इस लेख में हम सरल और सहज तरीके से समझेंगे कि भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव कैसे होता है; साथ ही इसके विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं को भी समझेंगे। लेख को अंत तक जरूर पढ़ें;

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उपराष्ट्रपति चुनाव

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भूमिका

भारतीय संविधान का भाग 5 अनुच्छेद 52 से लेकर 151 तक फैला हुआ है। भाग 5 को 5 अध्यायों में बांटा गया है। इसी का पहला अध्याय है – कार्यपालिका (Executive)

कार्यपालिका के तहत अनुच्छेद 52 से लेकर 78 तक आते हैं। और इस भाग के अंतर्गत संघ के कार्यपालिका की चर्चा की गई है। जिसके तहत राष्ट्रपति (President), उप-राष्ट्रपति (vice president), प्रधानमंत्री (Prime minister), मंत्रिपरिषद (Council of Ministers) एवं महान्यायवादी (Attorney General) आते हैं।

अनुच्छेद 63 के तहत भारत में एक उपराष्ट्रपति की व्यवस्था की गई है। अनुच्छेद 64 के तहत उपराष्ट्रपति को राज्यसभा का सभापति बनाया गया है। अनुच्छेद 65 के तहत उपराष्ट्रपति, राष्ट्रपति की अनुपस्थिति में कार्यवाहक राष्ट्रपति के रूप में कार्य कर सकता है। और अनुच्छेद 66 में उपराष्ट्रपति चुनाव की रीति (method) बताई गई है।

चीजों को विस्तार से समझने के लिए, आप इन सभी अनुच्छेदों को पढ़ सकते हैं; लिंक नीचे दिया हुआ है।

अनुच्छेद-63 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-64 – भारतीय संविधान
अनुच्छेद-65 – भारतीय संविधान
भारतीय संविधान के सभी अनुच्छेद

भारत में उपराष्ट्रपति का चुनाव

अनुच्छेद 66(1) में यह बताया गया है कि उपराष्ट्रपति का निर्वाचन संसद के दोनों सदनों के सदस्यों से मिलकर बनने वाले निर्वाचकगण के सदस्यों द्वारा आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होगा और ऐसे निर्वाचन में मतदान गुप्त होगा।

◾ राष्ट्रपति की तरह ही उपराष्ट्रपति का चुनाव भी प्रत्यक्ष रूप से नहीं होता है। बल्कि इनका चुनाव एक निर्वाचक मंडल (Electoral College) करता है। इस निर्वाचक मंडल में संसद के दोनों सदनों के सदस्य होते हैं।

◾ राष्ट्रपति की तरह ही उपराष्ट्रपति का चुनाव भी आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है। यह कैसे काम करता है इसे आगे समझाया गया है।

◾ राष्ट्रपति की तरह ही उपराष्ट्रपति का चुनाव भी गुप्त मतदान (Secret Ballot) पर आधारित होता है। यानि कि मतदाताओं की पसंद को उजागर नहीं किया जाता है।

राष्ट्रपति चुनाव और उपराष्ट्रपति चुनाव में अंतर

जैसा कि हमने ऊपर समझा राष्ट्रपति की तरह ही उपराष्ट्रपति का चुनाव भी आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति के अनुसार एकल संक्रमणीय मत द्वारा होता है। लेकिन फिर भी कुछ प्रावधानों में अंतर है, आइये समझें;

◾ राष्ट्रपति चुनाव के लिए जो निर्वाचक मंडल बनता है उसमें सिर्फ निर्वाचित सदस्य ही शामिल होता है। वहीं उप-राष्ट्रपति के निर्वाचक मंडल में निर्वाचित और गैर-निर्वाचित यानी कि मनोनीत सदस्य भी भाग लेते हैं।

◾ राष्ट्रपति के चुनाव में राज्य सभा एवं लोकसभा के साथ साथ राज्य विधानसभाओं के सदस्य भी शामिल होते हैं। जबकि उपराष्ट्रपति चुनाव में सिर्फ लोकसभा और राज्यसभा के सदस्य ही भाग लेते हैं।

गहराई से समझने के लिए पढ़ें –  राष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया

आनुपातिक प्रतिनिधित्व पद्धति या PR सिस्टम क्या है?

आनुपातिक प्रतिनिधित्व (Proportional Representation) एक मतदान प्रणाली है जिसका उपयोग कई देशों में विधायी निकायों के सदस्यों को चुनने के लिए किया जाता है। आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली में, एक विधायी निकाय में एक राजनीतिक दल को प्राप्त होने वाली सीटों की संख्या चुनाव में प्राप्त होने वाले मतों की संख्या के समानुपाती होती है।

इसका मतलब यह है कि यदि किसी राजनीतिक दल को चुनाव में 30% मत प्राप्त होते हैं, तो उसे विधायी निकाय में लगभग 30% सीटें प्राप्त होंगी।

◾ आनुपातिक प्रतिनिधित्व के कई अलग-अलग रूप होते हैं, जैसे कि पार्टी-सूची आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Party-list PR System), मिश्रित सदस्य आनुपातिक प्रतिनिधित्व प्रणाली (Mixed-Member PR System) एवं एकल हस्तांतरणीय वोट (Single Transferable Vote)।

[अगर आप इन उपरोक्त सभी प्रणालियों को विस्तार से समझना चाहते हैं तो अनुच्छेद 55 पढ़ें;]

एकल हस्तांतरणीय वोट (Single Transferable Vote): 

एकल हस्तांतरणीय वोट (STV) एक मतदान प्रणाली है जिसका उपयोग उम्मीदवारों के चुनाव के लिए या विकल्पों के एक सेट से एक विकल्प चुनने के लिए किया जाता है।

यह मतदाताओं को उनके पसंदीदा विकल्पों को रैंक करने की अनुमति देता है और उन विकल्पों को वोट आवंटित करता है जिससे यह सुनिश्चित होता है कि बर्बाद वोटों की संख्या कम से कम हो।

यह प्रणाली मतदाताओं की पसंद के आधार पर हारने वाले उम्मीदवारों से दूसरे उम्मीदवारों को वोट तब तक स्थानांतरित करता है जब तक कि एक उम्मीदवार को वोटों का बहुमत नहीं मिल जाता।

ये कैसे काम करता है आगे हम उदाहरण से समझने वाले हैं। आइये उससे पहले उपराष्ट्रपति चुनाव से संबंधित कुछ प्रावधानों को समझ लेते हैं;

उपराष्ट्रपति चुनाव से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण प्रावधान:

भारत का चुनाव आयोग उपराष्ट्रपति के कार्यालय के लिए चुनाव आयोजित करता है। अगले उपराष्ट्रपति का चुनाव निवर्तमान उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के 60 दिनों के भीतर करना होता है।

कहने का अर्थ है कि राष्ट्रपति की तरह ही उपराष्ट्रपति के कार्यकाल की समाप्ति के कारण हुई रिक्ति को भरने के लिए चुनाव, कार्यकाल की समाप्ति से पहले ही पूरा कर लिया जाता है।

◾ यदि मृत्यु, त्यागपत्र या निष्कासन या अन्य कारणों से कोई रिक्ति उत्पन्न होती है, तो उस रिक्ति को भरने के लिए जितनी जल्दी हो सके चुनाव करवाया जाता है। और नए उपराष्ट्रपति अपने कार्यालय में प्रवेश करने की तिथि से 5 वर्ष की पूर्ण अवधि के लिए पद धारण करने का हकदार होता है।

[इस संबंध में ज्यादा जानकारी के लिए अनुच्छेद 66(2) देखें।]

◾ आमतौर पर उपराष्ट्रपति चुनाव कराने के लिए नियुक्त रिटर्निंग ऑफिसर संसद के किसी सदन का महासचिव (General Secretary) होता है।

◾ रिटर्निंग ऑफिसर उम्मीदवारों के नामांकन (nomination) आमंत्रित करने के लिए एक सार्वजनिक नोटिस जारी करता है और उस स्थान को निर्दिष्ट (specified) करता है जहां नामांकन पत्र वितरित किए जाने हैं।

◾ निर्वाचित होने के योग्य और उपराष्ट्रपति के रूप में चुनाव में खड़े होने के इच्छुक किसी भी व्यक्ति को प्रस्तावक (proposer) के रूप में कम से कम 20 सांसदों और अनुमोदक (seconder) के रूप में कम से कम 20 सांसदों द्वारा नामित किया जाना आवश्यक है।

