यह लेख अनुच्छेद 106 (Article 106) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 106

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📜 अनुच्छेद 106 (Article 106) – Original

संसद और उसके सदस्यों की शक्तियाँ, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां
106. सदस्यों के वेतन और भत्ते — संसद्‌ के प्रत्येक सदन के सदस्य ऐसे वेतन और भत्ते, जिन्हें संसद, समय-समय पर, विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक इस संबंध में इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसे भत्ते, ऐसी दरों से और ऐसी शर्तों पर, जो भारत डोमिनियन की संविधान सभा के सदस्यों को इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले लागू थीं, प्राप्त करने के हकदार होंगे ।
—-अनुच्छेद 106 —-

Powers, Privileges and Immunities of Parliament and its Members
106. Salaries and allowances of members—Members of either House of Parliament shall be entitled to receive such salaries and allowances as may from time to time be determined by Parliament by law and, until provision in that respect is so made, allowances at such rates and upon such conditions as were immediately before the commencement of this Constitution applicable in the case of members of the Constituent Assembly of the Dominion of India.
Article 106

🔍 Article 106 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 106 (Article 106) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
——Article 106—–

| अनुच्छेद 106 – सदस्यों के वेतन और भत्ते

अनुच्छेद 79 के तहत, देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की व्यवस्था की गई है। संसद तीन घटकों से मिलकर बना है; राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha)।

संसद में दो सदन है लोक सभा और राज्यसभा। लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सीटें हैं। भारत में संसद का दूसरा सदन भी है, जिसे राज्य सभा या राज्यों की परिषद के रूप में जाना जाता है। अभी फिलहाल 245 सीटें राज्यसभा में प्रभाव में है जिसमें से 233 सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव होते हैं जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।

कुल मिलाकर अभी लोक सभा और राज्य सभा में 788 सदस्य है। और इन्ही सदस्यों के वेतन और भत्तों के बारे में अनुच्छेद 106 में बताया गया है। आइये इसे समझें;

अनुच्छेद-31(क) – भारतीय संविधान
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अनुच्छेद 106 के तहत बताया गया है कि संसद्‌ के प्रत्येक सदन के सदस्य ऐसे वेतन और भत्ते, जिन्हें संसद, समय-समय पर, विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक इस संबंध में इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसे भत्ते, ऐसी दरों से और ऐसी शर्तों पर, जो भारत डोमिनियन की संविधान सभा के सदस्यों को इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले लागू थीं, प्राप्त करने के हकदार होंगे।

यहाँ पर दो बातें हैं;

पहली बात तो ये कि संसद के प्रत्येक सदस्य को ऐसे वेतन और भत्ते मिलेंगे जिसे कि संसद द्वारा समय-समय पर विधि के माध्यम से तय किया जाएगा।

दूसरी बात ये है कि संसद जब तक ऐसी विधि नहीं बनाती है तब तक संसद के प्रत्येक सदस्य को वेतन ऐसी दरों से और ऐसी शर्तों पर मिलेंगी जो कि भारत डोमिनियन की संविधान सभा के सदस्यों को इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले लागू थीं।

साल 1954 में इसी अनुच्छेद के अनुपालन में एक विधि बनाई गई – संसद सदस्यों के वेतन, भत्ते और पेंशन अधिनियम 1954 (The Salary, Allowances and Pension of Members of Parliament Act 1954)।

इस अधिनियम (Act) और इसके अंतर्गत आने वाले नियम (Rules) को समय-समय पर संशोधित किया गया। जब मैं यह लेख लिख रहा हूँ 11 मई 2022 को अंतिम संशोधन हुआ है।

चूंकि एक सांसद (MP) मंत्री पद भी संभालते हैं इसीलिए मंत्रियों के लिए साल 1952 में अलग से अधिनियम पारित किया गया – मंत्रियों के वेतन और भत्ते अधिनियम 1952 (THE SALARIES AND ALLOWANCES OF MINISTERS ACT 1952)।

यहाँ जो आप नीचे चार्ट देखेंगे उसे इन्ही दोनों अधिनियम के आधार पर तैयार किया गया है; तो आइये देखते हैं कि इस संशोधन के हिसाब से अभी सांसदों (MP) एवं मंत्रियों के वेतन व भत्ते क्या है?

सांसदों एवं मंत्रियों के वेतन एवं भत्ते (Salary and Allowances of Member of Parliament & Ministers):

FeaturesEntitlement (in Rs per month)
Salary (वेतन) 1,00,000
Constituency allowance (निर्वाचन क्षेत्र भत्ता)70,000
Office expense allowance (कार्यालय व्यय भत्ता)60,000 [Office expenses 20,000 + Secretarial assistance 40,000]
Sumptuary allowance of Prime Minister3,000
Sumptuary allowance of Cabinet Ministers2,000
Sumptuary allowance of Ministers of State1,000
Sumptuary allowance of Deputy Ministers600
Sumptuary allowance को हिन्दी में सत्कार भत्ता कहा जाता है।

समझने योग्य तकनीकी जानकारी (Technical Information Related to Article 106):

📌 प्रत्येक मंत्री अपने मंत्री के रूप में अपने पूरे कार्यकाल के दौरान प्रति माह वेतन और प्रत्येक दिन के लिए भत्ता उसी दर पर प्राप्त करने का हकदार होगा जैसा कि संसद सदस्य वेतन भत्ते और पेंशन अधिनियम 1954 की धारा 3 में सांसद (MP) के लिए निर्दिष्ट है।

कहने का अर्थ है कि एक मंत्री (Minister) और सांसद (MP) का वेतन और भत्ता समान ही होता है। और वो कितना होता है वो The Salary, Allowances and Pension of Members of Parliament Act 1954 की धारा 3 में बताया गया है।

धारा 3 के अनुसार 1 लाख रुपए प्रति माह वेतन है। जिसे कि वित्त अधिनियम 2018 (Finance Act 2018) के द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था। साथ ही इसी धारा के अनुसार ड्यूटी पर निवास की किसी भी अवधि के दौरान प्रत्येक दिन के लिए दो हजार रुपये की दर से भत्ता मिलता है।

📌 जैसा कि हमने ऊपर भी समझा कि संविधान के अनुच्छेद 106 के तहत सांसदों को यह अधिकार मिला है कि वे कानून बनाकर अपने वेतन का निर्धारण करें। 

2018 तक सांसद समय-समय पर अपने वेतन में संशोधन के लिए कानून पारित करते थे। चूंकि सांसद अपने वेतन खुद तय करते हैं, इसलिए हितों के टकराव का सवाल खड़ा होता है।

2010 में लोकसभा में इस विषय पर चर्चा के दौरान कई सांसदों ने सुझाव दिया था कि सांसदों के वेतन को तय करने के लिए एक ऐसी व्यवस्था तैयार की जानी चाहिए जिसमें सांसद या संसदीय समिति शामिल न हो।

इसी को ध्यान में रखकर 2018 में संसद ने फाइनांस एक्ट 2018 के जरिए सांसदों के वेतन को निर्धारित करने वाले कानून में संशोधन किया।

इस एक्ट में प्रावधान ये है कि सांसदों के वेतन, दैनिक भत्ते और पेंशन में हर पांच वर्षों में बढ़ोतरी की जाएगी। ये बढ़ोतरी लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (Cost Inflation Index) के आधार पर की जाएगी।

लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (Cost Inflation Index)
लागत मुद्रास्फीति सूचकांक भारत सरकार द्वारा जारी एक महंगाई सूचकांक है जो ये बताता है कि पहले के मुक़ाबले महंगाई कितनी बढ़ गई है। इसके लिए 2001-02 को आधार वर्ष और उसकी लागत मुद्रास्फीति 100 मान लिया गया है।

इसी को आधार बनाकर हर साल का लागत मुद्रास्फीति सूचकांक जारी किया जाता है। उदाहरण के लिए, 2020-21 के लिए CII 301 है, यानी कि 2001-02 में जितनी वस्तुएँ या सेवाएँ 100 रुपए में मिल जाती थी वो 2020-21 में 301 रुपए में मिल रहा है। भारत सरकार इसी को आधार बनाकर सांसदों के वेतन को बढ़ाती है।

याद रखें कि लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (CII) आयकर अधिनियम 1961 की धारा 48 के स्पष्टीकरण के खंड (v) के तहत आता है।
इस हिसाब से अगला वेतन निर्धारण 2023 में किया जाना है।

📌 प्रत्येक मंत्री संसद सदस्यों के संबंध में The Salary, Allowances and Pension of Members of Parliament Act 1954 की धारा 8 के तहत निर्दिष्ट दर पर निर्वाचन क्षेत्र भत्ता (Constituency allowance) प्राप्त करने का हकदार होगा।

धारा 8 के अनुसार अप्रैल 2020 से 70,000 रुपए निर्वाचन क्षेत्र भत्ता दिया जाएगा। हालांकि याद रखिए कि कोरोना महामारी के कारण 1 अप्रैल 2020 से 31 मार्च 2021 तक निर्वाचन क्षेत्र भत्ता 49,000 रुपए कर दिया गया था।

📌 मंत्रियों एवं सांसदों का निवास (residence of ministers and MPs):

Article 106 : Houses of Ministers and MPs
Modern house,“/ CC0 1.0

प्रत्येक मंत्री को अपने कार्यकाल के दौरान बिना किराए के भुगतान के एक सुसज्जित निवास स्थान मिलता है। इसी तरह से प्रत्येक सांसद को The Housing and Telephone Facilities (Members of Parliament) Rules,1956 के तहत अपने पूरे कार्यकाल के दौरान बिना लाइसेंस शुल्क के फ्लैट के रूप में आवासीय आवास मिलता है।

📌 मंत्रियों एवं सांसदों का चिकित्सा उपचार (Medical treatment of Ministers and MPs):

Article 106 : Medical Treatment Allowance of MPs
Article 106 image credit “Medical needle“/ CC0 1.0

केंद्र सरकार द्वारा इस संबंध में बनाए गए किसी भी नियम के अधीन, एक मंत्री और उसके परिवार के सदस्यों को सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में आवास और चिकित्सा उपचार निःशुल्क मिलता है।

सांसदों की बात करें तो संसद सदस्य अपनी पदावधि के दौरान उन्हीं चिकित्सा सुविधाओं का हकदार होता है जो केंद्रीय सिविल सेवा वर्ग 1 के अधिकारियों के लिए उपलब्ध हैं। [The Medical Facilities (Members of Parliament) Rules, 1959]

📌 ऊपर बताए गए सुविधाएं और भत्तों के अलावा भी अन्य ढ़ेरों भत्ते हैं जो किसी सांसद या मंत्री को मिलते हैं; जैसे कि यात्रा भत्ता (Travel Allowance), विदेश यात्रा भत्ता (Allowances for Journeys Abroad) एवं मोटर कार की खरीद के लिए पैसा इत्यादि।

सांसदों के मामले में आमतौर पर सभी मदों या विषयों के लिए अलग-अलग Rules बनाए गए हैं जो कि The Salary, Allowances and Pension of Members of Parliament Act 1954 के तहत ही बनाए गए हैं।

  1. The Members of Parliament (Travelling and Daily Allowances) Rules, 1957
  2. The Housing and Telephone Facilities (Members of Parliament) Rules, 1956
  3. The Medical Facilities (Members of Parliament) Rules, 1959
  4. The Members of Parliament (Allowances for Journeys Abroad) Rules, 1960
  5. The Members of Parliament (Constituency Allowance) Rules 1986
  6. The Members of Parliament (Advance for the Purchase of Conveyance) Rules, 1986
  7. The Members of Parliament (Office Expense Allowance) Rules, 1988
  8. The Payment of Family Pension (Submission of Documents) Rules, 2021

