हम एक संसदीय व्यवस्था वाले देश में रहते हैं जहां केंद्र में वास्तविक कार्यपालक प्रधानमंत्री और राज्य में वास्तविक कार्यपालक मुख्यमंत्री (Chief Minister) होता है।
यानी कि राज्य में मुख्यमंत्री की स्थिति उसी तरह है, जिस तरह केंद्र में प्रधानमंत्री की। इसीलिए काम करने के तरीकों में भी काफी समानताएं पायी जाती है।
इस लेख में हम मुख्यमंत्री (Chief Minister) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे। इसे अच्छी तरह से समझने के लिए लेख अंत तक जरूर पढ़ें।
ये लेख राज्य कार्यपालिका से संबन्धित है। राज्य कार्यपालिका में राज्यपाल, मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद और राज्य के महाधिवक्ता आते हैं। हम राज्यपाल की चर्चा पहले ही कर चुके हैं। अगर आपने नहीं पढ़ा है तो उसका लिंक आपको नीचे मिल जाएगा। आप उसे जरूर पढ़ लें।
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भारत में मुख्यमंत्री (chief minister in india)
मुख्यमंत्री भारत में एक राज्य में सरकार का निर्वाचित प्रमुख होता है। एक मुख्यमंत्री की भूमिका राज्य पर शासन करना, नीतियों को लागू करना और नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करना है।
एक मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्य के राज्यपाल द्वारा की जाती है, जिसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है। राज्यपाल आमतौर पर सरकार बनाने के लिए राज्य विधानसभा में बहुमत वाले राजनीतिक दल के नेता को आमंत्रित करता है। राजनीतिक दल का नेता मुख्यमंत्री बनता है।
एक मुख्यमंत्री के कई कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को पूरा करना होता है। इनमें से कुछ जिम्मेदारियों में शामिल हैं:
राज्य का शासन: मुख्यमंत्री राज्य के शासन के लिए जिम्मेदार होता है, जिसमें कानून और व्यवस्था सुनिश्चित करना, प्रशासन को बनाए रखना और आपात स्थिति और प्राकृतिक आपदाओं से निपटना शामिल है।
नीतियों का कार्यान्वयन: मुख्यमंत्री राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों और योजनाओं को लागू करने के लिए जिम्मेदार है।
बजट प्रबंधन: मुख्यमंत्री राज्य के बजट के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है, जिसमें राजस्व बढ़ाना, धन आवंटित करना और यह सुनिश्चित करना शामिल है कि व्यय बजट के भीतर हो।
केंद्र सरकार के साथ संबंध बनाए रखना: मुख्यमंत्री केंद्र सरकार के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने और आवश्यकता पड़ने पर केंद्र सरकार से सहायता मांगने के लिए जिम्मेदार है।
नागरिकों का कल्याण: मुख्यमंत्री नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है, जिसमें स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और अन्य बुनियादी सुविधाएं प्रदान करना शामिल है।
आइये मुख्यमंत्री (Chief Minister) के विभिन्न पहलुओं को विस्तार से समझते हैं;
मुख्यमंत्री की नियुक्ति (appointment of chief minister)
संविधान में मुख्यमंत्री की नियुक्ति और उसके निर्वाचन के लिए कोई विशेष प्रक्रिया नहीं है। बस अनुच्छेद 163 में लिखा है कि राज्यपाल को सहायता और सलाह देने के लिए मंत्रिपरिषद होगा जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री करेंगे।
और अनुच्छेद 164 में कहा गया है कि मुख्यमंत्री की नियुक्ति राज्यपाल करेगा और अन्य मंत्रियों की नियुक्ति राज्यपाल, मुख्यमंत्री के सलाह से करेगा।
तो मुख्यमंत्री की नियुक्ति के बारे में संविधान में यही लिखा हुआ है हालांकि इसका तात्पर्य यह नहीं है कि राज्यपाल किसी भी व्यक्ति को मुख्यमंत्री नियुक्त करने के लिए स्वतंत्र है।
◾ संसदीय व्यवस्था में राज्यपाल, राज्य विधानसभा में बहुमत प्राप्त दल के नेता को ही मुख्यमंत्री_नियुक्त करता है। पर अगर किसी दल को स्पष्ट बहुमत प्राप्त न हो तो ऐसी स्थिति में राज्यपाल, मुख्यमंत्री कि नियुक्ति में अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करता है।
राज्यपाल सबसे बड़े दल या गठबंधन के नेता को मुख्यमंत्री नियुक्त करता है और उसे एक माह के भीतर सदन में विश्वास मत प्राप्त करने के लिए कहता है।
◾ राज्यपाल अपने व्यक्तिगत फैसले द्वारा भी मुख्यमंत्री की नियुक्त कर सकता है, लेकिन तभी जब कार्यकाल के दौरान किसी मुख्यमंत्री की मौत हो जाये और कोई उत्तराधिकारी तय न हो।
लेकिन अगर सत्तारूढ़ दल उत्तराधिकारी का चुनाव कर लेता है तो राज्यपाल के पास उसे मुख्यमंत्री नियुक्त करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं होता है।
◾ संविधान में ऐसा कुछ नहीं लिखा है कि मुख्यमंत्री नियुक्त होने से पूर्व कोई व्यक्ति बहुमत सिद्ध करे ही। यानी कि राज्यपाल चाहे तो पहले उसे बतौर मुख्यमंत्री नियुक्त कर सकता है फिर एक उचित समय के भीतर बहुमत सिद्ध करने को कह सकता है।
◾ अगर कोई व्यक्ति राज्य विधानमंडल का सदस्य नहीं है तब भी वह छह माह के लिए मुख्यमंत्री बन सकता है लेकिन इस समय के दौरान उसे राज्य विधानमंडल के लिए निर्वाचित होना पड़ेगा, ऐसा न होने पर छह माह पश्चात उसका मुख्यमंत्री का पद समाप्त हो जाएगा।
◾ संविधान के अनुसार, मुख्यमंत्री को विधानमंडल के दो सदनों में से किसी एक का सदस्य होना अनिवार्य है। समान्यतः मुख्यमंत्री निचले सदन से चुना जाता है लेकिन जिस भी राज्य में विधानपरिषद है उसके सदस्य भी बतौर मुख्यमंत्री नियुक्त किया जा सकता हैं।
शपथ, कार्यकाल एवं वेतन
मुख्यमंत्री (Chief Minister) को अपने पद ग्रहण से पहले राज्यपाल उसे पद एवं गोपनियाता की शपथ दिलाता है। अपनी शपथ में मुख्यमंत्री कहता है कि :-
1. मैं भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और सत्यनिष्ठा रखूँगा 2. भारत की प्रभुता और अखंडता बनाए रखूँगा 3. अपने दायित्वों का श्रद्धापूर्वक और शुद्ध अन्तःकरण (Conscience) से निर्वहन करूंगा 4. भय या पक्षपात, अनुराग या द्वेष के बिना, सभी प्रकार के लोगों के प्रति संविधान और विधि के अनुसार न्याय करूंगा।
अपनी गोपनियता की शपथ में मुख्यमंत्री_वचन देता है कि – जो विषय राज्य के मंत्री के रूप में मेरे विचार में लाया जाएगा अथवा मुझे ज्ञात होगा उसे किसी व्यक्ति या व्यक्तियों को तब के सिवाय जबकि ऐसे मंत्री के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्यक निर्वहन के लिए ऐसा करना अपेक्षित हो, मैं प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से संसूचित या प्रकट नहीं करूंगा।
◼ प्रधानमंत्री की तरह ही मुख्यमंत्री का कार्यकाल भी निश्चित नहीं होता है वह बस राज्यपाल के प्रसाद्पर्यंत अपने पद पर बना रहता है। इसका ये मतलब कतई नहीं है कि राज्यपाल जब भी चाहे मुख्यमंत्री को बर्खास्त कर सकता है।
राज्यपाल मुख्यमंत्री_को तब तक बर्खास्त नहीं कर सकता, जब तक कि उसे विधानसभा में बहुमत प्राप्त है, लेकिन यदि वह विधानसभा में विश्वास खो देता है तो उसे त्यागपत्र दे देना चाहिए अगर त्यागपत्र नहीं देता है तो फिर राज्यपाल उसे बर्खास्त कर सकता है।
◼ मुख्यमंत्री के वेतन एवं भत्तों का निर्धारण राज्य विधानमंडल द्वारा किया जाता है। राज्य विधानमंडल के प्रत्येक सदस्य को मिलने वाले वेतन भत्तों सहित उसे व्यय विषयक भत्ते, निशुल्क आवास, यात्रा भत्ता और चिकित्सा सुविधाएं आदि मिलती हैं।
मुख्यमंत्री की शक्तियां एवं कार्य
राज्य के वास्तविक कार्यपालिका होने के नाते सारे कार्यकारी फैसले मुख्यतः वो खुद ही करते हैं। आइये मोटे तौर पर देखते हैं कि वो क्या-क्या करते हैं।
मंत्रिपरिषद के संदर्भ में मुख्यमंत्री की शक्तियाँ
राज्य मंत्रिपरिषद (SCoM) के प्रमुख के रूप में मुख्यमंत्री_निम्नलिखित शक्तियों का प्रयोग करता है।
1. मुख्यमंत्री के सिफ़ारिश के बिना राज्यपाल किसी को भी मंत्री नहीं बना सकता है।
2. वह मंत्रियों के विभागों का वितरण एवं फेरबदल कर सकता है और किसी भी प्रकार का मतभेद होने पर वह किसी भी मंत्री से त्यागपत्र देने के लिए कह सकता है या राज्यपाल को उसे बर्खास्त करने का परामर्श दे सकता है।
3. वह मंत्रिपरिषद की बैठक की अध्यक्षता करता है और इसके फैसलों को प्रभावित करता है
4. वह सभी मंत्रियों के क्रियाकलापों में सहयोग, नियंत्रण, निर्देश और मार्गदर्शन देता है।
6. मुख्यमंत्री जब भी चाहे अपने पद से त्यागपत्र देकर वह पूरी मंत्रिपरिषद को समाप्त कर सकता है। चूंकि मुख्यमंत्री, मंत्रिपरिषद का मुखिया होता है, इसीलिए उसके इस्तीफे या मौत के कारण मंत्रिपरिषद अपने आप ही विघटित हो जाती है।
यानी कि सरकार गिर जाती है, वहीं दूसरी ओर यदि किसी मंत्री का पद रिक्त होता है तो मुख्यमंत्री उसे भरे या न भरे पर सरकार नहीं गिरता है।
राज्यपाल के संबंध में मुख्यमंत्री की शक्तियाँ
राज्यपाल के संबंध में मुख्यमंत्री_को निम्नलिखित शक्तियाँ प्राप्त है:-
अनुच्छेद 167 के तहत मुख्यमंत्री_का यह कर्तव्य बनता है कि वह:- 1. राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक मसलों पर लिए गए सभी निर्णय के बारे में राज्यपाल को संसूचित करे।
2. राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक मसलों से संबंधीत जो भी जानकारी राज्यपाल मांगे, वह दे, और
3. किसी विषय को जिस पर किसी मंत्री ने निर्णय ले लिया है किन्तु मंत्रिपरिषद ने उस पर विचार नहीं किया है, तो राज्यपाल के द्वारा अपेक्षा किए जाने पर मंत्रीपरिषद के समक्ष विचार के लिए रखे।
इसके अलावा वह महत्वपूर्ण अधिकारियों, जैसे कि – महाधिवक्ता, राज्य लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष एवं उसके सदस्यों और राज्य निर्वाचन आयुक्त आदि की नियुक्ति के संबंध में राज्यपाल को परामर्श देता है।
राज्य विधानमंडल के संबंध में मुख्यमंत्री_की शक्तियाँ
मुख्यमंत्री (Chief Minister) चूंकि सदन का नेता होता है इसीलिए वह-
1. वह राज्यपाल को विधानमंडल का सत्र बुलाने एवं उसे स्थगित करने के संबंध में सलाह देता है
2. वह राज्यपाल को किसी भी समय विधानसभा विघटित करने की सिफ़ारिश कर सकता है
3. वह सभापटल पर सरकारी नीतियों की घोषणा करता है।
मुख्यमंत्री के अन्य शक्तियाँ एवं कार्य
उपरोक्त शक्तियों एवं कार्यों के अलावा भी मुख्यमंत्री के अन्य कार्य हैं जैसे कि :-
1. वह राज्य योजना बोर्ड का अध्यक्ष होता है
2. वह संबन्धित क्षेत्रीय परिषद के क्रमवार उपाध्यक्ष के रूप में एक वर्ष के लिए कार्य करता है
3. वह अंतरराज्यीय परिषद और राष्ट्रीय विकास परिषद का सदस्य होता है। इन दोनों परिषदों की अध्यक्षता प्रधानमंत्री द्वारा की जाती है
4. वह राज्य सरकार का मुख्य प्रवक्ता होता है
5. आपातकाल के दौरान राजनीतिक स्तर पर वह मुख्य प्रबंधक होता है
6. राज्य का नेता होने के नाते वह जनता के विभिन्न वर्गों से मिलता है और उनसे उनकी समस्याओं आदि के संबंध में ज्ञापन प्राप्त करता है।
इस तरह मुख्यमंत्री राज्य प्रशासन में बहुत महत्वपूर्ण एवं अहम भूमिका निभाता है। हालांकि राज्यपाल अपने विवेकाधिकार का इस्तेमाल करके राज्य प्रशासन में मुख्यमंत्री की कुछ शक्तियों, प्राधिकार, प्रतिष्ठा आदि में कटौती कर सकता है।
समापन टिप्पणी
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में मुख्यमंत्री एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है। मुख्यमंत्री राज्य के शासन, नीतियों को लागू करने और नागरिकों के कल्याण को सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है। मुख्यमंत्री राज्य के विकास और इसके नागरिकों के कल्याण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
भारतीय राजनीतिक व्यवस्था में मुख्यमंत्री एक महत्वपूर्ण व्यक्ति है। मुख्यमंत्री राज्य के शासन के लिए जिम्मेदार होता है, जो लाखों नागरिकों के जीवन को प्रभावित करता है।
मुख्यमंत्री केंद्र सरकार के साथ अच्छे संबंध बनाए रखने और आवश्यकता पड़ने पर केंद्र सरकार से सहायता लेने के लिए भी जिम्मेदार है।
मुख्यमंत्री राज्य सरकार द्वारा बनाई गई नीतियों और योजनाओं को लागू करने के लिए भी जिम्मेदार है। इन नीतियों और योजनाओं का नागरिकों के जीवन पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ सकता है, विशेष रूप से जो हाशिए पर हैं और आर्थिक रूप से वंचित हैं।
तो उम्मीद है आपको मुख्यमंत्री (Chief Minister) समझ में आया होगा। संबन्धित अन्य लेखों को अवश्य पढ़ें और इस लेख को शेयर करें व हमें सपोर्ट करें; टेलीग्राम ग्रुप से अवश्य जुड़ें।
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