◾ उपराष्ट्रपति के रूप में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार को 15,000/- रुपये की सुरक्षा राशि जमा करनी होती है। यह एकमात्र राशि है जो एक उम्मीदवार द्वारा जमा की जानी जरूरी होती है, भले ही उसकी ओर से दायर नामांकन पत्रों की संख्या कितनी भी हो। यहाँ याद रखिए कि एक उम्मीदवार द्वारा 4 नामांकन पत्र जमा किए जा सकते हैं।

◾ निर्दिष्ट तिथि पर रिटर्निंग ऑफिसर द्वारा उम्मीदवार और उसके प्रस्तावक या अनुमोदक और विधिवत अधिकृत किसी अन्य व्यक्ति की उपस्थिति में नामांकन पत्रों की जांच (scrutiny) की जाती है।

◾ कोई भी उम्मीदवार निर्दिष्ट समय के भीतर रिटर्निंग ऑफिसर को दिए गए निर्धारित फॉर्म में लिखित नोटिस देकर अपनी उम्मीदवारी वापस ले सकता है।

उपराष्ट्रपति चुनाव प्रक्रिया:

◾ राष्ट्रपति की तरह ही इस चुनाव में निर्वाचक सीधे तौर पर उम्मीदवार को नहीं चुनता है बल्कि जितने भी उम्मीदवार खड़े होते हैं उसको वरीयता क्रम में रखते हैं।

चुनाव में एक निर्वाचक की उतनी ही वरीयताएँ (preferences) होती हैं जितने उम्मीदवार होते हैं। अपना वोट डालने में, एक निर्वाचक को अपने मतपत्र पर उस उम्मीदवार के नाम के सामने के स्थान पर अंक 1 दर्ज करना होता है जिसे वह अपनी पहली वरीयता (first preferences) के रूप में चुनता है।

बाद में अपने मतपत्र पर 2,3,4 अंक आदि अन्य अभ्यर्थियों के नाम के सामने वाले स्थान पर अंकित करके जितनी चाहे उतनी वरीयता दर्ज कर सकता है।

◾ मतों को भारतीय अंकों के अंतर्राष्ट्रीय रूप में या रोमन रूप में या किसी भारतीय भाषा के रूप में दर्ज किया जा सकता है लेकिन शब्दों में इंगित नहीं किया जा सकता है।

◾ प्रत्येक मतपत्र (ballot) प्रत्येक गणना में एक मत (vote) का प्रतिनिधित्व करता है। वोटों की गिनती की प्रक्रिया में निम्नलिखित चरण होते हैं:

(1) प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा प्राप्त प्रथम वरीयता के वोटों की संख्या का पता लगाया जाता है।

(2) इस प्रकार ज्ञात की गई संख्याओं को जोड़ा जाता है। और कुल को दो से विभाजित किया जाता है और किसी भी शेष को छोड़ कर भागफल में एक जोड़ा जाता है। यही परिणामी संख्या चुनाव में भाग लेने के लिए उम्मीदवार के लिए आवश्यक कोटा है।

(3) यदि पहली या किसी बाद की गणना के अंत में किसी उम्मीदवार को मिले वोटों की कुल संख्या कोटा के बराबर या उससे अधिक है, तो उस उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित किया जाता है।

(4) यदि किसी गणना के अंत में किसी उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित नहीं किया जा सकता हो, तो;

(क) जिस उम्मीदवार को उस चरण तक सबसे कम मत मिले हैं, उसे मतदान से बाहर कर दिया जाएगा। और उसके सभी मतपत्रों की एक-एक करके दूसरी वरीयता (Second Preference) जाँची जाएगी, (यदि कोई हो)।

इन मतपत्रों को संबंधित शेष उम्मीदवारों को स्थानांतरित कर दिया जाएगा, जिनके लिए ऐसी दूसरी वरीयताएँ अंकित की गई हैं, और उन मतपत्रों के वोटों का मूल्य ऐसे उम्मीदवारों को दे दिया जाएगा।

जिन मतपत्रों पर दूसरी वरीयता अंकित नहीं है, उन्हें समाप्त मतपत्र माना जाएगा और उनकी गिनती आगे नहीं की जाएगी, भले ही उनमें तीसरी या बाद की कोई वरीयता शामिल हो।

यदि इस गणना के अंत में कोई अभ्यर्थी कोटा प्राप्त कर लेता है तो उसे निर्वाचित घोषित कर दिया जायेगा।

(ख) यदि दूसरी गणना के अंत में भी, किसी भी उम्मीदवार को निर्वाचित घोषित नहीं किया जा सकता है, तो गिनती उस उम्मीदवार को छोड़कर आगे बढ़ेगी जो अब इस चरण तक मतदान में सबसे कम है।

सबसे कम मत प्राप्त उम्मीदवारों को बाहर करने की यह प्रक्रिया तब तक दोहराई जाएगी जब तक कि जारी रहने वाले उम्मीदवारों में से एक कोटा तक नहीं पहुंच जाता।

चुनाव हो जाने और मतों की गिनती हो जाने के बाद, रिटर्निंग ऑफिसर चुनाव के परिणाम की घोषणा करता है। इसके बाद, वह केंद्र सरकार (कानून और न्याय मंत्रालय) और भारत के चुनाव आयोग को परिणाम की रिपोर्ट करता है और केंद्र सरकार आधिकारिक राजपत्र में उपराष्ट्रपति के रूप में चुने गए व्यक्ति का नाम प्रकाशित करती है।

उम्मीद है आपको समझ में नहीं आया होगा, आइये इसे उदाहरण से समझते हैं;

उपराष्ट्रपति चुनाव का उदाहरण:

◾ 6 अगस्त 2022 को उपराष्ट्रपति का चुनाव हुआ। इस चुनाव में दो उम्मीदवार थे। NDA की तरफ से जगदीप धनखड़ और UPA की तरफ से मार्गरेट अल्वा।

◾ सबसे पहले दोनों सदनों के सदस्यों को मिलाकर निर्वाचक मंडल बनता है।

निर्वाचक मंडल = लोकसभा की 545 सीटें + राज्यसभा की 245 सीटें = 790 वोटर्स

चूंकि लोकसभा में दो सीटें जो एंग्लो इंडियन के लिए रिजर्व थी उसे साल 2020 में खत्म कर दिया गया इसीलिए 543 सीटें ही उपलब्ध है।

चूंकि जम्मू-कश्मीर की सभी 4 राज्यसभा सीटें खाली हैं। त्रिपुरा की एक मात्र राज्यसभा सीट भी खाली है। और राज्यसभा की 3 मनोनीत सदस्य सीटें भी खाली हैं। इसीलिए राज्यसभा में सिर्फ 237 सीटें ही बच जाती है।

यानि कि, 543 (लोकसभा) + 237 (राज्यसभा) = 780 सीटें यानि कि 780 वोटर्स।

यही 780 वोटर्स मतदान प्रक्रिया में भाग लेने के लिए निर्वाचक मंडल बना। लेकिन 2022 के चुनाव में हुआ ये कि 55 वोटर्स अनुपस्थित रहे और 15 वोटर्स का वोट ही अवैध हो गया इसीलिए 710 वोटर्स ही बचे। (जिसे कि आप नीचे देख सकते है। )

◾ दूसरी बात कि कोटा तय किया जाता है।

कोटा तय करने के लिए प्रत्येक उम्मीदवार द्वारा प्राप्त प्रथम वरीयता के वोटों की संख्या का पता लगाया जाता है। इस प्रकार ज्ञात की गई संख्याओं को जोड़ा जाता है। और कुल को दो से विभाजित किया जाता है और किसी भी शेष को छोड़ कर भागफल में एक जोड़ा जाता है। यही परिणामी संख्या चुनाव में भाग लेने के लिए उम्मीदवार के लिए आवश्यक कोटा है।

CandidateParty (Coalition)Electoral Votes
Jagdeep DhankharBJP (NDA)528
Margaret AlvaINC (UO)182
Total 710
UO मतलब United Opposition

अगर 710 वोटर्स में से 528 वोटर्स ने जगदीप धनखड़ को प्रथम वरीयता पर रखा और 182 वोटर्स ने मारग्रेट अल्वा को प्रथम वरीयता पर रखा तो दोनों को जोड़ने पर 710 होगा और फिर इसे 2 से भाग देना पड़ेगा और भागफल में 1 जोड़नी होगी।

710/2+1 = 356 : यानि कि 356 वोट या उससे अधिक वोट जो उम्मीदवार ला लेंगे वही विजेता घोषित कर दिए जाएंगे। जगदीप धनखड़ को 528 वोट मिले इसीलिए उन्हे उपराष्ट्रपति पद के लिए विजेता घोषित किया गया।

तो कहने का अर्थ ये है कि अगर इसी तरह से बहुमत स्पष्ट हो और सिर्फ दो उम्मीदवार हो तब ऐसे ही आसानी से विजेता मिल जाता है। लेकिन ये थोड़ा जटिल तब हो जाता है जब दो से अधिक उम्मीदवार हो और किसी को भी स्पष्ट बहुमत न मिले। तब शुरू होता है वोट हस्तांतरण का सिलसला। आइये समझें;

अस्पष्टता की स्थिति में जटिलता

◾ समझने के लिए मान लेते हैं कि निर्वाचक मंडल में कुल 1000 सदस्य है यानि कि 1000 वोटर्स है यानी कि कुल वोट 1000 है।

अब चलिये मान लेते हैं कि चार उम्मीदवार उपराष्ट्रपति पद के लिए खड़ा हैं। वोटिंग की प्रक्रिया खत्म हो गयी है और काउंटिंग शुरू हो गयी है। जब राउंड 1 की काउंटिंग शुरू हुई तो चारों को क्रमशः इस अनुपात में वोट मिला।

CandidateVotes [First Preference]
Ajay400
Bimal300
Chanakya200
Dolly100

◾ यहाँ पर प्रथम वरीयता (First Preference) के रूप में प्राप्त सभी वोटों को जोड़ने और उसमें 2 दो से भाग देने और फिर से 1 जोड़ने पर 501 आता है। यानि कि जो उम्मीदवार कम से कम 501 वोट लाएगा, वो चुनाव जीत जाएगा।

ऊपर के रिज़ल्ट को देखें तो 1000 वोटर्स में से 400 वोटर्स का First Preference या पहली पसंद Ajay है।

300 लोगों की पहली पसंद उम्मीदवार Bimal है। 200 लोगों की पहली पसंद उम्मीदवार Chanakya है, और 100 लोगों की पहली पसंद उम्मीदवार Dolly है। इसी प्रकार से सब का Second Preference भी होगा।

लेकिन हम यहाँ देख सकते हैं कि किसी भी उम्मीदवार को 501 वोट प्राप्त नहीं हुआ है, ऐसे में वोट हस्तांतरण शुरू होगा। यानि कि सेकंड राउंड की काउंटिंग शुरू होगी।

सेकंड राउंड की काउंटिंग

अब होगा ये कि सबसे पहले Dolly का जो वोट है वो ट्रान्सफर हो जाएगा। क्योंकि सब से कम वोट उसी को मिला है। ये कैसे होगा?

तो आप देख रहे होंगे कि 100 लोग ऐसे हैं जो Dolly को First Preference पर देखना चाहते है। अब जाहिर है कि इन 100 वोटर्स का Second Preference भी तो होगा, जिसको ये लोग सेकंड नंबर पर देखना चाहते होंगे।

Dolly को प्राप्त
100 वोटर्स का
second preference
Ajay – 50
Bimal – 30
Chanakya – 20

हम देख सकते हैं कि इस 100 में से 50 लोग Ajay को Second Preference पर देखना चाहते हैं, उसी प्रकार 30 लोग उम्मीदवार Bimal को और 20 लोग उम्मीदवार Chanakya को Second Preference पर देखना चाहते हैं।

तो अब होगा ये कि इन 100 वोटर्स का Second Preference का वोट क्रमशः उम्मीदवार Ajay, Bimal और Chanakya को ट्रान्सफर हो जाएगा, यानी कि सब में जुड़ जाएगा।

Ajay के पास पहले से ही 400 वोट है तो उसमें 50 और जुड़ जाएगा, Bimal के पास 300 वोट पहले से ही है, उसमें 30 और जुड़ जाएगा, Chanakya के पास 200 वोट पहले से है उसमें 20 और जुड़ जाएगा। अब स्थिति ऐसी हो जाएगी।

CandidateVotes [FP+SP]
Ajay400+50 = 450
Bimal300+30 = 330
Chanakya200+20 = 220

अब आप देख रहें होंगे कि अभी भी इनमें से किसी को भी 501 वोट नहीं मिला है। अगर मिल जाता तो यही पर चुनाव खत्म हो जाता और विजेता घोषित कर दिया जाता।

आम तौर पर ऐसा ही होता है। पर इस केस में चूंकि अभी भी किसी को 501 वोट नहीं मिला है इसिलिए अब थर्ड राउंड की काउंटिंग शुरू हो जाएगी।

थर्ड राउंड की काउंटिंग

उम्मीदवार Dolly का वोट तो पहले ही ट्रान्सफर हो चुका है। अब उम्मीदवार Chanakya की बारी है। क्योंकि सब से कम वोट अब इसी का है।

कुल 200 लोगों ने Chanakya को First Preference पर रखा है और 20 लोगों ने Second Preference पर। उम्मीद है समझ पा रहे होंगे।

◾ अब होगा ये कि जिन 200 लोगों ने Chanakya को First Preference पर रखा है, उसका Second Preference देखा जाएगा। और जिन 20 लोगों ने Chanakya को Second Preference पर रखा है, उसका Third Preference देखा जाएगा।

अब मान लीजिए कि उन 200 लोगों में से 20 लोगों ने Ajay को Second Preference पर रखा है, और 180 लोगों ने Bimal को Second Preference पर रखा है।

बाकी जो 20 लोग है जिन्होने Chanakya को Second Preference पर रखा है। मान लीजिए कि उसमें से 1 ने Ajay को Third Preference पर रखा है और 1 ने Bimal को Third Preference पर रखा है।

Chanakya का वोट इस तरह से अब Ajay और Bimal को ट्रान्सफर हो जाएगा। ट्रान्सफर होने के बाद देखिए अब क्या होता है।

CandidateVotes [FP+SP+TP]
Ajay450+20+1 = 471
Bimal330+180+1= 511

अब आप देख रहे होंगे कि Bimal को 501 से अधिक वोट मिल चुका है, और इसीलिए अब Bimal को विजेता घोषित कर दिया जाएगा।

इसी को कहते हैं – एकल हस्तांतरणीय मत पद्धति (Single transferable vote method)। और ये था इसका पूरा प्रक्रिया।

उप-राष्ट्रपति चुनाव से संबंधित कुछ तथ्य;

◾ उपराष्ट्रपति के चुनाव के संबंध में उत्पन्न होने वाले सभी संदेहों और विवादों की जांच और निर्णय भारत के सर्वोच्च न्यायालय द्वारा किया जाता है जिसका निर्णय अंतिम होता है।

◾ उपराष्ट्रपति के चुनाव को चुनौती देने वाली एक याचिका पर भारत के सर्वोच्च न्यायालय की पांच-न्यायाधीशों की पीठ सुनवाई करती है।

उपराष्ट्रपति द्वारा अपने पद ग्रहण करने से पहले शपथ लिया जाता है; जो कि कुछ इस तरह से होता है;

“मैं, __ ईश्वर की शपथ लेता हूं कि मैं विधि द्वारा स्थापित भारत के संविधान के प्रति सच्ची श्रद्धा और निष्ठा रखूँगा तथा जिस पद को मैं ग्रहण करने वाला हूँ , उसके कर्तव्यों का श्रद्धापूर्वक निर्वहन करूंगा।”

उम्मीद है आपको उपराष्ट्रपति चुनाव समझ में आया होगा। संबंधित दूसरे लेखों को अवश्य पढ़ें एवं हमसे जरूर जुड़ें। अगर हमें सपोर्ट करना चाहते हैं तो स्क्रीन पर दिख रही अपने पसंदीदा Ad को विजिट जरूर करें;


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अनुच्छेद 54
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भारतीय संविधान
संसद की बेसिक्स
मौलिक अधिकार बेसिक्स
भारत की न्यायिक व्यवस्था
भारत की कार्यपालिका
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References
http://164.100.47.5/Chairman-Rajyasabha/VPElection.htm
https://en.wikipedia.org/wiki/2022_Indian_vice_presidential_election
https://www.livemint.com/news/india/how-the-vice-president-of-india-is-elected-read-here-11659743908692.html
https://www.hindustantimes.com/india-news/explained-how-the-vice-president-of-india-is-elected-101659719738263.html
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