यह लेख अनुच्छेद 83 (Article 83) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 83

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📜 अनुच्छेद 83 (Article 83) – Original

संसद
83. संसद के सदनों की अवधि — (1) राज्य सभा का विघटन नहीं होगा, किन्तु उसके सदस्यों में से यथा संभव निकटतम एक-तिहाई सदस्य, संसद द्वारा विधि द्वारा इस निमित्त किए गए उपबंधों के अनुसार, प्रत्येक द्वितीय वर्ष की समाप्ति पर यथाशक्य शीघ्र निवृत्त हो जाएंगे।

(2) लोक सभा, यदि पहले ही विघटित नहीं कर दी जाती है तो, अपने प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से 1[पांच वर्ष] तक बनी रहेगी, इससे अधिक नहीं और 1[षांच वर्ष] की उक्त अवधि की समाप्ति का परिणाम लोक सभा का विघटन होगा :

परन्तु उक्त अवधि को, जब आपात की उद्घोषणा प्रवर्तन में है तब, संसद, विधि द्वारा, ऐसी अवधि के लिए बढ़ा सकेगी, जो एक बार में एक वर्ष से अधिक नहीं होगी और उद्घोषणा के प्रवर्तन में न रह जाने के पश्चात्‌ उसका विस्तार किसी भी दशा में छह मास की अवधि से अधिक नहीं होगा ।
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1. संविधान (चवालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1978 की धारा 13 द्वारा (20-6-1979 से) “छह वर्ष” शब्दों के स्थान पर प्रतिस्थापित। संविधान (बयालीसवाँ संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 17 द्वारा (3-1-1977 से) “पाँच वर्ष” मूल शब्दों के स्थान पर “छह वर्ष” शब्द प्रतिस्थापित किए गए थे।
—-अनुच्छेद 83—-

Parliamant
83. Duration of Houses of Parliament.—(1) The Council of States shall not be subject to dissolution, but as nearly as possible one-third of the members thereof shall retire as soon as may be on the expiration of every
second year in accordance with the provisions made in that behalf by Parliament by law.

(2) The House of the People, unless sooner dissolved, shall continue for 1[five years] from the date appointed for its first meeting and no longer and the expiration of the said period of 1[five years] shall operate as a dissolution of the House:

Provided that the said period may, while a Proclamation of Emergency is in operation, be extended by Parliament by law for a period not exceeding one year at a time and not extending in any case beyond a period of six months after the Proclamation has ceased to operate.
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1. Subs. by the Constitution (Forty-second Amendment) Act, 1976, s. 17, for “five years” (w.e.f. 3-1-1977) and further subs. by the Constitution (Forty-fourth Amendment) Act, 1978, s. 13, for “six years” (w.e.f. 20-6-1979).
Article 83

🔍 Article 83 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 83 (Article 83) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 83 – संसद के सदनों की अवधि

अनुच्छेद 80 और अनुच्छेद 81 के तहत क्रमशः हमने समझा कि लोकसभा (Lok Sabha) आम जनों की एक सभा है जहां प्रत्यक्ष मतदान (Direct Election) के द्वारा चुने गए प्रतिनिधि बैठते हैं। प्रत्येक प्रतिनिधि किसी खास भौगोलिक क्षेत्र से चुनकर आते हैं जिसे निर्वाचन क्षेत्र (constituency) कहा जाता है।

प्रत्येक सदस्य को सांसद (Member of Parliament) कहा जाता है (जिसकी संख्या वर्तमान में 543 है) और ये सारे सांसद मिलकर  विधायिका (legislature) कहलाते हैं।

वहीं राज्य सभा (Rajya Sabha) की बात करें तो यह गुणी जनों की सभा है। संसद के ऊपरी सदन को राज्यसभा कहा जाता है। इसके सदस्यों का चुनाव जनता सीधे नहीं करती है इसीलिए यहाँ ऐसे लोग सदस्य के रूप में आते हैं जो सामान्यतः चुनाव का सामना नहीं कर सकते हैं। 

राज्यसभा में अभी 245 सदस्य हैं जो विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से निर्वाचित MLA द्वारा चुनकर आते हैं; संसद के इन्ही दोनों सदनों की अवधि के बारे में अनुच्छेद 83 में बताया गया है।

अनुच्छेद 83 के दो खंड है। आइये दोनों को समझते हैं;

