यह लेख Article 179 (अनुच्छेद 179) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 179 (Article 179) – Original

भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी]
179. अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना — विधान सभा के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के रूप में पद धारण करने वाला सदस्य

(क) यदि विधान सभा का सदस्य नहीं रहता है तो अपना पद रिक्त कर देगा;
(ख) किसी भी समय, यदि वह सदस्य अध्यक्ष है तो उपाध्यक्ष को संबोधित और यदि वह सदस्य उपाध्यक्ष है तो अध्यक्ष को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा अपना पद त्याग सकेगा ; और
(ग) विधान सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा अपने पद से हटाया जा सकेगा।

परंतु खंड (ग) के प्रयोजन के लिए कोई संकल्प तब तक प्रस्तावित नहीं किया जाएगा जब तक कि उस संकल्प को प्रस्तावित करने के आशय की कम से कम चौदह दिन की सूचना न दे दी गई हो।

परंतु यह और कि जब कभी विधान सभा का विघटन किया जाता है तो विघटन के पश्चात्‌ होने वाले विधान सभा के प्रथम अधिवेशन के ठीक पहले तक अध्यक्ष अपने पद को रिक्त नहीं करेगा।
अनुच्छेद 179 हिन्दी संस्करण

Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [Officers of the State Legislature]
179. Vacation and resignation of, and removal from, the offices of Speaker and Deputy Speaker—A member holding office as Speaker or Deputy Speaker of an Assembly—
(a) shall vacate his office if he ceases to be a member of the Assembly;
(b) may at any time by writing under his hand addressed, if such member is the Speaker, to the Deputy Speaker, and if such member is the Deputy Speaker, to the Speaker, resign his office; and
(c) may be removed from his office by a resolution of the Assembly passed by a majority of all the then members of the Assembly:

Provided that no resolution for the purpose of clause (c) shall be moved unless at least fourteen days’ notice has been given of the intention to move the resolution:
Provided further that, whenever the Assembly is dissolved, the Speaker shall not vacate his office until immediately before the first meeting of the Assembly after the dissolution.
Article 179 English Version

🔍 Article 179 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iसाधारण (General)Article 152
IIकार्यपालिका (The Executive)Article 153 – 167
IIIराज्य का विधान मंडल (The State Legislature)Article 168 – 212
IVराज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor)Article 213
Vराज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)Article 214 – 232
VIअधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)Article 233 – 237
[Part 6 of the Constitution]

जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।

इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Chapter 3 [Sub-Chapters]Articles
साधारण (General)Article 168 – 177
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature) Article 178 – 187
कार्य संचालन (Conduct of Business)Article 188 – 189
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members)Article 190 – 193
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members)Article 194 – 195
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure)Article 196 – 201
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters)Article 202 – 207
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally)Article 208 – 212
[Part 6 of the Constitution]

इस लेख में हम राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature) के तहत आने वाले अनुच्छेद 179 को समझने वाले हैं।

अनुच्छेद 94 – भारतीय संविधान
Closely Related to Article 179

| अनुच्छेद 179 – अध्यक्ष और उपाध्यक्ष का पद रिक्त होना, पदत्याग और पद से हटाया जाना (Vacation and resignation of, and removal from, the offices of Speaker and Deputy Speaker)

भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।

केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।

जिस तरह से अनुच्छेद 94 के तहत केंद्र में अध्यक्ष व उपाध्यक्ष का पद रिक्त होने, पदत्याग और पद से हटाये जाने से संबन्धित प्रावधान है उसी तरह से अनुच्छेद 179 के तहत राज्यों के लिए अध्यक्ष अरु उपाध्यक्ष का पद रिक्त होने, पदत्याग और पद से हटाये जाने से संबंधित प्रावधान है।

आमतौर पर विधान सभा अध्यक्ष तब तक अध्यक्ष बने रहते हैं जब तक विधान सभा भंग नहीं हो जाता। अध्यक्ष की ही तरह, उपाध्यक्ष भी जब तक लोकसभा भंग न हो जाये तब तक अपना पद धारण करता है परंतु अध्यक्ष और उपाध्यक्ष अनुच्छेद 179  के तहत निम्नलिखित तीन स्थितियों में उससे पहले भी अपना पद छोड़ सकता है:-

1. चूंकि विधान सभा अध्यक्ष विधान सभा का ही सदस्य होता है इसीलिए यदि वह किसी कारण से सदन का सदस्य नहीं रह पाता, तो उसका अध्यक्ष पद भी चला जाता है; इसे रिक्ति (Vacation) कहा जाता है।

2. यदि अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा इस्तीफ़ा दे दें। या यदि उपाध्यक्ष, अध्यक्ष को संबोधित अपने हस्ताक्षर सहित लेख द्वारा इस्तीफा दे दे। इसे पद त्याग (resignation) कहा जाता है।

3. यदि विधान सभा के तत्कालीन समस्त सदस्यों के बहुमत से पारित संकल्प द्वारा उसे उसके पद से हटाया जाये। इसे पद से हटाया जाना (Romoval from the Office) कहा जाता है।

लेकिन ऐसा संकल्प तब तक प्रस्तावित नहीं किया जा सकता जब तक कि कम से कम 14 दिन पूर्व सूचना न दे दी गई हो।

◾ यहाँ यह याद रखिए कि जब विधान सभा विघटित होती है, तब अध्यक्ष अपना पद नहीं छोड़ता वह नई लोकसभा की बैठक तक पद धारण करता है।

तो यही है अनुच्छेद 179, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि
भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview
Must Read

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राज्य विधानमंडल: अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions – 8 
  2. Passing Marks – 75  %
  3. Time – 6 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

1 / 8

राज्य विधानमंडल के सदस्यता के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. राज्य विधानमंडल में सदस्यता पाने के लिए किसी व्यक्ति का भारत में रहना जरूरी होता है।
  2. राज्य विधानमंडल की सदस्यता पाने के लिए किसी व्यक्ति की कम से कम 21 वर्ष उम्र होनी चाहिए।
  3. अनुसूचित जाति के व्यक्ति उसी क्षेत्र से विधानमंडल में जा सकते हैं जो उसके लिए आरक्षित है।
  4. विधान परिषद की सदस्यता के लिए कम से कम 30 वर्ष की आयु होनी चाहिए।

2 / 8

निम्न में से किन मामलों में विधानमंडल का सदस्य पद छोड़ता है या उसे छोड़ना पड़ता है?

  1. जब कोई सदस्य अपना त्यागपत्र दे देता हो।
  2. जब कोई सदस्य बिना पूर्व अनुमति के 45 दिनों तक बैठकों से अनुपस्थित रहता हो।
  3. यदि न्यायालय द्वारा उसके निर्वाचन को अमान्य ठहरा दिया जाये।
  4. यदि वह किसी राज्य का राज्यपाल निर्वाचित हो जाये।

3 / 8

राज्य विधानमंडल संविधान के किस भाग से संबंधित है?

4 / 8

विधानमंडल के मामले में कोरम यानी कि गणपूर्ति का पैमाना क्या है?

5 / 8

निम्न में किस राज्य में विधान परिषद नहीं है?

6 / 8

राज्य विधानमंडल के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

7 / 8

दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. सदन के सदस्यों के कम से कम दसवें भाग के बराबर सदस्य उपस्थित नहीं रहने पर सदन नहीं चल सकता है।
  2. महाधिवक्ता विधानमंडल के किसी भी सदन के कार्यवाही में हिस्सा ले सकता है।
  3. राज्य विधानमंडल के सदस्यों को सदन चलने के 40 दिन पहले और 40 दिन बाद तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
  4. सदन के सदस्य कुछ महत्वपूर्ण मामलों में गुप्त बैठक कर सकते हैं।

8 / 8

राज्य विधानमंडल में किन स्थितियों में किसी व्यक्ति को सदस्य नहीं बनाया जा सकता है?

  1. यदि वह व्यक्ति विकृत चित्त का हो।
  2. वह चुनाव में किसी प्रकार के भ्रष्ट आचरण अथवा चुनावी अपराध का दोषी नहीं पाया गया हो।
  3. उसे किसी अपराध में 3 महीने या उससे अधिक की सजा मिली हो।
  4. उसे अश्लीलता, दहेज आदि जैसे सामाजिक अपराधों में संलिप्त पाया गया हो।

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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।