यह लेख Article 195 (अनुच्छेद 195) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 195 (Article 195) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 3 — राज्य का विधान मंडल] [राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां] |
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195. सदस्यों के वेतन और भत्ते — राज्य की विधान सभा और विधान परिषद् के सदस्य ऐसे वेतन और भत्ते, जिन्हें उस राज्य का विधान-मंडल, समय-समय पर, विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक इस संबंध में इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसे वेतन और भत्ते, ऐसी दरों से और ऐसी शर्तों पर, जो तत्स्थानी प्रांत की विधान सभा के सदस्यों को इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले लागू थीं, प्राप्त करने के हकदार होंगे। |
Part VI “State” [CHAPTER III — The State Legislature] [Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members] |
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195. Salaries and allowances of members— Members of the Legislative Assembly and the Legislative Council of a State shall be entitled to receive such salaries and allowances as may from time to time be determined, by the Legislature of the State by law and, until provision in that respect is so made, salaries and allowances at such rates and upon such conditions as were immediately before the commencement of this Constitution applicable in the case of members of the Legislative Assembly of the corresponding Province. |
🔍 Article 195 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 3 का नाम है “राज्य का विधान मंडल (The State Legislature)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 158 से लेकर अनुच्छेद 212 तक है।
इस अध्याय को आठ उप-अध्यायों (sub-chapters) में बांटा गया है, जिसे कि आप नीचे चार्ट में देख सकते हैं;
Chapter 3 [Sub-Chapters] | Articles |
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साधारण (General) | Article 168 – 177 |
राज्य के विधान मण्डल के अधिकारी (Officers of the State Legislature) | Article 178 – 187 |
कार्य संचालन (Conduct of Business) | Article 188 – 189 |
सदस्यों की निरर्हताएं (Disqualifications of Members) | Article 190 – 193 |
राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members) | Article 194 – 195 |
विधायी प्रक्रिया (Legislative Procedure) | Article 196 – 201 |
वित्तीय विषयों के संबंध में प्रक्रिया (Procedure in respect of financial matters) | Article 202 – 207 |
साधारण प्रक्रिया (Procedure Generally) | Article 208 – 212 |
इस लेख में हम राज्यों के विधान-मंडलों और उनके सदस्यों की शक्तियां, विशेषाधिकार और उन्मुक्तियां (Powers, privileges and immunities of State Legislatures and their members) के तहत आने वाले अनुच्छेद 195 को समझने वाले हैं।
⚫ अनुच्छेद 106 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 195 – सदस्यों के वेतन और भत्ते (Salaries and allowances of members)
भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और जिस तरह से केंद्र में विधायिका (Legislature) होता है उसी तरह से राज्य का भी अपना एक विधायिका होता है।
◾ केन्द्रीय विधायिका (Central Legislature) को भारत की संसद (Parliament of India) कहा जाता है। यह एक द्विसदनीय विधायिका है, जिसका अर्थ है कि इसमें दो सदन हैं: लोकसभा (लोगों का सदन) और राज्यसभा (राज्यों की परिषद)। इसी तरह से राज्यों के लिए भी व्यवस्था की गई है।
अनुच्छेद 168(1) के तहत प्रत्येक राज्य के लिए एक विधानमंडल (Legislature) की व्यवस्था की गई है और यह विधानमंडल एकसदनीय (unicameral) या द्विसदनीय (bicameral) हो सकती है।
जिस तरह से अनुच्छेद 106 के तहत केंद्र में संसद सदस्यों के वेतन और भत्ते के बारे में बताया गया है, उसी तरह से अनुच्छेद 195 के तहत राज्यों में सदस्यों के वेतन और भत्ते के बारे में बताया गया है;
अनुच्छेद 195 के तहत कहा गया है कि राज्य की विधान सभा और विधान परिषद् के सदस्य ऐसे वेतन और भत्ते, जिन्हें उस राज्य का विधान-मंडल, समय-समय पर, विधि द्वारा, अवधारित करे और जब तक इस संबंध में इस प्रकार उपबंध नहीं किया जाता है तब तक ऐसे वेतन और भत्ते, ऐसी दरों से और ऐसी शर्तों पर, जो तत्स्थानी प्रांत की विधान सभा के सदस्यों को इस संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले लागू थीं, प्राप्त करने के हकदार होंगे।
यहाँ पर दो बातें हैं;
पहली बात तो ये कि विधानमंडल (विधान सभा और विधान परिषद) प्रत्येक सदस्य को ऐसे वेतन और भत्ते मिलेंगे जिसे कि संसद द्वारा समय-समय पर विधि के माध्यम से तय किया जाएगा।
दूसरी बात ये है कि विधान मंडल जब तक ऐसी विधि नहीं बनाती है तब तक विधानमंडल के प्रत्येक सदस्य को वेतन ऐसी दरों से और ऐसी शर्तों पर मिलेंगी जो कि संविधान के प्रारंभ से ठीक पहले तत्स्थानी प्रांत (corresponding province) की विधान सभा के सदस्यों को लागू थी।
सभी राज्यों ने इस संबंध में अपने-अपने कानून बनाए हैं;
तो यही है अनुच्छेद 195, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ राज्य विधानमंडल (State Legislature): गठन, कार्य, आदि ◾ भारतीय संसद (Indian Parliament): Overview |
सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |