यह लेख अनुच्छेद 111 (Article 111) का यथारूप संकलन है। आप इसका हिन्दी और इंग्लिश दोनों अनुवाद पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें।

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Article 111

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📜 अनुच्छेद 111 (Article 111) – Original

विधायी प्रक्रिया
111. विधेयकों पर अनुमति — जब कोई विधेयक संसद्‌ के सदनों द्वारा पारित कर दिया गया है तब वह राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा और राष्ट्रपति घोषित करेगा कि वह विधेयक पर अनुमति देता है या अनुमति रोक लेता है:

परन्तु राष्ट्रपति अनुमति के लिए अपने समक्ष विधेयक प्रस्तुत किए जाने के पश्चात्‌ यथाशीघ्र उस विधेयक को, यदि वह धन विधेयक नहीं है तो, सदनों को इस संदेश के साथ लौटा सकेगा कि वे विधेयक पर या उसके किन्हीं विनिर्दिष्ट उपबंधों पर पुनर्विचार करें और विशिष्टतया किन्ही ऐसे संशोधनों के पुरःस्थापन की वांछनीयता पर विचार करें जिनकी उसने अपने संदेश में सिफारिश की है और जब विधेयक इस प्रकार लौटा दिया जाता है तब सदन विधेयक पर तद्गुसार पुनर्विचार करेंगे और यदि विधेयक सदनों द्वारा संशोधन सहित या उसके बिना फिर से पारित कर दिया जाता है और राष्ट्रपति के समक्ष अनुमति के लिए प्रस्तुत किया जाता है तो राष्ट्रपति उस पर अनुमति नहीं रोकेगा।
—-अनुच्छेद 111 —-

Legislative Process
111. Assent to Bills — When a Bill has been passed by the Houses of Parliament, it shall be presented to the President, and the President shall declare either that he assents to the Bill, or that he withholds assent therefrom:

Provided that the President may, as soon as possible after the presentation to him of a Bill for assent, return the Bill if it is not a Money Bill to the Houses with a message requesting that they will reconsider the Bill or any specified provisions thereof and, in particular, will consider the desirability of introducing any such amendments as he may recommend in his message, and when a Bill is so returned, the Houses shall reconsider the Bill accordingly, and if the Bill is passed again by the Houses with or without amendment and presented to the President for assent, the President shall not withhold assent therefrom.
Article 111

🔍 Article 111 Explanation in Hindi

अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक भारतीय संविधान के भाग 5 के तहत आता है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का दूसरा अध्याय है – संसद (Parliament)

संसद के तहत अनुच्छेद 79 से लेकर 122 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के संसद की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha), एवं राज्यसभा (Rajya Sabha) आते हैं।

तो इस अध्याय के तहत आने वाले अनुच्छेदों में हम संसद (Parliament) को विस्तार से समझने वाले हैं। यहाँ यह याद रखिए कि संविधान के भाग 5 को संघ या The Union के नाम से भी जाना जाता है।

कुल मिलाकर संविधान के भाग 5 के अध्याय II अंतर्गत अनुच्छेद 79 से लेकर अनुच्छेद 122 तक आता है। इस लेख में हम अनुच्छेद 111 (Article 111) को समझने वाले हैं;

अनुच्छेद-39 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-21 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 111 – विधेयकों पर अनुमति

अनुच्छेद 79 के तहत, देश के सर्वोच्च प्रतिनिधि संस्था के रूप में संसद की व्यवस्था की गई है। संसद तीन घटकों से मिलकर बना है; राष्ट्रपति (President), लोकसभा (Lok Sabha) और राज्यसभा (Rajya Sabha)।

संसद में दो सदन है लोक सभा और राज्यसभा। लोकसभा में कुल 543 निर्वाचित सीटें हैं। भारत में संसद का दूसरा सदन भी है, जिसे राज्य सभा या राज्यों की परिषद के रूप में जाना जाता है। अभी फिलहाल 245 सीटें राज्यसभा में प्रभाव में है जिसमें से 233 सदस्यों को चुनने के लिए चुनाव होते हैं जबकि 12 सदस्यों को राष्ट्रपति मनोनीत करते हैं।

कुल मिलाकर अभी लोक सभा और राज्य सभा में 788 सदस्य है। और यही विधायिका (Legislator) है जो कि कानून बनाता है।

संसद में कानून बनाने की प्रक्रिया विधेयक (Bill) से शुरू होती है। विधेयक दरअसल कानून का एक ड्राफ्ट होता है जो बताता है कि कानून किस बारे में है और ये क्यों लाया जा रहा है।

ये जो विधेयक है इसे मोटे तौर पर चार भागों में बांटा जाता है; सामान्य विधेयक (General Bill), संविधान संशोधन विधेयक (Constitutional Amendment Bill), धन विधेयक (Money Bill) और वित्त विधेयक (Finance Bill)।

चूंकि राष्ट्रपति भी संसद का हिस्सा है इसीलिए जब कोई विधेयक जब दोनों सदनों से पारित हो जाता है तो उसे राष्ट्रपति के पास अनुमति लेने को भेजा जाता है, ताकि वो विधेयक अधिनियम बनने के अपने अंतिम सफर को पूरा कर सके।

अनुच्छेद 111 का संबंध विधेयकों को मिलने वाली अनुमति से है। आइये इसे विस्तार से समझें;

जब कोई विधेयक संसद के सदनों द्वारा पारित कर दिया जाता है तब वह राष्ट्रपति के समक्ष प्रस्तुत किया जाता है। इस संबंध में राष्ट्रपति के पास 3 विकल्प होते है –

1. या तो वह विधेयक को अपनी स्वीकृति दे दें;
2. या तो वह विधेयक को अपनी स्वीकृति देने से रोक दें;
3. या वह उस विधेयक को पुनर्विचार हेतु पुनः संसद को भेज दें। 

⬛ अगर राष्ट्रपति विधेयक को स्वीकृति दे देता है तो यह अधिनियम (Act) या कानून बन जाता है। इस प्रकार देश को एक नया कानून मिलता है। 

⬛ यदि राष्ट्रपति (President) अपनी स्वीकृति नहीं देता है तो वह विधेयक वही निरस्त हो जाता है।

⬛ और यदि पुनर्विचार के लिए भेजता है और तो सदनों द्वारा उप पर पुनर्विचार किया जाता है और फिर से उस विधेयक को संशोधन के साथ या फिर बिना किसी संशोधन के राष्ट्रपति के पास भेज दिया जाता है; ऐसी स्थिति में राष्ट्रपति इस पर स्वीकृति देने को बाध्य होता है।

हालांकि जब धन विधेयक को राष्ट्रपति को प्रस्तुत किया जाता है तो वह या तो इस पर अपनी स्वीकृति दे सकता है या फिर इसे रोककर रख सकता है लेकिन वह किसी भी दशा में इसे पुनर्विचार के लिए वापस नहीं भेज सकता है। और यही मुख्य बात इस अनुच्छेद में लिखा हुआ है।

विस्तार से समझने के लिए इन लेखों को अवश्य पढ़ें;

◾ संसद में कानून बनाने की प्रक्रिया
◾ धन विधेयक और वित्त विधेयक
◾ संविधान संशोधन विधेयक

अनुच्छेद 107 से लेकर अनुच्छेद 111 तक का संबंध इस अनुच्छेद से है। यानि कि अनुच्छेद 107, अनुच्छेद 108, अनुच्छेद 109, अनुच्छेद 110 और अनुच्छेद 111 एक ही कड़ी का हिस्सा है। तो इन सारे अनुच्छेदों को एक साथ पढ़ें और साथ ही साथ अनुच्छेद 117 को भी पढ़ें;

तो यही है अनुच्छेद 111 (Article 111), उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

| Related Article

अनुच्छेद 112 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद 110 – भारतीय संविधान
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भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
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FAQ. अनुच्छेद 111 (Article 111) क्या है?

चूंकि राष्ट्रपति भी संसद का हिस्सा है इसीलिए जब कोई विधेयक जब दोनों सदनों से पारित हो जाता है तो उसे राष्ट्रपति के पास अनुमति लेने को भेजा जाता है, ताकि वो विधेयक अधिनियम बनने के अपने अंतिम सफर को पूरा कर सके। अनुच्छेद 111 का संबंध इन्ही विधेयकों को मिलने वाली अनुमति से है।
विस्तार से समझने के लिए लेख पढ़ें;

अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (नवीनतम संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।