यह लेख अनुच्छेद 84 (Article 84) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 84

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📜 अनुच्छेद 84 (Article 84) – Original

संसद
84. संसद की सदस्यता के लिए अर्हता — कोई व्यक्ति संसद्‌ के किसी स्थान को भरने के लिए चुने जाने के लिए अर्हित तभी होगा जब —
1[(क) वह भारत का नागरिक है और निर्वाचन आयोग द्वारा इस निमित्त प्राधिकृत किसी व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्ररूप के अनुसार शपथ लेता है या प्रतिज्ञान करता है और उस पर अपने हस्ताक्षर करता है ;]

(ख) वह राज्य सभा में स्थान के लिए कम से कम तीस वर्ष की आयु का और लोक सभा में स्थान के लिए कम से कम पच्चीस वर्ष की आयु का है ; और

(ग) उसके पास ऐसी अन्य अर्हताएं हैं जो संसद्‌ द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा या उसके अधीन इस निमित्त विहित की जाएं ।
———————–
1. संविधान (सोलहवां संशोधन) अधिनियम, 1963 की धारा 3 द्वारा (5-10-1963 से) प्रतिस्थापित।
—-अनुच्छेद 84—-

Parliament
84. Qualification for membership of Parliament. — A person shall not be qualified to be chosen to fill a seat in Parliament unless he —
1[(a) is a citizen of India, and makes and subscribes before some person authorised in that behalf by the Election Commission an oath or affirmation according to the form set out for the purpose in the Third
Schedule;]

(b) is, in the case of a seat in the Council of States, not less than thirty years of age and, in the case of a seat in the House of the People, not less than twenty-five years of age; and

(c) possesses such other qualifications as may be prescribed in that behalf by or under any law made by Parliament.
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1. Subs. by the Constitution (Sixteenth Amendment) Act, 1963, s. 3, for cl.(a) (w.e.f. 5-10- 1963)
Article 84

🔍 Article 84 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 84 (Article 84) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 84 – संसद की सदस्यता के लिए अर्हता

अनुच्छेद 80 और अनुच्छेद 81 के तहत क्रमशः हमने समझा कि लोकसभा (Lok Sabha) आम जनों की एक सभा है जहां प्रत्यक्ष मतदान (Direct Election) के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि बैठते हैं। प्रत्येक प्रतिनिधि किसी खास भौगोलिक क्षेत्र से चुनकर आते हैं जिसे निर्वाचन क्षेत्र (constituency) कहा जाता है।

प्रत्येक सदस्य को सांसद (Member of Parliament) कहा जाता है (जिसकी संख्या वर्तमान में 543 है) और ये सारे सांसद मिलकर विधायिका (legislature) कहलाते हैं।

वहीं राज्य सभा (Rajya Sabha) की बात करें तो यह गुणी जनों की सभा है। संसद के ऊपरी सदन को राज्यसभा कहा जाता है। इसके सदस्यों का चुनाव जनता सीधे नहीं करती है इसीलिए यहाँ ऐसे लोग सदस्य के रूप में आते हैं जो सामान्यतः चुनाव का सामना नहीं कर सकते हैं। 

राज्यसभा में अभी 245 सदस्य हैं जो विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से निर्वाचित MLA द्वारा चुनकर आते हैं; संसद के इन्ही दोनों सदनों के सदस्यों के अर्हता (Qualification) के बारे में अनुच्छेद 84 में बताया गया है। आइये समझें;

अनुच्छेद 84 के तहत तीन शर्तें बताई गई है, जिसे पूरा करने पर ही कोई व्यक्ति संसद (लोक सभा और राज्यसभा) का सदस्य बन सकता है। ये शर्तें कुछ इस प्रकार हैं; —

(क) उसे भारत का नागरिक है होना चाहिए। और उस व्यक्ति को निर्वाचन आयोग द्वारा प्राधिकृत किसी व्यक्ति के समक्ष तीसरी अनुसूची में इस प्रयोजन के लिए दिए गए प्ररूप के अनुसार शपथ या प्रतिज्ञान करना होगा और उस पर अपना हस्ताक्षर भी करना होगा।

(ख) अगर वह राज्य सभा का सदस्य बनना चाहता है तो कम से कम तीस वर्ष की आयु होनी चाहिए और लोक सभा में स्थान के लिए कम से कम पच्चीस वर्ष की आयु होनी चाहिए; और

(ग) उपरोक्त के अलावा उसके पास ऐसी अन्य सभी अर्हताएं होनी चाहिए जो संसद्‌ द्वारा किसी विधि के तहत विहित (prescribed) की जाएं।

अब सवाल यही आता है कि ऐसी कौन सी स्थिति है जिसके तहत कोई व्यक्ति संसद का सदस्य बनने के योग्य नहीं रह जाता है; आइये समझते हैं;

संसद सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of MPs):

अनुच्छेद 102 के अनुसार कोई व्यक्ति भारतीय संसद सदस्य नहीं बन सकता यदि,

1. वह भारत सरकार या किसी राज्य सरकार के अधीन लाभ के पद (Office of Profit) पर हो।

लाभ का पद (Office of Profit):
भारतीय राजनीति में, “लाभ का पद” सरकार या सार्वजनिक निकाय में ऐसी स्थिति को संदर्भित करता है जो उस पद के धारक को किसी प्रकार का वित्तीय लाभ या भौतिक लाभ प्रदान करता है। ऐसे पदों को शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांतों के विरोध में माना जाता है, क्योंकि वे संभावित रूप से कार्यालय धारक की निष्पक्षता और स्वतंत्रता से समझौता कर सकते हैं।

“लाभ का पद” का मुद्दा भारतीय राजनीति में एक विवादास्पद मुद्दा रहा है, अतीत में कई हाई-प्रोफाइल मामलों के कारण सांसदों और विधायकों की अयोग्यता हुई। विवाद आमतौर पर तब उत्पन्न होता है जब एक राजनेता कई पदों पर आसीन होता है, और एक विधायक के रूप में उनके कर्तव्यों और किसी अन्य पद को धारण करने से प्राप्त होने वाले लाभों के बीच हितों का संभावित संघर्ष होता है।

भारतीय संविधान संसद सदस्यों और विधान सभाओं के सदस्यों की अयोग्यता का प्रावधान करता है यदि वे भारत सरकार या किसी राज्य की सरकार के तहत किसी लाभ के पद पर हैं। हालांकि यह निर्धारित करने के लिए कि क्या कोई विशेष स्थिति “लाभ का पद (Office of Profit)” की श्रेणी में आती है, संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित नहीं है, और इसे न्यायपालिका की व्याख्या के लिए छोड़ दिया गया है।
Article 84

2. यदि वह विकृत चित (Unsound mind) है और न्यायालय ने ऐसी घोषणा की है।

3. यदि वह घोषित दिवालिया (Bankrupt) है

4. यदि वह भारत का नागरिक नहीं है।

5. यदि वह संसद द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा निरर्हित (Disqualified) कर दिया जाता है। जैसे कि जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, दल बदल अधिनियम आदि।

अनुच्छेद-52 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
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⚫ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत निम्नलिखित प्रावधानों को भी निरर्हता (Disqualification) माना जाता है। जैसे कि –

1. वह चुनावी अपराध या चुनाव में भ्रष्ट आचरण के तहत दोषी करार दिया गया हो।

2. उसे किसी अपराध में दो वर्ष या उससे अधिक की सजा हुई हो।

दो वर्ष से अधिक की सजा;
17वें लोक सभा (2019 -2024) के टर्म के दौरान विपक्ष के एक प्रसिद्ध नेता राहुल गांधी की लोकसभा की सदस्यता को 23 मार्च 2023 को इसीलिए रद्द कर दिया गया क्योंकि एक मामले में सूरत के कोर्ट द्वारा राहुल गांधी को दो वर्ष की सजा सुनाई गई थी।

लोकसभा सचिवालय द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि राहुल गांधी अपने दोषसिद्धि की तारीख यानी 23 मार्च, 2023 से संविधान के अनुच्छेद 102(1)(ई) के प्रावधानों के अनुसार (जिसके तहत जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की रचना की गई है) लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य हैं।

जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8(3) में कहा गया है कि “एक व्यक्ति को किसी भी अपराध के लिए दोषी ठहराया गया है और कम से कम दो साल के कारावास की सजा सुनाई गई है, इस तरह की सजा की तारीख से अयोग्य घोषित किया जाएगा और उनकी रिहाई के बाद से छह साल की और अवधि के लिए अयोग्य बना रहेगा।”
https://indianexpress.com/article/explained/explained-law/explained-law-rahuls-disqualification-after-8517591/

3. वह निर्धारित समय के अंदर चुनावी खर्च का ब्योरा देने में असफल रहा हो।

4. उसे सरकारी ठेका काम या सेवाओं में दिलचस्पी हो।

5. वह निगम में लाभ के पद पर हो, जिसमें सरकार का 25 प्रतिशत हिस्सेदारी हो।

6. उसे भ्रष्टाचार या निष्ठाहीन होने के कारण सरकारी सेवाओं से बर्खास्त किया गया हो।

7. उसे विभिन्न समूहों में शत्रुता बढ़ाने या रिश्वतखोरी के लिए दंडित किया गया हो।

8. उसे छुआछूत, दहेज जैसे सामाजिक अपराधों के प्रसार में संलिप्त पाया गया हो।

किसी सदस्य में उपरोक्त निरर्हताओं संबंधी प्रश्न पर राष्ट्रपति का फैसला अंतिम होता है, हालांकि ये फैसला वो निर्वाचन आयोग से राय लेकर करता है।

दल-बदल के आधार पर निरर्हता – संविधान के अनुसार किसी व्यक्ति को संसद की सदस्यता से निरर्ह (Disqualified) ठहराया जा सकता है, अगर वो 10वीं अनुसूची के उपबंधों के अनुसार, दल-बदल का दोषी पाया गया हो। जैसे की –

1. अगर वह स्वेच्छा से उस राजनीतिक दल का त्याग करता है, जिस दल के टिकट पर वह चुनाव जीत के आया है।

2. अगर वह अपने पार्टी द्वारा दिये गए निर्देशों के विरुद्ध सदन में मतदान करता है।

3. अगर निर्दलीय चुना गया सदस्य किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है।

4. अगर कोई नामित सदस्य (Nominated member) छह महीने के बाद किसी राजनीतिक दल में शामिल होता है। 

दल-बदल से संबन्धित जितने भी मामले होते हैं राज्यसभा में उसे सभापति द्वारा और लोकसभा में उसे अध्यक्ष द्वारा निपटारा किया जाता है। लेकिन याद रखिए कि उच्चतम न्यायालय अध्यक्ष और सभापति द्वारा लिए गए इस निर्णय की न्यायिक समीक्षा कर सकता है।

तो यही है अनुच्छेद 84 (Article 84), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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FAQ. अनुच्छेद 84 (Article 84) क्या है?

अनुच्छेद 84 के तहत संसद की सदस्यता के लिए कुछ शर्तों के बारे में बताया गया है। संसद की सदस्यता के लिए यानि कि लोकसभा और राज्यसभा की सदस्यता के लिए।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।