इस लेख में हम भारतीय संघ एवं इसके क्षेत्र (Union of India and its Territory) यानी कि संविधान के भाग 1 पर सरल और सहज चर्चा करेंगे एवं इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं समझने का प्रयास करेंगे।
तो अच्छी तरह से समझने के लिए लेख को अंत तक जरूर पढ़ें और साथ ही संबन्धित अन्य लेखों को भी पढ़ें। बेशक! भारत एक देश है पर अगर इसे संविधान के नजरिए से देखें तो इसके कई अन्य पहलू सामने आते हैं, आइये जानते हैं-
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भारतीय संघ (Union of India)
इस लेख में संविधान के भाग 1 की चर्चा है। अगर सीधे-सीधे ये प्रश्न किया जाए कि भारत के संविधान का भाग 1 किस बारे में है तो हम कहेंगे कि ये भारत के विवरण के बारे में है, जैसे कि – भारत क्या है?, भारतीय संघ क्या है? नए राज्यों का गठन और अधिग्रहण की शक्ति किसके पास है? आदि।
संविधान के इस भाग में कुल 4 अनुच्छेद है – अनुच्छेद 1, 2, 3 और 4। तो आइये बारी-बारी से देखते हैं चारों अनुच्छेदों में क्या-क्या प्रावधान है?
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अनुच्छेद 1
अनुच्छेद 1 के अंतर्गत कुल तीन प्रावधान है इसका पहला प्रावधान कहता है कि इंडिया यानी कि भारत ‘राज्यों का संघ’ होगा (India that is Bharat shall be Union of states)
पहले प्रावधान में दो महत्वपूर्ण शब्द है इंडिया यानी कि भारत और राज्यों का संघ।
आपके मन में सवाल आ सकता है कि संविधान में भारत यानी कि इंडिया क्यों लिखा हुआ है सिर्फ इंडिया या फिर सिर्फ भारत क्यों नहीं लिखा हुआ है।
दरअसल इसका कारण वैचारिक मतभेद है। जब संविधान का निर्माण हो रहा था तो संविधान सभा के कुछ लोग जो परंपरावादी विचारधारा को ज्यादा तवज्जो देते थे; देश का नाम भारत रखना चाहते थे क्योंकि ये नाम हमारे समृद्ध परंपरा को रिप्रेजेंट करता था ।
वहीं कुछ प्रोग्रेसिव विचारधारा के लोग देश का नाम इंडिया रखना चाहते थे क्योंकि उन लोगों के हिसाब से ये नाम एक नए और आधुनिक भारत का प्रतीक था।
संविधान सभा के सदस्य एच. वी. कामथ देश का मुख्य नाम भारत रखे जाने का पक्षधर था। साथ ही संविधान सभा के एक और सदस्य सेठ गोविंद दास ने तो वेदो-पुराणों आदि का हवाला देते हुए इस बात को स्थापित करने की कोशिश की कि हमेशा से यह देश भारत के नाम से ही जाना जाता रहा है। इन्होने इंडिया दैट इज़ भारत के स्थान पर ”bharat known as india in foreign country” प्रयोग करने की सिफ़ारिश की।
इस मुद्दे पर काफी नोक-झोंक हुई, आखिरकार वोटिंग करने का निर्णय लिया गया और इस वोटिंग में उन लोगों के पक्ष में फैसला गया जो इंडिया के पक्ष में था। और इसीलिए अनुच्छेद 1 में ‘इंडिया यानी कि भारत‘ लिखा हुआ है। यहाँ पर ये याद रखिए कि संविधान में हिंदुस्तान शब्द का प्रयोग नहीं हुआ है।
➖ ‘राज्यों का संघ‘ का मतलब
संघ को सबसे आसान भाषा में समझना हो तो हम कह सकते हैं कि एक ऐसी राजनैतिक व्यवस्था जहां दो स्तरों पर सरकार हो और दोनों के मध्य शक्तियों का विभाजन हो। इस हिसाब से देखें तो भारत एक संघ है। पर यहाँ जो सबसे प्रमुख बात है वो ये है कि भारत की संघीय व्यवस्था अमेरिका संघीय व्यवस्था के थोड़ा अलग है। कितना अलग है इसे समझाते हुए डॉ. भीमराव अंबेडकर ने निम्नलिखित दो बातें कही,
पहला – भारतीय संघ अमेरिकी संघ की भांति राज्यों के बीच हुए किसी समझौते का परिणाम नहीं है। मतलब ये कि राज्यों ने मिलकर भारत नहीं बनाया है बल्कि भारत पहले से था और राज्य उसमें शामिल हुए है। इसीलिए भारत United States of India नहीं है।
दूसरा – भारतीय राज्यों को भारतीय संघ से अलग होने का कोई अधिकार नहीं है। मतलब ये कि कोई राज्य कितना भी अलग होने की कोशिश करें -संविधान उन्हे अलग होने की अनुमति नहीं देता। जबकि अमेरिकी संघ के राज्य चाहे तो ऐसा कर सकता है।
> अनुच्छेद 1 के दूसरे प्रावधान की बात करें तो इसमें कहा गया है कि राज्य और उनके राज्यक्षेत्र वे होंगे जो अनुसूची 1 में वर्णित है। कहने का अर्थ ये है कि जितने राज्य और केंद्रशासित प्रदेश है दरअसल वही भारत है और अनुसूची 1 में यही लिखा हुआ है। अगर आपको सारे राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की जानकारी चाहिए तो आपको अनुसूची 1 खंगालनी चाहिए।
अब अनुच्छेद 1 के तीसरे प्रावधान की बात करें तो ये कहता है कि भारत के राज्यक्षेत्र में सभी राज्यों के क्षेत्र एवं केंद्रशासित प्रदेश तो शामिल है ही लेकिन वे क्षेत्र भी भारत का हिस्सा बन जाएगा जिसे कि भारत सरकार द्वारा किसी भी समय अधिगृहीत किया जाएगा।
दूसरे शब्दों में कहें तो जरूरी नहीं है कि भारत जैसा आज दिख रहा है वैसा भविष्य में भी दिखायी दे। अगर भारत सरकार किसी नए जमीन को अधिगृहीत करती है तो वो भी भारत का हिस्सा बन जाएगा और नक्शा उसी हिसाब से बदल जाएगा। जैसे कि गोवा को ही लें तो आजादी के समय भारतीय संघ का हिस्सा नहीं था बल्कि बाद में इसे भारतीय संघ में शामिल किया गया है। यही शामिल करने की शक्ति किसके पास है, अनुच्छेद 2 इसी के बारे में है, तो अब अनुच्छेद 2 समझेंगे
नए राज्यों का प्रवेश या स्थापना
अनुच्छेद 2 – संसद, विधि द्वारा, ऐसे निबंधनों और शर्तों पर, जो वह ठीक समझे, संघ में नए राज्यों का प्रवेश या उनकी स्थापना कर सकेगी।
मुख्य रूप से इसके दो निहितार्थ हैं –
पहला कि संसद को ये शक्ति दी गई है कि वे नये राज्यों का भारतीय संघ में प्रवेश करा सकती है। लेकिन इस शक्ति के तहत उसी राज्य को भारत में प्रवेश कराया जा सकता है जो पहले से अस्तित्व में है।
और दूसरा – संसद नये राज्यों का गठन कर सकती है। लेकिन इस शक्ति के तहत उस राज्य को भारत में प्रवेश कराया जा सकता है जो पहले से अस्तित्व में नहीं है।
कुल मिलाकर अनुच्छेद 2 उन राज्यों के भारत में प्रवेश एवं गठन से संबन्धित है जो भारतीय संघ का हिस्सा नहीं है। उदाहरण के लिए आप गोवा को ले सकते हैं जो पहले पुर्तगाल के अधिकार क्षेत्र में था पर 1961 में उसे भारत में शामिल करा लिया गया।
यानी कि सिर्फ संसद ही कानून बनाकर नए राज्यों का भारत में प्रवेश या गठन कर सकती है। जैसे कि संसद ने गोवा को एक राज्य का दर्जा दिया, अगर संसद चाहती तो उसे महाराष्ट्र या कर्नाटक में मिला सकती थी।
अब भी ऐसा किया जा सकता है कैसे किया जा सकता है? अनुच्छेद 3 उसी के बारे में है।
नए राज्यों का निर्माण और वर्तमान राज्यों के क्षेत्रों, सीमाओं या नामों में परिवर्तन
अनुच्छेद 3 अनुच्छेद 3 मुख्यतः पाँच बातें कहती है।
पहला – संसद, विधि द्वारा राज्य में से उसके कुछ भाग को अलग करके, या फिर दो या दो से अधिक राज्यों को मिलाकर या फिर उसके कुछ भाग को मिलाकर नए राज्य का निर्माण कर सकता है।
दूसरा – संसद किसी राज्य के क्षेत्र को बढ़ा सकती है।
तीसरा – संसद किसी राज्य के क्षेत्र को घटा सकती है।
चौथा – संसद किसी राज्य की सीमाओं में परिवर्तन कर सकता है।
पांचवा – संसद किसी राज्य के नाम में परिवर्तन कर सकती है।
यहाँ पर ये याद रखिए कि यह अनुच्छेद भारत के आंतरिक भाग पर काम करता है। यानी कि अनुसूची 1 में जितने भी राज्य और केंद्रशासित प्रदेश का वर्णन है ये उसपर काम करता है। जबकि अनुच्छेद 2 भारत के बाहर के राज्यों के लिए था।
– कुल मिलाकर अगर अनुच्छेद 3 को एक लाइन में कहें तो संसद अपने अनुसार भारत के राजनीतिक मानचित्र का पुनर्निर्धारण कर सकती है। जैसे कि 2014 में तेलंगाना को आंध्रप्रदेश से काटकर एक नया राज्य बनाया गया।
लेकिन ये काम संसद अपने मन से नहीं कर सकती बल्कि इस तरह के परिवर्तन से संबन्धित अध्यादेश को संसद में पेश करने से पहले राष्ट्रपति से मंजूरी लेनी पड़ती है। और राष्ट्रपति उस अध्यादेश को संबन्धित राज्य के विधानमंडल में भेजता है ताकि उन लोगों का इस बारे में क्या कहना है, ये जाना जा सकें।
पर अगर मान लीजिये कि जिस राज्य में ये परिवर्तन होना है उस राज्य के विधानमंडल ने इसको स्वीकृति नहीं दे तो क्या होगा? कुछ भी नहीं होगा क्योंकि प्रावधान ये साफ-साफ कहता है कि संसद उस राज्य के मत को मानने के लिए बाध्य नहीं है। इसका मतलब ये हुआ कि अगर संसद ने सोच लिया कि किसी राज्य का नक्शा बदल देना है तो वे ऐसा आसानी से कर सकता है।
आसानी से कर सकता है इसका क्या मतलब है? इसका मतलब अनुच्छेद 4 से स्पष्ट हो जाता है।
यहाँ पर ये याद रखिए इसका तीसरा प्रावधान जो ये कहता है कि ”संसद किसी राज्य क्षेत्र को घटा सकती है।” इसको लेकर काफी विवाद हुआ; जो कि बेरुबाड़ी मामले के नाम से प्रसिद्ध है।
अनुच्छेद 4
ये बस इतना कहता है कि अनुच्छेद 2 और 3 के तहत जो भी परिवर्तन किए जाएंगे वे सभी संविधान के अनुच्छेद 368 के तहत संशोधन नहीं माना जाएगा।
यहाँ पर दो चीज़ें है पहला तो अनुच्छेद 2 और 3 के तहत परिवर्तन की बात कही गई है और दूसरी बात है अनुच्छेद 368।
तो अनुच्छेद 1 जो है वो सिर्फ भारत के विवरण के बारे में है उसकी मदद से किसी भी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जा सकता। इसीलिए सिर्फ अनुच्छेद 2 और 3 ही है जिसकी मदद से भारत के नक्शे में परिवर्तन लाया जा सकता है।
दूसरी बात अनुच्छेद 368 संविधान में संशोधन के लिए है, अगर अनुच्छेद 368 के तहत किसी प्रकार का संशोधन किया जाता है तो उसमें विशेष बहुमत की जरूरत पड़ती है।
अनुच्छेद 4 में साफ-साफ लिखा है कि अनुच्छेद 2 और 3 के माध्यम से किया गया परिवर्तन अनुच्छेद 368 के तहत नहीं माना जाएगा। इसका मतलब ये हुआ कि इस तरह का कानून सामान्य बहुमत और साधारण विधायी प्रक्रिया से पारित किया जा सकता है। इसीलिए तो ये इतना आसान है। अनुच्छेद 368 के बारे में विस्तार से जानने के लिए ↗️यहाँ क्लिक करें।
समापन टिप्पणी (Closing Remarks)
हमने अनुच्छेद 1, अनुच्छेद 2 और अनुच्छेद 3 तीनों को देखा पर उसमें कहीं भी ये नहीं लिखा हुआ पाया कि भारत अपने हिस्से के क्षेत्र को किसी अन्य देश को दे सकता है कि नहीं। ये बात इसीलिए याद दिला रहा हूँ क्योंकि नेहरू-नून समझौते में बेरुबाड़ी नामक जगह को भारत पाकिस्तान को देने की बात कही जिससे एक विवाद खड़ा हुआ कि क्या भारत सरकार के पास ये शक्ति है जिसके तहत वे अपनी जमीन को किसी और देश को दे सकें। ये विवाद बेरुबारी मामला के नाम से प्रसिद्ध है। ये क्या है इसे इत्मीनान से इस लेख में समझेंगे।
Quiz भारतीय संघ (संविधान भाग 1)
आपने जो भी पढ़ा और सुना अब उसे टेस्ट करने की बारी है, तो अपने समझ की जांच जरूर कीजिये। ये टेस्ट बिलकुल फ्री है ।
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References,
मूल संविधान का भाग 1↗️
Part I of the Constitution of India↗️
Schedule 1 of the COI
https://archive.org/details/schedule-1-new-constitution-as-of-dec-2020-286-295/mode/2up?view=theater&ui=embed&wrapper=false