार के संचालन से संबंधित कानून (law) बनाया जा सकता है।

इसीलिए हम यह देखते हैं कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 209 में वित्तीय मामलों से संबंधित कानून बनाने के मामले में अन्य अनुच्छेदों की तुलना में अधिक शक्तियाँ और अधिकार हैं।

अनुच्छेद 202 से जो वित्तीय विषयों से संबन्धित प्रक्रिया की शुरुआत होती है, अनुच्छेद 209 को हम उसी का विस्तार मान सकते हैं।

कुल मिलाकर देखें तो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 208 के तहत विधानमंडल का कोई सदन सिर्फ वित्तीय मामलों से संबंधित नियम (Rules) बना सकता है। लेकिन भारतीय संविधान का अनुच्छेद 209 वित्तीय मामलों और व्यापार के संचालन (Conduct of Business) से संबंधित कानून (Law) बनाने के मामले में प्रभावी है।

तो यही है अनुच्छेद 209 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि
भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview
Must Read

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Chapter Wise Polity Quiz

विधानमंडल में विधायी प्रक्रिया अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions – 5 
  2. Passing Marks – 80 %
  3. Time – 4 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

1 / 5

विधनमंडलीय प्रक्रिया के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. दो सत्रों के बीच 8 माह से अधिक का समय नहीं होना चाहिए।
  2. विधानसभा अध्यक्ष बैठक को किसी समय विशेष के लिए स्थगित कर सकता है।
  3. संसद की तरह राज्य विधानमंडल को भी वर्ष में कम से कम दो बार मिलना होता है।
  4. सत्र के बीच में सत्रावसान की घोषणा नहीं की जा सकती है।

2 / 5

दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. विधानमंडल के मामले में दोनों सदनों की संयुक्त बैठक की व्यवस्था नहीं है।
  2. यदि कोई विधेयक विधानपरिषद में निर्मित हो और उसे विधानसभा उसे अस्वीकृत कर दे तो विधेयक समाप्त हो जाता है।
  3. ज्यादा से ज्यादा परिषद एक विधेयक को चार माह के लिए रोक सकती है।
  4. विधानपरिषद को केंद्र में राज्यसभा को तुलना में कम अधिकार या महत्व दिया गया है।

3 / 5

जब कोई विधेयक विधानसभा से पारित होने के बाद विधान परिषद में भेजा जाता है तो परिषद इनमें से क्या नहीं कर सकता है?

  1. कुछ संशोधनों के बाद पारित कर परिषद विचारार्थ इसे विधानसभा को भेज सकता है।
  2. परिषद इस पर बिना किसी कारवाई के लंबित रख सकता है।
  3. परिषद तीन बार तक विधेयक को अस्वीकृत कर सकता है।
  4. परिषद विधेयक को ज्यादा से ज्यादा 6 महीने तक रोक के रख सकता है।

4 / 5

दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. धन विधेयक विधानपरिषद में पेश नहीं किया जा सकता।
  2. राज्यपाल धन विधेयक को सिर्फ एक बार पुनर्विचार के लिए सदन को वापस भेज सकता है।
  3. ऐसा विधेयक जो विधान परिषद में लंबित हो लेकिन विधानसभा द्वारा पारित हो, को खारिज नहीं किया जा सकता।
  4. ऐसा विधेयक जो विधानसभा द्वारा पारित हो लेकिन राष्ट्रपति द्वारा सदन के पास पुनर्विचार हेतु लौटाया गया हो को समाप्त नहीं किया जा सकता।

5 / 5

विधानसभा में साधारण कानून बनाने की प्रक्रिया के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. विधेयक प्रारम्भिक सदन में संसद के विपरीत सिर्फ दो स्तरों से गुजरता है;. प्रथम पाठन एवं द्वितीय पाठन।
  2. दोनों स्तरों से गुजरने के बाद उस विधेयक को दूसरे सदन में भेज दिया जाता है।
  3. दूसरे सदन में उस विधेयक को तीन स्तरों से गुजरना होता है।
  4. एक सदनीय व्यवस्था वाले विधानमंडल में विधेयक पारित कर सीधे राज्यपाल के पास भेज दिया जाता है।

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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।