यह लेख Article 230 (अनुच्छेद 230) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 230 (Article 230) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 5 — राज्य का विधान मंडल] [राज्यों के उच्च न्यायालय] |
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1[230. उच्च न्यायालयों की अधिकारिता का संघ राज्यक्षेत्रों पर विस्तार— (1) संसद, विधि द्वारा, किसी संघ राज्यक्षेत्र पर किसी उच्च न्यायालय की अधिकारिता का विस्तार कर सकेगी या किसी संघ राज्यक्षेत्र से किसी उच्च न्यायालय की अधिकारिता का अपवर्जन कर सकेगी। (2) जहां किसी राज्य का उच्च न्यायालय किसी संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करता है, वहां— (क) इस संविधान की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह उस राज्य के विधान-मंडल को उस अधिकारिता में वृद्धि, उसका निर्बंधन या उत्सादन करने के लिए सशक्त करती है ; और (ख) उस राज्यक्षेत्र में अधीनस्थ न्यायालयों के लिए किन्हीं नियमों, प्ररूपों या सारणियों के संबंध में, अनुच्छेद 227 में राज्यपाल के प्रति निर्देश का, यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह राष्ट्रपति के प्रति निर्देश है।] ============ 1. संविधान (सातवां संशोधन) अधिनियम, 1956 की धारा 6 द्वारा (1-11-1956 से) अनुच्छेद 230, 231 और 232 के स्थान पर अनुच्छेद 230 और 231 प्रतिस्थापित। |
Part VI “State” [CHAPTER V — The State Legislature] [The High Courts in the States] |
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1[230. Extension of jurisdiction of High Courts to Union territories.— (1) Parliament may by law extend the jurisdiction of a High Court to, or exclude the jurisdiction of a High Court from, any Union territory. (2) Where the High Court of a State exercises jurisdiction in relation to a Union territory,— (a) nothing in this Constitution shall be construed as empowering the Legislature of the State to increase, restrict or abolish that jurisdiction; and (b) the reference in article 227 to the Governor shall, in relation to any rules, forms or tables for subordinate courts in that territory, be construed as a reference to the President.] ======================= 1. Subs. by s. 16, ibid., for arts. 230, 231 and 232 (w.e.f. 1-11-1956). |
🔍 Article 230 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 5 का नाम है “राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 214 से लेकर 232 तक है। इस लेख में हम अनुच्छेद 230 को समझने वाले हैं;
⚫ अनुच्छेद 141 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 230 – उच्च न्यायालयों की अधिकारिता का संघ राज्यक्षेत्रों पर विस्तार (Extension of jurisdiction of High Courts to Union territories)
न्याय (Justice) लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।
भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय (High Court) आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Court)।
संविधान का भाग 6, अध्याय V, राज्यों के उच्च न्यायालय की बात करता है। अनुच्छेद 230 के तहत उच्च न्यायालयों की अधिकारिता का संघ राज्यक्षेत्रों पर विस्तार का प्रावधान है।
अनुच्छेद 229 के तहत कुल दो खंड आते हैं;
Article 230 clause 1 explanation
अनुच्छेद 229 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि संसद, विधि द्वारा, किसी संघ राज्यक्षेत्र पर किसी उच्च न्यायालय की अधिकारिता का विस्तार कर सकेगी या किसी संघ राज्यक्षेत्र से किसी उच्च न्यायालय की अधिकारिता का अपवर्जन कर सकेगी।
यहां दो बातें हैं;
पहली बात) संसद, विधि द्वारा, किसी संघ राज्यक्षेत्र (UT) पर किसी उच्च न्यायालय की अधिकारिता का विस्तार कर सकेगी।
दूसरी बात), संसद, विधि द्वारा, किसी संघ राज्यक्षेत्र से किसी उच्च न्यायालय की अधिकारिता का अपवर्जन (exclusion) कर सकेगी।
उदाहरण के लिए आप इस लिस्ट को देख सकते हैं कि किस तरह से केंद्र शासित प्रदेशों (UTs) को विभिन्न उच्च न्यायालयों के क्षेत्राधिकार के अंतर्गत रखा गया है;
नाम | स्थापना वर्ष | न्यायक्षेत्र |
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केरल | 1958 | केरल और लक्षद्वीप |
जम्मू एवं कश्मीर | 1928 | जम्मू एवं कश्मीर और लद्दाख |
पंजाब एवं हरियाणा | 1875 | पंजाब, हरियाणा एवं चंडीगढ़ |
बंबई | 1862 | महाराष्ट्र, गोवा, दादरा और नागर हवेली |
कलकत्ता | 1862 | पश्चिम बंगाल तथा अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह |
मद्रास | 1982 | तमिलनाडुऔर पुडुचेरी |
Article 230 clause 2 explanation
अनुच्छेद 230 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि जहां किसी राज्य का उच्च न्यायालय किसी संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करता है, वहां—
(क) इस संविधान की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह उस राज्य के विधान-मंडल को उस अधिकारिता में वृद्धि, उसका निर्बंधन या उत्सादन करने के लिए सशक्त करती है ; और
(ख) उस राज्यक्षेत्र में अधीनस्थ न्यायालयों के लिए किन्हीं नियमों, प्ररूपों या सारणियों के संबंध में, अनुच्छेद 227 में राज्यपाल के प्रति निर्देश का, यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह राष्ट्रपति के प्रति निर्देश है।
जैसा कि हम देख सकते हैं यहां पर दो बातें कही गई है जो कि उन राज्यों के संबंध में कही गई है जिस राज्य के उच्च न्यायालय के क्षेत्राधिकार के तहत केंद्र शासित प्रदेश भी आता है (जिसे कि हमने ऊपर लिस्ट में देखा)।
पहली बात) जहां किसी राज्य का उच्च न्यायालय किसी UT के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करता है, वहां इस संविधान की किसी बात का यह अर्थ नहीं लगाया जाएगा कि वह उस राज्य के विधान-मंडल को उस अधिकारिता में वृद्धि (increase), उसका निर्बंधन (restrictions) या उत्सादन (abolish) करने के लिए सशक्त करती है;
दूसरी बात) जहां किसी राज्य का उच्च न्यायालय किसी संघ राज्यक्षेत्र के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करता है, वहां उस राज्यक्षेत्र में अधीनस्थ न्यायालयों के लिए किन्हीं नियमों (rules), प्ररूपों (forms) या सारणियों (tables) के संबंध में, अनुच्छेद 227 में राज्यपाल के प्रति निर्देश का, यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह राष्ट्रपति के प्रति निर्देश है।
आपको पता होगा कि अनुच्छेद 227 के तहत उच्च न्यायालय को उसके क्षेत्राधिकार के तहत आने वाली सभी न्यायालयों के अधीक्षण (Supervision) की शक्ति प्राप्त है। (विस्तार से समझने के लिए अनुच्छेद 227 पढ़ें;)
तो यही है अनुच्छेद 230 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |