यह लेख Article 192 (अनुच्छेद 192) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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📜 अनुच्छेद 192 (Article 192) – Original

भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [सदस्यों की निरर्हताएं]
1[192. सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्वय —(1) यदि यह प्रक्ष उठता है कि किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य अनुच्छेद 191 के खंड (1) में वर्णित किसी निरईता से ग्रस्त हो गया है या नहीं तो वह प्रश्न राज्यपाल को विनिश्चय के लिए निर्देशित किया जाएगा और उसका विनिश्चय अंतिम होगा।

(2) ऐसे किसी प्रक्ष पर विनिश्चय करने से पहले राज्यपाल निर्वाचन आयोग की राय लेगा और ऐसी राय के अनुसार कार्य करेगा।]

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1. अनुच्छेद 192, संविधान (बयालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1976 की धारा 33 द्वारा (3-1-1977 से) और तत्पश्चात्‌ संविधान (चवालीसवां संशोधन) अधिनियम, 1978 का धारा 25 द्वारा (20-6-1979 से) संशोधित होकर उपरोक्त रुप में आया।
अनुच्छेद 192 हिन्दी संस्करण

Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [Disqualifications of Members]
1[192. Decision on questions as to disqualifications of members— (1) If any question arises as to whether a member of a House of the Legislature of a State has become subject to any of the disqualifications mentioned in clause (1) of article 191, the question shall be referred for the decision of the Governor and his decision shall be final.

(2) Before giving any decision on any such question, the Governor shall obtain the opinion of the Election Commission and shall act according to such opinion.]
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1. Subs. by the Constitution (Forty-second Amendment) Act, 1976, s. 33, for art. 192 (w.e.f. 3-1-1977) and further subs. by the Constitution (Forty-fourth Amendment) Act, 1978, s. 25, for art. 192 (w.e.f. 20-6-1979).
Article 192 English Version

🔍 Article 192 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iसाधारण (General)Article 152
IIकार्यपालिका (The Executive)Article 153 – 167
IIIराज्य का विधान मंडल (The State Legislature)Article 168 – 212
IVराज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor)Article 213
Vराज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)Article 214 – 232
VIअधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)Article 233 – 237
[Part 6 of the Constitution]

जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।

इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;

Chapter 3 [Sub-Chapters]Articles
साधारण (General)Article 168 – 177
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature)Article 178 – 187
कार्य संचालन (Conduct of Business)Article 188 – 189
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members)Article 190 – 193
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members)Article 194 – 195
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure)Article 196 – 201
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters)Article 202 – 207
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally)Article 208 – 212
[Part 6 of the Constitution]

इस लेख में हम सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members) के तहत आने वाले अनुच्छेद 192 को समझने वाले हैं।

अनुच्छेद 103 – भारतीय संविधान
Closely Related to Article 192

| अनुच्छेद 192 – सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्वय (Decision on questions as to disqualifications of members)

भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।

केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।

अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।

जिस तरह से अनुच्छेद 103 के तहत केंद्र में सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्वय के बारे में बताया गया है, उसी तरह से अनुच्छेद 192 के तहत राज्यों में सदस्यों की निरर्हताओं से संबंधित प्रश्नों पर विनिश्वय के बारे में बताया गया है;

इस अनुच्छेद के तहत कुल दो खंड आते हैं;

अनुच्छेद 192(1) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि यदि यह प्रक्ष उठता है कि किसी राज्य के विधान-मंडल के किसी सदन का कोई सदस्य अनुच्छेद 191 के खंड (1) में वर्णित किसी निरईता से ग्रस्त हो गया है या नहीं तो वह प्रश्न राज्यपाल को विनिश्चय के लिए निर्देशित किया जाएगा और उसका विनिश्चय अंतिम होगा।

यानि कि अनुच्छेद 191(1) के तहत आने वाली निरर्हता से कोई ग्रसित हुई है या नहीं इस पर अंतिम निर्णय राज्यपाल लेगा।

अनुच्छेद 192(2) के तहत कहा गया है कि ऐसे किसी प्रक्ष पर विनिश्चय करने से पहले राज्यपाल निर्वाचन आयोग की राय लेगा और ऐसी राय के अनुसार कार्य करेगा।

हमने अनुच्छेद 192(1) के तहत समझा कि अनुच्छेद 191(1) के तहत आने वाली निरर्हता (disqualification) से कोई ग्रसित हुई है या नहीं इस पर अंतिम निर्णय राज्यपाल लेगा।

लेकिन अनुच्छेद 192 के खंड (2) के तहत राज्यपाल, इस तरह के मामलों में निर्णय लेने से पहले निर्वाचन आयोग की राय लेगा, और जो राय आएगा राज्यपाल उसी के अनुसार कार्य करेगा।

तो यही है अनुच्छेद 192, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि
भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview
Must Read

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राज्य विधानमंडल: अभ्यास प्रश्न

  1. Number of Questions – 8 
  2. Passing Marks – 75  %
  3. Time – 6 Minutes
  4. एक से अधिक विकल्प सही हो सकते हैं।

1 / 8

निम्न में किस राज्य में विधान परिषद नहीं है?

2 / 8

दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. सदन के सदस्यों के कम से कम दसवें भाग के बराबर सदस्य उपस्थित नहीं रहने पर सदन नहीं चल सकता है।
  2. महाधिवक्ता विधानमंडल के किसी भी सदन के कार्यवाही में हिस्सा ले सकता है।
  3. राज्य विधानमंडल के सदस्यों को सदन चलने के 40 दिन पहले और 40 दिन बाद तक गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
  4. सदन के सदस्य कुछ महत्वपूर्ण मामलों में गुप्त बैठक कर सकते हैं।

3 / 8

राज्य विधानमंडल में किन स्थितियों में किसी व्यक्ति को सदस्य नहीं बनाया जा सकता है?

  1. यदि वह व्यक्ति विकृत चित्त का हो।
  2. वह चुनाव में किसी प्रकार के भ्रष्ट आचरण अथवा चुनावी अपराध का दोषी नहीं पाया गया हो।
  3. उसे किसी अपराध में 3 महीने या उससे अधिक की सजा मिली हो।
  4. उसे अश्लीलता, दहेज आदि जैसे सामाजिक अपराधों में संलिप्त पाया गया हो।

4 / 8

राज्य विधानमंडल के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

5 / 8

राज्य विधानमंडल के सदस्यता के संबंध में दिए गए कथनों में से सही कथन का चुनाव करें;

  1. राज्य विधानमंडल में सदस्यता पाने के लिए किसी व्यक्ति का भारत में रहना जरूरी होता है।
  2. राज्य विधानमंडल की सदस्यता पाने के लिए किसी व्यक्ति की कम से कम 21 वर्ष उम्र होनी चाहिए।
  3. अनुसूचित जाति के व्यक्ति उसी क्षेत्र से विधानमंडल में जा सकते हैं जो उसके लिए आरक्षित है।
  4. विधान परिषद की सदस्यता के लिए कम से कम 30 वर्ष की आयु होनी चाहिए।

6 / 8

राज्य विधानमंडल संविधान के किस भाग से संबंधित है?

7 / 8

विधानमंडल के मामले में कोरम यानी कि गणपूर्ति का पैमाना क्या है?

8 / 8

निम्न में से किन मामलों में विधानमंडल का सदस्य पद छोड़ता है या उसे छोड़ना पड़ता है?

  1. जब कोई सदस्य अपना त्यागपत्र दे देता हो।
  2. जब कोई सदस्य बिना पूर्व अनुमति के 45 दिनों तक बैठकों से अनुपस्थित रहता हो।
  3. यदि न्यायालय द्वारा उसके निर्वाचन को अमान्य ठहरा दिया जाये।
  4. यदि वह किसी राज्य का राज्यपाल निर्वाचित हो जाये।

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अनुच्छेद 193 – भारतीय संविधान
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भारतीय संविधान
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मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
Important Pages of Compilation
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।