इस लेख में जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 पर सरल और संक्षिप्त चर्चा करेंगे एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को समझेंगे; इसे लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम (Representation of the People Act 1951) भी कहा जाता है।
ये एक व्यापक दस्तावेज़ है 11 भागों में बंटा हुआ है और जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 के तहत मिसिंग सभी प्रावधानों को इसमें समाहित करने की कोशिश की गई है।

📖 Read in English |
जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951
जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1950 में चुनावों से संबंधित सभी प्रावधान नहीं थे, बल्कि इसमें लोकसभा एवं राज्यों की विधानसभाओं के लिए सीटों के आवंटन की तथा चुनाव क्षेत्रों के सीमांकन की व्यवस्था, इसके अलावा मतदाता की अर्हता तथा मतदाता सूचियों के निर्माण का प्रावधान किया गया था।
संसद के दोनों सदनों तथा प्रत्येक राज्य की विधानसभा एवं विधान परिषद् के चुनाव, इन सदनों के लिए अर्हता एवं अयोग्यता, भ्रष्ट आचरण तथा अन्य चुनाव संबंधी प्रावधान तथा चुनाव संबंधी विवादों पर निर्णय – ये सब बाद में अपनाए जाने वाले उपायों पर छोड़ दिया गया। इसलिए इन बिन्दुओं पर प्रावधान करने के लिए जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 (Representation of the People Act 1951) अधिनियमित किया गया।
पूरा अधिनियम 171 धाराओं में बंटा हुआ है जिसे कि 11 मुख्य भागों के अंतर्गत संकलित किया गया है। इस सभी धाराओं में जो सबसे महत्वपूर्ण है उस पर थोड़े विस्तार से चर्चा करेंगे बाद बाकी को सिर्फ उद्धृत (mention) करके छोड़ देंगे, इसके साथ ही हर भाग के मूल अधिनियम का पीडीएफ़ उपलब्ध रहेगा ताकि विस्तार से अध्ययन करने वालों को सुविधा मिल सके।
भाग 1
प्रारम्भिकpdf
इसमें 2 धाराएँ है धारा 1 – संक्षिप्त नाम और धारा 2 -व्याख्या या निर्वचन। इसमें कुछ खास नहीं है बस ये बताया गया है कि अधिनियम को सही से समझने के लिए कुछ शब्दों के क्या मतलब निकाले जाने चाहिए।
भाग 2
अर्हताएँ और निरर्हताएंpdf
इस भाग को 4 अध्याय में बांटा गया है जो कि निम्नलिखित है –
अध्याय 1 – संसद की सदस्यता के लिए अर्हताएँ (Qualifications)
धारा 3 – राज्य सभा की सदस्यता के लिए अर्हता।
राज्य सभा में, किसी राज्य या संघ राज्यक्षेत्र के प्रतिनिधि के रूप में चुने जाने के लिए कोई व्यक्ति तब तक योग्य नहीं होगा जब तक कि वह व्यक्ति भारत के किसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए चुने जाने योग्य न हो।
धारा 4 – लोक सभा की सदस्यता के लिए अर्हताएं।
लोकसभा में किसी स्थान को भरने के लिए चुने जाने के लिए कोई व्यक्ति तब तक योग्य नहीं होगा जब तक कि (क) अनुसूचित जातियों के लिए राज्य में आरक्षित स्थान की दशा में, वह उस राज्य की अनुसूचित जातियों में से किसी का सदस्य न हो और किसी संसदीय निर्वाचन क्षेत्र के लिए चुने जाने योग्य न हो।
अध्याय 2 – राज्य विधान-मंडलों की सदस्यता के लिए अर्हताएं
धारा 5 – विधानसभा की सदस्यता के लिए अर्हताएं।
किसी राज्य की विधानसभा के स्थान को भरने के लिए कोई व्यक्ति तब तक योग्य नहीं होगा जब तक कि (क) उस राज्य की एससी या एसटी के लिए आरक्षित स्थान की दशा में, वह व्यक्ति उस विशेष वर्ग से संबंध न रखता हो और उस राज्य के विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र के लिए चुने जाने योग्य न हो।
◾अभी जो ऊपर पढ़ें है उसका सीधा सा मतलब यही है कि व्यक्ति को किसी भी राज्य / संघ राज्य क्षेत्रों में अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति का सदस्य होना चाहिए, यदि वह उनके लिए आरक्षित सीट पर चुनाव लड़ना चाहता है। और दूसरी बात कि उस निर्वाचन क्षेत्र में व्यक्ति को एक निर्वाचक (voter) होना चाहिए।
धारा 5क – सिक्किम की विधानसभा की सदस्यता के लिए अर्हताएँ।
धारा 6 – विधान परिषद की सदस्यता के लिए अर्हताएं।
अध्याय 3 – संसद और राज्य विधान-मंडलों की सदस्यता के लिए निरर्हताएँ
धारा 7 – परिभाषाएँ
धारा 8 – कतिपय अपराधों के लिए दोषसिद्धि पर निरर्हता
धारा 8 (3) में कहा गया है कि यदि किसी सांसद या विधायक को किसी अन्य अपराध के लिए दोषी ठहराया जाता है (जो कि धारा 8 की उपधारा 1 और 2 में नहीं है) और उसे 2 साल या उससे अधिक के लिए जेल भेजा जाता है, तो उसे रिहाई के समय से 6 साल के लिए अयोग्य घोषित किया जाएगा।
यहां तक कि अगर कोई व्यक्ति दोषी ठहराए जाने के बाद जमानत पर है और उसकी अपील निपटान के लिए लंबित है, तो उसे चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहराया जाता है।
धारा 8 (4) में दोषी ठहराए गए सांसदों, विधायकों और एमएलसी को उनके पदों पर बने रहने की अनुमति दी गई, बशर्ते कि उन्होंने ट्रायल कोर्ट द्वारा फैसले की तारीख के 3 महीने के भीतर उच्च न्यायालय में अपनी सजा के खिलाफ अपील की हो।
धारा 8क – भ्रष्ट आचरण के लिए निरर्हता
धारा 9 – भ्रष्टाचार के लिए पदच्युत होने पर निरर्हता
धारा 9क – सरकार के साथ की गई संविदाओं आदि के लिए निरर्हता
धारा 10 – सरकारी कंपनी के अधीन पद के लिए निरर्हता
धारा 10क – निर्वचन व्ययों का लेखा दाखिल करने में असफलता के कारण निरर्हता
धारा 11 – निरर्हता की कालावधि को हटाना या कम करना
अध्याय 4 – मत देने के लिए निरर्हताएँ
धारा 11ख – दोषसिद्धि और भ्रष्ट आचरणों से उद्भूत निरर्हता
धारा 11ख – निरर्हताओं को हटाया जाना
भाग 3
साधारण निर्वाचनों की अधिसूचनाpdf
धारा 12 – राज्य सभा के द्विवार्षिक निर्वाचन के लिए अधिसूचना
धारा 12 – राज्य सभा के द्विवार्षिक निर्वाचन के लिए अधिसूचना
धारा 12क – राज्य सभा में सिक्किम राज्य को आवंटन में मिले स्थान को भरने के लिए निर्वाचन की अधिसूचना
धारा 14 – लोक सभा के साधारण निर्वाचन के लिए अधिसूचना
धारा 14क – विद्यमान लोकसभा में सिक्किम राज्य के प्रतिनिधि का निर्वाचन करने के लिए अधिसूचना
धारा 14क – विद्यमान लोकसभा में सिक्किम राज्य के प्रतिनिधि का निर्वाचन करने के लिए अधिसूचना
धारा 15 – राज्य की विधान सभा के साधारण निर्वाचन के लिए अधिसूचना
धारा 15क – विधान परिषदों के कतिपय निर्वाचनों के लिए अधिसूचना
धारा 16 – राज्य विधान परिषद के द्विवार्षिक निर्वाचन के लिए अधिसूचना
भाग 4
निर्वाचनों के संचालन के लिए प्रशासनिक मशीनरीpdf
धारा 19 – परिभाषा
धारा 19क – निर्वाचन आयोग के कृत्यों का प्रत्यायोजन
धारा 20 – मुख्य निर्वाचन अधिकारियों के साधारण कर्तव्य
धारा 20क – जिला निर्वाचन अधिकारी के साधारण कर्तव्य
धारा 20 ख – प्रेक्षक
धारा 21 – रिटर्निंग ऑफिसर का साधारण कर्तव्य
धारा 21 – रिटर्निंग ऑफिसर
धारा 22 – सहायक रिटर्निंग ऑफिसर
धारा 23 – रिटर्निंग ऑफिसर का साधारण कर्तव्य
धारा 25 निर्वाचन क्षेत्रों के लिए मतदान केन्द्रों का उपबंध
धारा 26 – मतदान केन्द्रों के लिए पीठासीन ऑफिसरों की नियुक्ति
धारा 27 – पीठासीन अधिकारी का साधारण कर्तव्य
धारा 28 मतदान ऑफिसर के कर्तव्य
धारा 28क – रिटर्निंग ऑफिसर पीठासीन ऑफिसर आदि को निर्वाचन आयोग में प्रतिनियुक्त समझना
धारा 29 – कतिपय निर्वाचनों की दशा में विशेष उपबंध
भाग 4क
राजनैतिक दलों का रजिस्ट्रीकरणpdf
धारा 29क – संगमों और निकायों का राजनैतिक दलों के रूप में आयोग के पास रजिस्ट्रीकरण
धारा 29ख – राजनैतिक दलों का अभिदाय स्वीकार करने का हकदार होना
धारा 29ग़ – राजनैतिक दलों द्वारा प्राप्त संदान की घोषणा
भाग 5
निर्वाचनों का संचालनpdf
ये भाग 8 अध्यायों में बंटा हुआ है जो कि निम्नलिखित है।
अध्याय 1 अभ्यर्थियों का नामनिर्देशन
धारा 30 – नामनिर्देशनों आदि के लिए तारीखें नियत करना
धारा 31 – निर्वाचन की लोकसूचना
धारा 32 – निर्वाचन अभ्यर्थियों का नामनिर्देशन
धारा 33 – नामनिर्देशन-पत्र का उपस्थित किया जाना और विधिमान्य नामनिर्देशन के लिए अपेक्षाएं
धारा 33क – सूचना का अधिकार
धारा 33ख – अभ्यर्थी द्वारा केवल अधिनियम और नियमों के अधीन सूचना का दिया जाना
धारा 34 – निक्षेप
धारा 35 – नामनिर्देशनों की सूचना और उनकी संवीक्षा के लिए समय और स्थान
धारा 36 – नामनिर्देशनों की संवीक्षा
धारा 37 – अभ्यर्थिता वापस लेना
धारा 38 – निर्वाचन लड़ने वाले अभ्यर्थियों की सूची का प्रकाशन
धारा 39 – अन्य निर्वाचनों में अभ्यर्थियों का नामनिर्देशन
धारा 39क – समय की साम्यापूर्ण भागीदारी का आवंटन
अध्याय 2 अभ्यर्थी और उनके अभिकर्ता
धारा 40 – निर्वाचन अभिकर्ता
धारा 41 – निर्वाचन अभिकर्ता होने के लिए निरर्हता
धारा 42 – निर्वाचन अभिकर्ता की नियुक्ति का प्रतिसंहरण या उसकी मृत्यु
धारा 45 – निर्वाचन अभिकर्ताओं के कृत्य
धारा 46 – मतदान अभिकर्ताओं की नियुक्ति
धारा 47 – गणन अभिकर्ताओं की नियुक्ति
धारा 48 – मतदान अभिकर्ता या गणन अभिकर्ता की नियुक्ति का प्रतिसंहरण या उसकी मृत्यु
धारा 49 – मतदान अभिकर्ताओं और गणन अभिकर्ताओं के कृत्य
धारा 50 – निर्वाचन लड़ने वाला अभ्यर्थी या उसके निर्वाचन अभिकर्ता की मतदान केन्द्रों में हाज़िरी और मतदान अभिकर्ता या गणन अभिकर्ता के कृत्यों का उसके द्वारा पालन
धारा 51 – मतदान या गणन अभिकर्ताओं की गैर-हाज़िरी
अध्याय 3 निर्वाचनों में साधारण प्रक्रिया
धारा 52 – मतदान के पूर्व मान्यताप्राप्त राजनैतिक दल के अभ्यर्थी की मृत्यु
धारा 53 – सविरोध और अविरोध निर्वाचनों में प्रक्रिया
धारा 55 – अनुसूचित जतियों या अनुसूचित जंजातियों के लिए जो स्थान आरक्षित नहीं है उन्हे धारण करने की उन जतियों या जंजातियों के सदस्यों की पात्रता
अध्याय 4 मतदान
धारा 56 – मतदान के लिए समय नियत करना
धारा 57 – आपदा में मतदान का स्थगन
धारा 58 – मतपेटियों के विनष्ट होने आदि की दशा में नया मतदान
धारा 58क – बूथों के बलात ग्रहण के कारण मतदान का स्थगित या निर्वाचन का प्रत्यादिष्ट किया जाना
धारा 59 – निर्वाचनों में मत देने की रीति
धारा 60 – कुछ वर्गों के व्यक्तियों द्वारा मत दिये जाने के लिए विशेष प्रक्रिया
धारा 61 – निर्वाचकों के प्रतिरूपण का निवारण करने के लिए विशेष प्रक्रिया
धारा 61क – निर्वाचकों में मतदान मशीनें
धारा 62 – मत देने का अधिकार
संविधान के अनुच्छेद 326 के अलावा (जो 18 वर्ष से अधिक आयु के प्रत्येक नागरिक को मतदान का अधिकार प्रदान करता है, जब तक कि किसी कानून द्वारा अयोग्य घोषित नहीं किया जाता है), धारा 62 यह भी सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक व्यक्ति जो मतदाता सूची में है वह निर्वाचन क्षेत्र मतदान का हकदार है।
एक व्यक्ति एक निर्वाचन क्षेत्र में केवल और केवल एक बार किसी विशेष चुनाव में मतदान कर सकता है।
यदि कोई व्यक्ति जेल में कैद है, चाहे कारावास की सजा के तहत, तो वह मतदान के लिए योग्य नहीं है, हालांकि, निवारक हिरासत (Preventive custody) के मामले में, वह मतदान कर सकता है।
हालांकि, अधिनियम में जेल से चुनाव लड़ने के लिए 2 साल से कम की सजा देने वालों को अनुमति दी गई है ।
अध्याय 5 मतों की गणना
धारा 64 – मतों की गणना
हर चुनाव में, जहां मतदान होता है, वहां मतों की गिनती रिटर्निंग ऑफिसर (RO) की देखरेख में होती है, और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार, उनके चुनाव एजेंट और उनके मतगणना एजेंट को वहाँ पर उपस्थित होना उसका अधिकार है।
धारा 64क – गणना के समय मतपत्रों का विनाश, हानि, आदि।
मतगणना के समय मतपत्रों के विनाश, हानि, क्षति या छेड़छाड़ की सूचना रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा चुनाव आयोग को दी जानी चाहिए।
धारा 65 – मत बराबर होना
यदि मतों की गणना के पश्चात किन्ही अभ्यर्थियों के बीच मत बराबर हो तो रिटर्निंग ऑफिसर लॉटरी से फैसला करेगा।
धारा 66 – निर्वाचन परिणामों की घोषणा
धारा 67 – निर्वाचन परिणामों की रिपोर्ट
धारा 67क – अभ्यर्थी के निर्वाचन की तारीख
रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा जिस तारीख को किसी अभ्यर्थी के बारे में यह घोषणा कर दी जाती है कि वह निर्वाचित हो गया है उसी तारीख को उस उम्मीदवार की निर्वाचन की तारीख मानी जाती है।
अध्याय 6 बहुस्थानिक निर्वाचन
धारा 68 – संसद के दोनों सदनों के लिए निर्वाचित हो जाने पर स्थानों का रिक्त हो जाना
धारा 69 – जो व्यक्ति संसद के एक सदन के सदस्य पहले से ही हैं, दूसरे सदन के लिए उनके निर्वाचित हो जाने पर उनके स्थान का रिक्त हो जाना।
धारा 70 – संसद के दोनों सदनों में से किसी में, या राज्य के विधान-मण्डल के सदन या दोनों सदनों में से किसी में एक से अधिक स्थान के लिए निर्वाचन
अध्याय 7 निर्वाचन परिणामों और नामनिर्देशनों का प्रकाशन
धारा 71 – राज्य सभा के निर्वाचन परिणामों का और राष्ट्रपति द्वारा नामनिर्दिष्ट व्यक्तियों के नामों का प्रकाशन
धारा 73 – लोकसभा और राज्य विधान सभाओं के लिए साधारण निर्वाचनों के परिणामों का प्रकाशन
धारा 73क – कुछ निर्वाचनों के बारे में विशेष उपबंध
धारा 74 – राज्य विधान परिषदों के लिए निर्वाचनों का परिणामों और ऐसी परिषदों के लिए नामनिर्दिष्ट व्यक्तियों के नामों का प्रकाशन
अध्याय 7क आस्तियों और दायित्यों की घोषणा
धारा 75क – आस्तियों और दायित्यों की घोषणा
निर्वाचित होने के बाद, सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति के साथ संपत्ति और देनदारियों की घोषणा दर्ज करनी होती है। इन घोषणाओं को सांसदों को संसद में अपनी सीट लेने के 90 दिनों के भीतर करना होता है।
अध्याय 8 निर्वाचन व्यय
धारा 75 – अध्याय का लागू होना
धारा 76 – निर्वाचन व्ययों का लेखा और उनकी अधिकतम मात्र
धारा 77 – लेखे का जिला निरवचा ऑफिसर के पास दाखिल किया जाना।
भाग 5क
मान्यताप्राप्त राजनैतिक दलों के अभ्यर्थियों को कतिपय सामग्री का निशुल्क प्रदायpdf
धारा 78क – निर्वाचक नामावलियों की प्रतियों का निशुल्क प्रदाय
धारा 78ख – अभ्यर्थियों आदि को कतिपय वस्तुओं का प्रदाय
भाग 6
निर्वाचन की बाबत विवादpdf
ये भाग 5 अध्यायों में बंटा हुआ है जो कि निम्नलिखित है
अध्याय 1 व्याख्या
धारा 79 – परिभाषाएँ
अध्याय 2 निर्वाचन अर्जियों का उच्च न्यायालय को उपस्थित किया जाना
धारा 80 – निर्वाचन अर्ज़ियाँ
धारा 80क – उच्च न्यायालय द्वारा निर्वाचन अर्जियों का विचारण
धारा 81 – अर्जियों का उपस्थित किया जाना
धारा 82 – अर्जी के पक्षकार
धारा 83 – अर्जी की अंतर्वस्तु
धारा 84 – वह अनुतोष जिसका दावा अर्जीदार कर सकेगा
अध्याय 3 निर्वाचन अर्जियों का विचारण
धारा 86 – निर्वाचन अर्जियों का विचारण
धारा 87 – उच्च न्यायालय के समक्ष प्रक्रिया
धारा 93 – दस्तावेजी साक्ष्य
धारा 94 – मतदान की गोपनीयता का अतिलंघन न किया जाना
धारा 95 – अपराध में फँसाने वाले प्रश्नों का उत्तर देना और परित्राण का प्रमाणपत्र
धारा 96 – साक्षियों के व्यय
धारा 97 – स्थान के लिए दावा किए जाने पर प्रत्यारोप
धारा 98 – उच्च न्यायालय का विनिश्चय
धारा 99 – उच्च न्यायालय द्वारा किए जाने वाले अन्य आदेश
धारा 100 – निर्वाचन को शून्य घोषित करने के आधार
धारा 101 – निर्वाचन अभ्यर्थी से भिन्न अभ्यर्थी जिन आधारों पर निर्वाचन घोषित किया जा सकेगा वे आधार
धारा 102 – मतों के बराबर होने की दशा में प्रक्रिया
धारा 103 – उच्च न्यायालय के आदेशों की संसूचना
धारा 106 – आदेश का समुचित प्राधिकारी आदि को पारेषण और उसका प्रकाशन
धारा 107 – उच्च न्यायालय के आदेशों का प्रभाव
अध्याय 4 निर्वाचन अर्जियों का प्रत्याहरण और उपशमन
धारा 109 – निर्वाचन अर्जियों का प्रत्याहरण
धारा 110 – निर्वाचन अर्जियों के प्रत्याहरण के लिए प्रक्रिया
धारा 111 – उच्च न्यायालय द्वारा निर्वाचन आयोग को प्रत्याहरण की रिपोर्ट
धारा 112 – निर्वाचन अर्जियों का उपशमन
धारा 116 – प्रत्यर्थी की मृत्यु पर उपशमन या प्रतिस्थापन
अध्याय 4क अपीलें
धारा 116क – उच्चतम न्यायालय में अपीलें
धारा 116ख – उच्च न्यायालय के आदेश के प्रवर्तन का रोका जाना
धारा 116ग़ – अपील में प्रक्रिया
अध्याय 5 खर्चे और खर्चों के लिए प्रतिभूति
धारा 117 – खर्चों के लिए प्रतिभूति
धारा 118 – प्रत्यर्थी से खर्चों के लिए प्रतिभूति
धारा 119 – खर्चे
धारा 121 – प्रतिभूति निक्षेपों में से खर्चों का संदाय और ऐसे निक्षेपों की वापसी
धारा 122 – खर्चे संबंधी आदेशों का निष्पादन
भाग 7
भ्रष्ट आचरण और निर्वाचन अपराधpdf
ये भाग 2 भागों में बंटा हुआ है जो कि निम्नलिखित है
अध्याय 1 भ्रष्ट आचरण
धारा 123 – भ्रष्ट आचरण
अध्याय 2 निर्वाचन अपराध
धारा 125 – निर्वाचन के संबंध में वर्गों के बीच शत्रुता संप्रवर्तित करना
धारा 125क – मिथ्या शपथपत्र आदि फाइल करने के लिए शास्ति
धारा 126 – मतदान की समाप्ति के लिए नियत किए गए समय के साथ होने वाले 48 घंटों की कालावधि के दौरान सार्वजनिक सभाओं का प्रतिषेध।
यानी कि मतदान समाप्त होने या समाप्त होने से 48 घंटे पहले, एक निर्वाचन क्षेत्र में टेलीविजन या इसी तरह के उपकरण द्वारा किसी भी चुनावी मामले का प्रदर्शन निषिद्ध है। इसके साथ ही किसी प्रकार की रैली या सभा आदि आयोजित नहीं की जा सकती है। (प्रिंट मीडिया, सोशल मीडिया पर ये लागू नहीं है)
धारा 126क – निर्गम मत सर्वेक्षण (Exit polls) के परिणाम आदि के प्रकाशन और प्रसारण पर निर्बंधन
इस धारा के तहत मीडिया एक्ज़िट पोल तथा परिणामों को प्रथम चरण के चुनाव शुरू होने के पहले और अंतिम चुनाव के सम्पन्न होने के आधा घंटा के बाद तक प्रसारित नहीं कर सकता है।
धारा 126ख – कंपनियों द्वारा अपराध
धारा 127 – निर्वाचन सभाओं में उपद्रव
धारा 127क – पुस्तिकाओं, पोस्टरों आदि के मुद्रण पर निर्बंधन
चुनाव संबंधी पम्पलेट, पोस्टर आदि का मुद्रण एवं प्रकाशन आदि इसके द्वारा शासित होता है, जिसके अंतर्गत ऐसी मुद्रित सामग्री पर मुद्रक एवं प्रकाशन का नाम पता मुद्रित रहेगा।
धारा 128 – मतदान की गोपनीयता को बनाए रखना
धारा 129 – निर्वाचनों में ऑफिसर आदि अभ्यर्थियों के लिए कार्य न करेंगे और न मत दिये जाने में कोई असर डालेंगे
धारा 130 – मतदान केन्द्रों में या उनके निकट मत संयाचना का प्रतिषेध
धारा 131 – मतदान केन्द्रों में या उसके निकट विश्रिंखल आचरण आचरण के लिए शास्ति
धारा 132 – मतदान केन्द्रों में अवचार के लिए शास्ति
धारा 132क – मत देने के लिए प्रक्रिया का अनुपालन करने में असफलता के लिए शास्ति
धारा 133 – निर्वाचनों में प्रवहणों के अवैध रूप से भाड़े पर लेने या उपाप्त करने के लिए शास्ति
धारा 134 – निर्वाचकों से संसक्त पदीय कर्तव्य के भंग
धारा 134क – निर्वाचन अभिकर्ता, मतदान अभिकर्ता या गणन अभिकर्ता के रूप में कार्य करने वाले सरकारी सेवकों के लिए शास्ति
धारा 134ख – मतदान केंद्र में या उसके निकट आयुध लेकर जाने का प्रतिषेध
धारा 135 – मतदान केंद्र से मतपत्रों को हटाना अपराध होगा।
धारा 135क – बूथ के बलात ग्रहण का अपराध
धारा 135ख – मतदान के दिन क्रमचरियों को सवेतन अवकाश की मंजूरी
धारा 135ग़ – मतदान के दिन लिकर का न तो विक्रय किया जाना और न ही वितरण किया जाना
धारा 136 – अन्य अपराध और उनके लिए शास्तियाँ
भाग 8
निरर्हताएँpdf
इस भाग को 4 अध्यायों में बांटा गया है लेकिन प्रथम 3 अध्याय को निरस्त कर दिया गया है इसीलिए सिर्फ एक अध्याय बचता है।
अध्याय 4 सदस्यों की निरर्हताओं की जांच के संबंध में निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ
धारा 146 – निर्वाचन आयोग की शक्तियाँ
धारा 146क – निर्वाचन आयोग के समक्ष व्यक्तियों द्वारा किए गए कथन
धारा 146ख – निर्वाचन आयोग द्वारा अनुसरण की जाने वाली प्रक्रिया
धारा 146ग़ – सद्भावपूर्वक किए गए अभिकार्य का परित्राण
भाग 9
उपनिर्वाचनpdf
धारा 147 – राज्य सभा में हुई आकस्मिक रिक्तियाँ
धारा 149 – लोकसभा में हुई आकस्मिक रिक्तियाँ
धारा 150 – राज्य विधानसभाओं में हुई आकस्मिक रिक्तियाँ
धारा 151 – राज्य विधान परिषदों में हुई आकस्मिक रिक्तियाँ
धारा 151क – धारा 147, धारा 149, धारा 150 और धारा 151 में निर्दिष्ट रिक्तियों को भरने के लिए समय की परिसीमा
भाग 10
प्रकीर्ण(miscellaneous)pdf
धारा 152 – राज्य विधानसभाओं और निरवाचकगणों के सदस्यों की सूची संयुक्त रिटर्निंग ऑफिसर रखेंगे।
धारा 153 – निर्वाचन को पूरा करने के लिए समय का विस्तारण
धारा 154 – राज्य सभा के सदस्यों की पदावधि
धारा 155 – राज्य सभा के सदस्यों की पदावधि का प्रारम्भ
धारा 156 – राज्य विधान परिषदों के सदस्यों की पदावधि
धारा 157 – विधान परिषदों के सदस्यों की पदावधि का प्रारम्भ
धारा 158 – अभ्यर्थी के निक्षेप की वापसी का समपहरण
धारा 159 – कतिपय प्राधिकारियों के कर्मचारिवृन्द निर्वाचन के काम के लिए उपलब्ध किए जाएँगे
धारा 160 – परिसर, यानों आदि का निर्वाचन के प्रयोजनों के लिए अधिग्रहण
धारा 161 – प्रतिकर का संदाय
धारा 162 – जानकारी अभिप्राप्त करने की शक्ति
धारा 164 – अधिगृहीत परिसर में बेदखली
धारा 165 – अधिग्रहण से परिसर की निर्मुक्ति
धारा 166 – अधिग्रहण की बाबत राज्य सरकार के कृत्यों का प्रत्यायोजन
धारा 167 – अधिग्रहण संबंधी किसी आदेश के उल्लंघन के लिए शास्ति
भाग 11
साधारणpdf
धारा 169 – नियम बनाने की शक्ति
धारा 170 – सिविल न्यायालयों की अधिकारिता वर्जित
तो ये था जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 (Representation of the People Act 1951) विशेष जानकारी के लिए आप इसके मूल अधिनियम पीडीएफ़↗️ को जरूर पढ़ें।
⚫⚫⚫