यह लेख Article 167 (अनुच्छेद 167) का यथारूप संकलन है। आप इस मूल अनुच्छेद का हिन्दी और इंग्लिश दोनों संस्करण पढ़ सकते हैं। आप इसे अच्छी तरह से समझ सके इसीलिए इसकी व्याख्या भी नीचे दी गई है आप उसे जरूर पढ़ें, और MCQs भी सॉल्व करें।
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📜 अनुच्छेद 167 (Article 167) – Original
भाग 6 “राज्य” [अध्याय 2 — कार्यपालिका] [सरकारी कार्य का संचालन] |
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167. राज्यपाल को जानकारी देने, आदि के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्तव्य — प्रत्येक राज्य के मुख्यमंत्री का यह कर्तव्य होगा कि वह — (क) राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी मंत्रि-परिषद् के सभी विनिश्चय राज्यपाल को संसूचित करे; (ख) राज्य के कार्यों के प्रशासन संबंधी और विधान विषयक प्रस्थापनाओं संबंधी जो जानकारी राज्यपाल मांगे, वह दे (ग) किसी विषय को जिस पर मंत्री ने विनिश्चय कर दिया है किंतु मंत्री-परिषद ने विचार नहीं किया है, राज्यपाल द्वारा अपेक्षा किए जाने पर परिषद के समक्ष विचार के लिए रखें; |
Part VI “State” [CHAPTER II — THE EXECUTIVE] [Conduct of Government Business] |
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167. Duties of Chief Minister as respects the furnishing of information to Governor, etc.— It shall be the duty of the Chief Minister of each State— (a) to communicate to the Governor of the State all decisions of the Council of Ministers relating to the administration of the affairs of the State and proposals for legislation; (b) to furnish such information relating to the administration of the affairs of the State and proposals for legislation as the Governor may call for; and (c) if the Governor so requires, to submit for the consideration of the Council of Ministers any matter on which a decision has been taken by a Minister but which has not been considered by the Council. |
🔍 Article 167 Explanation in Hindi
भारतीय संविधान का भाग 6, अनुच्छेद 152 से लेकर अनुच्छेद 237 तक कुल 6 अध्यायों (Chapters) में विस्तारित है (जिसे कि आप नीचे टेबल में देख सकते हैं)।
Chapters | Title | Articles |
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I | साधारण (General) | Article 152 |
II | कार्यपालिका (The Executive) | Article 153 – 167 |
III | राज्य का विधान मंडल (The State Legislature) | Article 168 – 212 |
IV | राज्यपाल की विधायी शक्ति (Legislative Power of the Governor) | Article 213 |
V | राज्यों के उच्च न्यायालय (The High Courts in the States) | Article 214 – 232 |
VI | अधीनस्थ न्यायालय (Subordinate Courts) | Article 233 – 237 |
जैसा कि आप ऊपर देख सकते हैं, इस भाग के अध्याय 2 का नाम है “कार्यपालिका (The Executive) और इसका विस्तार अनुच्छेद 153 से लेकर अनुच्छेद 167 तक है।
इस अध्याय को तीन उप-अध्यायों में बांटा गया है – राज्यपाल (The Governor), मंत्रि-परिषद (Council of Ministers), राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the States) और सरकारी कार्य का संचालन (Conduct of Government Business)।
इस लेख में हम सरकारी कार्य का संचालन (Conduct of Government Business) के तहत आने वाले अनुच्छेद 167 को समझने वाले हैं।
⚫ अनुच्छेद 78 – भारतीय संविधान |
| अनुच्छेद 167 – राज्यपाल को जानकारी देने, आदि के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्तव्य (Duties of Chief Minister as respects the furnishing of information to Governor, etc.)
भारत एक संघीय व्यवस्था वाला देश है यानी कि यहाँ केंद्र सरकार की तरह राज्य सरकार भी होता है और राज्य सरकार की अपनी कार्यपालिका होती है।
राज्य कार्यपालिका के मुख्यतः चार भाग होते है: राज्यपाल (Governor), मुख्यमंत्री (Chief Minister), मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) और राज्य के महाधिवक्ता (Advocate General of the state)।
जिस तरह से अनुच्छेद 78 के तहत राष्ट्रपति को जानकारी देने आदि के संबंध में प्रधानमंत्री के कर्तव्य के बारे में बताया गया है उसी तरह से अनुच्छेद 167 के तहत राज्यपाल को जानकारी देने, आदि के संबंध में मुख्यमंत्री के कर्तव्य बताए गए हैं।
आप सोच के देखिये कि अनुच्छेद 154 के तहत राज्य की कार्यपालिका शक्तियों को राज्यपाल में निहित किया गया है। साथ ही अनुच्छेद 166(1) के तहत राज्य की सरकार की समस्त कार्यपालिका कार्रवाई राज्यपाल के नाम से की जाती है।
इसी तरह से अनुच्छेद 163 के तहत राज्यपाल की सहायता और सलाह के लिए मंत्रिपरिषद और मुख्यमंत्री की व्यवस्था की गई है।
कुल मिलाकर कहने का अर्थ यह है कि सारी ज़िम्मेदारी राज्यपाल पर डाल दिया गया है लेकिन वास्तविक शक्ति मंत्रिपरिषद और मुख्यमंत्री में निहित कर दिया गया है।
ऐसे में मुख्यमंत्री क्या निर्णय ले रहा है, मंत्रिपरिषद को बता भी रहा है कि नहीं इत्यादि जानना बहुत ही जरूरी हो जाता है। जाहिर सी बात है कि अगर राज्यपाल के नाम पर काम हो रहा है तो राज्यपाल को पता भी तो होना चाहिए कि उसके नाम पर क्या हो रहा है।
इसी संदर्भ में अनुच्छेद 167 मुख्यमंत्री पर कुछ कर्तव्यों को आरोपित करता है।
अनुच्छेद 167 के तहत, राज्यपाल के संदर्भ में मुख्यमंत्री के तीन कर्तव्यों के बारे में बताया गया है। जो कि कुछ इस प्रकार है;
(क) मुख्यमंत्री को राज्य मामलों के प्रशासन से संबंधित मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों और साथ ही साथ विधायी प्रस्तावों के बारे में राज्य के राज्यपाल को सूचित करना होगा।
(ख) राज्यपाल जब भी संघ के प्रशासन संबंधी एवं विधान से संबन्धित कोई proposals मांगे तो मुख्यमंत्री का कर्तव्य है कि वह इसे राज्यपाल के समक्ष उपलब्ध कराएं।
(ग) यदि राज्यपाल ऐसा निर्देश देता है, तो किसी भी मामले को मंत्रिपरिषद को प्रस्तुत करना होगा जिस पर मंत्री ने निर्णय लिया है लेकिन जिस पर परिषद द्वारा विचार नहीं किया गया है।
दूसरे शब्दों में कहें तो अगर किसी मंत्री ने कोई निर्णय लिया है लेकिन उस निर्णय के बारे में मंत्रिपरिषद को नहीं बताया है तो ऐसी स्थिति में अगर राज्यपाल की यह इच्छा है कि उसे मंत्रिपरिषद के समक्ष प्रस्तुत करवाया जाना चाहिए तो मुख्यमंत्री का यह कर्तव्य बनता है कि उस निर्णय के बारे में मंत्रिपरिषद को बताएं।
कुल मिलाकर अनुच्छेद 167 का मतलब क्या है?
जब सभी कार्यकारी कार्रवाई राज्यपाल के नाम पर की जाती है तो ऐसे में यह स्वाभाविक है कि राज्यपाल को सभी प्रशासनिक निर्णयों के बारे में सूचित किया जाए। इसीलिए मुख्यमंत्री को मंत्रिपरिषद के सभी निर्णयों को राज्यपाल को बताना आवश्यक कर दिया गया है।
इससे होता ये है कि मुख्यमंत्री राज्यपाल को सूचित किए बिना मंत्रिपरिषद के निर्णयों को लागू नहीं कर सकते हैं।
आपको याद होगा कि राज्य विधानमंडल के सदनों द्वारा पारित प्रत्येक विधायी प्रस्ताव को कानून बनने से पहले राज्यपाल द्वारा हस्ताक्षरित किया जाना होता है। और इस तरह से राज्यपाल Aware रहता है कि मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद क्या-क्या कर रहा है।
तो यही है अनुच्छेद 167, उम्मीद है आपको समझ में आया होगा। दूसरे अनुच्छेदों को समझने के लिए नीचे दिए गए लिंक का इस्तेमाल कर सकते हैं।
◾ राज्यों के मुख्यमंत्री (Chief Minister of States) ◾ प्रधानमंत्री (Prime minister) ◾ केन्द्रीय मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) ◾ राज्यों के राज्य मंत्रिपरिषद (State Council of Minister) |
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Related MCQs with Explanation
Question: The Governor of a State is appointed by the:
- President.
- Prime Minister.
- Chief Minister.
- Legislative Assembly.
Explanation: The correct answer is (a). The Governor of a State is appointed by the President of India.
Question: The Governor of a State holds office for a term of:
- 5 years.
- 6 years.
- 7 years.
- 10 years.
Explanation: The correct answer is (a). The Governor of a State holds office for a term of 5 years.
Question: The Governor of a State can be removed from office by the:
- President.
- Prime Minister.
- Chief Minister.
- Legislative Assembly.
Explanation: The correct answer is (a). The Governor of a State can be removed from office by the President of India.
Question: The Governor of a State has the power to:
- Pardon criminals.
- Appoint judges.
- Prorogue the Legislative Assembly.
- All of the above.
Explanation: The correct answer is (d). The Governor of a State has a number of powers, including the power to pardon criminals, the power to appoint judges, and the power to prorogue the Legislative Assembly.
Question: The Governor of a State is bound by the advice of the:
- Chief Minister.
- Council of Ministers.
- President.
- Legislative Assembly.
Explanation: The correct answer is (b). The Governor of a State is bound by the advice of the Council of Ministers, except in certain matters, such as the appointment of judges and the prorogation of the Legislative Assembly.
Here are some additional points about the powers of the Governor in India:
- The Governor is the head of the State but not the head of the government. The head of the government is the Chief Minister.
- The Governor has the power to appoint the Chief Minister, but only if the Chief Minister is able to command the confidence of the Legislative Assembly.
- The Governor has the power to dissolve the Legislative Assembly, but only if the Legislative Assembly is not functioning properly.
- The Governor has the power to make ordinances when the Legislative Assembly is not in session, but these ordinances must be approved by the Legislative Assembly within six months.
कुल मिलाकर, राज्यपाल की शक्तियाँ संविधान और मंत्रिपरिषद द्वारा सीमित हैं। राज्यपाल कोई रबर स्टांप नहीं है और अपनी शक्तियों का प्रयोग स्वतंत्र रूप से कर सकता है, लेकिन उसे हमेशा संविधान और कानून के अनुसार कार्य करना होता है।
◾ राज्यों के महाधिवक्ता (Advocate General of State)
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⚫ भारतीय संविधान ⚫ संसद की बेसिक्स ⚫ मौलिक अधिकार बेसिक्स ⚫ भारत की न्यायिक व्यवस्था ⚫ भारत की कार्यपालिका |
अस्वीकरण – यहाँ प्रस्तुत अनुच्छेद और उसकी व्याख्या, मूल संविधान (उपलब्ध संस्करण), संविधान पर डी डी बसु की व्याख्या (मुख्य रूप से), प्रमुख पुस्तकें (एम. लक्ष्मीकान्त, सुभाष कश्यप, विद्युत चक्रवर्ती, प्रमोद अग्रवाल इत्यादि) एनसाइक्लोपीडिया, संबंधित मूल अधिनियम और संविधान के विभिन्न ज्ञाताओं (जिनके लेख समाचार पत्रों, पत्रिकाओं एवं इंटरनेट पर ऑडियो-विजुअल्स के रूप में उपलब्ध है) पर आधारित है। हमने बस इसे रोचक और आसानी से समझने योग्य बनाने का प्रयास किया है। |