अगर चीजों को और भी विस्तार से समझने का मन करें तो आप सभी Rules को दिए गए PDF में पढ़ सकते हैं;

पेंशन के बारे में (About Pension):

भारत में, संसद सदस्य (सांसद) और मंत्री सेवानिवृत्त (Retire) होने के बाद पेंशन प्राप्त करने के हकदार हैं। पेंशन की राशि उनकी सेवा की लंबाई और अन्य कारकों के आधार पर भिन्न होती है।

Finance Act 2018 के अनुसार, 18 मई 2009 से, प्रत्येक व्यक्ति को, जिसने अस्थायी संसद (Provisional Parliament) या संसद (Parliament) के किसी भी सदन के सदस्य के रूप में किसी भी अवधि के लिए सेवा की है, प्रति माह पच्चीस हजार रुपये की पेंशन का भुगतान किया जाएगा:

बशर्ते कि जहां किसी व्यक्ति ने पांच साल से अधिक की अवधि के लिए अनंतिम संसद (Provisional Parliament) या संसद के किसी भी सदन के सदस्य के रूप में सेवा की हो, वहां उसे पांच साल से अधिक की सेवा के लिए प्रति वर्ष दो हजार रुपये की अतिरिक्त पेंशन का भुगतान किया जाएगा।

एक सांसद और मंत्री को मिलने वाली अधिकतम पेंशन सेवानिवृत्ति के समय उनके वेतन का 50% तक हो सकता है।

यहाँ यह याद रखें कि वेतन की तरह ही लागत मुद्रास्फीति सूचकांक (CII) के आधार पर 1 अप्रैल 2023 से शुरू होने वाले हर पांच साल के बाद प्रत्येक व्यक्ति को पेंशन और अतिरिक्त पेंशन में वृद्धि की जाएगी।

स्पष्टीकरण: यहाँ अस्थायी संसद या अनंतिम संसद (Provisional Parliament) का मतलब वह निकाय है जो संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले डोमिनियन ऑफ इंडिया की संविधान सभा के रूप में कार्य करता था।

गौरतलब है कि सांसद और मंत्री मुफ्त आवास, यात्रा भत्ता और चिकित्सा सुविधाओं जैसे अन्य लाभों के भी हकदार हैं। हालाँकि, भारत में सांसदों और मंत्रियों को दी जाने वाली पेंशन और अन्य लाभों के बारे में बहस और चर्चाएँ हुई हैं, कुछ लोगों का तर्क है कि ये लाभ अत्यधिक हैं और इनमें सुधार की आवश्यकता है।

नोट – अगर आपको यह जानना है कि अंग्रेजों के समय में उस समय के सांसद को कितना वेतन व भत्ता मिलता था, तो आप दिए गए लिंक को विजिट कर सकते हैं; https://www.mpa.gov.in/sites/default/files/parlia10.pdf

साल 2020 में कोरोना महामारी के प्रकोप के कारण सांसदों एवं मंत्रियों के वेतन एवं भत्तों में 30% तक कटौती कर दी गई थी। इसके बारे में जानने के लिए आप इस लेख को पढ़ सकते हैं; https://prsindia.org/billtrack/the-salary-allowances-and-pension-of-members-of-parliament-amendment-bill-2020

तो यही है अनुच्छेद 106 (Article 106), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
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FAQ. अनुच्छेद 106 (Article 106) क्या है?

अनुच्छेद 106 के तहत बताया गया है कि संसद्‌ के प्रत्येक सदन के सदस्य ऐसे वेतन और भत्ते, जिन्हें संसद, समय-समय पर, विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक इस संबंध में इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसे भत्ते, ऐसी दरों से और ऐसी शर्तों पर, जो भारत डोमिनियन की संविधान सभा के सदस्यों को इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले लागू थीं, प्राप्त करने के हकदार होंगे।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।