यह लेख Article 237 (अनुच्छेद 237) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 237 (Article 237) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 6 — अधीनस्थ न्यायालय] |
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237. कुछ वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों पर इस अध्याय के उपबंधों का लागू होना — राज्यपाल, लोक अधिसूचना द्वारा, निदेश दे सकेगा कि इस अध्याय के पूर्वगामी उपबंध और उनके अधीन बनाएं गए नियम ऐसी तारीख से, जो वह इस निमित्त नियत करे, ऐसे अपवादों और उपांतरणों के अधीन रहते हुए, जो ऐसी अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किए जाएं, राज्य में किसी वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे राज्य की न्यायिक सेवा में नियुक्त व्यक्तियों के संबंध में लागू होते हैं । |
Part VI “State” [CHAPTER VI — Subordinate Courts] |
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237. Application of the provisions of this Chapter to certain class or classes of magistrates— The Governor may by public notification direct that the foregoing provisions of this Chapter and any rules made thereunder shall with effect from such date as may be fixed by him in that behalf apply in relation to any class or classes of magistrates in the State as they apply in relation to persons appointed to the judicial service of the State subject to such exceptions and modifications as may be specified in the notification. |
🔍 Article 237 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 6 का नाम है “अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)” और इसका विस्तार अनुच्छेद 233 से लेकर 237 तक है। इस लेख में हम अनुच्छेद 237 को समझने वाले हैं;
⚫ अनुच्छेद 233 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 237 – कुछ वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों पर इस अध्याय के उपबंधों का लागू होना (Application of the provisions of this Chapter to certain class or classes of magistrates)
न्याय (Justice) लोकतंत्र का एक आधारभूत स्तंभ है क्योंकि यह व्यक्तिगत अधिकारों की रक्षा करता है, कानून के शासन को बनाए रखता है, संघर्ष के समाधान की सुविधा देता है और निष्पक्षता और समानता को बढ़ावा देता है। यह लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करता है और समाज की समग्र भलाई और स्थिरता में योगदान देता है।
भारत में इसे सुनिश्चित करने के लिए संविधान द्वारा एकीकृत न्यायिक व्यवस्था (Integrated Judiciary System) की शुरुआत की गई है। इस व्यवस्था में उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) सबसे शीर्ष पर आता है, उसके बाद राज्यों उच्च न्यायालय (High Court) आता है और फिर उसके बाद जिलों का अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Court)।
संविधान का भाग 6, अध्याय VI, राज्यों के अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) की बात करता है। अनुच्छेद 237 के तहत कुछ वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों पर इस अध्याय के उपबंधों का लागू होने के बारे में बताया गया है।
अनुच्छेद 237 के तहत कहा गया है कि राज्यपाल, लोक अधिसूचना द्वारा, निदेश दे सकेगा कि इस अध्याय के पूर्वगामी उपबंध और उनके अधीन बनाएं गए नियम ऐसी तारीख से, जो वह इस निमित्त नियत करे, ऐसे अपवादों और उपांतरणों के अधीन रहते हुए, जो ऐसी अधिसूचना में विनिर्दिष्ट किए जाएं, राज्य में किसी वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों के संबंध में वैसे ही लागू होंगे जैसे वे राज्य की न्यायिक सेवा में नियुक्त व्यक्तियों के संबंध में लागू होते हैं।
दरअसल अनुच्छेद 233 से अनुच्छेद 236 तक के प्रावधानों के अंतर्गत जिला न्यायाधीशों आदि के बारे में विधि या नियम बनाए जाते हैं, जिसमें कि राज्यपाल की बहुत बड़ी भूमिका होती है।
इस अनुच्छेद में यही कहा गया है कि राज्यपाल पब्लिक नोटिफ़िकेशन जारी कर सकता है जो कि अपवादों (Exceptions) और उपांतरणों (modifications) के अधीन हो सकता है; इस उद्देश्य से कि अनुच्छेद 233 से अनुच्छेद 236 के जो प्रावधान है और उसके तहत जो बनाए गए नियम है वो राज्य में किसी वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों के संबंध में वैसे ही लागू हों जैसे वे राज्य की न्यायिक सेवा में नियुक्त व्यक्तियों के संबंध में लागू होते हैं।
और ये लागू उस तारीख से होंगे जिसे कि राज्यपाल द्वारा तय किया जाएगा।
जैसा कि अनुच्छेद 236 में वर्णित है, मजिस्ट्रेट जिला न्यायाधीश के अंतर्गत आता है, तो इस अनुच्छेद में यही कहा गया है कि राज्य के न्यायिक सेवा में नियुक्त व्यक्तियों के संबंध में जो नियम लागू होते हैं वो राज्य में किसी वर्ग या वर्गों के मजिस्ट्रेटों के संबंध में वैसे ही लागू हो सकता है। लेकिन यह तभी होगा जब राज्यपाल नोटिफ़िकेशन जारी करेगा।
तो यही है अनुच्छेद 237 , उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |