भारत जैसे देश में चुनाव की सफलता बहुत सारे कारकों पर निर्भर करती है। आदर्श आचार संहिता एक ऐसे ही कारक है,
ये राजनैतिक दलों या उम्मीदवारों को नैतिक बंधन में बांधता है और इससे चुनाव की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बढ़ जाती है।
इस लेख में हम आदर्श आचार संहिता (Model Code of Conduct) पर सरल और सहज चर्चा करेंगे और इसके महत्वपूर्ण पहलुओं को समझेंगे;

आदर्श आचार संहिता क्या है?
आदर्श आचार संहिता राजनैतिक दलों और उम्मीदवारों के मार्गदर्शन या दिशा-निर्देश के लिए निर्धारित किए गए मानकों का एक ऐसा समूह है जिसे राजनैतिक दलों की सहमति से तैयार किया गया है और उन्होंने खुद उक्त संहिता में सन्निहित सिद्धांतों का अक्षरश: पालन करने की सहमति दी है।
भारत के संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत चुनाव आयोग की स्थापना की गई है। संसद और राज्य विधान मंडलों के लिए स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण निर्वाचनों के आयोजन इसकी प्रमुख ज़िम्मेदारी है।
इसके लिए जरूरी हो जाता है कि चुनाव आयोग केन्द्र तथा राज्यों में सत्तारूढ़ दल (दलों) और चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों द्वारा उपयुक्त नियमों का अनुपालन सुनिश्चित करें, ताकि निर्वाचन अपराध, कदाचार, भ्रष्ट आचरण, रिश्वतखोरी और मतदाताओं को प्रलोभन देना और भयभीत करने जैसे कृत्य पर लगाम लगाया जा सके।
इसीलिए आदर्श आचार संहिता को भारत निर्वाचन आयोग द्वारा निर्वाचन अनुसूची (Election schedule) की घोषणा की तारीख से ही लागू कर दिया जाता है और यह निर्वाचन प्रक्रिया के पूर्ण होने तक जारी रहती है।
साधारण निर्वाचनों और उप-निर्वाचनों के दौरान आचार संहिता
लोक सभा के साधारण निर्वाचनों के दौरान यह संहिता सम्पूर्ण देश में लागू होती है। इसी प्रकार विधान सभा के साधारण निर्वाचनों के दौरान यह संहिता संपूर्ण राज्य में लागू होती है।
लेकिन उप-निर्वाचनों के दौरान, यदि वह निर्वाचन क्षेत्र राज्य राजधानी/महानगर शहरों/ नगर-निगमों में शामिल है तो यह संहिता केवल संबंधित निर्वाचन क्षेत्र में ही लागू होती है।
आदर्श आचार संहिता की मुख्य विशेषताएं
आदर्श आचार संहिता ये निर्धारित करती हैं कि राजनीतिक दलों, चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों और सत्ताधारी दलों को निर्वाचन प्रक्रिया के दौरान कैसा व्यवहार करना चाहिए,
अर्थात् निर्वाचन प्रक्रिया, बैठकें आयोजित करने, शोभायात्राओं, मतदान दिवस गतिविधियों तथा सत्ताधारी दल के कामकाज इत्यादि के दौरान उनका सामान्य आचरण कैसा होगा। आइये इसके कुछ उदाहरण को देखते हैं कि इस दौरान क्या किया जा सकता है और क्या नहीं;
सरकारी तंत्र पर इसका असर
◾मंत्री अपने आधिकारिक दौरे को चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के साथ नहीं मिला सकते और न ही चुनाव प्रचार संबंधी कार्यों के दौरान सरकारी तंत्र या कार्मिकों का प्रयोग करेंगे। हालांकि प्रधानमंत्री को इससे छूट मिलती है।
◾विमान, वाहनों इत्यादि सहित किसी भी सरकारी वाहन का किसी दल या उम्मीदवार के हितों को लाभ पहुंचाने के लिए प्रयोग नहीं किया जा सकता।
◾चुनाव के आयोजन से जुड़े हुए सभी अधिकारियों/पदाधिकारियों का ट्रान्सफर सरकार द्वारा नहीं किया जा सकता। यदि किसी अधिकारी का ट्रान्सफर होना जरूरी हो तो ऐसा करने से पहले आयोग की पूर्व-अनुमति लेनी जरूरी होता है।
◾कुछ अपवादों को छोड़कर कोई भी केन्द्रीय या राज्य सरकार का मंत्री कहीं भी किसी आधिकारिक चर्चा हेतु राज्य या निर्वाचन क्षेत्र के किसी निर्वाचन संबंधी अधिकारी को नहीं बुला सकता है।
◾सरकारी खर्चे से किसी राजनैतिक कार्यकर्ता के घर पर या अपने चुनाव क्षेत्र में कहीं भी कोई इफ्तार पार्टी या किसी भी प्रकार की अन्य पार्टियों का आयोजन नहीं किया जा सकता है। हालांकि वे अपने खर्चे से ऐसा करना चाहे तो कर सकते हैं।
◾मंत्री या अन्य प्राधिकारी किसी भी रूप में कोई वित्तीय अनुदान या उससे संबंधित कोई वायदा नहीं कर सकता।
▪️ सिविल सेवक के अलावा कोई मंत्री किसी परियोजना अथवा योजना की आधारशिला इत्यादि नहीं रख सकता।
▪️ सरकार या निजी क्षेत्र के उपक्रमों में तदर्थ (Ad hoc) आधार पर कोई नियुक्ति नहीं करेंगे।
चुनाव प्रचार पर इसका असर
◾चुनाव प्रचार के दौरान कोई भी उम्मीदवार या दल ऐसी किसी गतिविधि में शामिल नहीं होगा जिससे विभिन्न समुदायों के मध्य मतभेद बढ़ जाए या जिनसे परस्पर द्वेष पैदा हो। इसके अतिरिक्त अन्य राजनीतिक दलों की आलोचना करते समय यह केवल उनकी नीतियों और कार्यक्रमों, पिछले रिकॉर्ड और कार्यों तक ही सीमित होनी चाहिए।
◾दलों और उनके उम्मीदवारों का निजी जीवन के सभी पहलुओं की आलोचना करने से बचना चाहिए, जो अन्य दलों के नेताओं या कार्यकर्ताओं की सार्वजनिक गतिविधियों से जुड़े न हों। दूसरे दलों या उनके कार्यकर्ताओं की आलोचना निराधार आरोपों या तथ्यों को तोड़-मरोड़कर नहीं की जानी चाहिए।
◾चुनाव प्रचार के प्रयोजनार्थ उम्मीदवार जितने चाहे उतने वाहनों का काफिला लेकर चल सकता है लेकिन उसे ऐसे वाहन चलाने के लिए रिटर्निंग अधिकारी का पूर्व अनुमोदन लेना होता है और उसे रिटर्निंग अधिकारी द्वारा जारी परमिट की मूल प्रति (फोटोकापी नहीं) को वाहन की विंड स्क्रीन पर प्रमुखता से प्रदर्शित करना चाहिए।
परमिट पर वाहन की परमिट संख्या और उस अभ्यर्थी का नाम, जिसके पक्ष में वाहन जारी किया गया है, का उल्लेख होना चाहिए।
◾राजनीतिक दलों/उम्मीदवारों के लिए सरकारी विमान/हेलीकॉप्टर या प्राइवेट कंपनियों के एयरक्रॉफ्ट/हेलीकॉप्टर को किराए पर लेने की अनुमति मिलती है पर निम्नलिखित शर्तों का अनुसरण करना जरूरी होता है-
- सत्ताधारी दल और अन्य दल तथा चुनाव लड़ने वाले अन्य उम्मीदवारों के बीच कोई भेद नहीं होना चाहिए।
- इसका भुगतान राजनीतिक दलों या चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों द्वारा किया जाएगा और इसका उचित रिकॉर्ड रखा जाएगा।
- सभी के लिए दरें और निबंधन व शर्तें एक समान होंगी।
- वास्तविक आबंटन ‘पहले आओ पहले पाओ’ आधार पर होना चाहिए।
- ऐसे मामलों में जब कभी दो या उससे अधिक आवेदनों की तारीख व समय एक होगा तो आबंटन का निर्णय ड्रॉ द्वारा होगा।
- किसी भी उम्मीदवार या पार्टी को एक ही समय पर तीन दिन से अधिक के लिए एयरक्रॉफ्ट/हेलीकॉप्टर किराए पर लेने की अनुमति नहीं होगी।
◾चुनाव प्रचार के दौरान उम्मीदवार को विशेष सहायक सामग्री जैसे कि टोपी, मास्क, स्कार्फ आदि पहनने की अनुमति होती है बशर्ते कि वे संबंधित अभ्यर्थी के निर्वाचन व्यय के लेखा-जोखा में शामिल हो।
हालांकि, पार्टी या उम्मीदवारों द्वारा साड़ी, शर्ट इत्यादि जैसे मुख्य परिधानों की आपूर्ति और वितरण की अनुमति नहीं है क्योंकि यह मतदाताओं को रिश्वत देने के समान है।
◾जन सभाएं सुबह 6.00 बजे से पहले और शाम 10 बजे के बाद आयोजित नहीं की जा सकती हैं। इसके अतिरिक्त, उम्मीदवारों को मतदान समापन के लिए निर्धारित समय से 48 घंटे पहले ही जनसभाएं और जुलूस बंद करनी होगी।
इसे इस तरह से समझ सकते हैं मान लीजिए, मतदान का दिन 15 जुलाई है और मतदान का समय सुबह 8 बजे से शाम 5.00 बजे तक है, तो जन सभा और जुलूस 13 जुलाई को शाम 5.00 बजे से बंद हो जाएंगे।
◾किसी भी तरह के प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक, या किसी अन्य मीडिया द्वारा किसी भी जनमत सर्वेक्षण या एक्जिट पोल के परिणाम को मतदान प्रक्रिया के खत्म हो जाने तक प्रकाशित, प्रचारित या प्रसारित नहीं किया जाएगा
मतदान दिवस पर
◾राजनीतिक दल या कोई उम्मीदवार मतदान केंद्र से मतदाताओं को लाने और ले-जाने के लिए परिवहन के लिए व्यवस्था नहीं कर सकता है।
◾मतदान के दिन मतदान केंद्र के आस-पास शस्त्र अधिनियम 1959 (Arms Act 1959) में परिभाषित किए गए किसी भी तरह के हथियारों से लैस किसी भी व्यक्ति को हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है।
◾लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951↗️ की धारा 130 के तहत मतदान के दिन मतदान केंद्र के एक सौ मीटर की दूरी के भीतर वोटों के लिए प्रचार करना निषिद्ध है।
◾किसी राजनीतिक दल के नेता को मतदान और मतगणना के दिन मतदान और मतगणना की प्रक्रिया की निगरानी और पर्यवेक्षण के उद्देश्य से, निजी फिक्स्ड-विंग विमानों और हेलीकॉप्टरों का उपयोग करने की अनुमति नहीं है।
इसके अलावे भी आदर्श आचार संहिता में ढेरों प्रावधान है। मैंने महत्वपूर्ण प्रावधानों की चर्चा करने की कोशिश की है। अगर विस्तार से जानना है तो चुनाव आयोग के आचार संहिता पेज↗️ को विजिट करें।