यह लेख Article 162 (अनुच्छेद 162) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 162 (Article 162) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 2 — कार्यपालिका] [राज्यपाल] |
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162. राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार — इस संविधान के उपबंधों के अधीन रहते हुए किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उन विषयों पर होगा जिनके संबंध में उस राज्य के विधान-मंडल को विधि बनाने की शक्ति है। परंतु जिस विषय के संबंध में राज्य के विधान-मंडल और संसद् को विधि बनाने की शक्ति हैं उसमें राज्य की कार्यपालिका शक्ति इस संविधान द्वारा या संसद् द्वारा बनाई गई किसी विधि द्वारा, संघ या उसके प्राधिकारियों को अभिव्यक्त रूप से प्रदत्त कार्यपालिका शक्ति के अधीन और उससे परिसीमित होगी। |
Part VI “State” [CHAPTER II — THE EXECUTIVE] [The Governor] |
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162. Extent of executive power of State.—Subject to the provisions of this Constitution, the executive power of a State shall extend to the matters with respect to which the Legislature of the State has power to make laws: Provided that in any matter with respect to which the Legislature of a State and Parliament have power to make laws, the executive power of the State shall be subject to, and limited by, the executive power expressly conferred by this Constitution or by any law made by Parliament upon the Union or authorities thereof. |
🔍 Article 162 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 2 का नाम है “कार्यपालिका (The Executive) और इसका विस्तार अनुच्छेद 153 से लेकर अनुच्छेद 167 तक है।
इस अध्याय को तीन उप-अध्यायों में बांटा गया है – राज्यपाल (The Governor), मंत्रि-परिषद (Council of Ministers), राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the States) और सरकारी कार्य का संचालन (Conduct of Government Business)।
इस लेख में हम राज्यपाल के तहत आने वाले अनुच्छेद 161 को समझने वाले हैं। आइये समझें;
⚫ अनुच्छेद 152- भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 162 – राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार
राज्य कार्यपालिका के मुख्यतः चार भाग होते है: राज्यपाल (Governor), मुख्यमंत्री (Chief Minister), मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) और राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the state)।
भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और राज्य सरकार की अपनी कार्यपालिका होती है।
राज्यपाल (Governor), राज्य का संवैधानिक कार्यकारी प्रमुख होता है, जबकि मुख्यमंत्री राज्य का वास्तविक कार्यकारी प्रमुख होता है। और अनुच्छेद 162 जो है वो राज्य की कार्यपालक शक्ति (Executive Power) का ही विस्तार है।
अनुच्छेद 162 के तहत राज्य की कार्यपालिका शक्ति को विस्तार दिया गया है यां यूं कहें कि इसे सीमित किया गया है। इस अनुच्छेद के तहत मुख्य रूप से दो बातें कही गई है;
पहली बात तो ये कि राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उन विषयों पर होगा जिनके संबंध में उस राज्य के विधान-मंडल को विधि बनाने की शक्ति है।
अब सवाल आता है कि राज्य को विधि बनाने की शक्ति कितनी है?
अनुच्छेद 246 के तहत संविधान में अनुसूची 7 बनाई गई है। अनुसूची 7 के तहत कुल तीन सूचियाँ है, जिसे कि संघीय सूची (Union List), राज्य सूची (State List) और समवर्ती सूची (Concurrent List) के नाम से जाना जाता है।
◾ राज्य जिन विषयों पर कानून या विधि बना सकता है उसे कहा जाता है राज्य सूची (State List)। इस लिस्ट में अभी 61 विषय है। और राज्य पूरी तरह से स्वतंत्र है इन विषयों पर कानून बनाने के लिए।
हालांकि याद रखिए कि पूरी स्वतंत्रता का ये मतलब नहीं है कि मनमाने ढंग से कोई भी कानून बना दे। ये सब इस संविधान के उपबंधों के अधीन है।
राज्य सूची के कुछ बहुत ही फ़ेमस विषय है; सार्वजनिक व्यवस्था (Public Order), पुलिस (Police), सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्वच्छता (Public Health and sanitation) , अस्पताल (Hospital) और औषधालय (Dispensary), सट्टेबाजी और जुआ इत्यादि।
◾ दूसरी बात यह कि एक समवर्ती सूची (Concurrent List) है जिसपर राज्य और केंद्र दोनों कानून बना सकता है। लेकिन अगर संसद और राज्य विधान मण्डल एक ही विषय पर एक ही कानून बनाता है और विवाद की स्थिति बनती है तो ऐसी स्थिति में संघीय कानून ही मान्य होता है, यह बात इस अनुच्छेद से भी क्लियर होता है और अनुच्छेद 254 से भी।
कुल मिलाकर अनुच्छेद 162 कहता है कि किसी राज्य की कार्यकारी शक्ति उसकी विधायी शक्ति तक फैली हुई है। यानि कि जिस विषय पर वो कानून बना सकती है उस विषय पर वो प्रशासन भी कर सकती है।
समवर्ती सूची के मामले में राज्य का कार्यकारी प्राधिकार संघ में निहित समवर्ती सूची के विषयों पर कानून बनाने की शक्ति के अधीन होगा।
समवर्ती सूची में 52 विषय हैं। इस सूची के अंतर्गत आने वाले कुछ सबसे महत्वपूर्ण विषय वन, शिक्षा, ट्रेड यूनियन, विवाह, दत्तक ग्रहण और उत्तराधिकार हैं। इन विषयों पर राज्य और केंद्र सरकार दोनों द्वारा कानून बनाया जा सकता है।
तीनों सूचियों का पीडीएफ़ यहाँ से डाउनलोड करें – In Hindi↗️– In English↗️
तो यही है अनुच्छेद 162, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |