यह लेख Article 248 (अनुच्छेद 248) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

Bell आइकॉन पर क्लिक करके हमारे नोटिफ़िकेशन सर्विस को Allow कर दें ताकि आपको हरेक नए लेख की सूचना आसानी से प्राप्त हो जाए। साथ ही नीचे दिए गए हमारे सोशल मीडिया हैंडल से जुड़ जाएँ और नवीनतम विचार-विमर्श का हिस्सा बनें। खासकर के टेलीग्राम और यूट्यूब से जरूर जुड़ जाएं;
⬇️⬇️⬇️

📜 अनुच्छेद 248 (Article 248) – Original

भाग 11 [संघ और राज्यों के बीच संबंध]
248. अवशिष्ट विधायी शक्तियां— (1) 1[अनुच्छेद 246क के अधीन रहते हुए, संसद] को किसी ऐसे विषय के संबंध में, जो समवर्ती सूची या राज्य सूची में प्रगणित नहीं है, विधि बनाने की अनन्य शक्ति है।

(2) ऐसी शक्ति के अंतर्गत ऐसे कर के अधिरोपण के लिए जो उन सूचियों में से किसी में वर्णित नहीं है, विधि बनाने की शक्ति है।
================
1. संविधान (एक सौं एकवां संशोधन) अधिनियम, 2016 का धारा 3 द्वारा (16-9-2016 से) अंतःस्थापित।
अनुच्छेद 248 हिन्दी संस्करण

Part XI [RELATIONS BETWEEN THE UNION AND THE STATES]
248. Residuary powers of legislation— (1) 1[Subject to article 246A, Parliament] has exclusive power to make any law with respect to any matter not enumerated in the Concurrent List or State List.

(2) Such power shall include the power of making any law imposing a tax not mentioned in either of those Lists.
================
1. Subs. by the Constitution (One Hundred and First Amendment) Act, 2016, s. 3, for “Parliament” (w.e.f. 16-9-2016).
Article 248 English Version

🔍 Article 248 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 11, अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 263 तक कुल 2 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iविधायी संबंध (Legislative Relations)Article 245 – 255
IIप्रशासनिक संबंध (Administrative Relations)Article 256 – 263
[Part 11 of the Constitution]

जैसा कि आप देख सकते हैं यह पूरा भाग केंद्र-राज्य सम्बन्धों (Center-State Relations) के बारे में है। जिसके तहत मुख्य रूप से दो प्रकार के सम्बन्धों की बात की गई है – विधायी और प्रशासनिक

भारत में केंद्र-राज्य संबंध देश के भीतर केंद्र सरकार और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के बीच शक्तियों, जिम्मेदारियों और संसाधनों के वितरण और बंटवारे को संदर्भित करते हैं।

ये संबंध भारत सरकार के संघीय ढांचे के लिए महत्वपूर्ण हैं, जैसा कि भारत के संविधान में परिभाषित किया गया है। संविधान केंद्र और राज्य दोनों सरकारों की शक्तियों और कार्यों का वर्णन करता है, और यह राष्ट्र की एकता और अखंडता सुनिश्चित करते हुए दोनों के बीच संतुलन बनाए रखने का प्रयास करता है।

अनुच्छेद 245 से लेकर अनुच्छेद 255 तक मुख्य रूप से विधायी शक्तियों के वितरण (distribution of legislative powers) का वर्णन है। और यह भाग केंद्र-राज्य संबन्धों से जुड़े बहुत सारे कॉन्सेप्टों को आधार प्रदान करता है; जिसमें से कुछ प्रमुख है;

  • शक्तियों का विभाजन (division of powers)
  • अवशिष्ट शक्तियां (residual powers)
  • अंतर-राज्य परिषद (inter-state council)
  • सहकारी संघवाद (cooperative federalism) और
  • केंद्र-राज्य के मध्य विवाद समाधान (Dispute resolution between center and state)

इस लेख में हम अनुच्छेद 248 को समझने वाले हैं; लेकिन अगर आप इस पूरे टॉपिक को एक समग्रता से (मोटे तौर पर) Visualize करना चाहते हैं तो नीचे दिए गए लेख से शुरुआत कर सकते हैं;

केंद्र-राज्य विधायी संबंध Center-State Legislative Relations)
Closely Related to Article 248

| अनुच्छेद 248 – अवशिष्ट विधायी शक्तियां (Residuary powers of legislation)

अनुच्छेद 248 के तहत अवशिष्ट विधायी शक्तियां (Residuary powers of legislation) का वर्णन है। इस अनुच्छेद के तहत कुल दो खंड आते हैं;

अनुच्छेद 248 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि अनुच्छेद 246क के अधीन रहते हुए, संसद को किसी ऐसे विषय के संबंध में, जो समवर्ती सूची या राज्य सूची में प्रगणित नहीं है, विधि बनाने की अनन्य शक्ति है।

कहने का अर्थ है कि जो विषय तीनों सूचियों (संघ सूची, राज्य सूची एवं समवर्ती सूची) में लिखित नहीं है, उस पर विधान बनाने का अधिकार संसद को है। इसे अवशिष्ट विषयों पर कानून बनाने की संसद की शक्ति कहा जाता है;

अनुच्छेद 248 के खंड (2) के तहत कहा गया है कि ऐसी शक्ति के अंतर्गत ऐसे कर के अधिरोपण के लिए जो उन सूचियों में से किसी में वर्णित नहीं है, विधि बनाने की शक्ति है।

उदाहरण के लिए, 1994 में जब पहली बार देश में सेवा कर (service tax) लागू किया गया था तो केंद्र सरकार ने इसी प्रावधान का हवाला देते हुए उसपर कानून बनाने का अधिकार अपने पास रखा था।

जबकि अमेरिका में इसका उल्टा है, वहां जो अवशिष्ट शक्तियां हैं, उस पे कानून बनाने का अधिकार राज्य के पास होता है। केंद्र तय किए गए विषयों के अलावा अन्य किसी विषय पर कानून नहीं बना सकता है।

Article 248 in Nutshell

◼ अनुच्छेद 248 संसद को किसी भी ऐसे मामले पर कानून बनाने की विशेष शक्ति देता है जिसका विशेष रूप से संघ सूची या समवर्ती सूची में उल्लेख नहीं है।

◼ संघ सूची उन विषयों की सूची है जिन पर संसद को कानून बनाने की विशेष शक्ति है, जबकि समवर्ती सूची उन विषयों की सूची है जिन पर संसद और राज्य विधानमंडल दोनों को कानून बनाने की शक्ति है।

कानून की अवशिष्ट शक्तियाँ महत्वपूर्ण हैं क्योंकि वे संसद को नए और उभरते मुद्दों पर कानून बनाने की अनुमति देती हैं जिनकी संविधान का मसौदा तैयार करते समय विशेष रूप से प्रत्याशित नहीं किया गया होगा। उदाहरण के लिए, संसद ने पर्यावरण संरक्षण, उपभोक्ता संरक्षण और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे मामलों पर कानून बनाने के लिए अपनी अवशिष्ट शक्तियों का उपयोग किया है।

◼ अनुच्छेद 248 इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह संघ और राज्यों के बीच शक्ति संतुलन बनाए रखने में मदद करता है। संसद को अवशिष्ट मामलों पर कानून बनाने की विशेष शक्ति देकर, अनुच्छेद 248 यह सुनिश्चित करता है कि संसद के पास राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर कानून बनाने की शक्ति है।

यहां उन कानूनों के कुछ उदाहरण दिए गए हैं जिन्हें संसद ने अपनी अवशिष्ट शक्तियों के तहत अधिनियमित किया है:

पर्यावरण संरक्षण अधिनियम, 1986
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 1986
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000
सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005
खाद्य सुरक्षा और मानक अधिनियम, 2006

इन कानूनों का भारतीयों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है और उन्होंने लाखों लोगों के जीवन की गुणवत्ता में सुधार करने में मदद की है।

कुल मिलाकर अनुच्छेद 248 भारतीय संविधान का एक महत्वपूर्ण प्रावधान है। यह सुनिश्चित करता है कि संसद के पास राष्ट्रीय महत्व के मामलों पर कानून बनाने की शक्ति है, और यह संघ और राज्यों के बीच शक्ति संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

तो यही है अनुच्छेद 248 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

Related MCQs with Explanation

Q.1 Which of the following is NOT a residuary power of Parliament under Article 248 of the Constitution of India?

(a) To legislate on matters that are not specifically mentioned in the Union List or the Concurrent List.

(b) To impose a tax not mentioned in the Union List or the Concurrent List.

(c) To abolish or merge any existing court.

(d) To alter the jurisdiction of any existing court.

💡Click to Answer
Answer: (c) To abolish or merge any existing court. Explanation: The power to abolish or merge existing courts is not a residuary power of Parliament. It is a power that can only be exercised by Parliament under Article 247 of the Constitution of India.

Q.2 Which of the following is an example of a law enacted by Parliament under its residuary powers?

(a) The Indian Penal Code, 1860

(b) The Constitution of India

(c) The Consumer Protection Act, 1986

(d) All of the above

💡Click to Answer
Answer: (c) The Consumer Protection Act, 1986. Explanation: The Consumer Protection Act, 1986 was enacted by Parliament under its residuary powers. It is a law that protects the rights of consumers and provides a forum for the resolution of consumer disputes.

Q.3 Which of the following is the purpose of Article 248 of the Constitution of India?

(a) To ensure that Parliament has the power to legislate on matters of national importance

(b) To maintain the balance of power between the Union and the States

(c) Both (a) and (b)

(d) None of the above

💡Click to Answer
Answer: (c) Both (a) and (b). Explanation: Article 248 helps to ensure that Parliament has the power to legislate on matters of national importance, and it also helps to maintain the balance of power between the Union and the States.

Q.4 Which of the following is the most important implication of Article 248 of the Constitution of India?

(a) Parliament has the power to legislate on matters that are not specifically mentioned in the Union List or the Concurrent List.

(b) The residuary powers of Parliament are important because they allow Parliament to legislate on new and emerging issues.

(c) Article 248 helps to maintain the balance of power between the Union and the States.

(d) All of the above

💡Click to Answer
Answer: (d) All of the above. Explanation: All of the above options are important implications of Article 248 of the Constitution of India.

5. When exercising residuary powers, which entity can make laws?

a) Only the President
b) Only the Prime Minister
c) Only the Parliament
d) Only the State Legislatures

💡Click to Answer
Explanation: c) Residuary powers under Article 248 are vested exclusively in the Parliament of India.

| Related Article

अनुच्छेद 249 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 247 – भारतीय संविधान
Next and Previous to Article 248
भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।