अनुच्छेद 83 खंड (1) के तहत बताया गया है कि राज्य सभा का विघटन नहीं होगा, लेकिन उसके सदस्यों में से यथा संभव निकटतम एक-तिहाई सदस्य, संसद द्वारा बनाए गए उपबंधों के अनुसार, प्रत्येक द्वितीय वर्ष की समाप्ति पर निवृत्त (Retire) हो जाएंगे।

कहने का अर्थ यह है कि लोकसभा का जिस तरह से एक टर्म होता है उस तरह से राज्य सभा का नहीं होता है। राज्यसभा सदा चलने वाली एक सदन है। इसका लोकसभा की तरह कभी विघटन नहीं होता है।

जैसा कि इस खंड में बताया गया है कि संसद ने 1951 में जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम (RP Act) बनाया और इसी अधिनियम के तहत यह व्यवस्था किया गया कि राज्यसभा के सदस्यों का कार्यकाल 6 वर्षों का होगा। और प्रत्येक एक-तिहाई सदस्य प्रत्येक 2 वर्षों में सेवानिवृत्त हो जाएँगे। इसीलिए राज्यसभा का चुनाव सामान्यतः प्रत्येक दो वर्षों में एक-तिहाई सीटों के लिए होता है।

इसे कुछ इस तरह से बाँट दिया गया है जैसे कि उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की 31 सीटें हैं तो प्रत्येक दो वर्षों में 10-सीटें खाली हो जाती है (एक बार 11 सीटें खाली होती है)। हालांकि जिन राज्यों में सिर्फ 1 ही सीटें हैं (गोवा, त्रिपुरा) वहाँ 6 वर्षों में चुनाव होता है।

◾ यहाँ पर यह याद रखिए कि अगर आकस्मिक कारणों की वजह से किसी सदस्य को समय पूर्व अपना पद छोड़ना पड़ता है तो उसके जगह पर जो नए सदस्य चुनकर आते हैं वो सिर्फ बचे हुए कार्यकाल के लिए आते हैं न कि 6 वर्षों के लिए।

अनुच्छेद 83 खंड (2) के तहत बताया गया है कि लोक सभा, यदि पहले ही विघटित नहीं कर दी जाती है तो, अपने प्रथम अधिवेशन के लिए नियत तारीख से पांच वर्ष तक बनी रहेगी, इससे अधिक नहीं और षांच वर्ष की उक्त अवधि की समाप्ति का परिणाम लोक सभा का विघटन होगा।

कहने का अर्थ है कि लोक सभा का सामान्य कार्यकाल 5 वर्षों का है। 5 वर्षों बाद लोकसभा का विघटन हो जाएगा और फिर से नए चुनाव के बाद लोकसभा 5 वर्षों के लिए अपने सफर पर निकल जाएगा।

लेकिन इस मामले में लोकसभा की किस्मत हमेशा अच्छी नहीं होती है क्योंकि अगर पूर्ण बहुमत की सरकार न हो या किसी कारणवश सरकार लोकसभा में अपना बहुमत खो दे तो लोकसभा का समय पूर्व ही विघटन हो सकता है।

यहाँ यह याद रखिए कि इस अनुच्छेद में एक परंतुक (Proviso) भी दिया गया है। जिसमें कहा गया है कि अगर देश में आपातकाल लगा हो तो संसद, विधि द्वारा, लोकसभा के टर्म को बढ़ा सकती है लेकिन एक बार में सिर्फ 1 साल के लिए ही इसे बढ़ाया जा सकता है। और जैसे कि आपातकाल खत्म होगा 6 महीने के अंदर ही चुनाव करवाना होगा।

1975 में जब आपातकाल लगा था तब इन्दिरा गांधी की सरकार ने लोकसभा के टर्म को 1 वर्ष के लिए बढ़ाया था। विस्तार से समझने के लिए पढ़ें:

◾ राष्ट्रीय आपातकाल और उसके प्रावधान
◾ आपातकाल 1975 : एक कड़वा सच

तो यही है अनुच्छेद 83 (Article 83), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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भारत की कार्यपालिका
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अनुच्छेद-52 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
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FAQ. अनुच्छेद 83 (Article 83) क्या है?

अनुच्छेद 83 संसद के सदनों की अवधि के बारे में है। लोकसभा की अवधि तो 5 वर्ष है लेकिन राज्यसभा कभी न विघटित होने वाली सभा है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।