यह लेख अनुच्छेद 104 (Article 104) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 104

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📜 अनुच्छेद 104 (Article 104) – Original

सदस्य की निर्हताएं
104. अनुच्छेद 99 के अधीन शपथ लेने या प्रतिज्ञान करने से पहले या अर्हित न होते हुए या निरर्हित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शास्ति — यदि संसद्‌ के किसी सदन में कोई व्यक्ति अनुच्छेद 99 की अपेक्षाओं का अनुपालन करने से पहले, या वह जानते हुए कि मैं उसकी सदस्यता के लिए अर्हित नहीं हूँ या निरर्हित कर दिया गया हूं या संसद्‌ द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों द्वारा ऐसा करने से प्रतिषिद्ध कर दिया गया हूं, सदस्य के रूप में बैठता है या मत देता है तो वह प्रत्येक दिन के लिए, जब वह इस प्रकार बैठता है या मत देता है, पांच सौं रुपए की शास्ति का भागी होगा जो संघ को देय ऋण के रूप में वसूल की जाएगी।
—-अनुच्छेद 90 —-

Disqualifications of Members
104. Penalty for sitting and voting before making oath or affirmation under article 99 or when not qualified or when disqualified.— If a person sits or votes as a member of either House of Parliament before he has complied with the requirements of article 99, or when he knows that he is not qualified or that he is disqualified for membership thereof, or that he is prohibited from so doing by the provisions of any law made by Parliament, he shall be liable in respect of each day on which he so sits or votes to a penalty of five hundred rupees to be recovered as a debt due to the Union.
Article 90

🔍 Article 104 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 104 (Article 104) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 104 – अनुच्छेद 99 के अधीन शपथ लेने या प्रतिज्ञान करने से पहले या अर्हित न होते हुए या निरर्हित किए जाने पर बैठने और मत देने के लिए शास्ति

अनुच्छेद 79 के तहत, देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की व्यवस्था की गई है। संसद तीन घटकों से मिलकर बना है; राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha)।

लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सीटें हैं, प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र से एक सांसद चुना जाता है। सांसद सीधे चुनाव प्रक्रिया के माध्यम से अपने संबंधित निर्वाचन क्षेत्रों के लोगों द्वारा चुने जाते हैं।

भारत में संसद का दूसरा सदन भी है, जिसे राज्य सभा या राज्यों की परिषद के रूप में जाना जाता है। राज्यसभा के सदस्य सीधे निर्वाचित नहीं होते हैं बल्कि सरकार और राज्य विधानसभाओं की सिफारिश पर भारत के राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किए जाते हैं।

अभी फिलहाल 245 सीटें राज्यसभा में प्रभाव में है जिसमें से 233 सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव होते हैं जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।

कुल मिलाकर अभी लोक सभा और राज्य सभा में 788 सदस्य है। और इन्ही सदस्यों के लिए पद ग्रहण करने से पहले अनुच्छेद 99 के तहत शपथ एवं प्रतिज्ञान की व्यवस्था की गई है।

इसी तरह से अनुच्छेद 102 के तहत बताया गया है कि कोई व्यक्ति कब सदन का सदस्य चुने जाने के योग्य नहीं होगा। अनुच्छेद 104 में इसी से आगे की बात कही गई है।

अनुच्छेद 104 के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति शपथ लेने से पहले अगर सदन में बैठता है या अगर कोई व्यक्ति जो कि सदन में बैठने के अयोग्य है लेकिन फिर भी अगर वह सदन में बैठता है और मतदान में भाग लेता है तो उसके ऊपर जुर्माना लगाया जाएगा।

अनुच्छेद 104 के तहत चार मुख्य बातें हैं;

पहली बात तो ये कि यदि संसद्‌ के किसी सदन में कोई व्यक्ति अनुच्छेद 99 की अपेक्षाओं का अनुपालन करने से पहले (यानि कि शपथ लेने से पहले), सदस्य के रूप में बैठता है या मत देता है तो वह प्रत्येक दिन के लिए (जब वह इस प्रकार बैठता है या मत देता है), पांच सौं रुपए के जुर्माने का भागी होगा, जो संघ को देय ऋण के रूप में वसूल की जाएगी।

दरअसल अनुच्छेद 99 के तहत सदन के सदस्यों के लिए शपथ की व्यवस्था की गई है। और इसी अनुच्छेद के विस्तार के रूप में अनुसूची 3 में शपथ का प्ररूप (नमूना) दिया गया है। शपथ के रूप में सदस्य उसी नमूने को पढ़ता है।

विशेष जानकारी के लिए पढ़ें अनुच्छेद 99

दूसरी बात ये कि यदि कोई व्यक्ति यह जानते हुए कि मैं सदन की सदस्यता के लिए अर्हित (Qualified) नहीं हूँ फिर भी अगर वो सदस्य के रूप में बैठता है या मत देता है तो वह प्रत्येक दिन के लिए (जब वह इस प्रकार बैठता है या मत देता है), पांच सौं रुपए के जुर्माने का भागी होगा जो संघ को देय ऋण के रूप में वसूल की जाएगी।

अनुच्छेद 84 में इस बात का जिक्र किया गया है कि कौन व्यक्ति संसद का सदस्य बनने के लिए योग्य है। विस्तार से समझने के लिए पढ़ें – अनुच्छेद 84

तीसरी बात ये कि यदि कोई व्यक्ति यह जानते हुए कि मैं निरर्हित (Disqualified) कर दिया गया हूं फिर भी अगर वह सदन के सदस्य के रूप में बैठता है या मत देता है तो वह प्रत्येक दिन के लिए, जब वह इस प्रकार बैठता है या मत देता है, पांच सौं रुपए की जुर्माने का भागी होगा, जो संघ को देय ऋण के रूप में वसूल की जाएगी।

अनुच्छेद 102 में संसद के सदस्यों की निरर्हताओं (Disqualification) के बारे में बताया गया है। ज्यादा जानकारी के लिए पढ़ें – अनुच्छेद 102

चौथी बात ये कि यदि संसद्‌ के किसी सदन में कोई व्यक्ति यह जानते हुए कि मैं संसद्‌ द्वारा बनाई गई किसी विधि के उपबंधों द्वारा ऐसा करने से प्रतिषिद्ध (prohibit) कर दिया गया हूं, फिर भी अगर वह व्यक्ति सदस्य के रूप में बैठता है या मत देता है तो वह प्रत्येक दिन के लिए, पांच सौं रुपए के जुर्माने का भागी होगा जो संघ को देय ऋण के रूप में वसूल की जाएगी।

आपको पता होगा कि जन-प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 या दल-बदल कानून के तहत के तहत सदन के सदस्यों को निरर्हित (Disqualified) करने की व्यवस्था की गई है। जिसे कि आप नीचे पढ़ सकते हैं;

⚫ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 के तहत निम्नलिखित प्रावधानों को भी निरर्हता माना जाता है। जैसे कि –

1. वह चुनावी अपराध या चुनाव में भ्रष्ट आचरण के तहत दोषी करार दिया गया हो।

2. उसे किसी अपराध में दो वर्ष या उससे अधिक की सजा हुई हो। [23 मार्च 2023 को विपक्ष के नेता राहुल गांधी को इसी कारण से अयोग्य घोषित कर दिया गया।]

3. वह निर्धारित समय के अंदर चुनावी खर्च का ब्योरा देने में असफल रहा हो।

4. उसे सरकारी ठेका काम या सेवाओं में दिलचस्पी हो।

5. वह निगम में लाभ के पद पर हो, जिसमें सरकार का 25 प्रतिशत हिस्सेदारी हो।

6. उसे भ्रष्टाचार या निष्ठाहीन होने के कारण सरकारी सेवाओं से बर्खास्त किया गया हो।

7. उसे विभिन्न समूहों में शत्रुता बढ़ाने या रिश्वतखोरी के लिए दंडित किया गया हो।

8. उसे छुआछूत, दहेज जैसे सामाजिक अपराधों के प्रसार में संलिप्त पाया गया हो।

किसी सदस्य में उपरोक्त निरर्हताओं संबंधी प्रश्न पर राष्ट्रपति का फैसला अंतिम होता है, हालांकि ये फैसला वो निर्वाचन आयोग से राय लेकर करता है। अनुच्छेद 103 में इसका उल्लेख किया गया है।

दल-बदल के आधार पर निरर्हता – संविधान के इस अनुच्छेद के अनुसार किसी व्यक्ति को संसद की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है, अगर वो 10वीं अनुसूची के उपबंधों के अनुसार, दल-बदल का दोषी पाया गया हो। जैसे की –

1. अगर वह स्वेच्छा से उस राजनीतिक दल का त्याग करता है, जिस दल के टिकट पर वह चुनाव जीत के आया है;

2. अगर वह अपने पार्टी द्वारा दिये गए निर्देशों के विरुद्ध सदन में मतदान करता है;

3. अगर निर्दलीय चुना गया सदस्य किसी राजनीतिक दल में शामिल हो जाता है;

4. अगर कोई नामित सदस्य (Nominated member) छह महीने के बाद किसी राजनीतिक दल में शामिल होता है। 

दल-बदल से संबन्धित जितने भी मामले होते हैं राज्यसभा में उसे सभापति द्वारा और लोकसभा में उसे अध्यक्ष द्वारा निपटारा किया जाता है। लेकिन याद रखिए कि उच्चतम न्यायालय अध्यक्ष और सभापति द्वारा लिए गए इस निर्णय की न्यायिक समीक्षा कर सकता है।

तो यही है अनुच्छेद 104 (Article 104), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

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FAQ. अनुच्छेद 104 (Article 104) क्या है?

अनुच्छेद 104 के तहत यह व्यवस्था किया गया है कि अगर कोई व्यक्ति शपथ लेने से पहले अगर सदन में बैठता है या अगर कोई व्यक्ति जो कि सदन में बैठने के अयोग्य है लेकिन फिर भी अगर वह सदन में बैठता है और मतदान में भाग लेता है तो उसके ऊपर जुर्माना लगाया जाएगा।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।