यह लेख Article 176 (अनुच्छेद 176) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 176 (Article 176) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [साधारण] |
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176. राज्यपाल का विशेष अभिभाषण —(1) राज्यपाल, 1[विधान सभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात् प्रथम सत्र के आरंभ में] और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में विधान सभा में या विधान परिषद् वाले राज्य की दशा में एक साथ समवेत दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और विधान-मंडल को उसके आव्हान के कारण बताएगा। (2) सदन या प्रत्येक सदन की प्रक्रिया का विनियमन करने वाले नियमों द्वारा ऐसे अभिभाषण में निर्दिष्ट विषयों की चर्चा के लिए समय नियत करने के लिए 2**** उपबंध किया जाएगा। ============== 1. संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, 1951 की धारा 9 द्वारा “प्रत्येक सत्र” के स्थान पर (18-6-1951 से) प्रतिस्थापित। 2. संविधान (पहला संशोधन) अधिनियम, 1951 की धारा 9 द्वारा “तथा सदन के अन्य कार्य पर इस चर्चा को अग्रता देने के लिए” शब्दों का लोप किया गया। |
Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [General] |
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176. Special address by the Governor—(1) At the commencement of 1[the first session after each general election to the Legislative Assembly and at the commencement of the first session of each year], the Governor shall address the Legislative Assembly or, in the case of a State having a Legislative Council, both Houses assembled together and inform the Legislature of the causes of its summons. (2) Provision shall be made by the rules regulating the procedure of the House or either House for the allotment of time for discussion of the matters referred to in such address 2***. ================ 1. Subs. by s. 9, ibid., for “every session” (w.e.f. 18-6-1951). 2. The words “and for the precedence of such discussion over other business of the House” omitted by s. 9, ibid. (w.e.f. 18-6-1951). |
🔍 Article 176 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।
इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Chapter 3 [Sub-Chapters] | Articles |
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साधारण (General) | Article 168 – 177 |
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature) | Article 178 – 187 |
कार्य संचालन (Conduct of Business) | Article 188 – 189 |
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members) | Article 190 – 193 |
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members) | Article 194 – 195 |
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure) | Article 196 – 201 |
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters) | Article 202 – 207 |
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally) | Article 208 – 212 |
इस लेख में हम साधारण (General) के तहत आने वाले अनुच्छेद 176 को समझने वाले हैं।
⚫ अनुच्छेद 87 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 176 – राज्यपाल का विशेष अभिभाषण (Special address by the Governor)
जैसा कि हम जानते हैं कि भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।
◾ केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।
अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।
जिस तरह से अनुच्छेद 87 के तहत केंद्र में राष्ट्रपति के लिए विशेष अभिभाषण की व्यवस्था की गई है उसी तरह से अनुच्छेद 176 के तहत राज्यपाल के लिए विशेष अभिभाषण की व्यवस्था की गई है। इस अनुच्छेद के दो खंड है;
अनुच्छेद 176(1) के तहत राज्यपाल, विधान सभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात् प्रथम सत्र के आरंभ में और प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में विधान सभा में या विधान परिषद् वाले राज्य की दशा में एक साथ समवेत दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और विधान-मंडल को उसके आव्हान के कारण बताएगा।
