यह लेख Article 233 (अनुच्छेद 233) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 233 (Article 233) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 6 — अधीनस्थ न्यायालय] |
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233. जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति— (1) किसी राज्य में जिला न्यायाधीश नियुक्त होने वाले व्यक्तियों की नियुक्ति तथा जिला न्यायाधीश की पदस्थापना और प्रोन्नति उस राज्य का राज्यपाल ऐसे राज्य के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले उच्च न्यायालय से परामर्श करके करेगा। (2) वह व्यक्ति, जो संघ की या राज्य की सेवा में पहले से ही नहीं है, जिला न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए केवल तभी पात्र होगा जब वह कम से कम सात वर्ष तक अधिवक्ता या प्लीडर रहा है और उसकी नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय ने सिफारिश की है। |
Part VI “State” [CHAPTER VI — Subordinate Courts] |
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233. Appointment of district judges— (1) Appointments of persons to be, and the posting and promotion of, district judges in any State shall be made by the Governor of the State in consultation with the High Court exercising jurisdiction in relation to such State. (2) A person not already in the service of the Union or of the State shall only be eligible to be appointed a district judge if he has been for not less than seven years an advocate or a pleader and is recommended by the High Court for appointment. |
🔍 Article 233 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 6 का नाम है “अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 233 से लेकर 237 तक है। इस लेख में हम अनुच्छेद 233 को समझने वाले हैं;
⚫ अनुच्छेद 231 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 233 – जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति (Appointment of district judges)
न्याय (Justice) लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।
भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय (High Court) आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Court)।
संविधान का भाग 6, अध्याय VI, राज्यों के अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) की बात करता है। अनुच्छेद 233 के तहत जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति (Appointment of district judges) के बारे में बताया गया है।
अनुच्छेद 233 के तहत कुल दो खंड है;
अनुच्छेद 233 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि किसी राज्य में जिला न्यायाधीश नियुक्त होने वाले व्यक्तियों की नियुक्ति तथा जिला न्यायाधीश की पदस्थापना और प्रोन्नति उस राज्य का राज्यपाल ऐसे राज्य के संबंध में अधिकारिता का प्रयोग करने वाले उच्च न्यायालय से परामर्श करके करेगा।
भारत के संविधान का अनुच्छेद 233 जिला न्यायालयों में न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित है। इस अनुच्छेद के अनुसार जिला न्यायाधीशों की नियुक्ति (Appointment), पदस्थापना (Posting) एवं प्रोन्नति (Promotion), राज्यपाल द्वारा उस राज्य के उच्च न्यायालय के परामर्श (Consultation) से की जाएगी।
परामर्श प्रक्रिया महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुनिश्चित करती है कि न्यायाधीश की नियुक्ति से पहले राज्यपाल न्यायपालिका के विचारों से अवगत हों। इससे यह सुनिश्चित करने में भी मदद मिलती है कि नियुक्त न्यायाधीश उच्चतम क्षमता के हैं।
हालांकि यहां यह याद रखिए कि राज्यपाल उसी व्यक्ति को जिला न्यायाधीश के रूप में नियुक्त कर सकता है जो कि जिला न्यायाधीश बनने के योग्य हो;
जिला न्यायाधीश बनने के योग्य कौन हो सकता है, इसके बारे में जानकारी इसके अगले खंड में दी गई है;
अनुच्छेद 233 के खंड (1) के तहत कहा गया है कि वह व्यक्ति, जो संघ की या राज्य की सेवा में पहले से ही नहीं है, जिला न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए केवल तभी पात्र होगा जब वह कम से कम सात वर्ष तक अधिवक्ता या प्लीडर रहा है और उसकी नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय ने सिफारिश की है।
इस खंड के तहत बताया गया है कि जिला न्यायाधीश के पद पर नियुक्त होने वाले व्यक्ति के पास निम्नलिखित योग्यताएँ होनी चाहिए।
(1) वह केंद्र या राज्य सरकार में किसी सरकारी सेवा में कार्यरत न हो;
(2) उसे कम से कम सात वर्ष का अधिवक्ता का अनुभव हो; और
(3) उच्च न्यायालय ने उसकी नियुक्ति की सिफ़ारिश की हो।
| Sub ordinate court Judge;
अधीनस्थ न्यायालय का न्यायाधीश उस न्यायालय का न्यायाधीश होता है जो भारत में किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के उच्च न्यायालय के अधीनस्थ होता है। अधीनस्थ अदालतों में जिला अदालतें, मजिस्ट्रेट अदालतें और अन्य विशिष्ट अदालतें शामिल हैं।
अधीनस्थ न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा उच्च न्यायालय के परामर्श से की जाती है।
भारतीय न्यायिक प्रणाली में अधीनस्थ न्यायालय के न्यायाधीश महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे विभिन्न प्रकार के मामलों की सुनवाई करते हैं, जिनमें दीवानी मामले, आपराधिक मामले और पारिवारिक कानून के मामले शामिल हैं।
भारत में अधीनस्थ न्यायालयों के कुछ उदाहरणों में शामिल हैं:
जिला न्यायालय
मजिस्ट्रेट अदालतें
मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट अदालतें
पारिवारिक न्यायालय
किशोर न्यायालय
श्रम न्यायालय
अधीनस्थ न्यायालय के न्यायाधीश यह सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं कि सभी नागरिकों को न्याय मिले। वे विभिन्न प्रकार के मामलों की सुनवाई और निर्णय लेने के लिए जिम्मेदार हैं, और उनके निर्णयों का उनके सामने आने वाले लोगों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
तो यही है अनुच्छेद 233 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |