यह लेख Article 165 (अनुच्छेद 165) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।

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Article 165  अनुच्छेद 165


📜 अनुच्छेद 165 (Article 165) – Original

भाग 6 “राज्य” [अध्याय 2 — कार्यपालिका] [राज्य का महाधिवक्ता]
165. राज्य का महाधिवक्ता — (1) प्रत्येक राज्य का राज्यपाल, उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए अर्हित किसी व्यक्ति को राज्य का महाधिवक्ता नियुक्त करेगा।

(2) महाधिवक्ता का यह कर्तव्य होगा कि वह उस राज्य की सरकार को विधि संबंधी ऐसे विषयों पर सलाह दे और विधिक स्वरूप के ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करे जो राज्यपाल उसको समय-समय पर निर्देशित करे या सौंपे और उन कृत्यों का निर्वहन करे जो उसको इस संविधान अथवा तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा या उसके अधीन प्रदान किए गए हों।

(3) महाधिवक्ता, राज्यपाल के प्रसादपर्यत पद धारण करेगा और ऐसा पारिश्रमिक प्राप्त करेगा जो राज्यपाल अवधारित करे।
अनुच्छेद 165 हिन्दी संस्करण

Part VI “State” [CHAPTER II — THE EXECUTIVE] [Advocate General for the State]
165. Advocate-General for the State. — (1) The Governor of each State shall appoint a person who is qualified to be appointed a Judge of a High Court to be Advocate-General for the State.

(2) It shall be the duty of the Advocate-General to give advice to the Government of the State upon such legal matters, and to perform such other duties of a legal character, as may from time to time be referred or assigned to him by the Governor, and to discharge the functions conferred on him by or under this Constitution or any other law for the time being in force.

(3) The Advocate-General shall hold office during the pleasure of the Governor, and shall receive such remuneration as the Governor may determine. Conduct of Government Business
Article 165 English Version

🔍 Article 165 Explanation in Hindi

भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।

ChaptersTitleArticles
Iसाधारण (General)Article 152
IIकार्यपालिका (The Executive)Article 153 – 167
IIIराज्य का विधान मंडल (The State Legislature)Article 168 – 212
IVराज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor)Article 213
Vराज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States)Article 214 – 232
VIअधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts)Article 233 – 237
[Part 6 of the Constitution]

जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 2 का नाम है “कार्यपालिका (The Executive) और इसका विस्तार अनुच्छेद 153 से लेकर अनुच्छेद 167 तक है।

इस अध्याय को तीन उप-अध्यायों में बांटा गया है – राज्यपाल (The Governor), मंत्रि-परिषद (Council of Ministers), राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the States) और सरकारी कार्य का संचालन (Conduct of Government Business)।

इस लेख में हम राज्य का महाधिवक्ता (Advocate General of the State) के तहत आने वाले अनुच्छेद 165 को समझने वाले हैं।

अनुच्छेद 76 – भारतीय संविधान
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| अनुच्छेद 165 – राज्य का महाधिवक्ता (Advocate General of the State)

भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और राज्य सरकार की अपनी कार्यपालिका होती है।

राज्य कार्यपालिका के मुख्यतः चार भाग होते है: राज्यपाल (Governor)मुख्यमंत्री (Chief Minister)मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) और राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the state)

जिस तरह से केंद्र में अनुच्छेद 76 के तहत महान्यायवादी (Attorney General of India) की व्यवस्था की गई है उसी तरह से राज्य में अनुच्छेद 165 के तहत महाधिवक्ता (Advocate General of the State) की व्यवस्था की गई है।

हालांकि इन दोनों पदों की भूमिका उस तरह की नहीं होती है जैसे कि किसी मंत्री का होता है लेकिन फिर भी इसे संविधान में कार्यपालिका (Executive) की श्रेणी में रखा गया है।

अनुच्छेद 165 राज्यों के लिए महाधिवक्ता की व्यवस्था करता है। यानि कि राज्यों का महाधिवक्ता एक संवैधानिक पद है। इस अनुच्छेद के तीन खंड है; आइए समझें;

अनुच्छेद 165(1) के तहत कहा गया है कि प्रत्येक राज्य का राज्यपाल, उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए अर्हित किसी व्यक्ति को राज्य का महाधिवक्ता नियुक्त करेगा।

यहाँ दो बातें हैं;

पहली बात) राज्यों के महाधिवक्ता की नियुक्ति राज्यपाल करता है।

दूसरी बात) राज्यपाल उसी व्यक्ति को महाधिवक्ता नियुक्त कर सकता है जो कि उच्च न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त होने के लिए अर्हित (Qualified) हो।

अब सवाल आता है कि उच्च न्यायालय के न्यायाधीश होने के लिए क्या Qualification होना चाहिए? तो याद याद रखिए कि उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बनने की योग्यता का वर्णन अनुच्छेद 217 में किया गया है।

अनुच्छेद 217 के अनुसार वही व्यक्ति उच्च न्यायालय का न्यायाधीश बन सकता है, जो कि –

  • भारत का नागरिक हो।
  • भारत के राज्यक्षेत्र के अंदर, न्यायिक कार्य में 10 वर्ष का अनुभव हो, अथवा वह उच्च न्यायालय में या ऐसे दो या अधिक न्यायालयों में लगातार 10 वर्षों तक अधिवक्ता रह चुका हो।

अनुच्छेद 165(2) के तहत कहा गया है कि महाधिवक्ता का यह कर्तव्य होगा कि वह उस राज्य की सरकार को विधि संबंधी ऐसे विषयों पर सलाह दे और विधिक स्वरूप के ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करे जो राज्यपाल उसको समय-समय पर निर्देशित करे या सौंपे और उन कृत्यों का निर्वहन करे जो उसको इस संविधान अथवा तत्समय प्रवृत्त किसी अन्य विधि द्वारा या उसके अधीन प्रदान किए गए हों।

अनुच्छेद के इस खंड के तहत राज्य के मुख्य कानून अधिकारी होने के नाते महाधिवक्ता के कुछ कार्य या दायित्व सौंपे गए हैं;

1. राज्य सरकार की विधि संबंधी ऐसे विषयों पर सलाह दे जो राज्यपाल द्वारा सौंपे गए हो।

2. विधिक रूप से ऐसे अन्य कर्तव्यों का पालन करे जो राज्यपाल द्वारा सौंपे गए हों

3. संविधान या किसी अन्य विधि द्वारा प्रदान किए गए कृत्यों का निर्वहन करें।

अपने कार्य संबंधी कर्तव्यों के तहत उसे राज्य के किसी न्यायालय के समक्ष सुनवाई का अधिकार है। इसके अतिरिक्त उसे विधानमंडल के दोनों सदनों (यदि उस राज्य में विधानपरिषद भी है तो) में भाग ले सकता है। हालांकि वोटिंग प्रक्रिया में वो नहीं ले सकता है।

अनुच्छेद 165(3) के तहत कहा गया है कि महाधिवक्ता, राज्यपाल के प्रसादपर्यत पद धारण करेगा और ऐसा पारिश्रमिक प्राप्त करेगा जो राज्यपाल अवधारित करे।

यहाँ दो बातें हैं;

पहला) महाधिवक्ता राज्यपाल के प्रसाद्पर्यंत (at the pleasure of the governor) काम करता है। यानि कि महाधिवक्ता को राज्यपाल द्वारा बिना कोई कारण बताए किसी भी समय पद से हटाया जा सकता है।

हालांकि राज्यपाल बिना किसी कारण के महाधिवक्ता को उसके पद से नहीं हटा सकते। राज्यपाल के पास हटाने का वैध कारण होना चाहिए, और निष्कासन कानून के अनुसार होना चाहिए।

दूसरा) महाधिवक्ता का वेतन और भत्ता राज्यपाल तय करता है। आमतौर पर महाधिवक्ता को वे सभी विशेषाधिकार एवं भत्ते मिलते हैं। जो विधानसभा के किसी सदस्य को मिलते है।

अगर आप सभी राज्यों के महाधिवक्ताओं की लिस्ट देखना चाहते हैं तो यहाँ क्लिक करके देख सकते हैं।

Important Facts Related to Article 165

◾ संविधान में राज्य के महाधिवक्ता के कार्यकाल के बारे में कोई स्पष्ट व्यवस्था नहीं है। इसके अतिरिक्त संविधान में उसे हटाने की व्यवस्था का भी वर्णन नहीं किया गया है।

ऐसे में राज्यपाल की शक्तियां बढ़ जाती है। जैसा कि हमने ऊपर भी समझा कि महाधिवक्ता अपने पद पर राज्यपाल के प्रसाद्पर्यंत बना रहता है। यानि कि उसे राज्यपाल द्वारा कभी भी हटाया जा सकता है। वह चाहे तो अपने पद से त्याग पत्र देकर भी कार्यमुक्त हो सकता है।

समान्य परंपरा ये है कि जब सरकार गिर जाती है तो उस समय पदासीन महाधिवक्ता (Advocate General) त्यागपत्र दे देता है क्योंकि उसकी नियुक्ति सरकार की सलाह पर होती है। जब फिर से नया सरकार बनता है तब फिर वो सरकार अपने हिसाब से महाधिवक्ता चुन लेता है।

 संविधान मे महाधिवक्ता के वेतन एवं भत्तों को भी निश्चित नहीं किया गया है। उसके वेतन भत्तों का निर्धारण राज्यपाल द्वारा दिया जाता है।

तो यही है अनुच्छेद 165, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।

राज्यों के मुख्यमंत्री (Chief Minister of States)
प्रधानमंत्री (Prime minister)
केन्द्रीय मंत्रिपरिषद (Council of Ministers)
राज्यों के राज्य मंत्रिपरिषद (State Council of Minister)
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सवाल-जवाब के लिए टेलीग्राम जॉइन करें; टेलीग्राम पर जाकर सर्च करे – @upscandpcsofficial

MCQs on Article 165 with Explanation

Q. Who appoints the Advocate General of a State?

  • The Governor.
  • The Chief Minister.
  • The President.
  • The Legislative Assembly.

Explanation: The correct answer is (a). The Advocate General of a State is appointed by the Governor.

Q. Who can be appointed as the Advocate General of a State?

  • A person who is qualified to be appointed as a judge of the High Court.
  • A person who has been an advocate for at least 10 years in High Court.
  • A person who is a citizen of India.
  • All of the above.

Explanation: The correct answer is (d). The Advocate General of a State can be appointed by the Governor from amongst persons who are qualified to be appointed as a judge of the High Court or have been an advocate for at least 10 years and is a citizen of India.

Q. What are the functions of the Advocate General of a State?

  • To give advice to the Government on legal matters.
  • To represent the State in the Supreme Court and High Court.
  • To conduct cases on behalf of the State.
  • All of the above.

Explanation: The correct answer is (d). The Advocate General of a State has the following functions:

* To give advice to the Government on legal matters.
* To represent the State in the Supreme Court and High Court.
* To conduct cases on behalf of the State.
* To perform such other functions as may be assigned to him by the Governor.

Q. Can the Advocate General of a State be removed from office?

  • Yes, the Advocate General of a State can be removed from office by the Governor.
  • No, the Advocate General of a State can only be removed from office by the President.
  • The Advocate General of a State can only be removed from office by the Supreme Court.
  • The Advocate General of a State can only be removed from office by the Legislative Assembly.

Explanation: The correct answer is (a). The Advocate General of a State can be removed from office by the Governor.

Q. What is the purpose of the office of the Advocate General of a State?

  • To ensure that the State is represented properly in the courts.
  • To provide legal advice to the Government.
  • To protect the interests of the State.
  • All of the above.

Explanation: The correct answer is (d). The office of the Advocate General of a State is important to ensure that the State is represented properly in the courts, to provide legal advice to the Government, and to protect the interests of the State.

◾ राज्यों के महाधिवक्ता (Advocate General of State)

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अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है।
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