इस खंड के तहत दो बाते हैं;
पहली बात कि राज्यपाल, विधान सभा के लिए प्रत्येक साधारण निर्वाचन के पश्चात् प्रथम सत्र के आरंभ में एक साथ सम्मिलित रूप से संसद के दोनों सदनों में अभिभाषण करेगा और संसद् को उसके आह्वान के कारण बताएगा।
कहने का अर्थ है कि प्रत्येक आम चुनाव के बाद जब नयी सरकार बनती है तब राज्यपाल दोनों सदनों के सदस्यों (अगर विधान परिषद भी है तो) को एक साथ संबोधित (Address) करता है।
दूसरी बात ये है कि राज्यपाल, प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र के आरंभ में एक साथ सम्मिलित रूप से विधानमंडल के दोनों सदनों (अगर विधान परिषद भी है तो) में अभिभाषण करेगा और संसद् को उसके आह्वान के कारण बताएगा।
कहने का अर्थ है कि राज्यपाल, प्रत्येक वर्ष के प्रथम सत्र (session) शुरू होने से पहले विधान मण्डल के दोनों सदनों के सदस्यों को संबोधित करता है। आमतौर पर राज्यपाल इसके माध्यम से देश की स्थिति और सरकार की स्थिति या उपलब्धि को जनता के समक्ष रखती है।
अनुच्छेद 176(2) के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि सदन या प्रत्येक सदन की प्रक्रिया का विनियमन करने वाले नियमों द्वारा ऐसे अभिभाषण में निर्दिष्ट विषयों की चर्चा के लिए समय नियत करने के लिए उपबंध किया जाएगा।
जैसा कि हमने समझा प्रत्येक आम चुनाव के पहले सत्र एवं हरेक वित्तीय वर्ष के पहले सत्र में राज्यपाल सदन को संबोधित करता है। अपने सम्बोधन में राज्यपाल पूर्ववर्ती वर्ष और आने वाले वर्ष में सरकार की नीतियों एवं योजनाओं का खाका खींचता है।
राज्यपाल के इस भाषण की अनुच्छेद 176 के इस खंड के अनुसार, दोनों सदनों (अगर विधान परिषद भी है तो) में चर्चा होती है, उस पर वाद-विवाद होता है। इसी को धन्यवाद प्रस्ताव (Motion of Thanks) कहा जाता है।
बहस खत्म होने के बाद प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा जाता है। इस प्रस्ताव का सदन में पारित होना आवश्यक होता है। अगर ये पारित नहीं होता है तो इसे सरकार की पराजय मानी जाती है।
धन्यवाद प्रस्ताव (Motion of Thanks) किसे कहते हैं?:
विधानमंडल में, धन्यवाद प्रस्ताव विधान सभा (निम्न सदन) और विधान परिषद (उच्च सदन) दोनों में प्रस्तुत किया जाने वाला एक औपचारिक प्रस्ताव है, जो किसी राज्य के राज्यपाल को संसद के संयुक्त सत्र की शुरुआत में उनके अभिभाषण के लिए धन्यवाद देने के लिए पेश किया जाता है।
◾ राज्यपाल का अभिभाषण एक महत्वपूर्ण घटना है जो आगामी संसदीय सत्र के एजेंडे को निर्धारित करता है। राज्यपाल के अभिभाषण के बाद, विधानमंडल इसकी सामग्री पर चर्चा करते हैं और इससे संबंधित विभिन्न मुद्दों पर बहस करते हैं। एक बार चर्चा समाप्त हो जाने के बाद, एक सदस्य धन्यवाद प्रस्ताव पेश करता है।
◾ धन्यवाद प्रस्ताव अनिवार्य रूप से विधानमंडल का राज्यपाल के अभिभाषण के लिए आभार व्यक्त करने और उसमें उल्लिखित नीतियों और कार्यक्रमों का समर्थन करने का एक तरीका है। यह संसद के सदस्यों को विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार व्यक्त करने और उनकी किसी भी चिंता को व्यक्त करने का अवसर भी प्रदान करता है।
◾ धन्यवाद प्रस्ताव आमतौर पर सत्तारूढ़ दल के एक सदस्य द्वारा पेश किया जाता है, और विपक्षी दलों को इसका जवाब देने का अवसर दिया जाता है। यह अक्सर संसद के दोनों सदनों में एक जीवंत बहस का कारण बनता है, जिसमें विभिन्न दलों के सदस्य विभिन्न मुद्दों पर अपने विचार रखते हैं।
◾ एक बार बहस समाप्त हो जाने के बाद, धन्यवाद प्रस्ताव को मतदान के लिए रखा जाता है, और यदि यह पारित हो जाता है, तो इसे राष्ट्रपति के अभिभाषण और उसमें उल्लिखित नीतियों और कार्यक्रमों का समर्थन माना जाता है। यदि यह पारित नहीं होता है, तो इसे सरकार में अविश्वास माना जाता है।
कुल मिलाकर, धन्यवाद प्रस्ताव एक महत्वपूर्ण संसदीय प्रक्रिया है जो संसद को राष्ट्रपति के अभिभाषण और उसमें उल्लिखित नीतियों और कार्यक्रमों पर अपने विचार व्यक्त करने का अवसर प्रदान करती है।
◾ विभिन्न प्रकार के प्रस्तावों को यहाँ से समझें; संसदीय प्रस्ताव : प्रकार, विशेषताएँ
तो यही है Article 176, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि ◾ भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview |
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |